गाँव में हर तरफ जश्न का माहौल था.
लोग ढोल- नगाडे बजा रहे थे, और औरतें रंग- बिरंगे कपडों में नाच रही थीं.
कबीर और शहवार की जोडी अब सिर्फ मोहब्बत की मिसाल नहीं रही, बल्कि गाँव की ताकत भी बन चुकी थी.
पंडित जी ऊँचे स्वर में बोले —
आज से यह खजाना गाँव का होगा, और इसका इस्तेमाल सबकी भलाई के लिए किया जाएगा।
भीड ने तालियाँ बजाईं, लेकिन शहवार के चेहरे पर हल्की- सी चिंता की लकीर थी.
उसने धीरे से कबीर से कहा—
मुझे लगता है ये खजाना सिर्फ दौलत नहीं है. इसके साथ कुछ और भी जुडा हुआ है।
कबीर ने उसका हाथ थाम लिया—
डर मत, जब तक मैं हूँ, तुझे कुछ नहीं होगा।
लेकिन उनकी नजर से बचकर कोई और इस जश्न को छिपकर देख रहा था—
फिरोज खान.
उसके चेहरे पर हार की आग अब भी जल रही थी.
उसने अपने आदमी से कहा—
आज ये जीत रहे हैं. लेकिन कल ये सब कुछ खो देंगे. खजाने के साथ- साथ अपनी मोहब्बत भी।
दृश्य दो — रहस्यमयी पत्र
रात के समय, जब सब सो गए, शहवार ने फिर से मंदिर से मिला वह पत्र पढा.
उस पर लिखा था—
यह खजाना शापित है.
जो इसे अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करेगा, उसकी मोहब्बत उससे छिन जाएगी.
सच्ची दौलत सिर्फ मोहब्बत है.
बाकी सब राख हो जाएगा।
शहवार के हाथ काँप गए.
कबीर! ये खजाना. ये तो श्रापित है।
कबीर ने उसे शांत करने की कोशिश की—
श्राप हो या आशीर्वाद. हम इसका इस्तेमाल सिर्फ गाँव के भले के लिए करेंगे. हमें डरने की जरूरत नहीं।
लेकिन शहवार के दिल में कहीं न कहीं डर बैठ गया था.
दृश्य तीन — फिरोज खान की चाल
अगली सुबह, फिरोज खान ने गाँव में अफवाह फैलाई—
ये खजाना अपशकुन है. जब तक ये कबीर और शहवार के पास रहेगा, तब तक गाँव में तबाही होगी।
धीरे- धीरे लोग डरने लगे.
गाँव में अजीब घटनाएँ होने लगीं—
कुएँ का पानी अचानक सूख गया.
खेतों में फसलें मुरझाने लगीं.
बच्चों को बुखार चढने लगा.
गाँव वाले कबीर और शहवार के पास आकर बोले—
ये सब खजाने की वजह से हो रहा है. इसे वापस वहीं रख दो।
कबीर ने गुस्से में कहा—
ये सब फिरोज खान की चाल है. वो चाहता है कि हम डरकर हार मान लें।
लेकिन भीड बडबडाने लगी—
नहीं. ये खजाना श्रापित है।
शहवार चुप रही. उसका दिल भी कहीं न कहीं डर से भर चुका था.
दृश्य चार — पति- पत्नी में दरार
रात को जब सब सो रहे थे, तब शहवार ने कबीर से कहा—
कबीर. हमें खजाना वापस रखना चाहिए।
कबीर चौंक गया—
क्या? तुम भी उन सबकी तरह सोचने लगी हो?
शहवार, हमने कितनी मुश्किलों से ये खजाना पाया है. ये हमारी मोहब्बत की जीत है।
शहवार ने आँसू रोकते हुए कहा—
नहीं कबीर. हमारी मोहब्बत की जीत खजाने से नहीं है. अगर ये खजाना हमारी मोहब्बत छीन ले तो?
