Quotes by Darshita Babubhai Shah in Bitesapp read free

Darshita Babubhai Shah

Darshita Babubhai Shah Matrubharti Verified

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मैं और मेरे अह्सास

हौसलों भरी उड़ान रख l
पंखों में आसमान रख ll

प्यार की खुशबु फेला दे l
खुशियाँ से जहान रख ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

सोचता हूँ लिखूँ ख़ुद पर एक असली कहानी l
ख़ुद के ज़ीवन की कथनी ख़ुद की जुबानी ll

जूठ लिखा नहीं जाएगा सच छुपा नहीं सकते l
सुख दुःख मिलाकर जिंदगी बीती सुहानी ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

काश कुछ करिश्मा हो जाये बस दीदार ए यार हो जाये l
निगाहें चार होते ही एक दूसरे की निगाहों में खो जाये ll

खामोशी से बेशुमार बातें करते हुए रात यूहीं गुज़रे और l
चाँदनी शीतल रात में बाहों में बाहें डालकर सो जाये ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

बेवफाई याद आई तब तराशता हूँ खुद को l
लड़ाई याद आई तब तराशता हूँ खुद को ll

शायद कोई बड़ी बात कह डाली नादानी में l
दोस्ताई याद आई तब तराशता हूँ खुद को ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

माँ बाप का साया हमेशा ही बच्चों के साथ रहता हैं l
उनके आशीर्वाद से ज़ीवन विकास की और
सरता हैं ll

जब माँ बाप के दिल को ठंडक पहुंचती तब
ज़ीवन के l
सुबह शाम दिन रात चैन, सुकून ओ शांति से
भरता हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

अपनों के साथ शिकायतों का दौर चालु रहता हैं l
वक्त के साथ रवायतों का दौर चालु रहता हैं ll

गर आपस में रंजिशे कम ना किये जाये तो भी l
सबंधों के बीच जफ़ायतों का दौर चालु रहता हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

आती जाती साँसों का शुक्रिया अदा कर लो l
खुशमिजाज सी खुशनुमा ताजी हवा भर लो ll

फर्श से लेकर अर्श तलक पहुचने के लिए बस l
जहां चैन ओ सुकूं ना मिले वहां से सरक लो ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

फिझाओ का हौसला देख वज़ूद समंदर का हिल गया l
रवानगी कुछ ऐसी थी के मौजों का रूख भी सिल गया ll

एक साथ मिलकर चलना है तो लड़ना भीक्या तो l
उछलते छलकते हुए वो भी खुशी से संग मिल गया ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

इंतजार
इंतजार की घड़ियाँ काटे नहीं कटती हैं l
घड़ी की सुई आज क्यूँ नहीं हटती हैं ll

हर पल हर घडी जागते सोते चाह थी वो l
एक मुलाकात की आशा नहीं मिटती हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

लगन और साधना से मंज़िल तक पहुंच सकते हैं l
जीवन का असली ध्येय साधना से प्राप्त करते
हैं ll

मन में सच्ची लग्न लगी हो तो मनचाहा मिलता हैं l
हमेशा लक्ष्य को दिलों दिमाग़ में दिन रात भरते
हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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