Why is only the wife in the dock? in Hindi Moral Stories by archana books and stories PDF | पत्नी ही क्यों कटघरे में?

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पत्नी ही क्यों कटघरे में?


“मैं यह किताब क्यों लिख रही हूँ…”

आज के सोशल मीडिया के दौर में, जहाँ एक रील, एक पोस्ट, या एक ट्रेंड पूरे समाज की सोच बदल देता है—मैंने एक बात बड़ी गहराई से महसूस की है।
पत्नी और प्रेमिका की तुलना अब मनोरंजन का साधन बन चुकी है।
किसी को ऊँचा दिखाने के लिए किसी को नीचा दिखाना कितना आसान हो गया है।

अक्सर प्रेमिका को निस्वार्थ प्रेम का प्रतीक बताया जाता है,
और पत्नी को “समझौते से बंधी” या “स्वार्थी” कहकर जज कर दिया जाता है।
लेकिन मैं जानती हूँ—
यह सच नहीं है।
और शायद इसी सच को दुनिया तक पहुँचाने के लिए ही
मैं यह किताब लिख रही हूँ।

मैं लिख रही हूँ… क्योंकि हर पत्नी के त्याग को
आवाज़ मिलनी चाहिए।
उसके अटूट धैर्य, उसकी चुप्पी में छिपे दर्द,
और उसके प्रेम में घुली निस्वार्थता को
कभी किसी ने ठीक से समझने की कोशिश ही नहीं की।

मैं लिख रही हूँ… क्योंकि कई बार पत्नी का त्याग
“कर्तव्य” मानकर भुला दिया जाता है,
जबकि प्रेमिका की एक छोटी-सी कोशिश भी
“निस्वार्थ प्रेम” कहकर महिमामंडित कर दी जाती है।

मैं लिख रही हूँ… क्योंकि मैं देखती हूँ
कि समाज प्यार की सतह को देखता है,
गहराई को नहीं।
घर की चारदीवारी में पत्नी जितना सहती है,
जितना समर्पित करती है,
जितनी बार खुद को भूल जाती है—
उसका हिसाब सोशल मीडिया की किसी भी बहस में नहीं किया जाता।

मैं लिख रही हूँ… क्योंकि मुझे लगता है
पत्नी सिर्फ एक रिश्ता नहीं, एक नींव होती है।
वह वह धागा है जो परिवार को बाँध कर रखता है।
उसकी मुस्कान घर की रोशनी,
और उसका मौन सबसे बड़ा त्याग होता है।

इस किताब में मैं उन सभी पहलुओं को खोलकर लिखूँगी—
• पत्नी और प्रेमिका के प्रेम में क्या फर्क होता है
• समाज कैसे गलत तरीके से तुलना करता है
• एक पत्नी किन त्यागों से अपना घर बचाती है
• और क्यों उसका प्रेम अक्सर सबसे गहरा, सबसे सच्चा होता है।

यह किताब किसी को गिराने के लिए नहीं—
बल्कि एक ऐसी सच्चाई को सामने लाने के लिए है
जिसे वर्षों से अनदेखा किया गया है।

यह किताब मैं उन सभी पत्नियों को समर्पित करते हुए लिख रही हूँ
जो अपने दिल के दर्द को छुपा कर
दूसरों की खुशी को अपना धर्म समझती हैं।

मैं लिख रही हूँ…
क्योंकि पत्नी का प्रेम, पत्नी का त्याग, और पत्नी का धैर्य—
सम्मान का हकदार है।




समय बदल रहा है… रिश्तों की परिभाषाएँ भी बदल रही हैं।
आज सोशल मीडिया पर एक अजीब-सी तुलना आम हो गई है—
पत्नी बनाम प्रेमिका।
कौन ज़्यादा निस्वार्थ? कौन ज़्यादा प्रेम करती है?
कौन साथ छोड़ देती है, और कौन संघर्ष में साथ निभाती है?

इन सवालों के जवाब अक्सर सतह पर दिए जाते हैं—
भावनाओं की गहराई को समझे बिना।
इसी गलतफ़हमी को मिटाने, और रिश्तों की असली परतों को उजागर करने के लिए
मैंने यह किताब लिखने का निर्णय लिया है।


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पत्नी: एक अनदेखा त्याग, एक मौन प्रेम

अक्सर लोग कहते हैं—
“पत्नी तो घर-ज़मीन देखकर शादी करती है।”
लेकिन यह सोच, रिश्ते की सच्चाई को छू भी नहीं पाती।

पत्नी का प्रेम केवल रोमांस नहीं होता,
वह एक पूरा जीवन होता है—
जिसमें त्याग है, कर्तव्य है, संघर्ष है और गहरा, शांत प्रेम।

वह घर की नींव होती है।
खुद टूटकर भी घर को जोड़े रखती है।
उसे कई बार सम्मान नहीं मिलता,
इल्ज़ाम मिलते हैं, ताने मिलते हैं,
और सबसे दर्दनाक—
पति का प्रेम भी नहीं मिलता।

फिर भी…
वह टूटी हुई हिम्मत से नहीं, बल्कि समर्पण से
रिश्ते को निभाती है।
उसका साथ केवल अच्छे दिनों में नहीं होता—
बुरे समय में भी वही सबसे पहले कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी होती है।