Me and my feelings - 140 in Hindi Poems by Dr Darshita Babubhai Shah books and stories PDF | में और मेरे अहसास - 140

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में और मेरे अहसास - 140

पल भर का ये सफ़र 

हमसफ़र के साथ पल भर का ये सफ़र रहा l

और सफ़र का वक्त जैसे पानी की तरह बहा ll

 

दिल का भी अज़ीब खेल होता है देखो तो l

जाना कहां था ओ पहुँचे गये जान थी वहा ll

 

जान से भी ज्यादा प्यार करते है इस लिए l

एक छोटी सी बात पर कितना कुछ सहा ll

 

सफ़र का लुफ़्त उठाने के वास्ते रास्ते में l

जहां से जो भी मिला वो सब कुछ है गहा ll

 

दिल चैन और सुकून पायेगा जब के सखी l

वहीं जाएंगे हमसफर हमनवाज है जहा ll

१-१२-२०२५ 

मनुहार

यादों का बादल घना हैं l

मनुहार से जिवन भरा हैं ll

 

परेशान ना किया करो l

दिल मोम का बना हैं ll

 

सोच समझकर जियो l

ख़ुदा का पहरा तना हैं ll

 

चोट गहरी लगी है कि l

मन कुछ अनमना हैं ll

 

कहीं नजर ना लग जाये l

जीभर देखने को मना हैं ll

 

कहने को बहुत कुछ है पर l

होंठ पर ताला लगा हैं ll

 

परियों की मजलिस में l

खूबसूरत सा शमा हैं ll

२-१२-२०२५ 

 

जलवा 

महफिल में शबाब का जलवा बाज़ी मार गया l

नजरे चार होते ही इश्क़ वाला दिल हार गया ll

 

क़सम ली थी ना जायेंगे कभी हुस्न की गली l 

ना सभला दिल तो उस गली बार बार गया ll

 

मोहब्बत की इंतिहा हो गई हैं कि मना किया l

फ़िर भी खुली वादियों में नाम पुकार गया ll

 

आज मौसम भी खुश मिजाज लगता है कि l

बागों में बहार आने के बाद ही शिकार गया ll

 

सुबह शाम दिन रात पल भर फुर्सत कहां l

इश्क़ हुआ जिन्दगी भर का रोजगार गया ll

३-१२-२०२५ 

उपहार

मुस्कराहट का उपहार देते रहना चाहिए l 

प्यार है तो इज़हार करते रहना चाहिए ll

 

ज़िदगी आसानी से बशर करने के लिए l

अच्छी आदतों को हमेशा गहना चाहिए ll

 

जिंदगी में किसी को दे सकते हो तो बस l

खुशी को देकर ख़ुद खुशी पहना चाहिए ll

 

खुद ने बोया हुआ ही सामने आता है तो l

सभी कर्मों को खामोशी से सहना चाहिए ll

 

सखी क़ायनात तो हरा भरा ख़ज़ाना है l

जहां से जो भी मिले वह लहना चाहिए ll

४-१२-२०२५ 

अनमोल 

प्यार का रिश्ता अनमोल होता हैं l

दिल में जीने की तमन्ना बोता हैं ll

 

बच्चा चाहे कितना भी रूठा हो l

माँ की गोद में चैन से सोता हैं ll

 

जिसे रिस्तों की अहमियत हो वही l

सबकुछ भूल कर सब संजोता हैं ll

 

गुलशन को हरा भरा रहने के लिए l

प्यार और अपनापन से ढोता हैं ll

 

सखी जरा सी बात पर अक्कड़ में l

वो अपनों से दूर जाकर रोता हैं ll

५-१२-२०२५ 

अदाएं 

एक मुलाकात की आस रहती हैं l

नजरे दर के आसपास रहती हैं ll

 

जब से वादा मिलने का टूटा हैं l

तब से तबीयत उदास रहती हैं ll

 

बात पसन्दीदा व्यक्ति की हो तो l

सब के लिए वो खास रहती हैं ll

 

हुस्न के नखरे और अदाओं की l

एक दीदार की प्यास रहती हैं ll

 

मिलों दूर जा बसी हो फ़िर भी l

दिल के बहुत ही पास रहती हैं ll

६-१२-२०२५ 

अदा

अदाओं का इशारा खूब समझते हैं l

अरमान मुश्किल से ही सभलते हैं ll

 

महफिल में हसीन खूबसूरत परियाँ l

समाने आती है तो दिल मचलते हैं ll

 

तिरछी निगाहों से पिलाते रह्ते कि l

शबाब का नशा चढ़ते बहलते हैं ll

 

जैसे सावन बिन तड़पे पपीहा वैसे l

बिना साजन के जिया तड़पते हैं ll

 

शबनम छलकती है जिनके आने से l

वहीं एक मुलाकात को तरसते हैं ll

७-१२-२०२५ 

    

मन को वृंदावन बना लो

 

मन को वृंदावन बना लो l

दिल आनंद से सजा लो ll

 

कृष्ण के ध्यान में मगन हो l

मन मंदिर में छवि समा लो ll

 

अलौकिकता की दिव्यता से l

आत्मा पर शान्ति लगा लो ll

 

स्वप्न में साक्षात अनुभूति l

दिव्य मिलन से मना लो ll

 

