Sin in the stomach in Hindi Adventure Stories by archana books and stories PDF | पेट में पाप

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पेट में पाप

एपिसोड 1 — “कैलाश से कलियुग तक 


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कैलाश पर्वत पर हल्की धूप तिरछी पड़ रही थी। चारों तरफ़ बर्फ़ जैसे दूध के सफ़ेद फाहे… और हवा में “ॐ नमः शिवाय” का शांत कंपन।
उसी दिव्यता के बीच खड़ी थीं — अशोक सुंदरी, भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री।

वो शांत थीं… पर मन में उतावलापन छिपा नहीं पा रही थीं।


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🔱 अशोक सुंदरी का निर्णय

अशोक सुंदरी धीरे से बोलीं—
“पिताजी… मैं पृथ्वी पर जाना चाहती हूँ।
कलियुग को समझना है।
पहले ब्राह्मण का जीवन, फिर इंसान का जीवन…
तभी जान पाऊँगी कि वहाँ धर्म और पाप कैसे बदल गए हैं।”

भोलेनाथ ने गहरी सांस ली।
उनकी आवाज़ हमेशा की तरह धीमी… पर ब्रह्मांड जितनी गहरी—

“पृथ्वी पर गई, तो तुम्हारी शक्तियाँ कम होंगी, पुत्री।
तुम्हें इंसानों का दर्द… उनकी कमज़ोरियाँ…
सब अपनी आँखों से देखना होगा।
और याद रखना —
शक्ति तभी काम करेगी…
जब तुम्हारा इरादा किसी इंसान की मदद करना होगा।”

माता पार्वती ने हाथ सिर पर रखा।
“पृथ्वी पर अच्छाई और बुराई की रेखाएँ बहुत धुंधली हैं, पुत्री।
सिर्फ़ देखना नहीं… समझना भी।”

अशोक सुंदरी ने सिर झुकाकर वचन दिया—
“मैं सीखने जा रही हूँ, माताजी…
इस यात्रा का पहला कदम — ब्राह्मण जीवन का अनुभव होगा।”

अगले ही क्षण, आसमान में शंखनाद गूंजा…
और एक दिव्य रोशनी पृथ्वी की ओर बढ़ चली।


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🌍 दिल्ली — नए जन्म का पहला पड़ाव

रोशनी जब धरती को छुई…
तो दिल्ली के बाहरी इलाके में एक भव्य बंगले के सामने एक नई स्त्री खड़ी थी।

नाम — विधि चौहान
चेहरा शांत… पर आँखों में गहरा तेज़।

बद्री बाबू, घर के पुराने कर्मचारी, घबराए हुए बोले—
“मैडम, ये इलाका रात में सुरक्षित नहीं रहता।
नशे में लोग… लड़ाई-झगड़ा… सब चलता रहता है।”

विधि बस हल्की मुस्कान के साथ बोलीं—
“जहाँ अंधेरा ज़्यादा हो…
वहीं दीपक जलाना सबसे ज़रूरी होता है।”

बद्री समझ नहीं पाए…
पर उनकी आवाज़ में एक ऐसी शक्ति थी, जिसे अनदेखा करना असंभव था।


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🥂 उद्योगपतियों की पार्टी — एक नई पहचान

उस रात बंगले में भव्य पार्टी थी।
दिल्ली के बड़े नाम, विदेशी मेहमान, राजनीतिक चेहरे…
सबकी निगाहें सिर्फ़ विधि चौहान पर अटक रही थीं।

दिनेश बंसल ने मुस्कुराकर हाथ बढ़ाया—
“आपकी कंपनी का नाम अब भारत में भी मशहूर है, मैडम।
आपका यहाँ आना हमारे लिए सौभाग्य है।”

विधि का जवाब छोटा, पर भारी था—
“नाम और धन कमाए जा सकते हैं…
लेकिन असली बात है काम का असर।”

उनके शब्दों में कोई दिखावा नहीं…
सच्चाई थी — और एक रहस्य भी।
🌃 बालकनी में खड़ी 'अवतार'

पार्टी से थोड़ा दूर, विधि बालकनी में खड़ी थीं।
नीचे सड़कें दिख रही थीं…
झगड़े, नशा, भीड़ —
हर तरफ़ इंसानियत टूटती हुई।

बद्री बाबू धीरे-से बोले—
“मैडम… ये सब देखना मन खराब कर देता है।”

विधि ने रात के आसमान को देखते हुए कहा—
“यही वजह है कि मैं यहाँ हूँ, बद्री।
जो दिखता नहीं… वही सबसे ज़्यादा सड़ता है।
और जहाँ दर्द है…
वही मेरा कर्तव्य शुरू होता है।”


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👶 करुणा का पहला क्षण

अचानक सड़क पर रोने की तेज आवाज़ आई।

एक औरत… गोद में बच्चा…
और उसके आसपास खड़ी बेपरवाह भीड़।

विधि तुरंत नीचे उतरीं।
अजनबी होने के बावजूद…
भीड़ खुद-ब-खुद रास्ता छोड़ती चली गई।

बद्री हड़बड़ाए—
“मैडम… ये लोग अच्छे नहीं होते!”

विधि शांत थीं—
“बुराई डर से बढ़ती है, बद्री…
पर एक हाथ बढ़ाने से कई जिंदगियाँ सुधर सकती हैं।”

भीड़ में फुसफुसाहट उठी—
“इतनी शांत… इतनी सुंदर…
कहीं ये इंसान तो नहीं लगती…”

पर विधि बस मुस्कुराईं।
उनकी आँखों की चमक बता रही थी —
ये तो शुरुआत है।


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🔚 एपिसोड 1 समाप्त

विधि चौहान जानती हैं —
पृथ्वी पाप से भारी हो चुकी है।
अब उनका हर कदम…
हर निर्णय…
कलियुग के किसी नए रहस्य पर से पर्दा हटाएगा।