Pati Patni Our Vo - 1 in Hindi Film Reviews by Raj Phulware books and stories PDF | पती पत्नी और वो - भाग 1

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पती पत्नी और वो - भाग 1

पति-पत्नी और वो भाग 1

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प्रस्तावना

ज़िंदगी में सबसे कठिन लड़ाई अक्सर अपने ही लोगों से होती है। प्यार, भरोसा, शक और इंसानियत — इन चारों की टकराहट जब एक ही रिश्ते में हो, तो कहानी सीधी नहीं रहती… उलझ जाती है।

समीर, रानी और प्रिया की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी। एक ऐसी कहानी, जिसमें किसी का इरादा गलत नहीं था… लेकिन हालात गलत हो गए।


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अध्याय 1 — समीर की नई ज़िंदगी

समीर ने आखिरकार अपने पैरों पर खड़े होकर जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू किया। अच्छी नौकरी, बढ़िया सैलरी और जिम्मेदार स्वभाव—इन्हीं सब की वजह से उसके परिवार ने उसकी शादी तय कर दी।

उसकी पत्नी का नाम था — रानी।

शादी धूमधाम से हुई। रिश्तेदार, दोस्त, ऑफिस के लोग — सब आए थे। समीर की एक आदत थी कि वह सब से हँस–हँसकर, खुलकर मिलता था। उसे फर्क नहीं पड़ता था कि सामने वाला लड़का है या लड़की।

लेकिन यह बात रानी के मन में एक चुभन छोड़ गई।

शादी की रात

समीर: "रानी, सब लोग गए? चलो, अब थोड़ा आराम करते हैं।"

रानी (भीतर ही भीतर सोचते हुए): "ये हर किसी से इतना घुलता-मिलता क्यों है? लड़कियों से भी… क्या मैं गलत सोच रही हूँ?"

उस रात रानी ने तय किया —

“मैं इसकी ईमानदारी खुद जांचूंगी।”


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अध्याय 2 — रानी का प्लान

शादी को एक हफ्ता भी नहीं हुआ था कि रानी ने अपनी कॉलेज की सबसे करीबी दोस्त प्रिया को फोन किया।

रानी: "प्रिया, मुझे तुम्हारी मदद चाहिए। समीर बहुत अच्छा है… लेकिन मैं पूरी तरह भरोसा नहीं कर पा रही।"

प्रिया: "क्या चाहती हो मैं करूं?"

रानी: "तुम उसके ऑफिस में सेक्रेटरी बनकर जॉइन करो… और कोशिश करो कि उसके करीब जाओ। मैं देखना चाहती हूँ कि वह किस तरह रिऐक्ट करेगा।"

प्रिया पहले हिचकिचाई, लेकिन रानी उसकी बहुत करीबी थी। आखिरकार वह तैयार हो गई।


अध्याय 3 — ऑफिस में नई शुरुआत

प्रिया ने समीर के ऑफिस में अप्लाई किया और रानी की प्लानिंग के मुताबिक वह सेक्रेटरी रख ली गई।

समीर: "आपका रिज्यूमे अच्छा है। कल से जॉइन कर लीजिए।"

प्रिया (मन में): *"ये तो रानी जैसा ही कहती थी… बहुत सिंपल और स्ट्रेटफॉरवर्ड है।"

पहले कुछ दिनों तक प्रिया बस रानी की बताई बातों पर अमल करती रही —

ज्यादा समय समीर के साथ बिताना

उससे पर्सनल सवाल पूछना

उसके आस-पास रहना


लेकिन समीर हर बार शालीनता से, इज्जत से बात करता।

समीर: "प्रिया, काम के अलावा किसी चीज़ पर ध्यान मत दो। मैं चाहता हूँ तुम यहाँ परफॉर्मेंस दो, गॉसिप नहीं।"

प्रिया हैरान थी।

रानी का शक गलत होगा… यह वह सोचने लगी थी।


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अध्याय 4 — कश्मीर की यात्रा

कुछ हफ्तों बाद कंपनी ने समीर को कश्मीर कॉन्फ्रेंस पर भेजा। सेक्रेटरी होने के नाते प्रिया को भी उसके साथ जाना पड़ा।

कश्मीर में बर्फ इतने तेज़ी से गिर रही थी कि तापमान शून्य डिग्री पर पहुंच चुका था।

एक रात प्रिया अचानक बीमार हो गई। शरीर बर्फ जैसा ठंडा। सांस भारी। होंठ नीले।

समीर घबरा गया।

उसे एक स्थानीय व्यक्ति मिला जो दवाइयों की थोड़ी जानकारी रखता था।

स्थानीय आदमी: "साहब, इसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाइए… या फिर… इसके शरीर को गर्मी दीजिए… नहीं तो ये बच नहीं पाएगी।"

समीर: *"मैं… मैं किसी गैर–महिला को कैसे छू—"

लेकिन इंसानियत जीत गई। समीर ने वही किया जो एक इंसान होने के नाते जरूरी था।


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अध्याय 5 — वापस लौटने के बाद

कश्मीर से लौटते समय समीर ने प्रिया से कहा—

समीर: "ये बात घर तक नहीं जानी चाहिए। मैंने सिर्फ आपकी जान बचाई थी। इससे ज्यादा कुछ नहीं।"

प्रिया (धीरे से): "मैं जानती हूँ… और मैं आपसे प्यार करने लगी थी… पर आपने जो किया… उसमें इरादा गलत नहीं था। मैं किसी को नहीं बताऊंगी।"

समीर चुप रहा। उसे अंदाज़ा भी नहीं था कि आने वाला समय उसके लिए तूफ़ान लेकर आएगा।


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अध्याय 6 — बड़ा झटका

दो हफ्ते बाद…

प्रिया की तबियत फिर खराब हुई। टेस्ट कराए गए।

रिपोर्ट में लिखा था —

“प्रेग्नेंट”

प्रिया की दुनिया घुम गई।

उसने तुरंत समीर को फोन किया।

प्रिया (रोते हुए): "समीर… मैं… मैं प्रेग्नेंट हूँ।"

समीर: "ये कैसे…? हम दोनों के बीच तो… बस… उस रात… तुम सच बोल रही हो?"

प्रिया: "मैं झूठ क्यों बोलूंगी?"

समीर की दुनिया जैसे थम गई।

यह बात किसी को पता चल गई तो उसकी शादी, उसकी इज़्ज़त, सब खत्म हो जाएगा।

रानी… उसकी रानी… यह सुनकर टूट जाएगी।