Tera Lal Ishq - 24 in Hindi Crime Stories by Kaju books and stories PDF | तेरा लाल इश्क - 24

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तेरा लाल इश्क - 24

समय सुबह के 10 बजे
सन सनी खेज रिपोर्टिंग में आपका स्वागत है आज पहली बार सन सनी खबर अलग है।

आज सुबह के 7 बजे लेकर अब तक
काला भंडार में मीडिया और पब्लिक का तहलका मचा हुआ है साथ ही सोशल मीडिया पर भी किसी अनजान व्यक्ति ने काला भंडार के पुलिस चौकी का काला सच एक वीडियो के जरिए सामने लाया है।

वीडियो में साफ दिख रहा है की पुलिस चौकी के अंदर जमीन पर खुफिया दरवाज़ा बना और अंदर का नजारा तो हिला देने वाला है 10 से 12 गुप्त कमरे जिनमें से एक बार और कैसिनो है और बाकी के खाली खाली कमरे जिमने लकड़ी के टुकड़ों के सिवा कुछ नहीं इस Information ने सबके मन में एक ही सवाल घेरा बनाया हुआ है की आखिर पुलिस चौकी के अंदर जमीन के नीचे इतने सारे गुप्त कमरा बनाए किसने?
और क्यों? किस मकसद से?
इस्पेक्टर मुरीद और  बाकी के पुलिस वाले रातों रात कहा गायब हो गए? 
पूरा एरिया खाली हो चुका है एक परिंदा तक नहीं दिख रहा फिलहाल छान बीन अब भी जारी है पर सुराग अब तक हाथ नही लगा। 

और इस बात से पब्लिक पुलिस डिपार्टमेंट पर बहुत ज्यादा भड़की हुई है खास तौर पर एरिया के आस पास के लोग और,,,,
टीवी पर सभी आज के हुए कांड का न्यूज देख रहें थे की अचानक tv ऑफ हो गया सभी उस इंसान को देखे पर कनंत बौखलाया हुआ पीछे मुड़ते हुए "कौन है बे,,,,,(उस इंसान को देखते ही उसके पैरो में गिर गया) बे बे बेहद दयावान बुद्धिमान शक्तिशाली व्यक्ती" 

ना ना काशी नही है आशना है उसे गुस्से में देख कनंंत बड़े शरीफि से बात ही पलट दिया।

"तुम लोगो को और कोई काम धंधा नहीं है क्या,,,? रोज रोज ये क्या लगा के रखा है?" आशना गुस्से में भड़की बात ये है की इसे न्यूज चैनल बिलकुल पसंद नहीं इसकी नजर में न्यूज वाले झूठे हैं जो सच नहीं होता उसे अपनी मसालेदार जुबान से सच साबित कर देते हैं उसके और काशी के पापा जो देश के रक्षक थे बीना सच जाने इस मीडिया वालो ने तड़क भड़क न्यूज दुनिया भर में फैलाने के लिए उन्हे देशद्रोही का करारा दे दिया। दुनिया कितनी स्वार्थी हो गई हैं ना अपने आगे बढ़ने के स्वार्थ में कितनी आसानी से देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले उस मरते हुए शख्स के माथे पर देशद्रोही का कलंक लगा दिया।


"ये रोज रोज का क्या तमाशा है,,,हा बोला था ना ये चैनल मत लगाया करो ये देखने में टाइम वेस्ट करने से अच्छा मिशन पर क्यों नही ध्यान देते" आशना गुस्से में ज्वाला बन भड़के जा रही थी। की

कृषभ उसे कंधो से पकड़ "शांत हो जाओ आशना,,,कब तक आख़िर कब तक छिपाती रहोगी अपनी इस नफरत को,,,जिस मीडिया पर इस तरह बार बार जो तुम गुस्सा करती रहती हो एक दिन यही मीडिया तुम्हारी जीत का कारण बनेगी" 

आशना गुस्से से लाल चीखी "बंद करो अपनी बकवास,,,बस,,,बहुत झेल ली तुम्हे अब और नहीं,,,होंगे तुम जासूस टीम के no.1 लीडर पर मेरे सामने कंकड़चूड़ा हो तुम कंकड़चुड़ा,,,और हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी मेरे सामने मीडिया की तरफदारी करने की कक्कड़चूड़ा कही के" 

"हा किया तरफदारी तो क्या कर लोगी तुम और इतना हैंडसम बंदा तुम्हे कक्कड़चूड़ा लगता हैं? लगता हैं भगवान ने तुम्हे आंखे ही अंधों के जमाने की दे दी कोई बात नहीं गलती सब से होती हैं और,,," कृषभ बोलने में मग्न था तभी एक चट्ट करके आवाज गूंजी। 