कबीर ने झुंझलाते हुए कहा—
बस! अब और नहीं. मैं हार मानने वाला नहीं हूँ. ये खजाना गाँव का हक है और मैं इसे कभी नहीं छोडूँगा।
दोनों के बीच सन्नाटा छा गया.
उनकी मोहब्बत में पहली बार दरार पडी थी.
दृश्य पाँच — मंदिर का श्राप जाग उठा
अचानक महल की दीवारें काँपने लगीं.
दीपक अपने आप बुझने लगे.
आसमान में काले बादल छा गए.
गाँव वाले डरकर बाहर आ गए.
तभी महल के आँगन में एक बूढा साधु प्रकट हुआ.
साधु ने गहरी आवाज में कहा—
मैं इस मंदिर का रक्षक हूँ.
तुम लोगों ने खजाने को छूकर श्राप जगा दिया है.
अगर ये खजाना सूरज डूबने से पहले मंदिर में वापस नहीं रखा गया, तो गाँव हमेशा के लिए बर्बाद हो जाएगा।
सबकी नजरें कबीर और शहवार पर टिक गईं.
दृश्य छह — फिरोज खान की वापसी
जब सब लोग खजाना मंदिर में लौटाने की बात कर रहे थे, तभी अचानक फिरोज खान तलवार लेकर आ गया.
उसके साथ दर्जनों घुडसवार थे.
नहीं! ये खजाना मेरा है.
मैं इसे लेकर गाँव छोड दूँगा और अपनी सल्तनत बनाऊँगा।
गाँव में फिर से चीख- पुकार मच गई.
और शुरू हुई एक और भीषण जंग—
तलवारें टकराईं, खून बहा, और चीखों से आसमान गूँज उठा.
कबीर और फिरोज आमने- सामने आए.
शहवार ने भी हाथ में तलवार उठाई.
फिरोज ने जोर से कहा—
कबीर! आज या तो तू जिएगा या मैं. खजाना सिर्फ मेरा होगा।
कबीर ने दहाडते हुए जवाब दिया—
मोहब्बत से बडा कोई खजाना नहीं. और मैं अपनी मोहब्बत की रक्षा के लिए तुझे कभी जिंदा नहीं छोडूँगा।
दृश्य सात — निर्णायक लडाई
लडाई इतनी भयानक थी कि जमीन काँप उठी.
कभी फिरोज बढत लेता, कभी कबीर.
शहवार बीच में आकर कबीर को बचाती रही.
आखिरकार, कबीर ने जोरदार वार किया और फिरोज जमीन पर गिर पडा.
लेकिन मरते- मरते उसने हँसकर कहा—
तुम जीत गए कबीर. लेकिन याद रखना, ये खजाना तुम्हें चैन से जीने नहीं देगा।
उसकी आँखें हमेशा के लिए बंद हो गईं.
दृश्य आठ — श्राप का अंत?
कबीर और शहवार खून से लथपथ मंदिर पहुँचे.
उन्होंने खजाने को वापस उसी दरवाजे के पीछे रखा और प्रणाम किया.
अचानक आसमान साफ हो गया.
कुएँ में पानी वापस आ गया.
फसलें हरी हो गईं.
साधु ने आशीर्वाद देते हुए कहा—
तुम दोनों ने अपनी मोहब्बत को बचा लिया.
याद रखो, सच्ची दौलत वही है जो दिलों में बसती है. सोने- चाँदी में नहीं।
गाँव वाले झूम उठे.
लेकिन कबीर और शहवार चुपचाप एक- दूसरे की आँखों में देख रहे थे—
जैसे कह रहे हों कि उनकी असली जंग अब शुरू हुई है.
दृश्य नौ — नया मोड( क्लिफहैंगर)
जब सब कुछ सामान्य हो गया, तभी गाँव के चौकीदार ने दौडते हुए आकर कहा—
कबीर! शहवार! जल्दी बाहर आओ. आसमान देखो।
सब लोग बाहर भागे.
आसमान में आग का गोला चमक रहा था जो सीधा गाँव की तरफ आ रहा था.
शहवार ने काँपते हुए कबीर का हाथ पकडा—
ये. ये क्या है?
