पति-पत्नी और वो — भाग 2
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अध्याय 7 छुपाया हुआ सच
सुबह की रोशनी परदों से छनकर कमरे में फैल रही थी। रानी अभी भी गहरी नींद में थी, लेकिन उसकी पलकों की हल्की फड़फड़ाहट बताती थी कि रात उसने चैन से नहीं गुज़ारी। समीर उसके पास बैठा था, उसके हाथों को अपने हाथों में थामे हुए। उसके चेहरे पर असमंजस, दर्द और मजबूरी का मिला-जुला रंग उभर रहा था।
समीर ने धीरे से कहा:
समीर: "रानी… सुनो। मुझे तुमसे एक बात करनी है।"
रानी आधी नींद में ही मुस्कुराई और बोली:
रानी: "क्या हुआ समीर? ऐसे सुबह-सुबह इतना सीरियस क्यों दिख रहे हो?"
समीर ने उसके बाल सहलाए, लेकिन दिल के भीतर एक तूफ़ान मचल रहा था।
समीर: "मैंने बहुत सोचा रानी… बहुत। रातभर सो नहीं पाया।"
रानी की नींद एक झटके में टूट गई। वह थोड़ा उठकर बैठ गई और समीर का चेहरा देखती रही।
रानी: "क्यों? क्या बात है? डॉक्टर ने कुछ कहा क्या?"
समीर ने उसकी आँखों में सीधे देखते हुए कहा:
समीर: "रानी… अगर हम बच्चे नहीं कर सकते… तो इसका मतलब ये नहीं कि हम माँ-बाप नहीं बन सकते। दुनिया में बहुत बच्चे हैं जिनको घर की ज़रूरत है। हम किसी बच्चे को अडॉप्ट कर सकते हैं।"
रानी का चेहरा एक पल को काला पड़ गया, लेकिन वह मुस्कुरा दी—एक मजबूर लेकिन प्यार भरी मुस्कान।
रानी: "क्या तुम्हें सच में मुझसे कोई शिकायत नहीं है? मैं… मैं माँ नहीं बन सकती…"
वह बोलते-बोलते रो पड़ी।
समीर ने उसे अपनी बाँहों में भर लिया।
समीर: "रानी, तुम मेरी पत्नी हो। मेरा सबकुछ। बच्चा हमारा सपना था, और हम उसे किसी भी तरह पूरा कर सकते हैं। तुम बस मुस्कुराती रहो। बस यही चाहिए मुझे।"
रानी उसके सीने से लगी रही, उसकी आँखों से आँसू बहते रहे, लेकिन मन कुछ हल्का हो गया था।
उसे नहीं पता था कि इस मुस्कान के पीछे कितनी बड़ी आंधी छुपी है।
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अध्याय 8 — प्रिया की नई जिंदगी
दूसरी शाखा का छोटा-सा ऑफिस… लेकिन आजकल प्रिया अपनी मेज पर दिखाई नहीं देती थी। गर्भ के छठवें महीने में वह घर से ही काम कर रही थी। समीर ने खुद उसे वर्क-फ्रॉम-होम दिया था—बिना किसी को बताए।
उस छोटे से फ्लैट में एक शांति थी… जो कभी-कभी डर जैसी लगती थी।
प्रिया सुबह खिड़की के पास बैठी थी, दोनों हाथ अपने पेट पर टिकाए हुए।
प्रिया (धीरे से): "तू तो अभी भी नहीं समझ पाएगा न… कि तेरी माँ कैसी उलझी हुई है…"
अचानक दरवाज़े पर हल्की दस्तक हुई।
प्रिया ने उठकर दरवाज़ा खोला। सामने समीर खड़ा था—हमेशा की तरह सामान लेकर। खाना, दवाइयाँ, रिपोर्ट की फाइलें… सब कुछ।
समीर: "कैसी हो? डॉक्टर ने कहा था तकलीफ़ कम होगी। पेट में दर्द तो नहीं?"
