Waah Sahab - 1 in Hindi Fiction Stories by Yogesh patil books and stories PDF | वाह साहब ! - 1

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वाह साहब ! - 1

रात के करीब नौ बजे थे। सड़कें हल्की पीली रोशनी में डूबी हुई थीं और शहर की हवा में सर्दी की नमी घुली थी। विशाल, हल्के नशे में भी अपनी गाड़ी संभालने की पूरी कोशिश कर रहा था। उसकी नज़रें आगे के रास्ते पर थीं, मगर पास की सीट पर बैठी उसकी पत्नी मनु ने उसकी एकाग्रता को जैसे चुनौती दे रखी थी। हंसी और शरारत से भरी मनु , अपने पैरों से विशाल के गालों को हल्के-हल्के छेड़ रही थी। हर बार जब उसका पैर छूता, विशाल की सांसें गहरी हो जातीं और भौंहें सिकुड़ जातीं।

“स्टॉप इट, मनु … जस्ट स्टॉप इट!”

विशाल अचानक झुंझला उठा।

मनु के होंठों की मुस्कान एक पल को ठिठक गई।
वह चुपचाप उसकी ओर देखने लगी जैसे किसी बच्चे को अचानक डांट मिली हो।

“बच्चे की तरह बिहेव मत करो,” 

विशाल ने गहरी सांस लेते हुए कहा।

“मैं ड्राइव कर रहा हूं… मुझे फोकस रहना होगा, वरना हम दोनों मरेंगे।”

कुछ पल के लिए कार में सन्नाटा छा गया। सिर्फ गाड़ी के इंजन की आवाज़ और बाहर बहती ठंडी हवा की सरसराहट थी।

थोड़ी देर बाद, मनु ने धीरे से अपनी आंखें झुका लीं, फिर मुस्कुराई, वही पुरानी मनमोहक मुस्कान और एकदम से विशाल के गालों को बार-बार चूमने लगी।

“मनु …”
विशाल फिर से चिल्ला उठा, पर इस बार उसकी आवाज़ में गुस्सा कम और प्यार ज़्यादा था। वह मुस्कुरा दिया, मगर नज़रें अब भी सामने की सड़क पर थीं।

थोड़ी देर बाद गाड़ी उनके बंगले के गेट पर आकर रुकी। विशाल ने हॉर्न दबाया गार्ड भागता हुआ बाहर आया और गेट खोलते हुए झट से सलाम ठोका।

“कहां मर गया था तू?”

विशाल ने हल्की झुंझलाहट में पूछा।

“पानी पीने गया था, साहब,” गार्ड बोला।

गाड़ी अंदर घुसते ही बंगले की लाइटें अपने आप जल उठीं।
सीढ़ियों पर लगे लैंपों की रोशनी में मनु का चेहरा और भी चमकने लगा था। वह मुस्कुराई, जैसे सब कुछ ठीक हो गया हो।
विशाल ने गाड़ी पार्क की और एक लंबी सांस ली। फिर उसने मुस्कुराकर कहा,

“चलो मैडम, अब घर आ ही गए हैं, अब थोड़ी शांति रखो।”

“शांति?”

मनु ने हंसते हुए जवाब दिया,

“तुम्हारे साथ रहते हुए वो कैसे मिल सकती है, मिस्टर विशाल ?”

दोनों हंसे, और वही हंसी उस रात के तनाव को हल्का कर गई।
दरवाज़ा खुला और उनके पीछे धीरे-धीरे रात फिर से सन्नाटे में बदल गई।

जैसे-तैसे विशाल उसे लेकर घर के दरवाज़े तक पहुँचा।
दरवाज़ा खोलते हुए उसने मनु को अपनी बाँहों में थाम रखा था, वो अब भी नशे में थी, मगर उसके चेहरे पर एक अजीब-सी मासूमियत थी।

बेडरूम में पहुँचकर विशाल ने उसे हल्के से बिस्तर पर लिटाया और खुद पानी लेने किचन की ओर चला गया। वह जैसे ही बाहर निकला,पीछे से मनु की धीमी, नशे में टूटी-फूटी आवाज़ सुनाई दी,

“विशाल … बेबी… कम हेयर… कम ऑन…”

