अब आगे...
राघव उसे गुस्से से देखते हुए कहता है ," तुम मुझे बताओगी तुम अपना ये नाटक कब तक जारी रखने वाली हो ?"
वैदेही हैरानी से कहती है ," आप कहना क्या चाहते है ?"
राघव हंस कर कहता है ," तुम्हे अच्छे से समझ आ रहा है कि मै क्या कहना चाहता हूं ... तुम जो ये आरव की मां होने का दिखावा कर रही हो वो कब तक जारी रखने का इरादा है तुम्हारा। वैसे इस घर में आज तुम्हारा पहला ही दिन है तो हो सकता है कि एक महीना , या फिर दो चलो मान लो तीन महीने तक तुम ये दिखावा कर सकती हो ? उसके बाद ... उसके बाद क्या ? तुम मेरे बेटे से प्यार का दिखावा कर के उसे अपने वश में करना चाहती हो और उसे मेरे खिलाफ use करोगी या फिर मेरे करीब आने के लिए। मैने सही कहा न ... ।।"
वैदेही उसे हैरानी से देखते हुए कहती है ," आपको ऐसा क्यों लगता है कि मै दिखावा कर रही हूं ? मुझे आरव अच्छा लगता है मुझे ये पसंद है कि वो मुझे मां कह कर बुलाता है इसलिए मैं उसकी केयर करती हूं और उसे प्यार देने की कोशिश भी। मुझे समझ नहीं आता कि आप हर किसी को शक भरी नजरों से क्यों देखते है ?
राघव दांत पीसते हुए कहता है ," क्युकी तुम सब इसी के लायक हो ... तुम्हे या घर के किसी भी इंसान को मेरे बेटे की फिकर करने की जरूरत नहीं है। मै उसे संभल सकता हूं समझी तुम। उस से दूर रहो और मुझ से भी ... ये पत्नी होने का दिखावा करने की जरूरत नहीं है और न ही मेरे लिए फिक्रमंद होने की। तुम बस दीवान फैमिली की बहु होने का पर खुश रही और ये ऐसों आराम एंजॉय करो। "
इतना कह कर राघव आरव के कमरे की ओर बढ़ जाता है। वही वैदेही उसे देख रही होती है। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो राघव के मन से ये बात जाइए निकाले कि वो दिखावा नहीं कर रही है। उसे ऐसा लग रहा था कि राघव किसी और की बात सुनने और समझने वाला इंसान है ही नहीं।
वो एक गहरी सांस लेती है और फिर किचन की ओर चली जाती है। इधर राघव आरव के कमरे में जाता है और देखता है कि वो सो रहा है। उसे सोते हुए देख कर उसके चेहरे कर एक स्माइल आ जाती है तभी उसकी नजर आरव के बेड से लगे हुए टेबल पर जाति है जिस कर आरती की तस्वीर थी। उसे देख कर राघव की स्माइल और बड़ी हो जाति है।
एक आरव के पास आता है और कुछ देर तक उसे देखते रहता है फिर उसके माथे कर किस करके चला जाता है। वैदेही पहले ही कमरे में आ चुकी थी। और चेंज करके सोफे पर बैठी हुई थी। वो राघव का वेट कर रही थी । जैसे ही राघव यहां आता है। उसकी नजर वैदेही पर जाति है वो अपनी आंखे रोल करते हुए बाथरूम की ओर जाता है और चेंज करके बिना कुछ सो जाता है।
उसने वैदेही से बात ही नहीं की और न ही उसकी ओर देखा वैदेही एक गहरी सांस लेती है और सोफे कर सो जाती है ।
अगली सुबह ...
वैदेही जल्दी उठ कर सबके लिए खाना बनाती है और मीनाक्षी जी उसकी मदद करती है। दोनो मुस्कुराते हुए खाना बना रही होती है तभी दोनो को ही आरव की रोने की आवाज आती है। दोनो अपना काम छोड़ कर हॉल की ओर जाने लगते है ।
आरव सोफे पर अपने दादा जी गोद में बैठा हुआ था और रो रहा था वैदेही उसके पास जाति है और सोफे के नीचे बैठ कर कहती है ," क्या हुआ बेबी आप रो क्यों रहे हो ?"
आरव अपने होठ गोल करते हुए कहता है ," देखो न मम्मा ... डैडी ने प्रोमिस किया था कि वो मेरे साथ आज स्कूल जाएंगे में वो ऑफिस चले गए। आज सब बच्चों के पेरेंट्स आने वाले है बस मेरे डैडी नहीं होंगे डैडी ने अपना वादा तोड़ दिया। "
इतना कह कर आरव रोने लगता है और फिर वैदेही की ओर हाथ बढ़ा देता है। वैदेही समझ जाती है कि आरव उसकी गोद में आना चाहता है इसलिए वो आरव को अपनी गोद में लेते हुए खड़ी हो जाति है और उसके बालो को सहलाते भी कहती है ," कोई बात नहीं बेटा ... अगर डैडी नहीं जा सकते तो कोई और चला जाएगा। आप कहोगे तो मै आपके साथ चलूंगी। "
आरव की आंखो में अचानक ही चमक आ जाती है वो वैदेही की ओर देखते हुए कहता है ," क्या आप चलोगे?"
