Apna bana le Piya - 6 in Hindi Love Stories by Namita Shrivas books and stories PDF | अपना बना ले पिया - 6

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अपना बना ले पिया - 6

अब आगे...


आरव का स्कूल ...


आरव बहुत खुश था क्योंकि आज सबको मॉम की तरह उसकी भी मॉम आई हुई थी वरना उसके डैड ही आते थे और थोड़ी देर में चले जाते थे।  ये सब राघव इसलिए करता था क्योंकि वो नहीं चाहता था कि आरव को किसी की कमी हो और उसे ऐसा लगे कि उसके लिए उसे डैड ही ठीक है लेकिन वो तो बच्चा था उसे ये सब कहां से समझ आता था उसे तो यही दिखता था कि बाकी बच्चों के मॉम रुक कर बाते कर रहे है और उसके डैड जा चुके है ।

उस वक्त भी उसके मन में यही आता था में अगर उसकी मॉम होती तो कितना अच्छा होता और वो कितना मस्ती करता लेकिन आज उसकी ये शिकायत भी दूर हो चुकी थी उसकी मॉम उसकी वैदेही मॉम आज उसके साथ स्कूल आई थी और बाकी मॉम्स के साथ बाते कर रही थी आरव के लिए ये सब बहुत बड़ी बात थी । 

तभी एक औरत मिसिज त्रिपाठी कहती है ," वैसे आप दोनो की शादी को तो अभी दो ही दिन हुए है और मिस्टर दिवान ने आपको ड्यूटी पर लगा दिया कही ऐसा न हो कि वो आपको बस आरव की नैनी बना कर ही छोड़ दे।  "

इतना कह कर हंसने लगती है वही उनके साथ दो औरतें और भी थी वो भी हंसने लगती है। लेकिन वैदेही को उनकी बात का कोई बुरा नहीं लगता वो मुस्कुरा कर कहती है ," नहीं ऐसी बात नहीं है।  हां ये सच है कि उन्होंने और घर के सभी लोगों ने आरव की जिम्मेदारी मुझ पर ही छोड़ दी है लेकिन एक नैनी की तरह नहीं बल्कि एक मां की तरह।  वो चाहते है कि अब से आरव की सारी जिम्मेदारी उसकी मां ही संभाले इसलिए मैं आज आरव के साथ आ गई अब से तो मुझे ही आना है वैसे भी ये बहुत बिजी रहते है।  उन्हें बार बार डिस्टर्ब करना अच्छा नहीं लगता । "

इतना कह कर वैदेही मुस्कुरा देती है जैसे देख कर वो। औरते मुंह बनाने लगती है उन्हें लगा था को वो इस तरह की बाते कह कर वैदेही को भड़का सकती है और फिर उसके मन की बात भी जान सकते है इस  तरह से उन्हें मिली नई खबर मिल जाती और वो लोग अपनी मंडली में बैठ कर बड़े आराम से इस बात को चर्चा करते।  लेकिन वैदेही ने उन्हें ऐसा जवाब दिया जिसे सुन कर किसी के मन में वैदेही के लिए इज्जत और बढ़ जाती।  जिस वजह से वो सभी मुंह बनाने लगती है । 


तभी एक दुसर औरत कहती है ,"लेकिन फिर भी,  उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए शादी के दो ही दिन बाद तुम्हे इस तरफ से स्कूल नहीं भेजना चाहिए था। इस सारी चीजों को देख कर तो यही लग रहा है कि वो लोग अभी से तुम से काम करवाने लग चुके होंगे नई बहु से ये सब कौन करवाता है । "

उनकी बात सुन कर वैदेही कुछ कहने ही वाली होती है लेकिन तभी मिसिज त्रिपाठी कहती है ," हां ये तो तुमने सही कहां कम से कम मिसिज दीवान को आज आ जाना चाहिए था बहु बेटे को हनी मून पर भी तो जाना होता है । क्या तुमने सोचा कि तुम्हे कहां जाना है ?"


वैदेही फिर से कुछ कहने की कोशिश करती है लेकिन वो दूसरी औरत फिर से कहती है ," अरे कहां ? अब तो बेचारी कोई ऊपर घर में पूरी जिम्मेदारी थोपने की सोच रहे होंगे वो।सब ये कहां से हनीमून पर जा पाएगी । "


वैदेही बीच कहती है ," नहीं ऐसा तो कुछ नहीं है आप लोग गलत सोच रहे है मै तो बस ...


तभी मिसिज त्रिपाठी कहती है ," अच्छा ऐसी बात नहीं है तो फिर बताओ कि तुम कहां जा रही हो हनी मून पर बताओ हमे ?"

उनकी बात सुन आकर वैदेही चुप हो जाति है उसके पास इसका कोई जवाब नहीं था।  वो किसी होनी मून पर नहीं जा रही थी और शायद जाने भी नहीं वाले थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इस सिचुएशन का सामना वो कैसे करें ?


