Bal Kavitaye in Hindi Poems by vineet kumar srivastava books and stories PDF | बाल कविताए

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बाल कविताए

(१)मम्मी मेरा नाम लिखा दो

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मम्मी मेरा नाम लिखा दो,

मैं भी पढ़ने जाऊँगा ||

बड़ा हो गया अब मैं मम्मी,

छोटा ना मुझको कहना |

सारा-सारा दिन यूँ ही अब,

घर में मुझे नहीं रहना |

जाऊँगा स्कूल,पढूँगा,

हरदम अव्वल आऊँगा ||

मम्मी मेरा नाम लिखा दो,

मैं भी पढ़ने जाऊँगा ||

खुद ही अपनी ड्रेस पहनूँगा,

गले में टाई बाँधूँगा |

जूते-मोज़े खुद पहनूँगा,

फीते भी खुद बाँधूँगा |

समझ न लेना मुझको छोटा,

सब करके दिखलाऊँगा ||

मम्मी मेरा नाम लिखा दो,

मैं भी पढ़ने जाऊँगा ||

कॉपी और किताबें ला दो,

बस्ता भी मँगवा देना |

पेंसिल,पटरी और रबर भी,

तुम मुझको दिलवा देना |

बस्ता लेकर,ड्रेस पहनकर

सब पर रौब जमाऊँगा ||

मम्मी मेरा नाम लिखा दो,

मैं भी पढ़ने जाऊँगा ||

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(२)समय का महत्त्व

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बच्चों सुन लो,देकर ध्यान ||

समय से सोना और जागना,

समय से फिर जाना स्कूल |

समय से खाना और खेलना,

बच्चों कभी न जाना भूल |

काम समय पर करना ही,है

अच्छे बच्चों की पहचान ||

सदा समय पर पूरे करना,

अपने और बड़ों के काम |

इसी से बच्चों होगा जग में,

चारों ओर तुम्हारा नाम |

सदा समय पर काम करे जो,

बने जगत में वही महान ||

बीत गया जो समय,वो बच्चों

वापस कभी नहीं आता |

जिसने समझा मोल समय का,

वही सफलता है पाता |

सदा समय की पूजा करना,

समय ही है सच्चा भगवान् ||

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(३)बच्चों सदा सफाई रखो

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बच्चों सदा सफाई रखो ||

तन को मलकर रोज नहाओ |

तन का सारा मैल छुड़ाओ |

बालों को भी साफ़ करो तुम,

अपने को तुम स्वस्थ बनाओ |

बच्चों सदा सफाई रखो ||

नाखूनों को बढ़ने मत दो |

बालों में जूँ पड़ने मत दो |

दाँतों को नित साफ़ करो तुम,

कीड़े उनमे लगने मत दो |

बच्चों सदा सफाई रखो ||

साबुन से कपड़े धो डालो |

नाखूनों का मैल निकालो |

आँखों को पानी से धो लो,

काम सभी ये,कभी न टालो |

बच्चों सदा सफाई रखो ||

अपना कमरा साफ़ करो तुम |

अपना बिस्तर साफ़ करो तुम |

कॉपी और किताबें पोंछो,

धूल-गर्द सब साफ़ करो तुम |

बच्चों सदा सफाई रखो ||

सदा साफ़ रहते जो बच्चे |

लगते हैं वे,सबको अच्छे |

सबके ही मन को हैं भाते,

साफ़,स्वस्थ और सुंदर बच्चे |

बच्चों सदा सफाई रखो ||

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(४)अम्बर में उड़ जाती चिड़िया

