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*?"असली सुगन्ध तो हमारे अन्दर है"?* हम 24 घंटे बाहर की दुनिया को देखते रहते हैं जब अन्तर में देखने का मौका होता है, तो हम सो जाते है। सन्तजन फरमाते हैं कि 24 घंटे में एक बार ही थोड़ी देर के लिये अपने कानों को बंद करके शब्द धुन को सुनो और ध्यान करते समय अपने अन्तर में देखने की कोशिश करो। पहले आँखों से ही शुरु करो, क्योंकि यही सबसे महत्वपूर्ण इंद्री है जो हमें बाहर से जोड़े रखती है। फिर अपने भीतर में जो भी आवाज़ सुनाई पड़े, उसे सुनने की कोशिश करो। फिर ध्यान मग्न होकर खुश्बूओं को सूंघने की कोशिश भी करो। फिर तुम्हारे अन्दर चमत्कार हो उठेगा। पहले तुम पाओगे कि कुछ तो है फिर तुम पाओगे कि बहुत कुछ है यहां तो, क्योंकि भीतर अपने ही सँगीत हैं और अपनी ही आवाज़ें हैं। भीतर के अपने ही रंग हैं, अपने ही स्वाद और सुगंध हैं। जिस दिन आपको भीतर के रंग दिखाई देंगे, उस दिन बाहर की दुनिया के सब रंग फीके पड़ जाएंगे। फिर तुम्हारी इच्छाएँ समाप्त हो जायेगी। तब संतोष और तृप्ति का भंडार मिल जाएगा। फिर बाहर के सब संगीत तुम्हें शोरगुल लगेंगे। जिस दिन भीतर के प्रकाश को देख लेंगे, उस दिन बाहर भी सब प्रकाशित हो जाएगा। फिर हर इन्सान अति सुंदर नजर आने लगेगा। फिर तुम अपने दिल की बात सतगुरू के साथ करोगे। इसके लिए हमें सुमिरन और ध्यान में अपने सतगुरू से जुड़ना होगा। सतगुरु से सच्चा प्रेम बढाना होगा..
