पल भर का ये सफ़र
हमसफ़र के साथ पल भर का ये सफ़र रहा l
और सफ़र का वक्त जैसे पानी की तरह बहा ll
दिल का भी अज़ीब खेल होता है देखो तो l
जाना कहां था ओ पहुँचे गये जान थी वहा ll
जान से भी ज्यादा प्यार करते है इस लिए l
एक छोटी सी बात पर कितना कुछ सहा ll
सफ़र का लुफ़्त उठाने के वास्ते रास्ते में l
जहां से जो भी मिला वो सब कुछ है गहा ll
दिल चैन और सुकून पायेगा जब के सखी l
वहीं जाएंगे हमसफर हमनवाज है जहा ll
१-१२-२०२५
मनुहार
यादों का बादल घना हैं l
मनुहार से जिवन भरा हैं ll
परेशान ना किया करो l
दिल मोम का बना हैं ll
सोच समझकर जियो l
ख़ुदा का पहरा तना हैं ll
चोट गहरी लगी है कि l
मन कुछ अनमना हैं ll
कहीं नजर ना लग जाये l
जीभर देखने को मना हैं ll
कहने को बहुत कुछ है पर l
होंठ पर ताला लगा हैं ll
परियों की मजलिस में l
खूबसूरत सा शमा हैं ll
२-१२-२०२५
जलवा
महफिल में शबाब का जलवा बाज़ी मार गया l
नजरे चार होते ही इश्क़ वाला दिल हार गया ll
क़सम ली थी ना जायेंगे कभी हुस्न की गली l
ना सभला दिल तो उस गली बार बार गया ll
मोहब्बत की इंतिहा हो गई हैं कि मना किया l
फ़िर भी खुली वादियों में नाम पुकार गया ll
आज मौसम भी खुश मिजाज लगता है कि l
बागों में बहार आने के बाद ही शिकार गया ll
सुबह शाम दिन रात पल भर फुर्सत कहां l
इश्क़ हुआ जिन्दगी भर का रोजगार गया ll
३-१२-२०२५
उपहार
मुस्कराहट का उपहार देते रहना चाहिए l
प्यार है तो इज़हार करते रहना चाहिए ll
ज़िदगी आसानी से बशर करने के लिए l
अच्छी आदतों को हमेशा गहना चाहिए ll
जिंदगी में किसी को दे सकते हो तो बस l
खुशी को देकर ख़ुद खुशी पहना चाहिए ll
खुद ने बोया हुआ ही सामने आता है तो l
सभी कर्मों को खामोशी से सहना चाहिए ll
सखी क़ायनात तो हरा भरा ख़ज़ाना है l
जहां से जो भी मिले वह लहना चाहिए ll
४-१२-२०२५
अनमोल
प्यार का रिश्ता अनमोल होता हैं l
दिल में जीने की तमन्ना बोता हैं ll
बच्चा चाहे कितना भी रूठा हो l
माँ की गोद में चैन से सोता हैं ll
जिसे रिस्तों की अहमियत हो वही l
सबकुछ भूल कर सब संजोता हैं ll
गुलशन को हरा भरा रहने के लिए l
प्यार और अपनापन से ढोता हैं ll
सखी जरा सी बात पर अक्कड़ में l
वो अपनों से दूर जाकर रोता हैं ll
५-१२-२०२५
अदाएं
एक मुलाकात की आस रहती हैं l
नजरे दर के आसपास रहती हैं ll
जब से वादा मिलने का टूटा हैं l
तब से तबीयत उदास रहती हैं ll
बात पसन्दीदा व्यक्ति की हो तो l
सब के लिए वो खास रहती हैं ll
हुस्न के नखरे और अदाओं की l
एक दीदार की प्यास रहती हैं ll
मिलों दूर जा बसी हो फ़िर भी l
दिल के बहुत ही पास रहती हैं ll
६-१२-२०२५
अदा
अदाओं का इशारा खूब समझते हैं l
अरमान मुश्किल से ही सभलते हैं ll
महफिल में हसीन खूबसूरत परियाँ l
समाने आती है तो दिल मचलते हैं ll
तिरछी निगाहों से पिलाते रह्ते कि l
शबाब का नशा चढ़ते बहलते हैं ll
जैसे सावन बिन तड़पे पपीहा वैसे l
बिना साजन के जिया तड़पते हैं ll
शबनम छलकती है जिनके आने से l
वहीं एक मुलाकात को तरसते हैं ll
७-१२-२०२५
मन को वृंदावन बना लो
मन को वृंदावन बना लो l
दिल आनंद से सजा लो ll
कृष्ण के ध्यान में मगन हो l
मन मंदिर में छवि समा लो ll
अलौकिकता की दिव्यता से l
आत्मा पर शान्ति लगा लो ll
स्वप्न में साक्षात अनुभूति l
दिव्य मिलन से मना लो ll
सखी अपने सभी कर्मो की l
माफी माँगकर क्षमा लो ll
८-१२-२०२५
यादों की गर्मी
