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छोड़ कर चल जाते हो क़िसी भी रिश्त को जाते कहा है रिश्ते कही नहीं जाते वो तुम्हारे साथ रहते है तुम्हारी याद बने जाते है मैं यह भी कहते हूँ वो रिश्ता ख़त्म कर दो जो रिश्ता हर शाम बेल्टें से मरता हों गलती ना होते हुए सब के सामने ग़लत कहते हो तुम्हारी नापसंद पसंद को ना समझता हो तुम्हारे जिस्म पर ज़ख़्म दिये कर चाहने की नीद सोता हो वो रिश्ता जो तुम्हें समझता नही फिर भी तुम समझते रहते हो तुम्हारे साथ एक पल नहीं रहता तुम पुरी ज़िंदगी उसके नाम कर देते हो तुम्हे प्यार की नज़र से नहीं देखता तुम उसके लिए सँवरते हो वो बाहर से खा कर आय जाते है तुम उसके लिए भुख़ बैठ रहते हो वो तुम्हारे लिए भगवान है तुम्हें हो कुछ भी नही समझता तुम उसके लिये जियो वो तुम्हें हर रोज़ मरता हो मैं अक्स सुनता हूँ टी॰वी में कहानियों में आम ज़िंदगी में हम ओरतो से डरते है 75 % लोग कहा से आये जो लड़कियों पत्नियों को मरते है यह दोखला सामज है मेरे से बनता है यहाँ बैठे बैठे बात कर रहा हूँ रात को कोई पति अपनी पत्नी को पिटा रहा हो गए यह सोच कर सो जाऊंगा की उनका आपसी मामला है एक दिन वो पत्नी अपने पति को छोड़ कर जाए गयी उसको गलत बताऊंगा
एक रिश्ता कमर मे बंद है उसे मेरे नाता है यह कहना गलत हो गया मैं उसका अश हु हो मेरे पिता है उसे रिश्ते से यह मेरे रिश्ता है कमर के बाहर बैठ मैं वक्त को समझ रहा हु दूसरे लोगो के लिए वक्त सामना गति पर घूम रहा है मेरे लिए वक्त धीमा चल रहा है जो बंद कमर में रिश्ता है उसके लिए वक्त कैसे चल रहा हो गया एक मिनट भी एक दिन के बराबर हो सकता है यह एक दिन एक मिनट में सिमट कर रहे गया हो पूरे दिन में एक ऐसा पहरे आता है मेरे आस पास बैठ रिश्ते भी मेरे जैसे लगने लगते है जो कमरों में बंद है उन सबका कोई न कोई रिश्ता है वो रिश्ता बहरा खड़े हो कर मिलने का इताजर कर रहा है घड़ी मे अभी पांच मिनट बाकी है वो पाच मिनट सदियों जीतने लगते है घड़ी की टिक टिक की आवाज कोनो तक आती है पास में खड़े रिश्ते के दिल की थक थक महसूस होती है एक आवाज आती सब उसे सुनते एक एक कर के आना कही दिनो बाद मैं अपने पापा से मिलता हु उनने दिनो एक बीच कही रिश्ते मिलने गए थे क्युकी वो रिश्ते सफर तय कर के आए थे मेरी मुलाकात के बीच के दिनों में ... रिश्तों के चहरो उनकी बातो से समझता था मेरे पापा कैसे है ... फिर से एक आवाज आई वक्त पूरा हो गया तब मुझ वक्त की चालकी समझे आई कमरे के बाहर वक्त धीमा चाल रहा था कमरे के अदर वक्त भाग रहा था एक शाम ऐसी आती है सब उसे कमरे में होते है मैं अकेला घर में होता हु अगली सुबह मुझ भाई उठता है उसके चहरे की खामोशी कुछ कहे रही थी घर से दो गाड़ियां निकलती है, एक गाड़ी में होता हु घुले आसमान में कपड़े से बंद मेरे पापा होते है दूसरे सब उस बॉडी कहे रहे होते है मेरी आखरी म मुलाकात दो दिन पहले तो हुई थी
तुम मुझे सिखती हो तुम बुरे से अच्छा बनाती हो तुम हर रोज़ समलती हो तुम रिश्तों की कदर करना सिखती हो तुम चलना सिखती हो तुम ताकते देती हो तुम दोस्ते हो तुम ख़ास हो तुम बहुत कुछ हो तुम मेरी कविता हो तुम me हर रोज़ लिखता हूँ तुम मेरा हर शब्द हो तुम मेरी मां हो
इतना प्यार मत करो? कि बिगड जाऐ मैं? थोड़ा डाट के रखो की? सुधार जाऊ मैं।? गलती करु तो रूठा जाना? पर इतना भी मत रुठना मर जाऐ?
शादी के बाद एक रात हो गई तुम्हे मेर पास हो गई घुघट के नीच लाजे सरम छुपी हो गई बाकी रात जैस रात हो गई अपने लिए रात खास हो गई फूलों कि बारसत हो गई नीच बीस चादर उस रात कि गवा हो गई वो अपने दोनो कि रात हो गई प्यार कि नाई शुरुआत हो गई
कभी फुर्सत मिले तो सोचना जरूर एक लापरवाह लड़का क्यों तेरी परवाह करता हैं दिल से तुम्हे प्यार करते हैं इस लिए तुम्हारी परवाह करते हैं
उसकी आँखों में मोहब्बत की चमक आज भी है हालांकि उसे मेरी मोहब्बत पर शक आज भी है नाव में बैठ कर धोये थे,हाथ उसने कभी पूरे तालाब में मेहंदी की महक आज भी है छू तो नहीं पाया उसे प्यार से कभी पर मेरे होठों पर उसके होठों की झलक आज भी है हर बार पूछते हैं,हमारी चाहत का सबब वैसी ही इश्क की ये परख आज भी है नहीं रह पते वो भी हमारे बिना दोनों तरफ इश्क की दहक आज भी है
काश के मैं तेरे हसीं हाथ का कंगन होता तू बड़े चाव से मन से बड़े अरमान के साथ अपनी नाज़ुक की कलाई में चढ़ाती मुझको और बेतावी से फुरसत के खजां लम्हो में तू किसी सोच में डूबी घुमाती मुझको मैं तेरे हाथ की खुश्बू से महक सा जाता तू कभी मूड में आके मुझको चूमा करती तेरे होंठों की मैं हिदत से देहक सा जाता रात को जब तू निदों के सफर में जाती मरमरी हाथ का एक तकिया बनाया करती मैं तेरे कान से लग कर कई बातें करता तेरी ज़ुल्फो को तेरे गाल को छेड़ा करता कुछ नहीं तो यही बेनाम सा बंधन होता काश के मैं तेरे हसीं हाथ का कंगन होता
किसी के प्यार को पा लेना ही मोहब्बत नही होती किसी के दूर रहने पर उसको पल पल याद करना भी मोहब्बत होती है
कहा सिर्फ उस ने इतना के ख़ामोशी है मुझे बहुत पसंद इतना सुनना था के हम ने अपनी धडकनें भी रोक ली
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