विशाल ने जवाब नहीं दिया, बस फ्रिज खोला और एक घूंट पानी पिया। मगर मनु का बड़बड़ाना थमा नहीं उसकी आवाज़ में अब एक मीठी खींच थी, जैसे कोई बच्चा ज़िद कर रहा हो।

“कम ऑन विशाल … हग मी…”

कुछ पल तक वह दरवाज़े पर खड़ा बस उसे देखता रहा 
बेड पर पड़ी मनु की बिखरी लटें तकिए पर फैली थीं, और उसके होंठों पर एक मासूम सी मुस्कान थी।

विशाल ने लंबी साँस ली, पानी का गिलास रखकर उसके पास गया। धीरे से उसके चेहरे पर झुका और उसकी बड़बड़ाती हुई ज़ुबान को अपनी उँगलियों से रोक लिया।

 “बस… अब कुछ मत बोलो,” उसने धीमे से कहा।

अगले ही पल विशाल ने उसके होठों को अपने होठों से छू लिया एक लम्हा ठहर-सा गया। मनु की साँसें थम गईं, उसकी आँखें आधी खुली थीं, जिनमें अब नशा नहीं, एक गहराई थी। उसकी हथेलियाँ अनजाने में विशाल के सीने पर टिक गईं उसके स्पर्श ने जैसे विशाल के भीतर छिपी सारी बेचैनी को बाहर ला दिया। वो उसे वैसे चूम रहा था जैसे किसी प्यास ने सदियों बाद पानी देखा हो। उन दोनों के बीच अब कोई शब्द नहीं थे बस साँसों की गर्माहट, एक-दूसरे की धड़कनों की रफ़्तार और उस पल का सुकून जो किसी प्रेम में खोए दो दिलों को ही नसीब होता है।

थोड़ी देर की रंजिश के बाद मनु भी विशाल के होठों में खोने लगी। विशाल की चाहत अब उसके होठों से उतरकर धीरे-धीरे उसकी गर्दन तक आ पहुँची उसके हर स्पर्श में एक अधूरी प्यास थी, जैसे वो अपने इश्क़ का हर कतरा उसकी साँसों में घोल देना चाहता हो। लेकिन तभी, बिना कुछ कहे, मनु ने उसे हल्के से पीछे किया और बिस्तर से उठ गई। विशाल कुछ पल उसे देखता रहा, फिर उसके पीछे-पीछे हॉल तक चला आया।

वहाँ पहुँचकर मनु ने टेबल पर रखा म्यूज़िक सिस्टम ऑन किया। धीरे-धीरे कमरा मुलायम रोशनी और मधुर धुनों से भर गया।
उसने अपनी आँखें बंद कीं और थिरकना शुरू किया उसके हर कदम में एक अजीब-सी नशा भरी लय थी। विशाल मुस्कुराया। वो भी उसकी ओर बढ़ा और कुछ ही देर में उसी ताल में बहने लगा। उन दोनों की नज़रें मिलीं एक पल में सब कुछ थम-सा गया। अब वो एक-दूसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे उनके बीच कोई दूरी बची ही न हो। साँसें एक-दूसरे से टकरा रहीं थीं, कमरे की ठंडी हवा अब उनके शरीरों से निकलती गर्मी में घुल चुकी थी। लाल और नीली टिमटिमाती रोशनी में, वो दोनों एक-दूसरे के इतने करीब आ चुके थे कि हर धड़कन एक साथ सुनाई दे रही थी।

म्यूज़िक बदल चुका था, धुन और भी कोमल, और भी रोमांटिक। विशाल ने अपना हाथ बढ़ाया और धीरे से मनु के बालों को छुआ। उसका स्पर्श धीमा था, मगर भावनाओं से भरा हुआ। दूसरा हाथ उसकी पीठ से फिसलता हुआ कमर तक आ रुका, जहाँ उसकी उँगलियों की हर हरकत मनु की साँसों की रफ़्तार बढ़ा रही थी। उसने उसके बालों का जुड़ा खोल दिया खुले बाल उसकी गर्दन पर गिर पड़े, और उसी पल विशाल ने उन्हें अपने हाथों में थाम लिया। अब उनके चेहरे कुछ इंच की दूरी पर थे, इतने करीब कि एक-दूसरे की साँसें महसूस हो रही थीं। मनु की आँखों में अब नशा नहीं, बस चाहत थी। विशाल उसकी गहराई में खो गया, उसके हर साँस के साथ एक नई गर्मी, एक नया एहसास, जैसे दोनों के बीच का सब्र अब पिघलने लगा हो।

