Me and My Feelings - 139 in Hindi Poems by Dr Darshita Babubhai Shah books and stories PDF | में और मेरे अहसास - 139

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में और मेरे अहसास - 139

तलाश

रूह को शांति दे सके वो मंज़र तलाश कर l

सिर्फ़ अपना कह सके वो घर तलाश कर ll

 

लालची और स्व केन्द्रित लोगों की भीड़ में l

इन्सां को तराशे वही पत्थर तलाश कर ll

 

न जाने क़ायनात में कहां छुपा हुआ है तो l

साहिल पाने को सात समुंदर तलाश कर ll

 

लाख कोशिस के बाद भी मंज़िल न मिले l

बिना उम्मीद को छोड़े मुक़द्दर तलाश कर ll

 

बाहिर का युध्ध जीतने से क्या हासिल कि l

खुद से लड़ने के लिए लश्कर तलाश कर ll

१६-६-२०२५ 

नई कलम नया कलाम

नई कलम नया कलाम नया आयाम लिख रहा हैं l

पटल पर उसका सीधे सीधा असर दिख रहा हैं ll

 

रोज नया विषय पाते ही नई कविता सोचने लगते l

ऐसे कवियित्री और कवि कुछ नया सिख रहा हैं ll

 

जब दूसरे मँजे हुए कवि की लाइक आती है तब l

खुशी का एहसास ओ अद्वैत आनंद मिल रहा हैं ll

 

अरमानों ओ कशिश को कविता, ग़ज़ल, हाइकु में l

सिखते जाते है तो वक्त भी रचनात्मक बित रहा हैं ll

  

कवि जो बात किसीसे न कह पाये वो खुले खुला l

काग़ज़ में दर्दों गम को लिख दिल सिल रहा हैं ll

१७-११-२०२५ 

नई कलम नया कलाम

नई कलम नया कलाम के ज़माने याद रहेंगे l

पटल में लिखे गये सुहाने तराने याद रहेंगे ll

 

समंदर भी वो हर एक लम्हा याद करेगा ओ l

रंगीन मुलाकात के लम्हें किनारे याद रहेंगे ll

 

शाम ढले भरी महफ़िल में हमउम्र बैठे हो तब l

यार दोस्तों को कहें हुए लतीफ़े याद रहेंगे ll

 

उदासी भरी शाम के वक्त जी हलका करे ओ l

दिल को बहलाने वाले सभी नग़में याद रहेंगे ll

 

खूबसूरत वादियों ओ मदमस्त फ़िज़ाओं में l

साथ मिलकर देखे हुए हर सपने याद रहेंगे ll

१८-११-२०२५ 

नई कलम नया कलाम

नई कलम नया कलाम पटल पर चहक रहा हैं l

हर कोई कविता लिखते लिखते बहक रहा हैं ll

 

छाँद, प्रास, लय और ताल के साथ मिलकर l

हर शब्द कवि की रचनाओ में महक रहा हैं ll

 

नया विषय मिलते ही नये विचार आने से l

दो हाथों में कलम ओ काग़ज़ धड़क रहा हैं ll

 

देखो अनुभव के आधार पर ठहराव आते ही l

कवि का उमंग कविताओ में झलक रहा हैं ll

 

विषय पर लिखने को २४ घंटे दिये जाते है l

शब्द कविता लिखने के लिए तड़प रहा हैं ll

१९-११-२०२५ 

 

नई कलम नया कलाम

नई कलम नया कलाम पर नया कलाम लिखाना हैं l

कविओ की प्रतिभा ओ रचनात्मकता को दिखाना हैं ll

 

ताल, लय, प्रास को ध्यान में रखकर सही तरीके के l

अलग अलग विषय पर रचनाएँ लिखना सिखाना हैं ll

 

भारत के सभी राज्यों और शहरों से जुड़े हुए विविध 

विचारों वाले लेखकों को एक पटल पर मिलाना हैं ll

 

हिन्दू, मुस्लिम, शिख और ईसाई धर्मों के लोगो की l

विविध राज्यों की भाषाओ के भेद को मिटाना हैं ll

 

नई कलम नया कलाम की महफिल में प्यार भरे l

नगमों और ग़ज़लों का नशीला जाम पिलाना हैं ll

२०-११-२०२५ 

नई कलम नया कलाम(5)

नई कलम नया कलाम के नाम से ही कवि चलता हैं l

ऑनलाइन या ऑफलाइन वो सुर्खियों में रहता हैं ll

 