कबीर ने आसमान की तरफ देखा और बोला—
ये तो कोई और जंग की निशानी है. शायद हमारी मोहब्बत की असली परीक्षा अब शुरू होने वाली है।
और कैमरा धीरे- धीरे उनके चेहरों पर जूम करता है.
To be continued. सुनते रहिए Pocket FM.
आसमान से आया खतरा
दृश्य एक — गाँव में दहशत
आसमान में जलता हुआ गोला गाँव के बिल्कुल ऊपर आकर रुक गया.
लोग चीखते- चिल्लाते हुए इधर- उधर भागने लगे.
बच्चों को माँएँ अपनी गोद में समेटने लगीं, और बुजुर्ग मंदिर की ओर भागे.
गाँववाले चिल्ला रहे थे—
ये प्रलय है!
भगवान हमें बचाओ!
शहवार काँपते हुए बोली—
कबीर. ये कोई साधारण चीज नहीं है. ये. ये आसमान से आई मुसीबत है।
कबीर ने उसकी हथेली कसकर पकडी—
चाहे आसमान टूटकर क्यों न गिर पडे, मैं तुझे और इस गाँव को कभी कुछ होने नहीं दूँगा।
दृश्य दो — आग का गोला बना रहस्य
अचानक वो आग का गोला गाँव से बाहर जंगल में गिरा और जमीन हिल गई.
चारों ओर धुआँ फैल गया.
गाँव वाले डर- डर कर कबीर की ओर देखने लगे—
कबीर, अब तू ही हमारा सहारा है।
कबीर ने तलवार उठाई और बोला—
चलो, देखते हैं ये नया खेल कौन खेल रहा है।
शहवार भी उसके साथ चल पडी.
दोनों अपने सबसे भरोसेमंद सिपाहियों के साथ उस जगह पहुँचे.
दृश्य तीन — जंगल का रहस्यमयी मंजर
जंगल के बीच में एक विशाल गड्ढा बन चुका था.
उसमें चमकती हुई कोई लोहे की संदूक जैसी चीज पडी थी, जो लाल- लाल अंगारे छोड रही थी.
शहवार ने काँपते स्वर में कहा—
ये. ये तो खजाने जैसी लग रही है, लेकिन आसमान से खजाना कैसे गिर सकता है?
कबीर धीरे- धीरे उस संदूक की तरफ बढा.
जैसे ही उसने हाथ लगाया, संदूक अपने आप खुल गया.
उसके अंदर पुराना ताज, सोने की ढाल और एक रहस्यमयी किताब रखी थी.
किताब पर लिखा था—
राजवंश की आखिरी चेतावनी।
दृश्य चार — किताब का राज
कबीर ने किताब खोली.
उसमें लिखा था—
जिसने भी गाँव के खजाने को छुआ, उसका भाग्य इस आसमानी खजाने से जुड जाएगा.
लेकिन याद रखो, इस ताज के साथ आती है एक जंग.
वो जंग, जो मोहब्बत और सत्ता दोनों की परीक्षा लेगी।
शहवार डरकर बोली—
कबीर! ये सब संयोग नहीं है. ये हमारे किस्मत का लिखा है.
शायद यही वो असली श्राप है।
कबीर ने उसकी आँखों में देखा—
अगर ये हमारी किस्मत है, तो हम इसे भी जीतेंगे.
चाहे इसके लिए मुझे फिर से पूरी दुनिया से लडना पडे।
दृश्य पाँच — नया दुश्मन
जैसे ही कबीर और शहवार किताब पढ रहे थे, जंगल की छाया से एक काली परछाई निकली.
उसने हँसते हुए कहा—
तो तुमने मेरा ताज पा लिया?
सब लोग मुडे.
वहाँ खडा था—
नवाब जफर खान, जो सदियों पहले इसी गाँव से निकला हुआ एक गद्दार था.
उसकी आँखें लाल थीं और चेहरा डरावना.
वो आग के गोले के साथ आया था.
जफर खान ने कहा—
ये ताज मेरा है.