*?ଜଣେ ହିନ୍ଦୁ ହୋଇ ଶ୍ରୀ ମଦ୍ ଭାଗବତ ଗୀତା ବିଷୟରେ ନିଶ୍ଚୟ କିଛି ଜାଣିବା ଦରକାର।*? *ଓଁ-* ଗୀତା କିଏ କାହାକୁ ଶୁଣାଇ ଥିଲେ ? *ଉ-* ଶ୍ରୀ କୃଷ୍ଣ ଅର୍ଜୁନ ଙ୍କୁ ଶୁଣାଇ ଥିଲେ। *ଓଁ-* କେବେ ଶୁଣାଇ ଥିଲେ ? *ଉ-* ଆଜିକୁ ପ୍ରାୟ ୭ ହଜାର ବର୍ଷ ଆଗେ। *ଓଁ-* କେଉଁ ବାରରେ ଗୀତା ଶୁଣାଇ ଥିଲେ ? *ଉ-* ରବିବାର। *ଓଁ-* କୋଉ ତିଥିରେ ? *ଉ-* ଏକାଦଶୀ। *ଓଁ-* କୋଉଠି ଶୁଣାଇଥିଲେ ? *ଉ-* କୁରୁକ୍ଷେତ୍ର ର ଯୁଦ୍ଧ କ୍ଷେତ୍ରରେ। *ଓଁ-* କେତେ ସମୟରେ ଶୁଣାଇ ଥିଲେ ? *ଉ-* ପାଖା ପାଖି ୪୫ ମିନିଟରେ। *ଓଁ-* କାହିଁକି ଶୁଣାଇ ଥିଲେ ? *ଉ-* କର୍ତ୍ତବ୍ୟ ରୁ ଓହରି ଯାଇଥିବା ଅର୍ଜୁନ ଙ୍କୁ କର୍ତ୍ତବ୍ୟ ଶିଖାଇବା ପାଇଁ ଓ ଭବିଷ୍ୟତ ରେ ମାନବ ସମାଜକୁ ଧର୍ମ ବିଷୟକ ଜ୍ଞାନ ଶିଖିବା ଲାଗି। *ଓଁ-* ଗୀତାରେ କେତେ ଅଧ୍ୟାୟ ? *ଉ-* ୧୮ ଅଧ୍ୟାୟ। *ଓଁ-* କେତୋଟି ଶ୍ଳୋକ ଅଛି ? *ଉ-* ୭୦୦ ଶ୍ଳୋକ। *ଓଁ-* ଗୀତାରେ କେଉଁ କେଉଁ ବିଷୟରେ ଚର୍ଚ୍ଚା ହୋଇଛି ? *ଉ-* ଜ୍ଞାନ-ଭକ୍ତି-କର୍ମ ଯୋଗ ର ବିସ୍ତୃତ ବ୍ୟାଖ୍ୟା କରାଯାଇଛି।ଏହି ମାର୍ଗରେ ଚାଲିଲେ ଜଣେ ବ୍ୟକ୍ତି ପରମ ପଦର ଅଧିକାରୀ ହୋଇପାରିବ। *ଓଁ-* ଗୀତାକୁ ଅର୍ଜୁନଙ୍କ ଛଡା କିଏ କିଏ ଶୁଣିଥିଲେ ? *ଉ-* ଧ୍ରୁତରାଷ୍ଟ୍ର ଓ ସଞ୍ଜୟ। *ଓଁ-* ଅର୍ଜୁନ ଙ୍କ ଆଗରୁ ଗୀତାର ପାବନ ଜ୍ଞାନ କାହାକୁ ମିଳିଥିଲା ? *ଉ-* ଭଗବାନ ସୂର୍ଯ୍ୟ ଦେବତାଙ୍କୁ। *ଓଁ-* ଗୀତାର ଗଣନା କୋଉ ଧର୍ମ ଗ୍ରନ୍ଥରେ ମିଳେ ? *ଉ-* ଉପନିଷଦ ରେ। *ଓଁ-* ଗୀତା କେଉଁ ମହାଗ୍ରନ୍ଥର ଭାଗ ଅଟେ ? *ଉ-* ଗୀତା ମହାଭାରତର ଶାନ୍ତି ପର୍ବର ଏକ ଭାଗ ଅଟେ। *ଓଁ-* ଗୀତାର ଅନ୍ୟ ନାମ କଣ ? *ଉ-* ଗୀତୋପନିଷଦ। *ଓଁ-* ଗୀତାର ସାର କଣ ? *ଉ-* ପ୍ରଭୁ ଶ୍ରୀ କୃଷ୍ଣଙ୍କର ଶରଣ ଯିବା। *ଓଁ-* ଗୀତାରେ କିଏ କେତେ ଶ୍ଳୋକ କହିଥିଲେ ? *ଉ-* ଶ୍ରୀ କୃଷ୍ଣ- ୫୭୪, ଅର୍ଜୁନ- ୮୫, ଧୃତରାଷ୍ଟ୍ର- ୧ ଓ ସଞ୍ଜୟ- ୪୦। ନିଜର ଯୁବ ସମାଜକୁ ଗୀତା ବିଷୟରେ ଜାଣିବା କଥା ଅଧିକରୁ ଅଧିକ ଲୋକଙ୍କୁ ସେୟାର କରନ୍ତୁ। *?ଜୟ ଶ୍ରୀ କୃଷ୍ଣ।*?