" वैदेही ... । " तभी उसे एक आवाज सुनाई देती है। जैसी सुन आके उसकी आंखे हैरानी से बड़ी हो जाती है । वो अपना सिर उठा कर सामने की ओर देखती है तो हैरान रह जाति है क्योंकि उसके समाने राघव खड़ा हुआ था। उसे देख कर वैदेही का दिल जोरो से धड़कने लगता है ऐसा क्यों था उसे भी नहीं पता था।  

वो एकटक उसे ही देख रही होती है।  उसे देख कर मिसिज त्रिपाठी और वो दूसरी औरत एक दूसरे को इशारा करती है मिसिज त्रिपाठी मुस्कुरा कर कहती है ,"हम अभी आते है .. । "

इतना कह कर वो दोनो वहां से चली जाती है।  उनके जाने के बाद राघव वैदेही की ओर आने लगता है। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे उसे देख कर कोई नहीं कह सकता था कि वो क्या सोच रहा है लेकिन वैदेही जानती थी राघव इस वक्त गुस्से में है ।वो राघव के चेहरे को बहुत अच्छे से लड़ सकती थी ।

राघव वैदेही के सामने आ कर खड़ा हो जाता है और और जैसे से कहता है ," मैने तुम्हे आरव की मॉम बनने से मना किया तो तुम सबके सामने इस बात का दिखावा करने आ गई की तुम उसकी मां हो .. वेरी गुड मुझे नहीं पता था को तुम इतनी तेज हो ... ।।"

उसकी आवाज तेज नहीं थी वो बस वैदेही को सुना रहा था और काफी गुस्से में ये बात कह रहा था।  जैसी सुन कर वैदेही झट से कहती है ,"नहीं, मुझे नहीं पता था कि ये सब होगा मैं तो बस इसलिए आई थी क्योंकि आरव रो रहा था आप।ऑफिस के लिए निकल गए थे और वो चाहता था कि उसकी मॉम या फिर उसके डैड ...


राघव बीच में बहुत ही तीखे शब्दों में कहता है ," तुम उसकी मॉम नहीं हो ... ।।"


ये सुनते ही वैदेही चुप हो जाति है और राघव की आंखों में देखने लगती है । राघव बहुत ही ज्यादा गुस्से में लग रहा था उसे ऐसे देख कर वैदेही को पलके फड़फड़ाने लगती लेकिन फिर भी उसके खुद पर बहुत अच्छे से काबू किया हुआ था वरना कुछ सेकंड के अंदर ही उसके आंख से आंसू आ जाते।

राघव एक कदम बढ़ा कर उसके थोड़ा और पास आता वो और उतने ही गुस्से से कहता है ," और न ही कभी बन सकती हो ... ।तो कभी कोशिश भी मत करना वरना अंजाम बहुत बुरा होगा।  "

वो वैदेही की आंखो में देखते हुए उसे वार्निंग दे रहा था जिसे देख कर ऐसा लग रहा था कि कोई अपने दुश्मन को वार्निंग दे रहा हो। वैदेही अपनी नजरे झुका लेती है और फिर एक गहरी सांस ले कर अपनी भावनाओं पर काबू रखने की कोशिश करती है । 


इतने में ही आरव की नजर अपने मॉम डैड पर जाति है और एक भागते हुए राघव की ओर आता है और उसके पैरो से लिपट जाता है । उसे देख कर राघव अपने चेहरे के भाव को सही करता है और नीचे झुक कर उसे गोद में उठा लेता है । 

आरव मुस्कुरा कर जाता है ," डैड आपको पता है आज मैने अपने सारे दोस्तों से मम्मा को मिलवाया।  सब यही कह रहे थे कि मेरी मम्मा बहुत प्रिटी है।  और मैं उन पर ही गया हुआ हूं .. ।।"

जिसे सुनते ही राघव आंखे गहरी हो जाती है वो एक बार वैदेही की ओर देखता है जो उसे देख रही थी फिर एक आरव की ओर देखते हुए अपने चेहरे के भाव को नॉर्मल कर लेता है और कहता है ," अच्छा ऐसी बात है .. "


आरव सिर हिला कर कहता है ," हां डैड ... अब तो मैं सोच रहा हूं अब से मैं मम्मा को ही अपने साथ के कर आऊंगा।  बहुत मजा आएगा।  "


राघव ये बात सुन कर बिलकुल भी खुश नहीं होता है वो गुस्से से लाल हुआ न रहा था लेकिन वो नहीं चाहता था कि उसका बच्चा उसका ये रूप देखे इसलिए एक कहता है ," नहीं बेटा आज के बाद आपको ये करने की जरूरत नहीं पड़ेगी आपके डैड आएंगे । "

इतना कह कर एक आरव को ले कर वहां से जाने लगता है कुछ सेकेंड तक वैदेही उन्हें ऐसे ही देखती रहती है फिर अपना सिर झुका कर उनके पीछे चली जाती है । 

कंटिन्यू...


Thank you ❤️ ❤️