📖 अध्याय ३: घंटी की छाया
यांगून की सुबह हल्की धुंध से ढकी थी। नदी किनारे खड़े आरव और माया ने गोताखोरों की टीम को तैयार किया। उनके पास था एक पुराना नक्शा, एक सोनार स्कैनर, और एक उम्मीद—कि आज वे इतिहास की सबसे भारी घंटी की पहली झलक पाएंगे।
नाव धीरे-धीरे नदी के उस हिस्से की ओर बढ़ी जहाँ स्थानीय लोग जाने से डरते थे। माया ने बताया, "यहाँ लोग कहते हैं, पानी की गहराई में कुछ है जो देखने वालों को बदल देता है।"
आरव ने डायरी का वह पन्ना फिर से पढ़ा:
> "घंटी की छाया सिर्फ़ पानी में नहीं, आत्मा में उतरती है।"
गोताखोर नीचे उतरे। कुछ मिनटों बाद, सोनार पर एक गोलाकार आकृति उभरी—लगभग 12 मीटर चौड़ी, धातु जैसी संरचना। टीम ने पुष्टि की: "यह घंटी हो सकती है।"
लेकिन तभी एक गोताखोर ने ऊपर आकर कहा, "नीचे कुछ अजीब है। जैसे कोई ध्वनि भीतर गूंज रही हो। और जब मैंने उसे छूने की कोशिश की, मेरी साँसें रुक गईं।"
आरव खुद नीचे उतरने का फ़ैसला करता है। माया उसे रोकती है, लेकिन वह कहता है, "अगर यह मेरे पिता की खोज थी, तो मुझे उसे पूरा करना होगा।"
पानी के नीचे, अंधेरे में, आरव को घंटी की छाया दिखती है। वह उसके पास जाता है, और जैसे ही वह हाथ बढ़ाता है, उसे एक गूंज सुनाई देती है—जैसे कोई पुरानी आवाज़ उसके भीतर बोल रही हो।
> "तुम कौन हो, जो मुझे जगाना चाहता है?"
आरव डरता नहीं। वह कहता है, "मैं वह हूँ, जो तुम्हारी कहानी को फिर से सुनाना चाहता है।"
घंटी की छाया हल्की सी हिलती है। पानी में कंपन होता है। और आरव की आँखों के सामने एक दृश्य उभरता है—1608 का यांगून, पुर्तगाली जहाज़, और घंटी को चुराने की कोशिश।
वह ऊपर आता है, काँपता हुआ, लेकिन उसकी आँखों में चमक है।
"मैंने उसे देखा," वह कहता है। "और उसने मुझे देखा।"
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📖 अध्याय ४: पागलपन की शुरुआत
घंटी की पहली झलक के बाद, आरव की टीम में एक अजीब सी बेचैनी फैलने लगी थी। गोताखोर ली तुन जो सबसे अनुभवी था, अब रातों को जागता रहता था। वह कहता, "घंटी मुझसे बातें करती है। वह कहती है कि मैं उसका उत्तराधिकारी हूँ।"
माया ने आरव को चेताया, "यह वही है जिसका डर था। घंटी सिर्फ़ धातु नहीं, वह चेतना है। जो उसे छूता है, वह बदल जाता है।"
आरव खुद भी महसूस करने लगा कि उसकी सोच बदल रही है। उसे अपने पिता की आवाज़ें सुनाई देती थीं, जैसे वे उसे घंटी की ओर खींच रहे हों। उसकी नींदें टूटने लगीं, और हर बार वह एक ही सपना देखता—एक विशाल घंटी, जो पानी के भीतर गूंज रही है, और उसके चारों ओर अंधेरे में डूबे चेहरे।
टीम के एक सदस्य जॉन ने नदी में कूदने की कोशिश की। उसे बचा लिया गया, लेकिन वह बस एक ही बात कहता रहा:
> "वह मुझे बुला रही है... मैं उसका हूँ..."
माया ने एक पुरानी बर्मी पांडुलिपि निकाली, जिसमें लिखा था:
> "घंटी की आत्मा वह चुनती है जो खुद को खोने को तैयार हो।"
आरव समझ गया कि यह सिर्फ़ एक खोज नहीं, एक परीक्षा है। उसे खुद को बचाए रखना होगा, वरना वह भी उसी पागलपन का शिकार हो जाएगा।
रात को, जब सब सो रहे थे, आरव अकेले नदी किनारे गया। उसने आँखें बंद कीं, और घंटी की गूंज को महसूस किया।
वह अब जानता था—घंटी उसे परख रही है।
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