विशाल ने मनु को अपने पास खींचा और उसके होंठों को अपने होंठों में समेट लिया। उसका एक हाथ मनु के बालों से होता हुआ उसकी गर्दन पर आ गया, जबकि दूसरा हाथ उसे कसकर अपने सीने से लगाए रहा। मनु की सांसें तेज़ थीं, उसकी आंखें बंद थीं, और वो पूरी तरह उस पल में खो चुकी थी।

कुछ देर बाद विशाल ने उसके होंठों से हटकर उसकी गर्दन को हल्के से चूमा। मनु की सांसें अब और भी तेज़ हो चुकी थीं। उसके दिल की धड़कनें विशाल के सीने से टकराकर जैसे उस पल को और गहरा बना रही थीं। विशाल ने उसे धीरे से अपनी ओर घुमाया, फिर पीछे से उसकी कंधों को थाम लिया। दोनों के बीच बस म्यूज़िक सिस्टम की धीमी धुन और उनकी सांसों की आवाज़ गूंज रही थी।

इसी दौरान गाना बदल गया, और मनु हल्के से हंसते हुए विशाल से अलग हो गई। वो मुस्कुराते हुए बेडरूम की ओर चली गई।
विशाल फ्रस्ट्रेट हो गया…

“मनु यार…,क्या कर रही हो?”

विशाल कुछ पल उसे देखता रहा, फिर उसके पीछे-पीछे कमरे की ओर बढ़ गया।

अब हॉल में बस म्यूज़िक सिस्टम की लाल-नीली टिमटिमाती रोशनी बची थी, मानो जैसे उनके बीच की कहानी को चुपचाप देख रही थी। दोनों पति-पत्नी अपनी थकी मगर गर्म सांसों के साथ धीरे-धीरे बेडरूम की ओर बढ़ गए। कमरे में पहुँचने पर विशाल ने देखा कि बाथरूम की लाइट जल रही है ,वो कुछ पल ठहरकर मुस्कुराया, फिर शांत कदमों से उस ओर बढ़ गया।

जैसे ही विशाल बाथरूम में पहुँचा, उसने देखा मनु शांत खड़ी थी। उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी, जैसे किसी अनकही बात का जवाब हो। विशाल उसके करीब गया तो मनु बिना कुछ कहे उसके सीने से लिपट गई। विशाल ने प्यार से उसका चेहरा थामा और उसकी ठोड़ी ऊपर उठाई। मनु की आँखों में उस पल सिर्फ सुकून और अपनापन झलक रहा था और होंठों पर अब भी वही हल्की, शर्मीली मुस्कान थी।

           जैसे ही विशाल ने अपने होंठ मनु के होंठों से मिलाए, उसी क्षण मनु ने शावर का बटन दबा दिया। ठंडे पानी की धार अचानक दोनों पर गिरने लगी। पलभर को लगा जैसे गर्म एहसासों पर किसी ने ठंडी बौछार डाल दी हो। मनु की इस शरारत पर विशाल एक पल के लिए सिहर गया और उसे हैमनु भरी नज़र से देखने लगा।

 “ क्या हैं ये?”

चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए मनु ने अपनी उंगली विशाल के होंठों पर रख दी, मानो उसके गुस्से को थाम लिया हो। ठंडे पानी में भीगता विशाल अब बस उसकी आँखों में खो गया था। मनु भी उसी गहराई से उसकी आँखों में देख रही थी। उसी पल उसने धीरे-धीरे अपना हाथ विशाल की छाती पर फेरते हुए उसके दिल की धड़कन महसूस की, जैसे उस स्पर्श ने उसके भीतर दबी हुई आग को फिर से जगा दिया हो। जवाब में विशाल ने भी उसके गीले बालों को पकड़कर उसके करीब झुकते हुए उसकी गर्दन और चेहरे पर अपने स्नेह भरे चुंबन छोड़ दिए।

