Quotes by Darshita Babubhai Shah in Bitesapp read free

Darshita Babubhai Shah

Darshita Babubhai Shah Matrubharti Verified

@dbshah2001yahoo.com
(1.6k)

मैं और मेरे अह्सास

महफिलों में प्याले का सच ना जानो तो ही अच्छा हैं l
निगाहों से पीने वालों की बात मानो तो ही अच्छा हैं ll

लम्बे समय तक खामोशी और दूरी जरा भी
नहीं अच्छी l
आज रूठे हुए को प्यार से मनालो तो ही
अच्छा हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Read More

मैं और मेरे अह्सास

अगर तुम जो साथ हो l
हर रात चाँद रात हो ll

जीत का जश्न मनाने को l
हाथों में तेरा हाथ हो ll

दुनिया जब मिसाल दे l
लब पर हमारी बात हो ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Read More

मैं और मेरे अह्सास

हर पल हर लम्हा रंग बदले जिन्दगी l
सुबह शाम बस यूहीं सरके जिन्दगी ll

कभी गम की धूप कभी खुशी की छांव l
कभी पतझड़ सी कभी पनपे जिन्दगी ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Read More

मैं और मेरे अह्सास

अगर तुम साथ हो दुनिया जीत कर बताएंगे l
ख्वाबों और अरमानों पूरा करके दिखाएंगे ll

मेरी मंज़िल के सारे रास्ते में तुम साथ देना l
क़सम से जिंदगीभर मुकम्मल साथ निभाएंगे ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Read More

मैं और मेरे अह्सास

आज मैं और मेरी तन्हाई एकदूसरे से बातें करने हैं l
एक-दूजे का हमसाया ओ दोस्ती का दम
भरते हैं ll

बातों बातों में वक्त कहा निकले पता नहीं चलता हैं l
कुछ अपनी कहके कुछ उसकी सुनके नींद में
सरते हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Read More

मैं और मेरे अह्सास

खुद को खुद के रूबरू नजर आएँ कैसे?
मोहब्बत को जग की निगाहों से छुपाएँ कैसे?

बेशुमार दर्द और तन्हाई देनेवाले प्यार के l
ज़ख्मो को मिलने से खुद को बचाएँ कैसे?

पलाश के रंग से जुदा करना कोई खेल नहीं l
सरेआम महफ़िल से उठकर जाएँ कैसे?

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Read More

मैं और मेरे अह्सास

जिंदगी की अनकही दास्तान अनकही रहने दो l
दर्द एकतरफ़ा मोहोब्बत का अकेले ही सहने दो ll

रोज रोज बार बार एक ही सवाल ना पूछा करो l
ना बुलाओ कोई यू खामोशी का चौला पहने दो ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Read More

मैं और मेरे अह्सास

जीवन एक खिलौना हैं l
पल में हसना रोना हैं ll

सदाक़त की राह पर चल l
अच्छे कर्मो को बोना हैं ll

सोचा मत कर भाग्य में l
जो लिखा है वो होना हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Read More

मैं और मेरे अह्सास

चाँद और सूरज की गति से ज़ीवन विकसित हो रहा हैं l
समस्त कायनात के जिवो में वह जिंदगी को
बो रहा हैं ll

ज़ीवन को फूलने फलने के वास्ते सदियों से
बिना रूके l
अपने किरणों की बरसात से समग्र सृष्टि को
भीगो रहा हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Read More

मैं और मेरे अह्सास

खूबसूरत छाई बहार होली में l
पिचकारी लाई ख़ुमार होली में ll

हँस-हँसकर किलकारी करती l
मस्ती करे दिलदार होली में ll

गलियों में बज रहे ढोल-मृदंग l
उमड़े दिलों में प्यार होली में ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Read More