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वक्त का हालात तो देखिए, मैं क्या नज़रों से हटा उसके ? उसने जिंदगी से हटा दिया मुझे...
तेरे अश्क़ो ने ब्या किया था, कि क्या दर्द था तेरा? तेरे लफ्जों ने समझाया मुझे, कि क्या एहमियत है मेरा? लेकिन क्या कहूं तूझसे मैं, कहना है मुश्किल? उस वक्त शायद हो चुका था, समय मेरा बुजदिल... तेरे जख्म से मैं जाना, कि कौन कातिल था तेरा ? वो दिल तो तेरा था? लेकिन उस दिल में , क्या एहमियत है मेरा? क्या एहमियत है मेरा?
तु सुकून है सुबह कि, मैं अंधकारमय एक शाम हूँ तु महलों कि एक रानी मैं आदमी एक आम हूँ...
शायरी है मेरी लेकिन, इस शायर कि तुम रानी हो... जिंदगी तुम, अंत तुम, मेरे इस प्यार कि कहानी हो...
परिंदे की तरह हो तुम, रीति हो मेरे प्यार का . लक्ष्य हो तुम मेरा, वर्तमान, भविष्य और इंतजार का . प्रमेय अगर मै हो जाऊ तो, तीक्ष्ण है ये उसका , कहीं दूर तुम मत जाना , - आदर्श कैसे रहेगा बिना यार का...
प्रश्न दिल में है ये मेरे की, तीक्ष्ण तेरे इन नज़रों में क्या है . कब होगी तू मेरी ए बाबू, लक्ष्य तू मेरी, वर्तमान की अब तू ही सुबह है . गुण की कमी क्या तुझमें अब, डिसाइड तो तुझे करना है. यार एक बार बस मान जा तू, फिर मुझे जिंदगी भर तेरा रहना है.
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