 विशाल ने अपनी टी-शर्ट उतारी और मनु के करीब आकर उसके होंठों को हल्के, सधे हुए अंदाज़ में चूमना शुरू कर दिया। मनु भी अब पूरी तरह उस पल में खो चुकी थी। कभी वह उसके सीने पर अपने होंठ रखती, तो कभी उसके गले में झूलते लॉकेट से खेल जाती। माहौल में एक मधुर गरमाहट घुल चुकी थी। कुछ क्षण बाद, विशाल ने धीरे-धीरे उनके बीच की दूरी को कम करते हुए, उन दोनों के बीच की नाज़ुक परतों को सलीके से हटाना शुरू किया जैसे हर परत के साथ उनका रिश्ता और गहराता जा रहा हो।

                 शावर से गिरती ठंडी बूँदों के बीच, दोनों पति-पत्नी अब एक-दूसरे की बाहों में पूरी तरह समा चुके थे। उनके बीच की सारी दूरियाँ मिट चुकी थीं। मनु के चेहरे पर सुकून और मोहब्बत की हल्की चमक थी, जबकि विशाल की हर छुअन उसके भीतर एक अनकही गर्माहट भर रही थी। पानी की बूँदें जैसे उनके हर एहसास को और गहरा बना रही थीं और दोनों उस पल में खोए, बस एक-दूसरे को महसूस कर रहे थे।

          मनु की सांसें अब और तेज़ होती जा रही थीं, उसकी सिसकियाँ शावर की बूंदों के बीच किसी अनसुनी धुन जैसी लग रही थीं। तभी विशाल की नज़र पास रखी शैंपू की बोतल पर पड़ी। उसने मुस्कराते हुए उसे उठाया और हथेली पर थोड़ा शैंपू निकालने लगा।

मनु ने आधी हैमनु और आधी मुस्कान के साथ पूछा,

“अब ये क्या करने वाले हो?”

विशाल ने बिना कुछ कहे अपने एक हाथ की उंगली मनु के होठों पर रख दी, जैसे उसकी बातों को रोककर पल को थाम लेना चाहता हो। दूसरे हाथ में लिया शैंपू उसने धीरे-धीरे मनु के बालों में लगाया और उसकी सिर की हल्की मसाज करने लगा। मनु की आंखें बंद हो गईं, चेहरे पर सुकून और मुस्कान एक साथ खिल उठी। विशाल के हाथ अब बालों से फिसलते हुए उसके कंधों और पीठ तक पहुँच चुके थे। बीच-बीच में उसके होठ मनु की गर्दन, कंधे और पीठ पर हल्के-हल्के उतर रहे थे। वह कभी उसके बालों में उलझी लटों को सँवारता, तो कभी उसकी गर्दन पर लटकते बारीक मंगलसूत्र से खेल जाता। हर स्पर्श के साथ मनु की सांसें और तेज़ होती जा रही थीं उसके दिल की धड़कन अब उस नज़दीकी की लय में धड़क रही थी।

     विशाल अब भी मनु के हर एहसास में खोया हुआ था। बालों की मसाज करते हुए उसकी नज़र बाथरूम की शेल्फ़ पर रखे साबुन पर पड़ी। उसने उसे उठाया और अपने हाथों में रगड़कर मुलायम झाग बनाया। धीरे-धीरे उसने वो झाग मनु के कंधों से लेकर उसकी पीठ तक फैलाना शुरू किया। मनु बस उसके सामने शांत खड़ी थी, आँखें बंद, सांसें धीमी और चेहरा हल्के सुकून से भरा। विशाल के हाथ झाग के साथ उसके शरीर की सैर कर रहे थे, हर स्पर्श में अपनापन और कोमलता घुली थी। झाग धीरे-धीरे नीचे बहते जा रहे थे, और उनके बीच की खामोशी में बस पानी की बूँदें और धड़कनों की आवाज़ बाकी रह गई थी।