कृषभ हड़बड़ाते हुए होश में आया और बड़ी बड़ी आखें कर उधर उधर देखने लगा और फिर अपने गाल को छूकर देखा उसे कोई दर्द महसूस नहीं हुआ तो उसने राहत की सास ली उसे समझ आया की वो बस खुली आंखों से सपने देख रहा था। 

"कही मुझे खुली आंखों से सपने देखने की बीमारी तो नही लग गई,,,फिर तो शुक्र है भगवान का क्युकी असलियत में आशना के थप्पड़ के सामने जिंदा खड़े रहने की मेरी औकात नहीं" कृषभ मन में बड़बड़ा रहा था तो वही सभी उसे ही नासमझी से घूर रहे थे।

"क्या,,,? क्या कुछ कहा तुमने,,,??" आशना गुर्राते हुए कृषभ की तरफ रुख कर बोली। 

कृषभ हड़ाबड़ाते हुए "न,,,न नही तो,,,(फिर सबकी ओर गुस्से से देख सख्ती से ) तुम लोगों को अकल वकल नही है क्या जो ये चैनल लगा दिया मिशन पर ध्यान दो ये न्यूज बियूज देखने में टाइम पास मत करो जाओ अपना अपना काम करो" 

सभी उसे घूरते हुए मन में "उल्टा चोर कोतवाल को डांटे" ऐसे ही कृषभ को कोसते हुए चले जाते है। 
क्युकी TV ऑन होते ही न्यूज चैनल दिखाने लगा और सभी उसे देखने में लग गए  और टीवी ऑन करने वाला महाशय कृषभ ही था।

कृषभ भी उन्हे आखें दिखाया जैसे कह रहा हो "अपनी चोंच बंद रखना वरना दाना चुंगने के लिए नही बचेगा" ये धमकी शायद सिर्फ दोनो बडबोलो के लिए था और सभी समझ गए थे।

आशना कुछ सोचते हुए खड़ी थी तो कृषभ जम्हाई लेते हुए बोला "चलो काम समाप्त तो नींद भी समाप्त कर लेता हू" 
कृषभ जानबूझकर बोला था क्युकी उसे पता हैं की आशना कब किस बात पर उस पर ध्यान देती हैं।

आशना आराम से सोफे पे बैठ कर "आखें बंद मत करना यहां खोल नहीं पाओगे " 

"तो फिर कहा खोलूंगा?" कृषभ ना समझी से सर खुजाते हुए बोला।
"सीधा यमलोक में खोलना इडियट" आशना गुस्से से दात पिस्ते हुए बोली।

कृषभ ध्यान न देते हुए "हा चलो ठीक ह,,, (समझते ही) क्य,,,क्या बकवास कर रही" 

"मै नही कर रही,,,बल्कि तुम्हारे किए बकवास का जवाब दी हु,,,और काम खत्म नहीं हुआ है अभी ये बात तुम भी अच्छे से जानते हो जानबुजके बकवास मत करो" आशना बोली तो कृषभ मुस्कुरा दिया और बोला "बहुत अच्छे से जानने लगी हो  मुझे" 

"जानने का तो पता नहीं पर पकने जरूर लगी हु तुम्हारी बकवास से प्लीज इसे कंट्रोल में रखो" आशना आखें छोटी कर उसे घूरते हुए बोली। तो कृषभ बच्चे की तरह मुंह बनाए खड़ा उसे घुर रहा था।

तो आशना भौंहे उठा "ये बंदर की तरह मुंह क्या बना रहे ? अपना मुंह ठिक करो तो एक बात बोलूं?" 

"तुम्हे कब से पूछने की जरूरत पड़ गई बोलो बोलो क्या बोलना चाहती हो???" कृषभ को लगा वो उसके बारे में कुछ अच्छा बोलने वाली है इसलिए चहकते हुए अपने अरमान सजाने लगा। तभी

"अगर आज के बेज्जती का कोटा पूरा हुआ हो तो जाकर अपना काम शुरू करो" आशना बेपरवाही से बोली बिचारे  कृषभ के अरमान की तो नैय्या ही डूब गई। 

"इस जन्म में नही होगा और भगवान की मर्जी हो तो किसी जन्म में ना हो" कृषभ भुनभुनाया तो 

आशना उसके पास जाकर आखें ततेर कर घुरी "क्या कहा? फिर से कहो?" 

अब क्या कहेगा कृषभ ? कही फिर पिट तो नही जाएगा आशना के हाथों?🤪🤣 जानने के लिए बने रहे स्टोरी के साथ 🙏🙏🤗