मेरे खानदान का.
और अब मैं इसे लेकर इस गाँव और तुम्हारी मोहब्बत को खाक कर दूँगा।
दृश्य छह — डर और हिम्मत
गाँव वाले भागने लगे.
शहवार ने कबीर का हाथ पकडा—
ये इंसान नहीं. ये तो किसी और ताकत से आया है.
कबीर! ये लडाई सामान्य नहीं होगी।
कबीर ने तलवार खींची और दहाडा—
चाहे तू इंसान हो या शैतान.
मैं कबीर हूँ. और अपनी मोहब्बत के लिए मौत से भी टकरा जाऊँगा।
जफर खान ने ताज हवा में उठाया और जमीन हिलने लगी.
पेड गिरने लगे, और गाँव की तरफ एक तूफान उठ खडा हुआ.
दृश्य सात — बडा ट्विस्ट( क्लिफहैंगर)
जब तूफान गाँव की ओर बढ रहा था, अचानक शहवार की आँखें चमक उठीं.
उसके माथे पर एक अजीब निशान उभर आया.
वो उसी किताब से चमकते हुए प्रकट हुआ था.
सभी लोग हैरान रह गए.
कबीर ने घबराकर कहा—
शहवार! तेरे साथ ये क्या हो रहा है?
शहवार के होंठ काँपे और उसने धीमे स्वर में कहा—
कबीर. शायद मैं ही इस श्राप की असली कुंजी हूँ।
और स्क्रीन धीरे- धीरे शहवार के चेहरे पर जूम होती है.
To be continued. सुनते रहिए Pocket FM.
तूफान की दहशत
गाँव का आसमान काले बादलों से घिरा हुआ था.
आग का गोला जहाँ गिरा था, वहीं से उठती लपटें पूरे जंगल को जलाने लगीं.
गाँव वाले भागते हुए कबीर और शहवार की ओर पुकार रहे थे—
हमें बचाओ कबीर!
हे भगवान! ये कैसा प्रलय है!
लेकिन कबीर की नजर सिर्फ शहवार पर टिकी थी.
उसके माथे पर उभर आया चमकता हुआ निशान किसी प्राचीन शक्ति का संकेत दे रहा था.
कबीर ने घबराकर उसका चेहरा थामा—
शहवार. तुझ पर ये निशान क्यों आया है? ये सब क्या है?
शहवार की साँसें तेज हो गईं.
उसकी आँखों से आँसू बह निकले—
कबीर. शायद अब सच छिपा नहीं रह सकता।
दृश्य दो — शहवार की असली पहचान
गाँव के बीच अचानक आसमान से बिजली कडकने लगी.
जफर खान की हँसी गूँज उठी—
हाँ कबीर! तुझे जो सबसे बडा धोखा मिला है. वो किसी और से नहीं, तेरी मोहब्बत से मिला है।
कबीर ने तलवार उठाकर दहाडा—
चुप हो जा जफर! शहवार मेरी मोहब्बत है.
कोई उसे मुझसे छीन नहीं सकता।
जफर ने ताज हवा में उठाया और कहा—
तो सुन. शहवार कोई साधारण लडकी नहीं.
वो उसी प्राचीन राजवंश की वंशज है जिसने ये खजाना छुपाया था.
ये निशान उसकी नसों में बहते खून का सबूत है.
यानी असली हकदार वो है. और तू सिर्फ मोहरा।
कबीर ठिठक गया.
उसकी आँखें शहवार पर जम गईं.
शहवार. ये सच है?
शहवार ने काँपती आवाज में कहा—
हाँ कबीर. मैं उस वंश की आखिरी वारिस हूँ.
मुझे बचपन से ही ये राज पता था, लेकिन मैं तुझसे छुपाती रही.
मुझे डर था कि अगर तू जान गया तो शायद मेरी मोहब्बत पर शक करेगा।
कबीर के दिल पर जैसे किसी ने चोट कर दी हो.
तो तूने. तूने मुझसे ये सच छुपाया?
शहवार की आँखों से आँसू झरने लगे.
