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Anjulika Chawla

Anjulika Chawla

@anjulikachawla3605
(15)

#महिलादिवस !
ज़रूरत ही नहीं इसे एक दिन मनाएं खुद को मिली उपाधियों,नामों और विशेषणों को एक नज़र देख लो गर्व हो उठेगा ...

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खून सनी वर्दी
©अंजुलिका चावला

कैसे कहूँ यादों को सँजोना नहीं है
कसम दे गए थे कि मुझे रोना नहीं है

तेरी मोहब्बत के समंदर में मैं डूबती गई
अजब शर्त थी पलकों को भिगोना नहीं है

दुनिया के बीहड़ रास्ते में तुम तन्हा कर गए
ज़िन्दगी में बचे शूल नरम बिछोना नहीं है

बिखरती हूँ संभलती हूँ फिर टूटती हूँ मैं
ये जिस्म तेरी अमानत है खिलौना नही है

तरी शहादत पर मुझे गर्व बहुत है
तुझसा महान देश में कोई होना नहीं है

सैनिक की बेवा में भी लोग सैनिक तलाशते
कसम वतन की तेरा नाममैंने डुबोना नहीं है

तेरे खतों को पढ़ पढ़कर मेरी आँख नम हुई
अश्क गिरा है तस्वीर पर कोई डिठौना नहीं है

तेरे लहू के कतरे और खुशबू जिस्म की
तय किया है ताउम्र वर्दी को धोना नहीं है

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#फ़ौजन_जो_थी
©अंजुलिका चावला

वो दूसरों को खुश देखती थी
मन को समझा लेती थी
बच्चों से आँसू छुपा कर
मुँह धो लेती थी
कैसे कमज़ोर पड़ जाती
अकेली ही
स्कूल बाज़ार और
रिश्ते निभा लेती थी
फ़ौजन जो थी.....

हर रोज़ घबराहट पी जाती
मज़बूत बन कर
माँ के सामने आती
फोन उठाती
उसका नम्बर मिलाती
हँस कर पल भर बतियाती
बड़ी समझदारी से
अपनी समस्याएँ छुपा जाती
फौजन जो थी.......

पापा को दवा दिला आती
कभी फ़िल्म दिखा आती
वो उस मोर्चे पर डटा रहे
इसलिए हिम्मत दिखा कर
इस मोर्चे पर डट जाती
फ़ौजन जो थी........

पर कल खबर आई
वो टूट कर चिल्लाई
बीमार पिता लड़खड़ाए
उन्हें देख दौड़ी आई
अपनी बाहों में परिवार को समेटा
आँधियों तूफानों को
दीवार बनकर रोका
और फिर उसके
अवशेष लेने बाहर चली आई
फ़ौजन जो थी.....

वो सीना ताने
वीरता से पड़ा था
उसकी वीरता की गवाही में
उस पर तिरंगा चढ़ा था
कुछ वादे उससे कर के
वो मुकर गया
देश के फ़र्ज़ निभाकर
आसानी से टुर गया
बाकी फ़र्ज़ का नॉमिनी
वो इसको कर गया
फ़ौजन जो थी....

उसका प्यार उसका सरमाया था
वो आज भी जाने के लिए आया था
वो बिदा करती रही थी
बिदा करने चली आई
एक बार फिर
उसकी छाती में सिर छुपा
सिसकने की इच्छा हो आई
फिर सोचा
ऐसे नहीं करते
शहीदों की बिदाई
बिखरी हुई थी
खुद को संभाल
तीन बार जय हिंद चिल्लाई
फ़ौजन जो थी...

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