 थोड़ी देर बाद, जब विशाल ने साबुन के झाग को धीरे-धीरे धो दिया फिर उसने मनु का चेहरा अपने हाथों में थाम लिया। उसकी नज़रों में वही पुराना प्यार, वही चाहत चमक रही थी। अगले ही पल उसने उसके होठों को अपने होठों से छू लिया, इस बार और भी गहराई से, और भी तड़प के साथ। मनु ने भी अपनी बाहें विशाल की गर्दन के चारों ओर डाल दीं और उस चुंबन में खो गई। दोनों की सांसें एक लय में चल रही थीं, जैसे पानी की बूंदें भी उनके एहसासों की ताल पर गिर रही हों। विशाल ने शावर के नीचे खड़े होकर उसके चेहरे और कंधों से झाग को धीरे-धीरे बहा दिया, और फिर दोबारा उसके होठों की मिठास में डूब गया। उनकी नज़दीकियां बढ़ती गईं ,इतना कि विशाल ने मनु को धीरे से थामकर बाथरूम की दीवार के पास ले आया। विशाल ने मनु को अपने करीब करते हुए उसके होठों पर रुके अपने स्पर्श को धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ाया। उसके होठ अब उसकी गर्दन के पास पहुँच चुके थे, जहाँ हर हलका स्पर्श मनु के भीतर नई सनसनी जगा रहा था।

               जैसे-जैसे विशाल अपने होंठों की प्यास लिए नीचे की ओर बढ़ रहा था, मनु अपने भीतर एक अनकही मधुरता महसूस कर रही थी। उसने आँखें बंद कर लीं और अपने दोनों हाथ धीरे से विशाल के सिर पर रख दिए। विशाल के स्पर्श का सिलसिला थमा नहीं वह गर्दन से होते हुए सीने तक, और फिर उससे नीचे तक अपने इश्क़ के निशान छोड़ता चला गया। अंततः जब विशाल घुटनों के बल झुका, मनु के हाथ अब भी उसके सिर पर टिके थे। उसकी साँसें तेज़ हो चुकी थीं, और मदहोशी में उसके अधखुले होंठों पर नमी की हल्की परत झिलमिला रही थी।

           बाहर हॉल में म्यूज़िक सिस्टम पर गाना अब भी लगातार बज रहा था। कमरे की वीरान ख़ामोशी में टिमटिमाती लाल और नीली रोशनी मानो उन दोनों प्रेम पंछियों को याद कर रही थी। उधर, बेडरूम में पड़ा सुनसान बिस्तर जैसे उनकी वापसी की राह तक रहा था।

     शावर के ठंडे पानी में भीगती मनु अब दीवार के सहारे विशाल की बाहों में झूल रही थी। उसके दोनों हाथ विशाल की गर्दन और कंधों को थामे हुए थे। उसके होंठों और सांसों से निकलती गरम सिसकारियाँ विशाल के सीने से टकराकर उसके भीतर बेचैनी जगा रही थीं। विशाल भी अब अपनी सीमाएँ भुलाकर मनु को अपने स्नेह में समेटने लगा था। उसके मजबूत हाथों ने उसे पूरी तरह थाम रखा था, जबकि मनु अपने कंधों पर उसकी गरम सांसों को महसूस कर रही थी।

         बेडरूम की शांति अब बाथरूम की हलचल से कांप उठी थी, गिरते पानी की रुनझुन, तेज सांसों की सिसकारियाँ, और उन दोनों की मदहोश कर देने वाली नज़दीकियाँ मिलकर एक अनकही मधुरता रच रही थीं।
      थोड़ी देर की बाथरूम की रंजिश और चाहत के बाद, भीगे हुए बदन और जलती हुई सांसों के साथ विशाल ने मनु को अपनी बाहों में उठाकर बेडरूम की ओर कदम बढ़ाए। कमरे की टिमटिमाती रोशनी में उनकी परछाइयां दीवारों पर लिपट रही थीं। जैसे ही दोनों उस नरम बिस्तर पर समाए, उनकी अधूरी प्यासें एक तूफ़ान बनकर फूट पड़ीं। हर सांस, हर स्पर्श में आग थी मानो समय वहीं ठहर गया हो। रात भर वो एक-दूसरे में खोए रहे, प्यार और मिलन की उस अग्नि में जहां सीमाएं मिट गईं और सिर्फ़ एहसास बाकी रह गया। आखिर में, थकी मगर संतुष्ट मुस्कुराहट के साथ दोनों एक-दूसरे की बाहों में खोकर नींद की गोद में उतर गए।