last try in Hindi Motivational Stories by Akash Singh books and stories PDF | आख़िरी कोशिश

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आख़िरी कोशिश

रवि पिछले छह महीनों से नौकरी की तलाश में था। हर सुबह वह उम्मीद लेकर निकलता और शाम को थकान, निराशा और खाली जेब लेकर लौटता। घर की हालत खराब थी। पिता की दवाई, बहन की पढ़ाई… सब पर खर्च बढ़ रहा था।
कई बार उसे लगता —
"शायद मैं ही काबिल नहीं हूँ।"

एक शाम इंटरव्यू से लौटते समय उसके मोबाइल पर ईमेल आया —
"We are sorry, you are not selected."
रवि को लगा जैसे किसी ने उसके सपनों पर पत्थर गिरा दिए हों।

थककर वह एक पुरानी, सुनसान सड़क पर बैठ गया। हवा हल्की थी, लेकिन मन भारी। वह बस यही सोच रहा था कि शायद अब कोशिश करने का कोई मतलब नहीं बचा।

तभी पीछे से किसी के पैरों की धीमी आवाज आई।
रवि ने देखा — एक बूढ़ा आदमी, लगभग 65–70 साल का, अपनी पुरानी साइकिल को धकेल रहा था। टायर पंचर था, लेकिन आदमी के चेहरे पर शांति की एक अजीब चमक थी।

रवि ने पूछा,
“बाबा, ये सब कैसे कर लेते हो? थकते नहीं हो?”

बूढ़ा मुस्कुराया और बोला,
“थकता तो हर इंसान है बेटा… लेकिन काम आधा छोड़ देने से जो थकान होती है, वो किसी ताकतवर आदमी को भी गिरा देती है।”

रवि कुछ समझ नहीं पाया।
“लेकिन बाबा, अगर रास्ता ही गलत हो, तो चलने का क्या फायदा?”

बूढ़ा अपनी साइकिल रोककर बोला—
“गलत रास्ता भी सही मंज़िल तक ले जाता है, बस आदमी का चलना बंद नहीं होना चाहिए।
पता है क्यों?
क्योंकि चलने वाला इंसान किसी न किसी मोड़ पर अपना सही रास्ता ढूँढ ही लेता है।”

ये सुनकर रवि कुछ देर चुप रहा।
उसे लगा जैसे किसी ने उसकी आत्मा को हिला दिया हो।

बूढ़ा आगे कहने लगा—
“तुम्हें पता है बेटा… मैं पहले स्कूल में मास्टर था।
बच्चों को पढ़ाता था।
लेकिन एक दिन स्कूल बंद हो गया। उम्र हो गई थी, कोई दूसरी नौकरी भी नहीं मिली।
लोग बोले — ‘अब आराम कर लो।’
लेकिन मैंने सोचा…
जब तक साँस है, तब तक प्रयास है।
अब यही साइकिल लेकर दूध पहुँचाता हूँ।
कभी थक जाता हूँ, तो रुक जाता हूँ,
लेकिन चलता ज़रूर हूँ।
क्योंकि रुक जाऊँ… तो हार जाऊँ।”

रवि ने महसूस किया कि वह इतना निराश क्यों हो गया था।
उससे ज्यादा हिम्मत तो इस बूढ़े में है, जो उम्र और मुश्किलों के बावजूद भी मुस्कुरा रहा है।

बूढ़ा रवि की आँखों में देखते हुए बोला—
“तुम्हारे अंदर दम है बेटा, पर तुम जल्दी टूट जाते हो।”

रवि ने धीरे से पूछा,
“अगर हर बार असफलता मिले तो क्या करें?”

बूढ़ा हँस पड़ा—
“अगली बार एक बार और कोशिश करो।
क्योंकि बेटा, जीत बहुत जिद्दी चीज़ है…
वो बार-बार हारने वालों को ही मिलती है,
लेकिन उनको जो आख़िरी बार भी पूरी ताकत से कोशिश करते हैं।”

रवि को लगा जैसे उसके भीतर कोई आग फिर से जल उठी हो।
उसने बाबा को साइकिल सीधी करने में मदद की और उन्हें देखता रहा जब तक वे सड़क के ढलान पर गायब नहीं हो गए।

उस रात रवि ने अपने आप से एक वादा किया—
“कल फिर कोशिश करूँगा… इस बार रुकूँगा नहीं।”

अगली सुबह रवि उठते ही नए इंटरव्यू के लिए तैयार हो गया।
इस बार उसने डर को नहीं, विश्वास को साथ लिया।
जब इंटरव्यू में उससे पूछा गया —
“आपको सबसे बड़ी ताकत क्या है?”
रवि ने पहली बार पूरे आत्मविश्वास से कहा—
“मैं हार नहीं मानता। मैं एक बार और कोशिश करता हूँ।”

उसका जवाब सुनकर इंटरव्यूअर मुस्कुराया।
कुछ देर बाद रवि को मेल आया —
"Congratulations! You are selected."

रवि की आँखों में आँसू आ गए।
उसने आसमान की ओर देख कर मन ही मन कहा—
“धन्यवाद बाबा… आपकी बातों ने मुझे फिर से जिंदा कर दिया।”

रवि ने उस दिन एक बात हमेशा के लिए सीख ली—

⭐ **“जब तक तुम टूटकर गिर नहीं जाते, तब तक दुनिया ये मानती है कि तुम जीत सकते हो…

और जिस दिन तुम आख़िरी बार हिम्मत से कोशिश करते हो, नतीजे उसी दिन बदलते हैं।”**