Quotes by Dr Darshita Babubhai Shah in Bitesapp read free

Dr Darshita Babubhai Shah

Dr Darshita Babubhai Shah Matrubharti Verified

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मैं और मेरे अह्सास

खामोशी बोलने लगी l
आज जुबान ने हड़ताल रखी तो l
आँखों से खामोशी बोलने लगी ll

पूरे दिन के बाद सब्र टूट गया कि l
रातों से खामोशी बोलने लगी ll

कई मुलाक़ातों को सेव किया है l
यादों से खामोशी बोलने लगी ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

यादों की गर्मी
यादों की गर्मी से ठंडा कलेजा शेकते रहे l
लम्बी जुदाई में बहुत दर्द ओ ग़म है सहे ll

बहार आने से भी जीवन तो सुना ही रहा l
दर्द-ए -दास्तान किसे जाकर आज कहे ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

मन को वृंदावन बना लो l
दिल आनंद से सजा लो ll

कृष्ण के ध्यान में मगन हो l
मन मंदिर में छवि समा लो ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

बात
करनी है संगीन बात क़रीब आ जाओ l
गुज़र जाएगी ये रात क़रीब आ जाओ ll

चाँद सी महबुबा सामने आ गई है तो l
बहक रहे हैं जज़्बात क़रीब आ जाओ ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

अदा
अदाओं का इशारा खूब समझते हैं l
अरमान मुश्किल से ही सभलते हैं ll

महफिल में हसीन खूबसूरत परियाँ l
समाने आती है तो दिल मचलते हैं ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

अदाएं
एक मुलाकात की आस रहती हैं l
नजरे दर के आसपास रहती हैं ll

जब से वादा मिलने का टूटा हैं l
तब से तबीयत उदास रहती हैं ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

अनमोल
प्यार का रिश्ता अनमोल होता हैं l
दिल में जीने की तमन्ना बोता हैं ll

बच्चा चाहे कितना भी रूठा हो l
माँ की गोद में चैन से सोता हैं ll

जिसे रिस्तों की अहमियत हो वही l
सबकुछ भूल कर सब संजोता हैं ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

उपहार
मुस्कराहट का उपहार देते रहना चाहिए l
प्यार है तो इज़हार करते रहना चाहिए ll

ज़िदगी आसानी से बशर करने के लिए l
अच्छी आदतों को हमेशा गहना चाहिए ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

जलवा
महफिल में शबाब का जलवा बाज़ी मार गया l
नजरे चार होते ही इश्क़ वाला दिल हार गया ll

क़सम ली थी ना जायेंगे कभी हुस्न की गली l
ना सभला दिल तो उस गली बार बार गया ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

मनुहार
यादों का बादल घना हैं l
मनुहार से जिवन भरा हैं ll

परेशान ना किया करो l
दिल मोम का बना हैं ll

सोच समझकर जियो l
ख़ुदा का पहरा तना हैं ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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