main bikhra nahi, Bas badal gaya -5 last part in Hindi Love Stories by vikram kori books and stories PDF | मैं बिखरा नहीं......बस बदल गया - 5 (लास्ट पार्ट)

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मैं बिखरा नहीं......बस बदल गया - 5 (लास्ट पार्ट)

‎💔🔥 PART — 5 :  final part 

‎कॉलेज कैंटीन में वो पल जहाँ माहीं टूटकर सवाल पूछ रही थी—

‎और सूरज पहली बार मजबूत, खड़ा, और स्पष्ट दिखाई दे रहा था…

‎वहीं से कहानी ने नया मोड़ लिया था।

‎लेकिन किस्मत अभी पूरी तरह शांत नहीं हुई थी।

‎कुछ दिन बीत गए…

‎सूरज अपनी नई ज़िंदगी में एक अलग रफ्तार पा चुका था।

‎उसकी दिनचर्या अब Stable थी—

‎जिम, क्लास, स्टडी, और कभी-कभी आद्या संग शांत बातें।

‎पर एक शाम…

‎जब सूरज लाइब्रेरी से बाहर आया,

‎उसका सामना किसी ऐसे इंसान से हुआ जिसे देखकर

‎उसकी आँखें नहीं… उसका अतीत काँप गया।

‎वो सामने था — सचिन।

‎चेहरा थका हुआ, आँखें खाली, कपड़े ब्रांडेड लेकिन दिल टूटा हुआ।

‎सचिन ने धीरे से कहा—

‎“सूरज… बात कर सकता हूँ?”

‎सूरज ने उसे देखा, एक गहरी सांस ली और कहा—

‎“कहो।”

‎दोनों कैंपस के पीछे पुराने पेड़ों के पास जाकर खड़े हुए।

‎सचिन ने पहली बार सिर झुकाकर बात शुरू की—

‎“सूरज… तुम सही थे।

‎पैसा कभी वफ़ादारी नहीं खरीद सकता।”

‎सूरज चुप था।

‎सचिन आगे बोला—

‎“माहीं ने मुझे इसलिए चुना क्योंकि मैंने उसे सब कुछ  दिया…

‎लेकिन शायद मैंने उसे वो नहीं दिया

‎जो तुम देते थे… 'इज़्ज़त' और ‘भरोसा’।”

‎सूरज की आंखों में कोई घमंड नहीं था, सिर्फ सच्चाई।

‎“तुम्हें अब पछतावा है?” — सूरज ने पूछा।

‎सचिन हंसा… एक टूटी हुई हँसी।

‎“सिर्फ पछतावा नहीं सूरज…

‎सज़ा है।”

‎“सज़ा?”

‎“हाँ…

‎जो इंसान सच्चे दिल को धोखा देता है,

‎उसे सबसे पहले खुद का दिल धोखा देता है।”

‎दोनों कुछ देर चुप रहे…

‎फिर सचिन ने वो कहा जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी—

‎“अगर हो सके… मुझे माफ़ कर देना।”

‎सूरज ने उसकी आँखों में देखा—

‎और पहली बार वहां कोई खेल, कोई घमंड, कोई ego नहीं था…

‎बस पछतावा।

‎सूरज ने हाथ बढ़ाया।

‎“माफ़ किया।”

‎सचिन की आँखें भर आईं।

‎वो मुड़ा और धीरे से चल दिया…

‎🌸 नई शुरुआत… या नई समझ?

‎उस रात सूरज घर पहुँचा तो मन में अजीब शांति थी।

‎जिंदगी पहली बार बोझ नहीं लग रही थी…

‎अब वो सिर्फ Move on नहीं कर चुका था—

‎वो Heal हो चुका था।

‎और अब, कुछ नया शुरू होना बाकी था…

‎💞 वो पल… जहाँ दिल ने जवाब दिया

‎अगले दिन कॉलेज में cultural event था।

‎Programs चल रहे थे, lights चमक रही थीं,

‎और लोग मस्ती में थे।

‎सूरज एक कोने में बैठा था

‎तभी आद्या ने उसके पास आकर कहा—

‎“Can I have a moment?”

‎सूरज मुस्कुराया—

‎“हमेशा।”

‎दोनों कैंपस के छत पर गए।

‎हवा हल्की थी… रात खूबसूरत।

‎आद्या ने धीमी आवाज़ में कहा—

‎“सूरज, मैं कुछ पूछना चाहती हूँ…

‎और इस बार मुझे आधा जवाब नहीं चलेगा।”

‎सूरज हल्के से हँसा—

‎“पूछो।”

‎आद्या ने उसकी आँखों में देख कर कहा—

‎“क्या तुम्हें अभी भी माही से मतलब है?

‎कुछ सेकंड की खामोशी…

‎फिर सूरज ने वह जवाब दिया

‎जो उसे भी कभी नहीं पता था—

‎**“मुझे उससे अब न प्यार है,

‎न नफ़रत…

‎वो बस एक कहानी है जिसे

‎मैंने पढ़ा, समझा और छोड़ दिया।”**

‎आद्या मुस्कुराई…

‎पर उसकी आँखों में थोड़ा डर भी था।

‎“तो अब?”

‎सूरज उसके और करीब आया…

‎“अब… मैं उस इंसान के साथ जिंदगी लिखना चाहता हूँ

‎जिसने मुझे गिरने नहीं दिया,

‎बल्कि मेरे साथ चलना सीखा।”

‎आद्या की सांसें थम गईं—

‎“क्या तुम सच में ready हो… प्यार के लिए?”

‎सूरज ने उसका हाथ पकड़ा—

‎मैं ready हूँ सही इंसान के लिए।”

‎और आद्या के गालों पर हल्की सी लाली फैल गई।

‎उसी पल हल्की बारिश शुरू हो गई…

‎जैसे आसमान भी कह रहा हो—

‎“अब दर्द खत्म… अब नई शुरुआत।”

‎💖 THE FINAL LINE:

‎सूरज ने आसमान की ओर देखा और मुस्कुराया—

‎“थैंक्स किस्मत…

‎क्योंकि तूने मुझसे सब छीनकर,

‎मुझे वही दिया—

‎जो मेरे लिए बना था।” 💫

‎🔥 STORY FINALE MESSAGE:

‎कभी-कभी…

‎जिसे हम खोना समझते हैं,

‎वो दरअसल हमें बचाना होता है।

‎सूरज ने माहीं को खोया नहीं था…

‎वो खुद को पा रहा था। ❤️✨

‎    Writer: - ...............

‎                             ................Vikram kori .