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ऊपर अम्बर में उड़ जाती,

फिर नीचे आ जाती चिड़िया |

इधर-उधर उड़ती फिरती है,

करतब खूब दिखाती चिड़िया |

दाना खाने रोज सवेरे,

आँगन में आ जाती चिड़िया |

और जरा सी आहट हो तो,

फुर्र से फिर उड़ जाती चिड़िया |

छत पर कभी फुदकती रहती,

कभी कहीं मंडराती चिड़िया |

घर के अंदर आती-जाती,

चक्कर खूब लगाती चिड़िया |

चीं-चीं-चीं-चीं करती रहती,

सबके मन को भाती चिड़िया |

सूना-सूना आँगन लगता,

जब घर में ना आती चिड़िया |

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(५)कितने सुंदर गुब्बारे

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लाल-गुलाबी-नीले-पीले,

रंगों के गुब्बारे |

कोई हरा ले,कोई बैंगनी,

कोई ले पीले-काले |

देखो-देखो कई रंग के,

मैं लाया हूँ गुब्बारे |

बाहर निकलो चिंटू,पिंटू,

लो मुझसे गुब्बारे |

हवा भरे गुब्बारे उड़कर,

आसमान में जाते |

नील-गगन के रंग में मिलकर,

बच्चों को हर्षाते |

मीनू,पिंकू,गुड़्डू,राजू,

सब ही यह बतलाते |

कितने प्यारे,कितने सुंदर,

लगते हैं गुब्बारे |

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(६)टिम-टिम करते तारे

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कितने सुंदर,कितने प्यारे,

टिम-टिम करते तारे ||

छुपके और निकलके,खेलें

लुका-छिपी ये हमसे |

इनको अपने घर लाने को,

सोंच रहे हम कबसे |

वैसे तो प्यारा है चंदा,

तारे बड़े दुलारे ||

दिन में जाने,क्या करते हैं,

दिखलाई ना देते |

और रात में आसमान पर,

ये कब्ज़ा कर लेते |

जगर-मगर,चम-चम-चम करते,

लगते कितने प्यारे ||

दादी हमें सुनाती रहतीं,

इनकी रोज कहानी |

इनकी प्यारी दुनिया,लगती

है जानी पहचानी |

बड़े मनोहर लगते हैं ये,

तारे कितने न्यारे ||

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(७)लहराता झूला

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ऊपर जाता,नीचे आता,

इधर-उधर लहराता झूला |

आगे आता,पीछे जाता,

मन को बड़ा लुभाता झूला |

बारी-बारी से बैठो सब,

मुन्नू,गुड़्डू,पिंकी,राजू |

अरे-अरे टकरा मत जाना,

छोटू जल्दी हट जा बाजू |

मन करता है इतना ऊँचा,

इतना ऊँचा झूला झूलें |

ऊँची-ऊँची पेंग बढ़ाकर,

नीले अम्बर को हम छू लें |

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(८)सैर कराती रेल

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दूर-दूर की सैर कराती,

जगह-जगह पहुँचाती रेल |

अपनी धुन में बढ़ती जाती,

छुक-छुक करती जाती रेल |

चिट्ठी,पार्सल और बिल्टियां,

शहर-गाँव ले जाती रेल |

लोहे की लंबी पाटों पर,

सरपट दौड़ लगाती रेल |

स्टेशन पर जब भी आती,

सीटी तेज बजाती रेल |

ऐसा लगता जैसे सबको,

अपने पास बुलाती रेल |

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(९)मदारी आया

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देखो एक मदारी आया |

बंदर और बंदरिया लाया |

कानों में पहने है बाला |

लगे बड़ा ही वह मतवाला |

सिर पर पगड़ी है बेढंगी |

फटी-पुरानी,रंग-बिरंगी |

कपड़े मैले और कुचैले |

इधर-उधर जो तन पर फैले |

घनी-घनी मूंछे हैं काली |

बोली उसकी बड़ी कमाली |

उसका एक इशारा पाकर |

बंदर भागे पूँछ उठाकर |

कभी दाँत दिखलाए किसी को |

और चिढ़ाए कभी किसी को |

कभी घुड़कता है खौराकर |

कभी बैठ जाता शरमाकर |

कभी छड़ी लेकर है चलता |

कभी झूमता,कभी उछलता |

मटक-मटक कर नाच दिखाता |

मॉंग-मॉंग कर पैसे लाता |

कभी बंदरिया को तंग करता |

कभी टके डिब्बे में भरता |

कलाबाजियाँ कभी दिखाता |

और कभी भौंहें मटकाता |

कभी टोप सिर पर रख लेता |

और मदारी को ना देता |

कभी पाउडर मुँह पर मलता |

देख के शीशा बड़ा मचलता |

खेल निराले दिखलाता है |

सबकी शाबासी पाता है |

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(१०)मीठी बोली

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उम्र में बड़ा हो,

या हो हमजोली ||

सबसे सदा ही,

बोलो मीठी बोली ||

मीठी बोली से बढ़कर,

कुछ और नहीं है मीठा |

मीठी बोली बिना लगे,

लड़्डू भी फ़ीका-फ़ीका |

मीठी बोली भर दे,

खुशियों से झोली ||

सबसे सदा ही,

बोलो मीठी बोली ||

मीठी बोली से बन जाते,

हैं दुश्मन भी दोस्त |

मीठी बोली से मन जाते,

हैं रूठे जो दोस्त |

मीठी बोली से लगे,

हर सूरत भोली ||

सबसे सदा ही,

बोलो मीठी बोली ||

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रचनाकार-विनीत कुमार श्रीवास्तव