Quotes by Achlesh Singh in Bitesapp read free

Achlesh Singh

Achlesh Singh

@achleshsingh2816
(8)

अंधेरे से लड़ें नहीं बल्कि अंधेरे को जानने का प्रयत्न करें,सच यह अद्भभुत है।

हार,,या जीत??आह!!हार।

"ख़ामोश लबों से वह बातूनी थी"
#बातूनी

ख़ामोश लबों से,वह बातूनी थी।

अकेले जीने की आदत डाल लो ये दोस्त,
ये भीड़ तो तन्हांइयों का मेला भर है।

बड़ी तड़प थी किनारे से मिलने की,
किनारे पहुंचकर लगा मौज ही बेहतर थी।

बादलों जरा साथ देना,
दर्द गहरा है
और मैं पिघलना चाहता हूं।

बादलों का दिल भी इंसानों जैसा हो गया है,अब ये भी नफा नुकसान देखकर बरसते हैं।

अंततः चमकते सितारे ब्रम्हांड के अंधेरे में खो जाते हैं, किन्तु किसी किसी के जाने की टीस निशान छोड़ जाती है।

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पिंजरे के पंछी का दर्द अब मैं जी रहा हूं
जब से घर चलाने को नयी नौकरी कर रहा हूं,
खुद के लिए जीना कब का मैं भूल गया हूं
दफ्तर की दीवारों में फंसकर झूल गया हूं
जिंदगी तो अब बस लगती है शूल
ना जाने ये ऊंट बैठेगा किस कूल
यही सोच सोच कर मैं बस डरा जा रहा हूं,
फिर से दफ्तर की सीढ़ी चढ़ा जा रहा हूं।

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