कबीर! मैं तुझसे सबकुछ कहना चाहती थी, लेकिन हर बार डर जाती थी.
मैं तुझे खोना नहीं चाहती थी।
दृश्य तीन — कबीर का टूटना
कबीर ने तलवार नीचे गिरा दी.
उसकी आँखों में दर्द और गुस्सा दोनों थे.
शहवार. मैं तेरे लिए पूरी दुनिया से लडा.
अपना खून बहाया, अपनी जान दाँव पर लगा दी.
और तूने मुझसे सबसे बडा सच छुपा लिया?
गाँव वाले भी बुदबुदाने लगे—
तो शहवार ही असली वारिस है?
फिर कबीर कौन है? एक खिलौना?
शहवार ने हाथ जोडकर कहा—
नहीं कबीर. तू मेरा सबकुछ है.
तेरे बिना मैं कुछ नहीं।
लेकिन कबीर पीछे हट गया.
उसकी आँखों में आंसुओं की चमक थी.
मुझे सोचने दे शहवार. मुझे साँस लेने दे।
दृश्य चार — जफर खान की चाल
जफर खान ने मौका देखकर अपनी तलवार लहराई और गरजा—
देख लिया कबीर?
तेरी मोहब्बत ही तेरे साथ धोखा कर गई.
अब ये ताज मेरा होगा, और शहवार मेरी बंदिनी।
उसने जादुई ताकत से तेज आँधी मचाई.
कबीर को जमीन पर गिरा दिया और शहवार को बाँध लिया.
उसके माथे का निशान और भी चमकने लगा.
जफर ने हँसते हुए कहा—
अब मुझे कोई नहीं रोक सकता.
शहवार की शक्ति और इस ताज के साथ मैं अमर हो जाऊँगा।
दृश्य पाँच — कबीर की कसम
कबीर खून से लथपथ जमीन पर पडा था.
गाँव वाले दूर से रोते- चीखते देख रहे थे.
शहवार जंजीरों में कैद होकर चिल्लाई—
कबीर! मुझे छोड मत देना. प्लीज मुझे बचा लो।
कबीर धीरे- धीरे उठा.
उसकी आँखों में अब आँसू नहीं, सिर्फ आग थी.
उसने आकाश की ओर देखा और चिल्लाया—
हे भगवान! अगर मेरी मोहब्बत सच्ची है तो मुझे इतनी ताकत दे कि मैं शहवार को बचा सकूँ.
मैं अपनी जान दे दूँगा. पर उसे किसी और का नहीं होने दूँगा।
अचानक उसकी तलवार से तेज रोशनी फूट पडी.
मानो उसकी मोहब्बत ने उस तलवार को दिव्य बना दिया हो.
दृश्य छह — निर्णायक टकराव
जफर खान ने ताज सिर पर रखा और आसमान लाल हो गया.
उसने गरजकर कहा—
अब मेरा साम्राज्य शुरू होगा!
कबीर ने तलवार उठाई और उसकी ओर दौडा.
दोनों की टक्कर से धरती हिल गई.
आसमान में बिजली कौंधने लगी, और चारों ओर धूल का तूफान छा गया.
शहवार जंजीरों में छटपटा रही थी—
कबीर! तू हारना मत. मैं तुझ पर यकीन करती हूँ।
जफर ने अपनी काली ताकत से कबीर को कई बार गिराया, लेकिन कबीर हर बार उठ खडा हुआ.
उसकी आँखों में अब डर नहीं था.
दृश्य सात — शहवार की शक्ति
अचानक जफर ने शहवार को तलवार से मारने की कोशिश की.
लेकिन तभी उसके माथे का निशान और चमक उठा.
जंजीरें टूट गईं और शहवार के हाथ से नीली रोशनी निकली जिसने जफर को पीछे धकेल दिया.
कबीर हैरान रह गया.
शहवार खुद भी अपनी शक्ति देखकर स्तब्ध थी.
ये. ये मेरे अंदर से कैसे निकला?