पटल पर लिखते लिखते वो मकाम हासिल होता है कि l

जहां ही जाता है उसे नाम और शौहरत भी मिलता हैं ll

 

मँजे हुए और नवोदित कवि की रचनाओं से रोज ही l

हर शाम नगमों ओ ग़ज़लों के गुलों से पटल खिलता हैं ll

 

दास्ताने विषय पर कलम लिखना चालू करने को l

नई कविता लिखने उजागर ओ प्रोत्साहित करता हैं ll

 

अब नई कलम नया कलाम परिपक्‍व् हो गया है वो l

अंत स्फुरणा के साथ जोश ओ उमंग भी भरता हैं ll 

२१-११-२०२५ 

सभल

गलत को गलत नहीं कहता हूँ में l

हर क़दम सभल कर चलता हूँ में ll

 

चुप रह खामोशी स्वीकार करके l

कभी अपने आप को छलता हूँ में ll

 

घुटन से राहत पाने को छत पर l

साँसों में ताजी हवा भरता हूँ में ll

 

जिंदगी जीना आसान करने को l

सब से मेल झोल रखता हूँ में ll

 

खुद को समझने के वास्ते रोज l

मुकम्मल एकांत में सरता हूँ में ll

२२-११-२०२५ 

  बहुत

सच्ची मोहब्बत की कीमत बहुत हैं l

प्यारे से दोस्तों की दौलत बहुत हैं ll

 

जूठा ही सही एक बार मुस्करा देते l

छोटी सी बात की हकीकत बहुत हैं ll

 

दिखावे का गुस्सा कर रहे हैं वर्ना तो l

नाराजगी कम ओ मोहब्बत बहुत हैं ll

 

रिश्ता शरीर से नहीं रूह से जुड़ा है l

मुकम्मल प्यार में इबादत बहुत हैं ll

 

मदमस्त वादियों में मुलाकात की l

खूबसूरत यादों की इनायत बहुत हैं ll

 

मतलबी दुनिया से जी भरा तभी से l

खुद से बातें करने की आदत बहुत हैं ll

 

खुदा को हर साँस हर बात पता है कि l

बस मिले गर उस की इजाजत बहुत हैं ll

 

कहने को तो सभी अपने है जहाँ में पर l

दिल से किया हुआ इंतिसाब बहुत हैं ll

 

जिसे मुकम्मल मंज़िल की तलाश हो उस l

भटके हुए को बस हिदायत बहुत हैं ll

इंतिसाब-स्वीकार 

हिदायत - रास्ता दिखाना 

२३-११-२०२५ 

 

जेब कंगाल थी हम खरीदार थे l

चीज़ों से सब भरे सारे बाजार थे ll

 

मिलने की आशा ओ कोशिशे छोड़ दी l

आज जब के मुलाकात आसार थे ll

 

बेवफाओं से जूठी सी उम्मीदें रखी l

जानते सब थे पर दिल से लाचार थे ll

 

घर से कोशों की दूरी पे जाके बसे l

फोन मेसेज जीने के आधार थे ll

 

सोचने बैठे जब जिंदगी के बरसों l

हाथ से निकले हुए सारे हालात थे ll

२३ -११-२०२५ 

 

मधुलिका 

जिह्वा पर मधुलिका होगी तो जीना आसान हो जायेगा l

हर महफिल हर जगह आदर और सन्मान भी पायेगा ll

 

अपनों और ग़ैरों के साथ प्रेम ओ आत्मीयता रखना l

क़ायनात में क्या लेके आया था क्या लेकर जायेगा ll

 

दिल का गुलशन फूलों से हराभरा होगा तो मुकम्मल l

चहरे पर खुशी की झलक ओ होठों पे नगमें लायेगा ll

 

ज़ीस्त की बस्ती उजागर होगी तो कभी ना कभी l

सुख का सूरज उगेगा तो घर में उजाला आयेगा ll

 

गर जीने का सही ठंग आ जायेगा तो ही दुनिया में l

हर दिल को अज़ीज़ होगा ओ हर दिल को भायेगा ll

२३-११-२०२५ 

नए दौर का भारत

 

नए दौर का भारत नया आयाम लिख रहा हैं l

टेक्नोलॉजी विज्ञान हर क्षेत्र में दिख रहा हैं ll

 

कैसे एक भी लम्हें को जाया किये बगैर ही l

जल्द नया इतिहास रचने को सिख रहा हैं ll

 

