Do Dil Kaise Milenge - 41 in Hindi Love Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दो दिल कैसे मिलेंगे - 41

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दो दिल कैसे मिलेंगे - 41

आखिरकार वो वापस आगई " 

" कौन वापस आ गई प्राक्षिरोध?.. "

प्राक्षिरोध हॅसते हुए कहता है.. " पिताजी जीवंत मणि की शक्तियां जिसने प्राप्त की थी, वो लौट आई है, मेरे हाथों मरने के बाद अब उसका पुनर्जन्म हुए क्युकी मैं जीवंत मणि की शक्तियों के जाग्रत होने का अहसास महसूस कर रहा हूँ, इस बार मैं वो मणि लेकर हीं रहूँगा " 

एकांक्षी के बेहोश होने के बाद माणिक वापस विक्रम के रूप में आगया था क्युकी उसे अहसास हो गया था की अधिराज वहाँ आ चुका है, अधिराज जैसे हीं वहाँ पहुँचता है, तानिया को देखकर हैरानी भरी नज़रो से देखता है तो वही तानिया भी उसे सवालिया नज़रो से देख रही थी ... अधिराज उसके पास जाकर पूछता है " तुम यहां क्या रही हो?. " तानिया कुछ कहती उससे पहले हीं शिवि उसके पास पहुँचती है औऱ कहती है.. " महारानी जी " अधिराज जोकि आद्रीक वाले लुक में था उसे देखकर कहता है " तो तुम हो माद्रीका " अपना नाम सुनने के बाद तान्या कहती है " तो आप है अधिराज ," अधिराज हां में सिर हिलाकर कहता है.. " बताओ क्या जरुरी बात है " तान्या उसे अंदर की तरफ इशारा करके कहती है.. " एकांक्षी किसी खतरे में है " अधिराज गुस्से में चिल्लाते हुए कहता है. " तो तुम यहां खड़ी होकर तमासा देख रही हो " तान्या झिल्लाते हुए कहती है.. " मैं अगर सुरक्षा कवच तोडना जानती तो तुम्हे यहां कभी नहीं बुलाती  " अधिराज सवालिया नज़रो से उसे देखकर पूछता है.. " कैसा सुरक्षा कवच?.. " तान्या उसे अबतक की सारी बात बताती है, जिसे सुनकर अधिराज कहता है.. " आखिर एक साधारण से इंसान में इतनी शक्ति नहीं हो सकती है , कही वो प्राक्षिरोध तो नहीं " तान्या उसे डाटते हुए कहती है.. " कैसी बात कर रहे हो, अगर वो प्राक्षिरोध होता तो क्या एकांक्षी अबतक जिन्दा रहती " अधिराज उसकी बातों पर सहमति जताते हुए आगे बढ़कर माणिक का सुरक्षा कवच तोड़कर तान्या के साथ अंदर पहुँचता है, लेकिन अधिराज वही पिलर के पीछे छिप गया, जहाँ विक्रम बेंच पर बैठी एकांक्षी को पानी पिला रहा था, एकांक्षी अब होश में थी, तान्या उसके पास जाकर विक्रम को हटाते हुए कहती है.. " एकांक्षी क्या हुए तुझे,?  तू ठीक है न?.. कही फिरसे इसने कुछ " एकांक्षी उसकी बातों को काटते हुए शांत आवाज में कहती है " नहीं तान्या , मैं बिलकुल ठीक हूँ , वो तो बस थोड़ा चक्कर आगया था, तो विक्रम ने हेल्प की है, अब ये पहले की तरह नहीं है " तान्या उसे घूरकर देखते हुए कहती है.. " ये कैसा है, ये मैं जानती हूँ , " औऱ एकांक्षी से कहती है  " तू यहां रुक मैं जरा इससे कुछ बात करना चाहती हूँ अकेले में  " एकांक्षी हा कहती है तान्या विक्रम को एकांक्षी से दूर ले जाती है, आद्रीक जोकि अधिराज था उसके पीछे पीछे जाता है, 

तान्या दांतो को भींचते हुए कहती है... " तुम कौन हो औऱ एकांक्षी को यहां क्यू लाये थे?.. " विक्रम हॅसते हुए कहता है.. " तुम नहीं जान पाओगी, मैं कौन हूँ. " 

तभी उसे एक पंच लगता है...

मैं जानना चाहता हूँ लेकिन "