शाम हो चुकी थी सूरज ढल चुका था अंधेरा धीरे धीरे अपनी अंधकार बिखेर रहा था वही काला भंडार इस अंधकार में और भी ज्यादा खौफनाक नज़र आ रहा था की देखने वाले की रूह कांप जाए लेकिन उस अंधकार में कोई बहुत खुशी से झूम रहा था।
मुरीद गुप्त बार में झूमते हुए ड्रिंक पर ड्रिंक किए जा रहे थे पुरी तरह नशे मे चूर "बॉस ने पहली बार तारीफ की साथ में इनाम भी,,,आज तो दिन रात दोनो बन जाएगा"
"क्यों बनेगा?" जंगली सर खुजाते हुए बोला।
"भुलक्कड़ अभी सर ने कहा न बॉस ने तारीफ की इनाम दिया,,,"
"Ooh sorry' मैं भूल गया" जंगली दात दिखाते हुए बोला।
"एक सैकेंड भी नही हुआ ऐसे कैसे भुल सकता हैं" कबाड़ी और चमड़ी उसे घूरते हुए बोले।
"क्या भूल गया ?" जंगली फिर भूलते हुए बोला। दोनो अपना सर पीट लिए।
तभी मुरीद की नशे भरी
कड़क आवाज आई "ए चुप,,,दिखता नहीं ग्लास खाली है,,,चल और डाल"
"सर ऐसा क्या तारीफ कर दिया बॉस ने? जो अचानक पार्टी ऐलान कर दिए हमे भी बताओ" कबाड़ी उसके शराब की ग्लास में सोडा मिक्स करते हुए पूछा।
"तुम लोग जान के क्या करोगे?" मुरीद ने सवाल किया।
"ताली बजाकर नाचेंगे" चमड़ी धीरे से भुनभुनाया जो
जंगली ने सुन लिया वो चिल्ला उठा "साथ में आपको भी नचाएंगे"
चमड़ी उसका मुंह चाप दिया मुरीद उन दोनों को घूरने लगा दोनो दात दिखा दिए। हालाकि वो होश में नहीं था तो ध्यान नहीं दिया और दारू गटकते हुए खुशी से झूमते हुए बताना शुरू किया।
फ्लैश बैक
समय: 12:30 बजे
मुरीद और किराज बहस बाजी कर लड़ रहे थे की अचानक किराज का फोन चिकनी चमेली के गाने के साथ बज उठा वहा मौजूद सबकी नजर किराज पर गई। किराज ने सबको ततेर कर देखा तो सब अपनी नजरे फेर लिए।
"बॉस का कॉल" ये बोल किराज झट से फोन पॉकेट से निकाला और कॉल पिक कर कान पर लगाया "हेलो बॉस,,,हा बॉस वो यही मेरे सामने है,,, ह हा ok बॉस" इतना बोल उसने मुंह बनाते हुए फोन मुरीद की तरफ बढ़ाकर बात करने का इशारा किया।
"ह,,,हा हेलो ब बॉस,,," मुरीद अपने कापते हाथों से फोन लेकर लड़खड़ाती जुबां से इतना ही बोला की फोन की दूसरी तरफ से बॉस की रौबदार आवाज आई "कैसे हो इंस्पेक्टर मुरीद ?"
"मैं बिल्कुल ठी,,,ठीक हु बॉ,,, बॉस मुझे क्या होगा" मुरीद हड़बड़ाते हुए बोला।
"कोई बीमारी चपेट मे तो नही ले रही ?" बॉस का खौफ था जो मुरीद को नई नवेली बिमारी से मुलाकात करवा ही देता जबकि उसे कोई बिमारी है ही नही।
मुरीद हड़बड़ाते हुए "न,,,नही बॉस मैं,,,एकदम फिट हु"
"पर किराज कह रहा था कोई खराबी बीमारी ऐसा कुछ,,,"
बॉस की बात सुन मुरीद आंखे ततेर कर किराज को घूरता है "साला हंटर का पंटर पता नहीं और क्या क्या उलजुलूल बाते भरी है बॉस के दिमाग में" वो मन में बोला।
उसे अपनी और घूरता देख किराज आंखे नचाकर पुछ रहा था की ऐसे क्या घूर रहा,,, पर मुरीद ने मुंह फेर लिया। किराज की भौहे तन गई।
"खैर मैं कह रहा था की बहुत अच्छा काम किया तुमने,,,और अब तक करते आए हो तो इनाम तो बनता है" बॉस ने कहा।
"हे हे हे,,, बॉस इसकी क्या जरूरत,,, रहने दो" मुरीद खुद पर गर्व करते हुए बोला।
"कोई मुझे ना कहे मुझे पसंद नहीं" बॉस सख्त लहजे में बोला।
"ठीक है देदो" मुरीद घबरा कर फट से बोले।
बॉस हस्ते हुए "हाहाहा,,, गन फैक्ट्री का पुराना मालिक हमेशा के लिए सो गया इसलिए न्यू मालिक अब तुम हो यही है तुम्हरा इनाम,,,अच्छे से धंधा संभालना वरना तुम्हारी अर्थी संभालने के लिए कोई नही आएगा,,,गुड लक" इतने में ही फोन कट गया।
"बॉस,,,,हेलो बॉस,,, बॉस,,,," क्या उसने सही सुना या ज्यादा सुनने की बिमारी चिपक गई मुरीद को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था वो बॉस बॉस का नाम जप रहा था जबतक किराज ने उसके हाथ से फोन नही छीना
"फोन कट गया अपना पोंगा बंद करो और क्या कहा बॉस ने ये बता? " किराज फोन जेब में रख घूरते हुए बोला।
तिरछी स्माइल कर "तारीफ की और,,,"
किराज वैसे ही घूरते हुए "और,,,,?"