खुद की रोशनी से उजाला करना चाहता है l

जो भी है जितना भी है उस में निख रहा हैं ll

 

लोग आपस में भाईचारा और प्रेम से रहे कि l

भारत के लिए सुख शांति को भिख रहा हैं ll

 

दिलों को जोड़कर सामुहिक प्रयासों के साथ l

प्रगति और विकास के रास्तें शिख रहा हैं ll

२५-११-२५ 

कश्मीर

कश्मीर की वादियों में खो जाने को जी चाहता हैं l

खुले आम प्यार भरे नग़में गाने को जी चाहता हैं ll

 

अजायबी ओ खूबसूरत सी बेमिसाल चीज़ पे l

बार बार दिल ओ जान लुटाने को जी चाहता हैं l

 

 

गुलाब

गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठों से शराब छलक रही हैं l

ये देख के दिल फेंक दिवानो की महफिल चहक रही हैं ll

 

रोम रोम में खिला हुआ है यौवन ओ मदमस्त मस्ती l

हुश्न की खूबसूरत अदाओं देख शाम भी बहक रही हैं ll

 

रॉब और रूतबा कुछ एसा है देखते ही प्यार हो जाए l

बयार के साथ बहती हुई खुशबु से साँसे महक रही हैं ll

 

जिस रास्तों से गूजर जाती और जो भी सूँघ ले ओ l

जिसके के भी श्वासोश्वास में जाती वहीं पनप रही हैं ll

 

मोहब्बत के अफ़सानो को भी महका रहा है और l

कविओ के नग्मे, कविताएं ओ ग़ज़लों में बरस रही हैं ll

२७-११-२०२५ 

परिंदा

मन परिंदा उड़ने को बेकरार हैं l

संगी साथी चलने को बेकरार हैं ll

 

मदमस्त फिझाओ में मस्ती से l

बयार संग बहने को बेकरार हैं ll

 

दाद ए मोहब्बत का फ़साना l

प्यार है कहने को बेकरार हैं ll

 

कारवाँ के संग अपनी मौज में l

खुशियां गहने को बेकरार हैं ll

 

मुकम्मल दूध में नहाएँ हुए सफ़ेद l

बादल को पहने को बेकरार हैं ll

२८-११-२०२५ 

उड़ान

परिंदे जैसी उड़ान रखने का मशवरा भी लिखा हैं l

मंज़िल तलक साथ रहने का वास्ता भी लिखा हैं ll

 

पलक झपकते ही दूर दूर उड़ने को बेकरार है कि l

बीच में भटके ना इस लिए रास्ता भी लिखा हैं ll

 

ना पँख मिले पंखी जैसे ना रंग तितली के जैसे l

फ़िर भी ऊंची उड़ान को हौसला भी लिखा हैं ll

 

ज़मी पर घुटन सी महसूस हो रही है तो फ़िर l

उड़ान को मुकम्मल खुला आसमा भी लिखा हैं ll

 

आज कुछ ज्यादा ही प्यार उमड़ रहा है तो l

जान ए जिगर और जान-ए-जाँ भी लिखा हैं ll

२८-११-२०२५ 

दुश्मन 

दुश्मनों के साथ भी दोस्ती निभाई हैं हमने l

याराना बनाये रखने की मिशाल बनाई हैं हमने ll

 

चार दिन जीने के लिए आये हैं दुनिया में तो l

दिल की महफिल नदीमो से सजाई हैं हमने ll

 

कहने के वास्ते दोस्ती नहीं करते पूरे मन से l

ताउम्र के लिए प्यार की महोर लगाई हैं हमने ll

 

यार दोस्तों से जिन्दगी आसानी से कटती है l 

दुश्मनों को दिल में दुनिया समाई हैं हमने ll  

 

जहाँ में क्या लेकर आए हैं क्या लेकर जाएंगे l

मन से मिटाने नफ़रतों की होली जलाई हैं हमने ll

२९-११-२०२५ 

प्यार

प्यार एक ही झटके में होता हैं l

आशिकों के लहज़े में होता हैं ll

 

दिल जब से धड़कना सीखा है l

तब से वो तो ख़तरे में होता हैं ll 

 

ढूँढ के बताओं तो महबूब का l

नाम महेंदी के नक़्शे में होता हैं ll  

 

मुकम्मल प्यार की निशानी है l

प्रेमी का रोब रुतबे में होता हैं ll 

 

पढ़ के देख लेना अदाओं को l

हुश्न के ढ़ंग जलवे में होता हैं ll 

३०-११-२०२५