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मेरा बचपन का खेल मुझे लौटा दो, आज के भविष्य को वह सिखला दो। हो न जाए पब्जी जैसे खेलो में खत्म भविष्य इसलिए अब इस पर जोर लगा दो, मेरा बचपन का खेल मुझे लौटा दो।। स्कूलो में खेले थे,वह जीवित खेल उसे आज के भविष्य को लौटा दो, फिर से सेहतमंद खेल उन्हें सिखला दो।। आज खेल मोबाइल पर चल रहे है मेरे बचपन के खेल आज के भविष्य ढूढ रहे है,वो कल वाले खेल फिर से लौटा दो, मेरा बचपन का खेल मुझे लौटा दो।। आज के खेल मोबाइल पर दिमाग को सुप्त कर रहे है,आने वाली शिक्षा की प्राप्ति को मानो जैसे विलुप्त कर रहे है, हमारी संस्कृति ओर हमारी परंपरा फिर आज के भविष्य में लौटा दो, उस बचपन के खेल की याद दिला दो, मेरा बचपन का खेल मुझे लौटा दो।।
"आजकल यह भी हो सकता है" आजकल यह भी हो सकता है,हर तरफ पब्जी गेम का रंग छाया है,लेकिन पब्जी भविष्य को कमजोर कर रही है,भगवान आप ही बताओ यह क्या होरिया है देखो भविष्य मोबाइल में ,ऐसा डूब गया है पब्जी गेम सब पर बस गया है सुबह उठे नही हमारा भविष्य आजकल मोबाइल के चरण दबा रहा है कभी व्हाट्सएप्प तो कभी इंस्टाग्राम अन्य सोशल मीडिया के रंग में भीग गया है भगवान आप ही बताओ यह क्या होरिया है अब तो सुन रहे गेम की हवाए जहर खोल रही पब्जी जैसे खेल किसी की जिंदगी से खेल रही है हमारा भविष्य और शिक्षा गुम हो रही है हमारे संस्कार और शिक्षा जैसे विलुप्त से हो रहे है आने वाले भविष्य के दिमाग सुप्त से हो रहे है डिजिटल इंडिया के दौर में देश किस ओर बढ़ रहा है भगवान आप ही बताओ ,यह क्या होरिया है। मेरे द्वारा स्वरचित रचना,,,अक्षय भंडारी 9893711820 अगर मेने कुछ लिखने का प्रयास किया हो तो शेयर करे।
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