*Japa cleans and corrects our born Characters or Attitudes.*? 1.Japa reduces *A*nger. 2.Japa destroy *B*ackbiting. 3.Japa *C*ures all obsticles. 4.Japa improve *D*aring. 5.Japa removes our *E*go. 6.Japa increase *F*aith. 7.Japa vanishes *G*reediness. 8.Japa increase *H*onesty. 9.Japa destroy *I*gnorance . 10.Japa removes *J*ealous. 11.Japa improve *K*indness. 12.Japa improves *L*ove. 13.Japa develope *M*ercy. 14.Japa removes *N*egligence . 15.Japa develop *O*bservation. 16.Japa increase *P*atience. 17.Japa nakes us *Q*uiet. 18.Japa removes *R*evenge. 19.Japa improves *S*atisfaction. 20.Japa increase *T*alent. 21.Japa removes *U*gliness. 22.Japa destroys *V*iolence. 23.Japa increase *W*illpower. 24.Japa avoid *X*enophobia. 25.Japa keeps us *Y*oung at heart. 26.Japa increase *Z*eal (enthusiasm). ? *Always chant Hare Krishna & be happy ...* ? *Hare Krishna*
*मूर्ख हैं हम।* एक बार एक अजनबी किसी के घर गया । वह अंदर गया और मेहमान कक्ष में बैठ गया । वह खाली हाथ आया था तो उसने सोचा कि कुछ उपहार देना अच्छा रहेगा । उसने वहाँ टंगी एक पेन्टिंग उतारी और जब घर का मालिक आया ।उसने पेन्टिंग देते हुए कहा, यह मै आपके लिए लाया हूँ । घर का मालिक, जिसे पता था कि यह मेरी चीज मुझे ही भेंट दे रहा है, सन्न रह गया । अब आप ही बताएँ कि क्या वह भेंट पा कर, जो कि पहले से ही उसका है, उस आदमी को खुश होना चाहिए ? मेरे ख्याल से नहीं । लेकिन यही चीज हम भगवान के साथ भी करते हैं । हम उन्हें रूपया, पैसा चढाते हैं और हर चीज जो उनकी ही बनाई है, उन्हें भेंट करते हैं । लेकिन मन में भाव रखते है की यह चीज मै भगवान को दे रहा हूँ और सोचते हैं कि ईश्वर खुश हो जाएगें । *मूर्ख हैं हम।* हम यह नहीं समझते कि उनको इन सब चीज़ों की कोई जरुरत नहीं । अगर आप सच में उन्हें कुछ देना चाहते हैं तो अपनी श्रद्धा दीजिए, उन्हें अपने हर एक श्वांस में याद कीजिये और विश्वास कीजिए, प्रभु जरुर खुश होगें । अजब हैरान हूँ भगवन्, तुझे कैसे रिझाऊं मैं । कोई वस्तु नहीं ऐसी, जिसे तुझ पर चढाऊं मैं । भगवान ने जवाब दिया : संसार की हर वस्तु तुझे मैनें दी है । तेरे पास अपनी चीज़ सिर्फ़ तेरा अहंकार है, जो मैनें नहीं दिया। उसी को तू मेरे अरपण कर दे । तेरा जीवन सफल हो जायेगा । *अगर इतना पढ़ने के बाद भी शेयर न करें तो बेकार है मेरा पोस्ट करना *
*?जय श्रीकृष्ण का महत्व?* हम सभी रोजाना कई बार *जय श्रीकृष्ण* कहते है,,क्या आप जानते है,की *जय श्रीकृष्ण* के क्या मतलब है ओर इसका क्या महत्त्व है ? जानने के लिए पढ़े यह पोस्ट – *जय श्रीकृष्ण*??प्रेम है। *जय श्रीकृष्ण*??अनुशासन है *जय श्रीकृष्ण*??शीतलता है *जय श्रीकृष्ण*??आदर सिखाता है *जय श्रीकृष्ण*??से सुविचार आते है *जय श्रीकृष्ण*??झुकना सिखाता है *जय श्रीकृष्ण*??क्रोध मिटाता है *जय श्रीकृष्ण*??आँसू धो देता है *जय श्रीकृष्ण*??अहंकार मिटाता है *जय श्रीकृष्ण*??हमारी संस्कृति है *जय श्रीकृष्ण*??अनंत सिद्धो को ??नमस्कार होता है l *जय श्रीकृष्ण*??बोलने से मुस्कान आती है l *जय श्रीकृष्ण*??से भाव सरल होते है..| *जय श्रीकृष्ण*??से चित्त शांत होता है..| *जय श्रीकृष्ण*??से पुन्य कर्मो का उपार्जन होता है। *जय श्रीकृष्ण*??से पाप कर्मो का नाश होता है l *जय श्रीकृष्ण*?? बोलने से और भी हजारो गुणों की प्राप्ति होती है इसलिए सभी का अभिवादन सत्कार *जय श्रीकृष्ण* से कीजिये जी *सबको सादर??जय श्रीकृष्ण*
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