(1)
कितना अद्भुत है नभ सारा
नीला-नीला,कितना प्यारा |
कितना अद्भुत है नभ सारा |
चादर जैसा तना हुआ है,
धरती पर यह अम्बर सारा |
ओर-छोर कुछ पता न चलता,
ढूँढ-ढूँढ हर कोई हारा |
कहाँ शुरू है,कहाँ ख़त्म है,
मिलता इसका नहीं किनारा |
सुबह-शाम सूरज कर देता,
सिन्दूरी यह अम्बर सारा |
और रात में चाँद निकलता,
जगर-मगर करता हर तारा |
(2)
नदिया
लहर-लहर लहराती नदिया |
बस बहती ही जाती नदिया |
कल-कल,छल-छल करती,जैसे
हमसे है बतियाती नदिया |
मधुर-मधुर संगीत सुनाती,
सबका मन हर्षाती नदिया |
सूरज,चाँद,सितारे,सबकी
परछाईं दिखलाती नदिया |
तट पर खड़ी हुई नैया को,
पल में पार लगाती नैया |
ऊँचे-नीचे,टेढ़े-मेढ़े,
पथ पर बढ़ती जाती नदिया |
रुकना नाम नहीं जीवन का,
बस चलना सिखलाती नदिया |
(3)
रात
धीरे-धीरे,चुपके-चुपके,
दबे-पाँव आ जाती रात |
गहन अँधेरे की चादर ले,
धरती पर छा जाती रात |
नन्हीं-नन्हीं तारावलियाँ,
नभ पर खूब सजाती रात |
कर सोलह-श्रृंगार,जगत में
छम-छम करती आती रात |
चाँद निकलते ही अम्बर में,
मन ही मन हर्षाती रात |
शीतल,मधुर चाँदनी,जग के
कण-कण में बरसाती रात |
सन-सन करते पवन झकोरे,
झूम-झूम लहराती रात |
नदिया,पर्वत,सागर,सबसे
हँसती है,बतियाती रात |
(4)
पेड़
झूम-झूम लहराते पेड़ |
मृदु-संगीत सुनाते पेड़ |
खड़े-खड़े इठलाते पेड़ |
हँसते और बतियाते पेड़ |
स्वस्थ,सबल,जीवित रहने को,
भोजन हमको देते पेड़ |
करके दूर प्रदूषण,हमको
शुद्ध वायु देते हैं पेड़ |
दुनिया नई बनाते पेड़ |
काम हमारे आते पेड़ |
सबका साथ निभाते पेड़ |
हरदम हैं मुस्काते पेड़ |
रोग दूर करने को,हमको
औषधियाँ देते हैं पेड़ |
कुछ ना कुछ देते रहते हैं,
पर कुछ भी ना लेते पेड़ |
ख़ुशियाँ सदा लुटाते पेड़ |
दुःख को गले लगाते पेड़ |
हरियाली फैलाते पेड़ |
भू को स्वर्ग बनाते पेड़ |
(5)
बूँदें
अम्बर से आती हैं बूँदें |
तन-मन हरषाती हैं बूँदें |
टप-टप-टप-टप की ध्वनि करती,
गीत कोई गाती हैं बूँदें |
तपती हुई धरा को,फिर से
जीवन दे जाती हैं बूँदें |
लहराते हैं वृक्ष ख़ुशी से,
अमृत बरसाती हैं बूँदें |
नए-नए पत्ते,वृक्षों के
फिर से कर जाती हैं बूँदें |
बड़ा सुहाना लगता,जब
आपस में टकराती हैं बूँदें |
क्या बच्चे,क्या बड़े,सभी को
हरदम ही भाती हैं बूँदें |
नहीं किसी को देती हैं दुःख,
सबको सुख पहुँचाती बूँदें |
(6)
लहरें
कल-कल करती,उठती-गिरती,
हँसती हैं और गाती लहरें |
क्या बच्चे,क्या बूढ़े,सबके
मन को बहुत लुभाती लहरें |
सूरज की किरणों से,क्रीड़ा
करती हैं,इठलाती लहरें |
बिन पाँवों के,दूर-दूर तक,
सरपट दौड़ लगाती लहरें |
और कभी तो,बीच रास्ते
में ही गुम हो जाती लहरें |
कभी पास आ जाती हैं तो,
कभी दूर हो जाती लहरें |
कभी अतल गहराई में
सागर की,हैं खो जाती लहरें |
शंख,सीप और मोती,जाने
क्या-क्या हैं ले आती लहरें |
(7)
चाँदनी
अम्बर में चाँद उगा, हँसने लगी चाँदनी ||
डगर-डगर, जगर-मगर, करने लगी चाँदनी ||
खेतों-खलिहानों में, डोल रही चाँदनी |
पर्वत-मैदानों में, डोल रही चाँदनी |
लगता है,जैसे कुछ, बोल रही चाँदनी |
घूँघट अँधेरे का, खोल रही चाँदनी |
उजियारा कण-कण में, भरने लगी चाँदनी ||
डगर-डगर,जगर-मगर, करने लगी चाँदनी ||
सागरकी लहरों से, खेल रही चाँदनी |
शीतलता जग में, उड़ेल रही चाँदनी |
सारा दिन सूरज की जेल रही चाँदनी |
अब रात आई तो, खेल रही चाँदनी |
सजने, सँवरने, निख़रने लगी चाँदनी ||
डगर-डगर, जगर-मगर, करने लगी चाँदनी ||
(8)
सूरज
रोज सुनहरी किरणें लेकर,
सुबह-सवेरे आता सूरज |
किरण-किरण नीले अम्बर से,
धरती पर बिखराता सूरज |
अन्धकार जग का हर लेता,
निज प्रकाश फैलाता सूरज |
धरती का कण-कण सोने सा,
चमकाता-दमकाता सूरज |
घर-आँगन में,वन-उपवन में,
फेरा रोज लगाता सूरज |
डाल-डाल पर,प्यारे-प्यारे,
अनगिन पुष्प खिलाता सूरज |
जल में अपना बिम्ब देखकर,
मन ही मन हरषाता सूरज |
हर प्राणी को जीवन देता,
नव-उत्साह जगाता सूरज |
(9)
ये बगिया के फूल
रंग-बिरंगे, प्यारे-प्यारे,
ये बगिया के फूल ||
अलग-अलग है ख़ुशबू इनकी,
अलग-अलग है रूप |
होते नहीं उदास कभी ये,
छाया हो या धूप |
लगते सारे जग से न्यारे,
ये बगिया के फूल ||
झूम-झूम लहराते हैं ये,
हिले-मिले हैं रहते |
भेदभाव की बात न कोई,
कभी किसी से कहते |
कितने सच्चे दोस्त हमारे,
ये बगिया के फूल ||
सदा संग रहते काँटों के,
फिर भी हैं मुस्काते |
हँस-हँस कर,सुख-दुःख को सहना,
हमको ये समझाते |
हैं सबकी आँखों के तारे,
ये बगिया के फूल ||
(10)
बादल
घिर-घिर आए बादल काले ||
बहती नदियाँ, बहते नाले ||
भीग रहा है जल-थल सारा |
भीगा भू का आँचल सारा |
बहते हैं छत से परनाले ||
घिर-घिर आए बादल काले ||
गरज-गरज कर बादल आए |
धरती के ऊपर फिर छाए |
लगते हैं कितने मतवाले ||
घिर-घिर आए बादल काले ||
चातक,मोर,पपीहा बोले |
खुशियों से सबका मन डोले |
खुल गए बन्द लबों के ताले ||
घिर-घिर आए बादल काले ||