Quotes by Dr Darshita Babubhai Shah in Bitesapp read free

Dr Darshita Babubhai Shah

Dr Darshita Babubhai Shah Matrubharti Verified

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मैं और मेरे अह्सास
गुलाब
गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठों से शराब छलक रही हैं l
ये देख के दिल फेंक दिवानो की महफिल चहक रही हैं ll

रोम रोम में खिला हुआ है यौवन ओ मदमस्त मस्ती l
हुश्न की खूबसूरत अदाओं देख शाम भी बहक रही हैं ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

कश्मीर
कश्मीर की वादियों में खो जाने को जी चाहता हैं l
खुले आम प्यार भरे नग़में गाने को जी चाहता हैं ll

अजायबी ओ खूबसूरत सी बेमिसाल चीज़ पे l
बार बार दिल ओ जान लुटाने को जी चाहता हैं l

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

मधुलिका
जिह्वा पर मधुलिका होगी तो जीना आसान हो जायेगा l
हर महफिल हर जगह आदर और सन्मान भी पायेगा ll

अपनों और ग़ैरों के साथ प्रेम ओ आत्मीयता रखना l
क़ायनात में क्या लेके आया था क्या लेकर जायेगा ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

जेब कंगाल थी हम खरीदार थे l
चीज़ों से सब भरे सारे बाजार थे ll

मिलने की आशा ओ कोशिशे छोड़ दी l
आज जब के मुलाकात आसार थे ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

बहुत
सच्ची मोहब्बत की कीमत बहुत हैं l
प्यारे से दोस्तों की दौलत बहुत हैं ll

जूठा ही सही एक बार मुस्करा देते l
छोटी सी बात की हकीकत बहुत हैं ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

सभल
गलत को गलत नहीं कहता हूँ में l
हर क़दम सभल कर चलता हूँ में ll

चुप रह खामोशी स्वीकार करके l
कभी अपने आप को छलता हूँ में ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

प्यार किया है निभाएंगे आखरी साँस तक l
जो भी बात करेंगे कबूले सर आँखों पर ll

आज सब कुछ जायज है मुस्कराते हुए कि l
खूबसूरत हसीं शिकवे गिले सर आँखों पर ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

नई कलम नया कलाम पर नया कलाम लिखाना हैं l
कविओ की प्रतिभा ओ रचनात्मकता को
दिखाना हैं ll

नई कलम नया कलाम की महफिल में
प्यार भरे l
नगमों और ग़ज़लों का नशीला जाम
पिलाना हैं ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

नई कलम नया कलाम
नई कलम नया कलाम पटल पर चहक रहा हैं l
हर कोई कविता लिखते लिखते बहक रहा हैं ll

छाँद, प्रास, लय और ताल के साथ मिलकर l
हर शब्द कवि की रचनाओ में महक रहा हैं ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

उदासी भरी शाम के वक्त जी हलका करे ओ l
दिल को बहलाने वाले सभी नग़में याद रहेंगे ll

खूबसूरत वादियों ओ मदमस्त फ़िज़ाओं में l
साथ मिलकर देखे हुए हर सपने याद रहेंगे ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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