करनी है संगीन बात क़रीब आ जाओ l
गुज़र जाएगी ये रात क़रीब आ जाओ ll
चाँद सी महबुबा सामने आ गई है तो l
बहक रहे हैं जज़्बात क़रीब आ जाओ ll
यादों की गर्मी से भीगा बदन शेकते रहे l
रुक जाएंगीं बरसात क़रीब आ जाओ ll
रुस्वाई के डर से चल दोगे भागे भागे l
पल भर का है साथ क़रीब आ जाओ ll
सखी एक बार आजमा के देख भी लो l
कभी ना छोड़ेंगे हाथ क़रीब आ जाओ ll
९ -१२-२०२५
यादों की गर्मी
यादों की गर्मी से ठंडा कलेजा शेकते रहे l
लम्बी जुदाई में बहुत दर्द ओ ग़म है सहे ll
बहार आने से भी जीवन तो सुना ही रहा l
दर्द-ए -दास्तान किसे जाकर आज कहे ll
यादों के उफान ने दिल को झँझोड़ा कि l
गुजिस्ता याद में जर्द आखों से अश्क बहे ll
खामोशी बोलने लगी l
आज जुबान ने हड़ताल रखी तो l
आँखों से खामोशी बोलने लगी ll
पूरे दिन के बाद सब्र टूट गया कि l
रातों से खामोशी बोलने लगी ll
कई मुलाक़ातों को सेव किया है l
यादों से खामोशी बोलने लगी ll
भरी बज़्म में छुपते छुपाते हुए l
इशारों से खामोशी बोलने लगी ll
ख़ालिक की मरज़ी से निगोड़े l
हाथों से खामोशी बोलने लगी ll
१०-१२-२०२५
मोह की डोर
मोह की डोर छोड़ने से भी नहीं छुटती हैं l
कोशिशों से भी तोड़ने से नहीं टुटती हैं ll
दिल के तयखाने में छुपी बैठी रहती है कि l
चैन औ सुकून को सदा के लिए लुटती हैं ll
दिलों दिमाग को मोहपाश में जकड़े रखती l
मुडकर कभी भी हाल भी नहीं पूछती हैं ll
ऐसी लग्न लगातीं की मस्ती में खो जाते l
और तो कोई दूजी राह भी नहीं सूझती हैं ll
भले ही कारवाँ के साथ निकल पड़े सखी l
जिंदगी की गाड़ी भी वही जा रूकती हैं ll
११-१२-२०२५
सत्य का प्रसार
सत्य का प्रसार करने का प्रयास करो l
ओ असत्य के सामने सत्याग्रह भरो ll
देर से ही सही सत्य की जीत होती तो l
सत्य के लिए जियो सत्य के लिए मरो ll
एक बार जो तय करो उस पर टीके रह l
जो भी करो अडिग मन से वहां सरो ll
मुश्किल और कठिन सा रास्ता होगा पर l
सत्य की और जाते हुए बहाव में तरो ll
बिना डर के चलते चला जा सच की राह l
सत्य विजय के लिए सुकून को भी हरो ll
१२-१२-२०२५
बहुरंगा इन्सान
बहुरंगा इन्सान धड़कनों में रवानी दे गया l
अपनी मस्ती में दिल को जवानी दे गया ll
लम्बी जुदाई के दिनों में जिन्दा रहने को l
वो अकेलेपन का साथी निशानी दे गया ll
बिना राह के काटने जिन्दगी का सफ़र l
छोटी सी मुख्तसर सी कहानी दे गया ll
तबियत को तरो ताजा रखने के लिए l
हसते रहने यादगिरी सुहानी दे गया ll
सखी रिश्तों को सदा गर्म रखने के वास्ते l
तोहफ़े में चीज़ जानी पहचानी दे गया ll
१३-१२-२०२५
अच्छे कर्मों का सवाब होता हैं l
ख़ालिक के घर हिसाब होता हैं ll
नेकी औ ईमानदारी पर टीके रहो l
सच्चा इन्सां कामयाब होता हैं ll
हौसला करके आगे बढ़ोगे तो l
जल्द मुकम्मल ख़्वाब होता हैं ll
इश्क़वाले चालबाज होते है तो ll
उनकी बातों में शराब होता है ll
मोहब्बतों में जिसे यकी हो उस l
हुस्न के पास हर जवाब होता है ll
१४-१२-२०२५
चमन
बागबां के जाने से सारा चमन बिखर गया l
अपनों के बीच का अपनापन किधर गया ll
ममता से भरा दामन ढूँढने निकल पड़ा पर l
क़ायनात में सूना सूना लगा जिधर गया ll
बहुत ही कमी महसूस होती है गोद की l
माँ का वो प्यार और दुलार किधर गया ll
दुनिया भर की दौलत लुटा दे पर अब तो l
चैन और सुकून देने वाला बिस्तर गया ll
आज अपनों के बीच बेगाने सा लगता हूँ l
अमी से छलकत्ता लंच और डिनर गया ll
१५-१२-२०२५