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Anshika Rai

Anshika Rai

@anshikarai3998


मैं गुड़िया इस आंगन की
मैं गुड़िया इस आंगन की ।

मैं खेतों की हरियाली ,
मैं अमृत की एक प्याली
मैं धरती की साथी हूं ,
और सूरज की हूं लाली
मैं तपते दिनकर की ठंडक
और बूंदे हूं सावन की ।

मैं गुड़िया इस आंगन की
मैं गुड़िया इस आंगन की ।

मुझे मारो ना आे जगवाले ,
आई हूं मैं तुझे बचाने
मैं सृष्टि की ऐसी गुण हूं ,
जिससे बनते हैं तुम जैसे
मैं गर खत्म हुई तो ,
क्या होगी तेरे पहचान की ।

मैं गुड़िया इस आंगन की
मैं गुड़िया इस आंगन की ।

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