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PART — 3 :
माहीं की आंखों में डर था…
वो पहले वाली माहीं नहीं थी —
जो हँसती थी, खिलखिलाती थी, खुद को हसीन समझती थी।
आज वो असुरक्षित थी… टूटी हुई… और सबसे बड़ी बात —
पछताई हुई।
सूरज चुपचाप उसे देख रहा था।
दिल में तूफ़ान था, पर आवाज़ शांत।
"क्या हुआ, माहीं?"
उसने धीमे लेकिन सख्त लहजे में पूछा।
माहीं ने होंठ दबाए, फिर बोल पड़ी—
“सचिन… वो वैसा नहीं था जैसा मैंने समझा था।”
सूरज ने हल्की मुस्कान दी, लेकिन वो दर्द भरी थी।
"तो अब तुम वापस उस इंसान के पास आई हो…
जिसे तुमने पैसों के लिए छोड़ दिया…?"
माहीं रोने लगी।
"सूरज, प्लीज़… मुझे सुनो। मैंने सचिन पर भरोसा किया…
वो कहता था वो मुझसे प्यार करता है, मेरी केयर करेगा…
पर उसके इरादे… कुछ और थे।"
सूरज की भौंहें सिकुड़ गईं।
"मतलब?"
माहीं की आवाज़ काँप रही थी—
“वो बस मेरा इस्तेमाल करना चाहता था…
वो चाहता था कि मैं उसके दोस्तों के बीच एक खिलौने की तरह रहूँ।
उसने मेरे character पर तक सवाल उठा दिया…”
ये सुनकर सूरज का खून खौल उठा🔥
लेकिन उसने खुद को संभाला।
"तुमने उससे रिश्ता तोड़ा?"
माहीं ने सिर हिलाकर कहा—
"नहीं… वो मुझे छोड़कर चला गया।
क्योंकि… अब उसके लिए मैं ‘useful’ नहीं रही।"
यह सुनकर सूरज के अंदर दर्द तो था…
लेकिन इस बार वो नफरत के साथ मिला हुआ था।
कुछ देर दोनों खामोश रहे…
हवा बह रही थी…
चाँद बादलों में छिपा हुआ था। 🌑
माहीं ने धीमे से कहा—
"सूरज… क्या तुम मुझे माफ़ कर सकते हो?"
ये सवाल सुनकर सूरज के अंदर सब कुछ थम गया…
चार साल का प्यार…
चार साल की दुआएं…
चार साल के सपने…
सब कुछ उसकी आँखों के सामने घूम गया।
पर फिर उसके दिमाग में वह रात भी आई—
जब माहीं ने कहा था:
“कृपया मुझसे दूर रहना।”
उस रात उसने खुद को मारने की सोची थी।
वो दर्द… वो घुटन… वो तकलीफ
आज तक जल रही थी।
सूरज ने आंखें ऊपर आसमान की ओर उठाईं…
जैसे वो खुद से लड़ रहा हो।
फिर उसने कहा—
“माहीं… मैं तुम्हें माफ़ कर सकता हूँ…
लेकिन तुम्हारे साथ वापस नहीं आ सकता।”
माहीं के पैरों के नीचे जमीन खिसक गई।
"क्यों… सूरज? क्या तुम्हें अब भी मुझसे प्यार नहीं?"
सूरज की आंखों में आंसू थे…
पर आवाज़ पत्थर जैसी मजबूत।
“प्यार आज भी है…
लेकिन अब मैं खुद से ज्यादा प्यार करता हूँ।”
माहीं और जोर से रोने लगी।
"सूरज… मैं तुम्हारे बिना कुछ नहीं।
प्लीज़… मुझे मत छोड़ो।
अगर तुम चाहो तो मैं सब बदल दूँगी…
मैं पहले जैसी हो जाऊँगी…
मैं—"
सूरज ने हाथ उठाकर उसे रोका।
"नहीं माहीं…
तुम वो नहीं रही… और मैं वो इंसान नहीं हूँ…
जो पहले तुम्हारे लिए रोया करता था।"
उसकी आँखों में अब दर्द नहीं…
बल्कि आग थी।
🔥 अचानक सचिन आता है…
अचानक पीछे से एक ताली की आवाज़ आई।
“वाह… क्या सीन चल रहा है यहाँ?”
दोनों मुड़े—
सचिन वहीं खड़ा था।
उसके हाथ में सिगरेट थी…
चेहरे पर घमंड…
और आँखों में गंदगी।
"तो माहीं तुम्हारे पास वापस आ गई?"
वो हँसा।
"ब्रो… तुम भी कितने लूज़र हो।
चार साल इस लड़की पर बर्बाद कर दिए…
और अब— फिर वहीं लौट आई?"
सूरज चुप था, पर उसकी मुट्ठियाँ कस चुकी थीं।
माहीं ने डरकर कहा—
"सचिन, प्लीज़… यहाँ से जाओ।"
सचिन आगे आया और उसने माहीं का हाथ पकड़ने की कोशिश की।
"चलो बेबी… काफी ड्रामा हो गया—"
लेकिन इससे पहले कि उसका हाथ माहीं तक पहुँचता—
💥 सूरज ने उसका हाथ पकड़ लिया।
आँखों में आग…
आवाज़ भारी…
“उस हाथ को वहीं रोक दो…
जिसे इंसानियत छूनी नहीं आई।”
सचिन तड़पकर बोला—
"ओए हीरो बनने आया है क्या?
वरना—"
💥 अगले ही पल सूरज का मुक्का सचिन के चेहरे पर पड़ा।
सचिन जमीन पर गिर गया।
सिगरेट दूर जा गिरी।
और पहली बार उसके चेहरे पर डर था।
सूरज धीरे से झुककर उसके पास बोला—
“तुमने सोचा था प्यार को खरीद लोगे?
पैसा किसी को तुम्हारा बना नहीं सकता…
और अब से…
माहीं तुम्हारी नजरों से भी दूर रहेगी।”
सचिन उठकर भाग गया।
🌙 और फिर… सन्नाटा
माहीं रो रही थी…
लेकिन अब उसकी आँखों में एक और डर था—
डर खोने का।
"सूरज… क्या अब सब ठीक हो सकता है…?"
सूरज ने उसकी तरफ देखा—
लेकिन इस बार उसकी आंखों में प्यार नहीं था…
बल्कि फैसला था।
“माहीं… तुम मेरी कहानी थी।
लेकिन अब मैं वो किताब बंद कर चुका हूँ।”
“पर…” माहीं टूटे स्वर में बोली।
सूरज ने हल्की मुस्कान दी।
“किसी कहानी को दो अंत नहीं मिलते।
और हमारा अंत…
उस दिन हो गया था जब तुमने मुझे छोड़ा था।”
वो मुड़ा…
धीरे-धीरे चला…
और पहली बार बिना पीछे देखे।
🧩 PART — 3 ENDING HOOK
माहीं वहीं खड़ी रोती रही…
और उसकी आँखों से निकला आखिरी शब्द हवा में खो गया—
“शायद… अब मुझे देर से सही… पर सच्चे प्यार का मतलब समझ आया है।”
लेकिन कहानी अभी खत्म नहीं हुई…
क्योंकि अब सूरज की ज़िंदगी में
एक नई शुरुआत आने वाली थी।
To Be continu..............
पर कौन…?
कैसे…?
और क्या ये शुरुआत फिर प्यार होगी…
या बदला…?
👇👇
Wait for next part..........
Writer:-................
.................Vikram kori .