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*एक चीज़ जो रोज घट रही है, वो है आयु।* *एक चीज़ जो रोज बढ़ रही है, वो है तृष्णा।* *एक चीज़ जो सदा एक सी रहती है*, *वो है _“विधि का विधान।"_* *एक सुखद जीवन के लिए,* *मस्तिष्क में सत्यता,* *होठों पर प्रसन्नता और* *हृदय में पवित्रता जरूरी है।* *जिसका मन मस्त है.. उसके पास समस्त है..!!* ? आपका दिन शुभ हो?
अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा महल में झाड़ू लगा रही थी तो द्रौपदी उसके समीप गई उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली," पुत्री भविष्य में कभी तुम पर दुख,पीड़ा या घोर से घोर विपत्ति भी आए तो कभी अपने किसी नाते-रिश्तेदार की शरण में मत जाना। सीधे भगवान की शरण में जाना।" उत्तरा हैरान होते हुए माता द्रौपदी को निहारते हुए बोली," आप ऐसा क्यों कह रही हैं माता?" द्रौपदी बोली, " क्योंकि यह बात मेरे ऊपर भी बीत चुकी है। जब मेरे पांचों पति कौरवों के साथ जुआ खेल रहे थे, तो अपना सर्वस्व हारने के बाद मुझे भी दांव पर लगाकर हार गए। फिर कौरव पुत्रों ने भरी सभा में मेरा बहुत अपमान किया। मैंने सहायता के लिए अपने पतियों को पुकारा मगर वो सभी अपना सिर नीचे झुकाए बैठे थे। पितामह भीष्म, द्रोण धृतराष्ट्र सभी को मदद के लिए पुकारती रही मगर किसी ने भी मेरी तरफ नहीं देखा वह सभी आंखे झुकाए आंसू बहाते रहे।" फिर द्रौपदी ने भगवान से कहा,"आपके सिवाय मेरा कोई भी नहीं है। भगवान तुरंत आए और द्रौपदी की रक्षा करी। जब द्रौपदी पर ऐसी विपत्ति आ रही थी तो द्वारिका में श्री कृष्ण बहुत विचलित होते हैं । क्योंकि उनकी सबसे प्रिय भक्त पर संकट आन पड़ा था। रूकमणि उनसे दुखी होने का कारण पूछती हैं तो वह बताते हैं मेरी सबसे बड़ी भक्त को भरी सभा में नग्न किया जा रहा है। रूकमणि बोलती हैं,"आप जाएं और उसकी मदद करें।" श्री कृष्ण बोले," जब तक द्रोपदी मुझे पुकारेगी नहीं मैं कैसे जा सकता हूं। एक बार वो मुझे पुकार लें तो मैं तुरंत उसके पास जाकर उसकी रक्षा करूंगा। तुम्हें याद होगा जब पाण्डवों ने राजसूर्य यज्ञ करवाया तो शिशुपाल का वध करने के लिए" मैंने अपनी उंगली पर चक्र धारण किया तो उससे मेरी उंगली कट गई"। उस समय "मेरी सभी 16 हजार 108 पत्नियां वहीं थी। कोई वैद्य को बुलाने भागी तो कोई औषधि लेने चली गई"! मगर उस समय "मेरी इस भक्त ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ा और उसे मेरी उंगली पर बांध दिया ।आज उसी का ऋण मुझे चुकाना है लेकिन जब तक वो मुझे पुकारेगी नहीं मैं नहीं जाऊंगा।" अत: द्रौपदी ने जैसे ही भगवान कृष्ण को पुकारा प्रभु तुरंत ही दौड़े चले गये। 〰〰?〰〰?〰〰?〰〰?〰〰?〰〰
????? *हे जीव.... ?* सूनी आंखों में रंग प्यार का भर लो, पतझर में भी मधुमास दिखाई देगा.! माना, यमुना के तट पर आज उदासी, माना उजड़ा-उजड़ा सा है वृंदावन माना पनघट वीरान पड़ा बरसों से, हर ओर दिखाई देता है सूनापन! उर में मुरली की तान बसा कर देखो सूनेपन में भी रास दिखाई देगा! सूनी आंखों में रंग प्यार का भर लो पतझर में भी मधुमास दिखाई देगा! प्रियतम को दूर बताकर तुम रोते हो, तुमने शायद तन को ही प्यार किया है, मन की समीपता को न कभी पहचाना, अपराध न यह अब तक स्वीकार किया है! मन में छलिया का रूप बसाकर देखो छलना में भी विश्वास दिखाई देगा! सूनी आंखों में रंग प्यार का भर लो, पतझर में भी मधुमास दिखाई देगा! कागज के फूल चढ़ाते हो प्रतिमा पर? तुम पूजा को खिलवार समझ बैठे हो! प्यासे मृग-से दीवाने बने हुए हो, बालू को ही जलधार समझ बैठे हो! तन से जो कोसों दूर दिखाई देता, मन में खोजो तो पास दिखाई देगा! सूनी आंखों में रंग प्यार का भर लो, पतझर में भी मुधमास दिखाई देगा! मंजिल तो न्यौछावर होने आयेगी, बहके-बहके चरणों की चाल संभालो; मनुहार करो मत चांद-सितारों की तुम, केवल अपने उर को आकाश बना लो! मीरा जैसा संकल्प संजोकर देखो, विष में अमृत का वास दिखाई देगा! सूनी आंखों में रंग प्यार का भर लो, पतझर में भी मधुमास दिखाई देगा। *? राधे राधे* ????
रा छोड़ दे डुपट्टा नन्द लाल सवेरे दही लेके आऊंगी...... ना माने तो मेरी चूनर रखले या में सितारे जड़े है हज़ार , सवेरे दही लेके आऊंगी......... ना माने तो मेरा हरवा रख ले, या में हीरे जड़े है हज़ार, सवेरे दही लेके आऊंगी...... ना माने तो मेरे कंगन रख ले, या में मोती जड़े है हज़ार, सवेरे दही लेके आऊंगी...... ना माने तो मेरे दिल को रख ले, या में बेठे बिहारी लाल, सवेरे दही लेके आऊंगी...... जय लाड़ली श्री राधे
HARE KRISHNA. D. 09.06.2019. The whole spiritual process leads to perfect knowledge of everything material and spiritual, and the results of such perfect knowledge are that one becomes detached from material affection and becomes attached to spiritual activities. SB. 1.2.7. PURPORT. SRILA PRABHUPADA ISKCON.
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