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Deepa Chauhan

Deepa Chauhan

@deepachauhan.584302


लो बरस ही पडा आसमां इक मुद्दत के बाद
मिलने अपनी ज़मी से पूरी शिद्दत के साथ,
मुन्तजिर ज़मी रही तो मुन्तजिर आंखें कहीं
बेजुबां जज्बात और अन्कहे अल्फाज भी।

भीगी भीगी ज़मी सोंधि सोंधि महकने लगी
दास्ताँ ए इश्क़ फिजाओं मे बिखरने लगी,
आज भीगा सब जो सुखा हुआ था
बह गया सब जो रूका हुआ था ।

-दीपा चौहान

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तुझसे भरे,घिरे तेरे जहान मे
लोग तेरी तलाश मे दर दर घुमते हैं
क्या मालूम क्या सोचकर
तेरे वजूद का भी सबूत ढूँढते हैं।

-दीपा चौहान

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ऐ खुदा तेरी रहमत किसी पर बेतहाशा बरसती है ,
तो किसी की किस्मत मेहरूम इससे ताऊम्र तरसती है।

-दीपा चौहान

मैनें कहा
सबने सुना ,
कुछ ने समझा ।
माँ ने सुना
और समझा
वो
जो मैने
ना कहा ,ना समझाया ।
सच
ईश्वर ने माँ को अपने जैसा ही बनाया।

-दीपा चौहान

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जुड़ गये जो हाथ हैं प्रभु अब ना खुलने पाये
प्रेम का धागा प्रभु अब टूटने ना पाये
प्रबल प्रवाह प्रेम का हृदय मे उमड़ता रहे
अपरिमित संसार तेरा ,मेरा तुझमे सिमटता रहे।
-दीपा चौहान

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कितने दरिया खामोश हुए समंदर की गहराई में
कंकड पत्थर मिल गये परबत की ऊंचाई में
मिटने को हमेशा मिटना नहीं कहते इस जहान में ,
अपनी हस्ती मिटा कर देखो किसी का वजूद बनाने में ।
-दीपा चौहान

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