Do Dil Kaise Milenge - 40 in Hindi Love Stories by Pooja Singh books and stories PDF | दो दिल कैसे मिलेंगे - 40

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दो दिल कैसे मिलेंगे - 40

विक्रम उसे हैरानी भरी नज़रो से देखते हुए पूछता है.. मतलब.. " एकांक्षी चिल्लाते हुए पुछती है.. " मतलब तुम मेरे पुनर्जन्म के बारे में जानते हो क्या तुम हीं हो अधिराज.?.. " विक्रम घरबराते हुए कहता है " नहीं नहीं, मैं अधिराज नहीं हूँ " एकांक्षी उसे घूरते हुए कहती है " फिर कौन हो?.. "विक्रम कहता है " मैं पंचमणि का राजकुमार माणिक हूँ " एकांक्षी सोचते हुए कहती है.. " हा याद आया, युवराज माणिक " एकांक्षी हाथों को बांधते हुए कहती है " अगर तुम युवराज मणिक हो तो उस रात मुझे जबरदस्ती उस होटल में क्यू ले गए, " माणिक अपनी सफाई देते हुए कहता है " वो मैं नहीं था,  ये शरीर मेरा नहीं है, इस विक्रम का है जिसे मैंने अपने कब्जे में किया है , जब पंचमणि में प्राक्षिरोध ने हमारे राज्य पर हमला किया था, उसके बाद मैंने सब कुछ खो दिया था, अपनी पिता को, राज्य को औऱ यहां तक की अपने शरीर को, मैं पुरे पचीस सालो तक बिना शरीर के भटकता, सिर्फ तुम्हे पाने की उम्मीद में, तब एक दिन मुझे पता चला की तुम वापस आ चुकी हो , इसलिए में तुमसे मिलने के लिये पहली बार इंसानी दुनिया में पंहुचा था तब मैंने देखा ये विक्रम तुम्हारे साथ कुछ गलत करने वाला था, पर अफ़सोस मैं कुछ नहीं कर सकता था, लेकिन तुमने किया, ज़ब विक्रम तुम्हारे पास आया तब तुम्हारे अंदर समाई जीवंत मणि ने तुम्हारी रक्षा की, उसी शक्ति के जरिये विक्रम हमेशा के लिये मर चुका था, तब हीं मैंने इसके शरीर पर अपना कब्जा किया, क्युकी हम सरपी जीव को सौ साल के बाद हीं नया शरीर मिलता है, लेकिन तुमसे इतने लम्बे समय तक दूर नहीं रहा सकता था इसलिए मुझे ऐसा करना पड़ा, मुझे माफ़ करना "

एकांक्षी उसकी बातों को बहुत ध्यान से सुन रही थी जिसे सुनकर वो कहती है " युवराज माणिक तुमने मेरा बहुत साथ दिया था यहां तक मुझे अधिराज के बारे में भी बताया था पर मैं नहीं समझी हर बार मेरी मदद की थी इसलिए मैं प्रेसक से कहती हूँ वो युवराज माणिक को उनकी शक्तियां, राज्य औऱ शरीर दोबारा मिल जाये.. "एकांक्षी के इतना कहते हीं उसके शरीर से सतरंगी रौशनी बाहर निकलती है औऱ छोटे बोन राजा का रूप ले लेती है..एकांक्षी उसे देखकर कहती है " प्रेशक जी जो मैंने कहाँ है उसे पूरा करे " एकांक्षी के इतना कहते हीं प्रेषक कहते है.. " जो आज्ञा " प्रेषक आंखे बंद करके कुछ बड़बड़ाते हुए अपने हाथों को माणिक की तरफ करते है औऱ तुरंत एक नीले रंग की रौशनी विक्रम के शरीर में समा गई, अब माणिक को अपना शरीर फिर मिल गया औऱ विक्रम हमेशा के लिये खत्म हो गया, एकांक्षी मुस्कुराते हुए कहती है " माणिक अब तुम्हे अपनी सारी शक्तियां औऱ शरीर मिल चुका है, अब तुम्हे किसी को परेशान करने की जरुरत नहीं पड़ेगी " एकांक्षी के इतना कहते हीं प्रेषक उसके शरीर में समा गया औऱ एकांक्षी वही बेहोश होकर गिर गई..

तो वही पक्षीलोक में क्रूर हसीं हॅसते हुए कोई कहता है " आखिरकार वो वापस आगई "