वैदेही मुस्कुराते हुए कहती है ," हां क्यों नहीं? आज आपके डैडी की जगह आपकी मम्मा जाएंगी... आपको अच्छा लगेगा ... । "
आरव ताली बजाते हुए कहता है ," हां बहुत अच्छा लगेगा। आप बेस्ट हो मम्मा ... । "
इतना कह कर आरव उसे गले से लगा लेता है। वैदेही मीनाक्षी जी की ओर देखती है और कहती है ," क्या मैं जा सकती हूं ?"
मीनाक्षी जी कहती हैं," हां हां बिल्कुल .. तुम्हे तो जाना ही चाहिए आखिर तुम आरव की मां हो और ऐसे दिन में मॉम डैड दोनो को ही स्कूल जाना चाहिए। तुम आरव के साथ स्कूल जाओ मै सब कुछ संभाल लूंगी। "
तभी साधना कहती है ," लेकिन तुम्हे आज पागफेरे ले लिए अपने घर जाना था और फिर मुझे नहीं लगता कि राघव की ये बात अच्छी लगेगी। वो और नाराज हो जाएगा। और सच कहूं तो राघव नाराजगी में कुछ भी कर सकता है ... । "
इतना कह आके साधना जी डेविल स्माइल करने लगती है। उसकी बात सुन कर वैदेही देखिए अपसेट हो जाती है। राघव सच में बहुत गुस्सा हो सकता था। वैसे भी वो छोटी छोटी बात कर नाराज होने वाला इंसान था और फिर वैदेही आरव के मां के रूप में स्कूल जाएगी सबके सामने तो उसका गुस्सा और बढ़ जाएगा।
वैदेही आरव की ओर देखती है जो अपने होठों को गोल करके बड़ी ही मासूमियत से उसे देख रहा था उसे ऐसे देख कर वैदेही के चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है। वो साधना जी से कहती है ," हम जल्दी आ जायेंगे है न आरव उन्हें पता भी नहीं चलेगा। "
उसके इतना कहते ही आरव फिर से खुश हो जाता गौ और वैदेही को गले से लगा लेता है। कुछ देर के बाद दोनो स्कूल के लिए निकल जाते है। आरव बहुत खुश था आज पहली बार उसकी मॉम उसके साथ स्कूल जा रही थी और अपने सारे दोस्तों को वैदेही से मिलवाने वाला था।
इधर राघव अपने केबिन ने बैठी हुआ था और अपना काम कर रहा था तभी उसकी नजर उसके टेबल पर रखे हुए कैलेण्डर पर जाति है जिस पर आज को तारीख मार्क की गई थी। वो हमेशा ही आरव के स्कूल जाता था और वो उसे याद करके भी रखता था लेकिन आज पता नहीं कैसे ये बात उसके दिमाग से निकल गई।
लेकिन जैसे ही एक कैलेंडर देखता है वो अपना सारा काम छोड़ कर अपनी मॉम को कॉल करता है .. लेकिन वो कॉल पिक नहीं करती है तभी वो घर के नंबर पर कॉल करता है ये सोच कर कि कोई उठा लेगा। लेकिन काफी वक्त तक कोई कॉल पिक नहीं करता और जब फोन कटने वाला होता है तब जा कर साधना कॉल पिक करती है।
उनकी आवाज सुनते ही राघव समझ जाता है कि ये कौन है वो कहता है ," चाची जी आरव के साथ कौन स्कूल गया है ?"
राघव काफी आराम से बात कर रहा था। जिसे देख कर ऐसा लग रहा था कि वो वैदेही के बारे में भूल चुका है लेकिन साधना उस कैसे भूलने दे सकती है वो कहती है ," उसकी मां...
" क्या ?" राघव अपनी आंखे छोटी करते हुए कहता है जिसे सुन कर साधना कहती है ," हां वही तो गई है ? दोनो जाते हुए बहुत खुश है मुझे तो ऐसा लगता है कि वो लड़की बहुत जल्दी आरव के दिल में अपनी जगह बना लेगी और आरती को हमेशा के लिए उसके मन से निकाल देगी। "
ये सुनते ही राघव गुस्से से फोन काट देता है। वैदेही का नाम सुन कर वो फिर से गुस्से से भर जाता है और अपनी मुट्ठी कस कर कहता है ," मै ऐसा होने नहीं दूंगा कभी नहीं ... । "
इतना कह कर वो अपना कोट उठाता है और अपने ऑफिस से निकल जाता है इधर साधना के चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है वो समझ चुकी थी कि अब वैदेही की क्लास लगने वाली हैं ।
कंटिन्यू...
Thank you ❤️ ❤️