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Aman Tekaria

Aman Tekaria

@amantekaria9910
(14)

अफसाना सा हो गया है अब तो इश्क़ मेरा अल्फाजों को संभालना अब मुमकिन नहीं
बिखर गए हैं जो तेरे निशाँ अर्श पे
उनको समेट पाना अब मुमकिन नहीं
बेबाक बाद ए शबा है इश्क की
इसको रोक पाना अब मुमकिन नहीं
तेरी मोहब्बत अब बंदगी बन गई है मेरी
खुदा से रुठ जाना अब मुमकिन नहीं।।

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आखिरी पन्ना

मुझे आज भी याद है वह दिन,जब वो मुझसे मिली थी
तो उसने कहा था बस यार अमन अब और कितना टाइम चाहिए तुम्हें।
कोई तुम्हें चांस दे या ना दे मगर मैं तुम्हें अब कोई चांस नहीं दे सकती।
मैंने अपने मॉम डैड को शादी के लिए हां बोल दिया है। शायद शायद वह वक्त वह हालात वजह थे कि वह मुझे छोड़ कर चली गई।
मैंने बहुत कोशिश की रोकने की
प्लीज यार मन्नत मत जा मुझे छोड़ के मैं नहीं जी पाऊंगा तुम्हारे बगैर प्लीज मत जाओ।
पर शायद मेरी आवाज उसके कानों तक तो गई पर शायद उसके दिल तक ना पहुंच पाई।
और वह मुझे छोड़ कर चली गई।
यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। उसके जाने के बाद मैं दिन रात शराब में डूबा रहने लगा।
अब मैं जिंदगी के उस पड़ाव पर था जहां मेरे जैसे हजारों नौजवान प्यार में चोट खाकर मिला करते हैं।
मैं रोज शराब पीता घर जाता घर जाते ही मां की डांट गालियां पढ़ती थी।
मैंने कभी ध्यान नहीं दिया ।वह मुझे खाना खिलाती
और मैं उल्टियों में बहा देता। फिर वह मेरी उल्टियां साफ करती ।
यह रोज होता था।
एक रोज तो मेरे हाथों से उनको चोट भी लग गई थी।
वह बेचारी करहाते सो गई।
मगर मुझे क्या परवाह थी मैं तो उस लड़की के जाने की गम में डूबा था।
सालों बीत गए ऐसा ही चलता रहा।
उस दिन भी मैं शराब पीकर आया ।
मां ने रोज की तरह मुझे खाना खिलाया और सो गई।
दूसरी सुबह जब मेरी आंख खुली तो देखा मेरी मां मेरे पास नहीं है।
बहुत कोशिश की मैंने जगाने की मगर वह ऐसी गहरी नींद सोई कि मैं जगा ही नहीं पाया।
मेरी मां मुझे छोड़कर बहुत दूर जा चुकी थी।जहां से लौटना शायद मुमकिन नहीं था।
डॉक्टर से पता चला कि उन्हें सांस की प्रॉब्लम थी।
चूल्हे की धुँआ से उनकी हालत बत्तर से और बदतर हो गई और जितना खाना बनाती थी।
सारा मुझे खिला कर खुद भूखे सो जाती थी।
तब एक बात समझ में आई कि जिस प्यार को मैं प्यार समझ के हर रोज तड़पता था ना।
वह प्यार नहीं बस एक वहम था।
जिसे कभी ना कभी दूर होना ही था और जिस की परवाह मैंने कभी नहीं की असल में उसी में रब बसता था।
आज मेरी मां मेरे पास नहीं है।
दुनिया की भीड़ में बिल्कुल अकेला हो गया हूँ।
क्योंकि जिससे मैंने सच्ची मोहब्बत की थी ना वह मुझे मिल सकी।
और जिसने मुझसे सच्चा प्यार किया ना मैं उसे बचा सका। तब एक बात समझ में आई इंसान को जो चीज आसानी से मिल जाती है ना उसकी कदर वो कभी नहीं करता।
आज मेरा कोई नहीं है ये साँसे भी मुझपे बोझ बन गई है। बस अब आजाद होना चाहता हूँ दर्द के इस मंजर से।
रिहा होना चाहता हूँ साँसों की इन जंजीरों से।
कहते हैं उस दिन के बाद अमन को किसी ने ना देखा शायद वो उसकी जिंदगी का आखिरी पन्ना था।।

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