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सागर चौहान

सागर चौहान

@chauhansagar947gmail.com7077


नई ग़ज़ल
है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
मगर इतनी भी नही जितनी दोस्तों और लिखने के काम से
है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
इतनी भी नही जितनी माँ बाप से
है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
इतनी भी नही जितनी मजदूर को काम से
है तुज से मोहब्बत ओर तेरे नाम से
इतनी भी नही जितनी शराबी को जाम से

है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
इतनी भी नही जितनी आशिक को शाम से
है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
इतनी भी नही जितनी पुजारी को जाप से
है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
इतनी भी नही जितनी भग्त को भगवान से

है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
इतनी भो नही जितनी किसी मुसलमान को कुरान से
है मोहब्बत °°°°°°°
इतनी भीe नही जितनी राधा को श्याम से
है मोहब्बत तुज से ओर तेरे नाम से
इतनी भी नही जितनी सागर को कलाम से
है मोहब्बत °°°°
इतनी भी नही जितनी सीता को राम से।

#सaगaर

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मिला आज एक दोस्त बरसो बाद
सोचा बात करे गया बरसो जैसी
मगर बो यू बोला
बात ना रही पहले जैसी
वक़्त ना रहा पहले जैसा हवा ना रही पहले जैसी
तुम ना रहे पहले जैसे मैं ना रही पहले जैसी

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