Quotes by Darshita Babubhai Shah in Bitesapp read free

Darshita Babubhai Shah

Darshita Babubhai Shah Matrubharti Verified

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मैं और मेरे अह्सास

हाथ छुड़ाने से पहले सो दफ़ा सोच लेना l
मुकम्मल कोई सच्चा साथी खोज लेना ll

यूही नहीं कटता लम्बा सफ़र अकेले ही l
जीवन हराभरा करने गुलों को रोप देना ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

आरज़ू पूरी होने में वक्त तो लगता हैं l
मुहब्बत संजोने में वक्त तो लगता हैं ll

चांद सितारों से सजी भीगी रातों में l
अकेले ही सोने में वक्त तो लगता हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

आरज़ू कभी तो होगी मुख्तसर भी यकीन
रखना l
अल्फाज़ दिल से निकले हैं बस इंतजार
करना ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

यहीं हैं जिन्दगी चाहे रोकर या हंसकर गुजर जाती हैं l
पलभर में एकदम से पलक ज़ब्के ही पलट जाती हैं ll

रोज सवेरे-सवेरे नया इम्तहान देकर चौका देती हैं l
हालात एकाएक बदल के फ़िर किस्मत बदल जाती हैं l
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

गरीबी से अमीरी तक का सफ़र बहुत कठिन होता हैं l
जब कड़ी मेहनत और लगन से पसीना ताउम्र
बोता हैं ll

ऐसे ही शौहरत, रूड़बा, पहचान नहीं पाता
हैं सालों l
पाई पाई कमाने के वास्ते चैन और सुकून को
खोता हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

यादें तेरी
तन्हाई में अक्सर यादें तेरी दिल को बहला जाती हैं l
मचलते बहकते जज़्बातों को कुछ देर सहला जाती हैं ll

वक्त मिलते ही जरूर आएगें पहली ट्रेन से मिलने l
वादा किया तो निभाएंगे ये रूठे को समझा
जाती हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

कह दो ना दिल का हाल एक बार खुलकर l
कह भी दो राज की बात एक बार खुलकर ll

बहुत जी लिये ज़माने से डर डर के आओ l
आज बहने दो ज़ज्बात एक बार खुलकर ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

मन पतंग की उड़ान ऊँची होनी चाहिये l
आसमाँ में रंगीन चादर बिछोनी चाहिये ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

हर मौसम का एक अलग मिजाज़ होता है तो l
सभी मौसमों के साथ रिश्ता निभाना चाहिए ll

सर्दी लेकर आया उत्तरायण का त्यौहार चलो l
आसमाँ को रंगीन पतंगों से मिलाना चाहिए ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

नीद से जागना जरूरी हैं l
रोज ही भागना जरूरी हैं ll

ग़र सचमुच कुछ चाहिए l
चाह से माँगना जरूरी हैं ll

जिन्दा रहने के लिए शौख l
दिल में पालना जरूरी हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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