मुरीद "और इनाम दिया"
किराज हैरानी से "क्या इनाम ?"
"अब,,,," इतना बोल फिर जानबूझकर चुप हो गया।
"साले,,, गर्लफ्रैंड से चैटिंग की बात बता रहा ? जल्दी नही बोल सकता" किराज उसकी हरकतों से खींज कर बोला।
"अब गन फैक्ट्री का न्यू मालिक मुरीद सैनिक है" मुरीद किराज को जलाने के लिए चहकते हुए बड़े ताव दिखा कर बोला।
किराज हैरान से "हों ही नई सकता बॉस तुझ जैसे,,,,"
मुरीद उसे इग्नोर कर "चलो रे मेरे न्यू मालिक बनने की खुशी में पार्टी करते हैं,,," इतना बोल हाथ हिलाकर by बाय करता हुआ चला गया।
किराज आखें फाड़े उसे देखता रह गया।
"पता नहीं बॉस को क्या दिख गया इस कचरे में जो गन फैक्ट्री का मालिक बना दिया,,, हूं" किराज भुनभुनाते हुए वहा से चला गया।
मुरीद हर बार अपना काम सही करता लेकिन उसका क्रेडिट किराज ले जाता इसलिए इन दोनों के बीच बहस बाजी का मुकाबला हमेशा ऑन रहता हैं।
कितनी देर से क्लीनिक रूम से बचाओ बचाओ आंदोलन शुरू था तो वही आशना और कृषभ को छोड़ बाकी सब आवाज सुन क्लिनिक के बाहर दरवाजे से चिपके कान लगा कर दरवाजा खोलो दरवाजा खोलो चिल्ला रहे थे तभी अंदर से लॉक खुला और सब बेधड़क अंदर जा गिरे,,,,
सभी अंदर एंट्री लेते ही अपने सामने का नजारा देख दंग रह गए सब अपना अपना मुंह खोल आखें बड़ी बड़ी कर हाथ में ऑपरेशन का छुरा पकड़े भीनी को तो कभी जमीन पर बेसुध पड़े उस आदमी को देखे जा रहें थे।
सभी एक साथ चिल्ला पड़े "मार डाला तुमने इसे,,,?"
"क्या तुम लोगो ने इसके लिए दुआ की थी ?" भीनी छुरा पर लगा लाल रंग साफ करते हुए बोली।
सभी की नजर उस पर पड़ी वो
दशहत भरे लहजे में "ये,,,खूऊऊऊऊऊन,,,," उनकी बात काट भीनी सबको डेंजर नजरों से घूरते हुए "जो पुछा उसका जवाब दो पहले"
"नही,,," सभी एक साथ फट से बोले।
"फिर ठीक है" भीनी आराम से बोली।
कनंत घबराते हुए झल्लाकर "क्या ठीक है,,,दुआ नही मांगे फिर भी मर गया और तुम बोल रही ठीक है कैसी सटकी हुई डॉक्टर हो"
"सच सच बताना डॉक्टरी के नाम पर पेशंट पर जादू टोना तो नही करती ना?" कृषि शक भरी नजरो से घूरते हुए बोला।
"दिमाग नही है फिर भी कितना चलाते तुम दोनो,,, don't vary मरा नहीं है" भीनी छुरा साफ करते हुए चेयर पर आराम से बैठते हुए बोली। उसकी बात पर सभी उसे अजीब तरह से घूरने लगे।
कृभिन मुंह बनाकर "मरा बोलने की क्या जरूरत है"
"ठीक है,,,का मतलब भी समझ में आता है हमे" रिहा कृभिन का साथ देते हुए बोली।
काशी नीचे पड़े आदमी को आखें फाड़े ऐसे घूर रही थी जैसे मरे इंसान को जिंदा करने की कोशिश कर रही। सभी उसे हैरानी से देख सावल किए "ऐसे क्यों देख रही ?"
काशी बोली "देख रही हू मरा नहीं फिर भी कैसे मरियर की तरह पड़ा है"
उसका जवाब सुन सभी उसे मुंह बनाकर घूरने लगे।
"बेहोश है बस,,,अपने फालतू का दिमाग कंट्रोल में रखो और इसे जल्दी होश में लाओ ,,,वरना हमारी हिटलर लीडर,,,"
"गुस्सा हो जाएगी" भीनी कृभिन की बात पुरी कर दरवाजे की तरफ आखें बड़ी बड़ी कर देखते हुए बोली। सभी उसकी तरफ देखे फिर उसकी नजरो का पीछा कर दरवाजे की तरफ देखे तो सबकी आखें भी हैरानी से बड़ी हो गई आशना गुस्से के भाव लिए दरवाजे पर खड़ी थी और कृषभ उसके पीछे खड़ा था जो इशारों में कह रहा था
"आज तो गए तुम सब"
अब क्या होगा आगे? कहा जायेगे सब ?😂😅 जानने के लिए अगला ep पढ़े।