प्रिया ने हल्की मुस्कान दी।
प्रिया: "तकलीफ़ तो चल रही है… पर चलो, यह भी एक सफर है। अंदर आओ।"
समीर अंदर आया और टेबल पर सामान रखकर बैठ गया।
समीर: "मैंने रिपोर्ट्स सब देख ली हैं। बच्चा बिल्कुल ठीक है। तुम भी ठीक हो। बस दवाएँ मिस मत किया करो।"
प्रिया ने उसे एक पल देखा… जैसे कोई अनकही बात उसके गले में अटक गई हो।
प्रिया: "समीर… कभी-कभी लगता है कि… यह बच्चा मेरे लिए नहीं है।"
समीर थोड़ा चौंक गया।
समीर: "ऐसा क्यों कह रही हो?"
प्रिया: "क्योंकि… क्योंकि जो हमारा रिश्ता था… वो कोई रिश्ता था ही नहीं। एक इत्तेफ़ाक था। गलती थी। हालात थे। और यह बच्चा… इन सबका नतीजा।"
समीर कुछ कह नहीं पाया।
प्रिया (धीरे से): "काश यह बच्चा किसी और के प्यार का होता… किसी ऐसी कहानी का हिस्सा जिसे लोग सुंदर कहते हैं।"
समीर ने साँस भारी ली।
समीर: "मैंने तुमसे कहा था… इस रिश्ते में प्यार ढूँढने की कोशिश मत करना।"
प्रिया ने सिर झुका लिया। उसने वह दीवार फिर से खड़ी होते महसूस की… जो वह तोड़ नहीं सकती थी।
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अध्याय 9 — समीर का फैसला
कुछ दिन बाद…
प्रिया ने समीर को मिलने बुलाया था, लेकिन वह खुद उससे मिलने आ गया।
कमरा शांत था। सिर्फ घड़ी की टिक-टिक गूंज रही थी।
समीर उसकी तरफ बैठा और सीधे मुद्दे पर आ गया।
समीर: "प्रिया… आज मैं एक बड़ा फैसला लेकर आया हूँ।"
प्रिया ने उसकी आँखों में देखा—डरी, जिज्ञासु, लेकिन शांत।
प्रिया: "कहो समीर।"
समीर ने लंबी साँस ली।
समीर: "रानी और मैं बच्चा चाहते हैं… और तुम माँ बनने वाली हो। अगर तुम चाहो… तो यह बच्चा हम अडॉप्ट कर लें।"
प्रिया का चेहरा जड़ हो गया।
समीर आगे बोला:
समीर: "तुम अपनी जिंदगी में आगे बढ़ सकती हो। हम दोनों को एक नया रास्ता मिल जाएगा। और यह बच्चा… वह घर पाएगा जहाँ उसे हर प्यार मिलेगा।"
कुछ देर तक प्रिया सिर्फ उसकी आवाज़ सुनती रही।
फिर उसने बहुत धीमे कहा:
प्रिया: "अगर मैं मना कर दूँ तो?"
समीर चौंका। यह सवाल उसने सोचा नहीं था।
समीर: "तो मैं… मैं तुम्हें मजबूर नहीं करूँगा।"
प्रिया ने धीरे से पेट पर हाथ रखा।
प्रिया: "समीर… यह बच्चा सिर्फ तुम्हारा नहीं… मेरा भी है। मेरी गलती भी, मेरा हिस्सा भी… लेकिन…"
वह रो पड़ी।
प्रिया: "अगर यह बच्चा रानी को माँ बना सकता है… अगर उसके जीवन में रोशनी ला सकता है… तो मुझे मंजूर है।"
समीर की साँस अटक गई।
प्रिया: "हाँ समीर। यह बच्चा तुम्हारा ही रहेगा।"
समीर एक पल को शांत रहा, फिर बोला:
समीर: "और एक आखिरी बात… हमारे बीच सिर्फ सम्मान रहेगा। प्यार नहीं। हमारे रास्ते यहाँ तक थे।"
प्रिया ने सिर झुका लिया। उसके चेहरे पर दर्द भी था… और शांति भी।
प्रिया: "ठीक है… मैं समझ गई।"