Quotes by Darshita Babubhai Shah in Bitesapp read free

Darshita Babubhai Shah

Darshita Babubhai Shah Matrubharti Verified

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मैं और मेरे अह्सास

अजनबी
अपने ही शहर से अजनबी हम हैं l
शुक्र है अपनेआप से करीबी हम हैं ll

दो पल मिलने की फुर्सत नहीं जिसे l
कहने को दोस्तों के हबीबी हम हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

शिकवा
शिकवा है दिल के राज़ छुपाने से l
बिना कुछ भी कहे चले जाने से ll

जरा सी खुशी भी खटकती है क्या?
अब तो एतराज है मुस्कुराने से ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास
मोहब्बत
मोहब्बत निगाहों से बयान होती है l
तभी से चालू ये दास्तान होती है ll

कभी भी गिरने नहीं देते है जिसमें l
सबसे ज्यादा बसी जान होती है ll

जब आग दो तरफ़ से लगी हो l
तब मोहब्बत जवान होती है ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

बेनियाज़
रास्तें में सामने गर्दिशों का पहाड़ खड़ा हैं l
बेनियाज बेखौफ होके कारवाँ चल पड़ा है ll

आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जज्बातों ने l
मन के भीतर ख्वाबों अरमानों का दड़ा है ll

गुजिश्ता कर दी ख़ुद की भावनाओं को तो l
कई बार गुस्से में अपने आप से लड़ा है ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

छाले हमारे पाँव के देख यूँ उदास ना हो l
घर हमारा चलाने के लिए इसे तो छीलना ही था l

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

दस्तूर
दस्तूर ए मोहब्बत का राज तुम क्या जानो l
प्रथम मिलन रात का राज तुम क्या जानो ll

बोले हुए लब्ज़ तो सब समझ जाते हैं पर l
खामोश जुबान का राज तुम क्या जानो ll

दिल का जहाँ रोशन कर दिया जुगनुओं ने l
प्यार की सौगात का राज तुम क्या जानो ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

आँसू
कोई फ़ायदा नहीं आँसू छुपाने से l
ज़माने को गिला है मुस्कुराने से ll

लाख कोशिशों के बाद न रुके तो l
उदास क्यूँ हो उसीके जाने से ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

बदलता
वक्त के साथ इंसान बदलता क्यूँ हैं?
किसी के लिए दिल धड़कता क्यूँ हैं?

उम्रभर एक ही गलती बार बार करे l
देख रंगीन तितलियाँ बहकता क्यूँ हैं?

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

फागुन
रंगबिरंगी होली लेकर फागुन आयो l
साथ अपने मनमीत सजना लायो ll

मन पुलकित हुआ तन पर गुलाल ओ l
रोम रोम केसर घोल प्रेम रंग भायो ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

ये किस गली से नाचता गाता बयार आ रहा हैं l
ये दिल बार बार वहीं पर ही उड़कर जा रहा हैं ll

आज मदमस्त फिझाएं बड़ी खुशनुमा लगे कि l
नशीली सी महकती छलकती खुशबु ला रहा हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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