सखी अपने सभी कर्मो की l

माफी माँगकर क्षमा लो ll

८-१२-२०२५ 

यादों की गर्मी 

करनी है संगीन बात क़रीब आ जाओ l

गुज़र जाएगी ये रात क़रीब आ जाओ ll

 

चाँद सी महबुबा सामने आ गई है तो l

बहक रहे हैं जज़्बात क़रीब आ जाओ ll

 

यादों की गर्मी से भीगा बदन शेकते रहे l

रुक जाएंगीं बरसात क़रीब आ जाओ ll

 

रुस्वाई के डर से चल दोगे भागे भागे l

पल भर का है साथ क़रीब आ जाओ ll

 

सखी एक बार आजमा के देख भी लो l

कभी ना छोड़ेंगे हाथ क़रीब आ जाओ ll

९ -१२-२०२५

यादों की गर्मी 

यादों की गर्मी से ठंडा कलेजा शेकते रहे l

लम्बी जुदाई में बहुत दर्द ओ ग़म है सहे ll

 

बहार आने से भी जीवन तो सुना ही रहा l

दर्द-ए -दास्तान किसे जाकर आज कहे ll

 

यादों के उफान ने दिल को झँझोड़ा कि l

गुजिस्ता याद में जर्द आखों से अश्क बहे ll

 

 

 

खामोशी बोलने लगी l

आज जुबान ने हड़ताल रखी तो l

आँखों से खामोशी बोलने लगी ll

 

पूरे दिन के बाद सब्र टूट गया कि l

रातों से खामोशी बोलने लगी ll

 

कई मुलाक़ातों को सेव किया है l

यादों से खामोशी बोलने लगी ll

 

भरी बज़्म में छुपते छुपाते हुए l

इशारों से खामोशी बोलने लगी ll

 

ख़ालिक की मरज़ी से निगोड़े l

हाथों से खामोशी बोलने लगी ll

१०-१२-२०२५ 

मोह की डोर 

मोह की डोर छोड़ने से भी नहीं छुटती हैं l 

कोशिशों से भी तोड़ने से नहीं टुटती हैं ll 

 

दिल के तयखाने में छुपी बैठी रहती है कि l

चैन औ सुकून को सदा के लिए लुटती हैं ll

 

दिलों दिमाग को मोहपाश में जकड़े रखती l 

मुडकर कभी भी हाल भी नहीं पूछती हैं ll

 

ऐसी लग्न लगातीं की मस्ती में खो जाते l

और तो कोई दूजी राह भी नहीं सूझती हैं ll

 

भले ही कारवाँ के साथ निकल पड़े सखी l

जिंदगी की गाड़ी भी वही जा रूकती हैं ll

११-१२-२०२५ 

सत्य का प्रसार 

सत्य का प्रसार करने का प्रयास करो l

ओ असत्य के सामने सत्याग्रह भरो ll

 

देर से ही सही सत्य की जीत होती तो l

सत्य के लिए जियो सत्य के लिए मरो ll

 

एक बार जो तय करो उस पर टीके रह l

जो भी करो अडिग मन से वहां सरो ll

 

मुश्किल और कठिन सा रास्ता होगा पर l

सत्य की और जाते हुए बहाव में तरो ll

 

बिना डर के चलते चला जा सच की राह l

सत्य विजय के लिए सुकून को भी हरो ll

१२-१२-२०२५ 

बहुरंगा इन्सान 

बहुरंगा इन्सान धड़कनों में रवानी दे गया l

अपनी मस्ती में दिल को जवानी दे गया ll

 

लम्बी जुदाई के दिनों में जिन्दा रहने को l

वो अकेलेपन का साथी निशानी दे गया ll

 

बिना राह के काटने जिन्दगी का सफ़र l

छोटी सी मुख्तसर सी कहानी दे गया ll

 

तबियत को तरो ताजा रखने के लिए l

हसते रहने यादगिरी सुहानी दे गया ll

 

सखी रिश्तों को सदा गर्म रखने के वास्ते l

तोहफ़े में चीज़ जानी पहचानी दे गया ll

१३-१२-२०२५ 

अच्छे कर्मों का सवाब होता हैं l

ख़ालिक के घर हिसाब होता हैं ll

 

नेकी औ ईमानदारी पर टीके रहो l

सच्चा इन्सां कामयाब होता हैं ll

 

हौसला करके आगे बढ़ोगे तो l

जल्द मुकम्मल ख़्वाब होता हैं ll

 

इश्क़वाले चालबाज होते है तो ll

उनकी बातों में शराब होता है ll

 

मोहब्बतों में जिसे यकी हो उस l

हुस्न के पास हर जवाब होता है ll

१४-१२-२०२५ 

चमन

बागबां के जाने से सारा चमन बिखर गया l

अपनों के बीच का अपनापन किधर गया ll

 

ममता से भरा दामन ढूँढने निकल पड़ा पर l

क़ायनात में सूना सूना लगा जिधर गया ll

 

बहुत ही कमी महसूस होती है गोद की l

माँ का वो प्यार और दुलार किधर गया ll

 

दुनिया भर की दौलत लुटा दे पर अब तो l

चैन और सुकून देने वाला बिस्तर गया ll

 

आज अपनों के बीच बेगाने सा लगता हूँ l

अमी से छलकत्ता लंच और डिनर गया ll

१५-१२-२०२५