साधु की गूँजती आवाज आसमान से आई—
ये तेरी रगों में बहे उस राजवंश के खून की शक्ति है.
तुम दोनों की मोहब्बत ने इसे जागृत किया है.
अगर तुम दोनों एक होकर लडोगे. तभी जफर को हराया जा सकेगा।
कबीर और शहवार ने एक- दूसरे की ओर देखा.
उनकी आँखों में अब सिर्फ भरोसा था.
दृश्य आठ — आखिरी वार
दोनों ने हाथ मिलाया.
कबीर की तलवार और शहवार की नीली शक्ति मिलकर एक तेज रोशनी में बदल गई.
उन्होंने मिलकर जफर पर वार किया.
जफर चीखा—
नहीं. ये असंभव है! कोई मुझे हरा नहीं सकता।
लेकिन रोशनी ने उसे जला दिया और उसका शरीर राख में बदल गया.
ताज जमीन पर गिरकर चकनाचूर हो गया.
आसमान साफ हो गया.
गाँव में फिर से शांति लौट आई.
दृश्य नौ — मोहब्बत की कसौटी
शहवार रोते हुए कबीर के गले लग गई.
कबीर! मुझे माफ कर दे. मैंने तुझसे सच छुपाया, लेकिन मेरी मोहब्बत कभी झूठी नहीं थी।
कबीर ने उसका चेहरा थामा और मुस्कुराया—
अब मैं समझ गया हूँ कि तूने क्यों छुपाया.
लेकिन आज हमारी मोहब्बत ने ही हमें बचाया है.
अब कोई हमें जुदा नहीं कर सकता।
गाँव वाले खुशी से झूम उठे—
जियो कबीर- शहवार! जियो मोहब्बत!
दृश्य दस — नया खतरा( क्लिफहैंगर)
सब खुश थे, तभी अचानक वही किताब अपने आप खुल गई.
उसमें लिखा था—
जफर खान का अंत अभी पूरा नहीं हुआ.
उसकी राख से नया अंधेरा उठेगा.
और असली जंग अभी बाकी है।
कबीर और शहवार ने किताब की ओर देखा.
उनकी मुस्कान एक पल में चिंता में बदल गई.
कैमरा धीरे- धीरे उनकी आँखों पर जूम करता है.
To be continued. सुनते रहिए Pocket FM.
राख से उठी अंधेरी ताकत
दृश्य एक — किताब का इशारा
गाँव में चारों तरफ खुशी का माहौल था.
लोग ढोल- नगाडे बजा रहे थे, औरतें रंग- बिरंगे कपडों में नाच रही थीं.
कबीर और शहवार को हीरो की तरह सम्मान मिल रहा था.
लेकिन उसी वक्त मंदिर में रखी पुरानी किताब अपने आप खुल गई.
पन्ने तेज हवा में पलटने लगे और एक लाइन चमककर सामने आई—
जफर खान का अंत अभी पूरा नहीं हुआ.
उसकी राख से नया अंधेरा उठेगा।
शहवार ने ये देखा तो काँप गई.
उसने धीरे से कबीर का हाथ पकड लिया—
कबीर. मुझे डर लग रहा है. कहीं ये सब खत्म न हुआ हो।
कबीर ने उसकी हथेली कसकर पकडी—
डर मत. जब तक मैं हूँ, तुझे कुछ नहीं होने दूँगा.
हम दोनों साथ हैं, और यही हमारी सबसे बडी ताकत है।
दृश्य दो — राख की हलचल
रात का समय था.
गाँववाले सो चुके थे, लेकिन कबीर और शहवार बेचैन थे.
उन्होंने फैसला किया कि जाकर देखें जहाँ जफर की राख गिरी थी.
दोनों मशाल लेकर जंगल की तरफ निकले.
वहाँ पहुँचकर उन्होंने देखा कि राख हवा में उड नहीं रही थी.
बल्कि राख के कण जमीन से चिपककर धीरे- धीरे एक आकार ले रहे थे.
शहवार घबराकर बोली—
कबीर! देखो. ये राख खुद- ब- खुद इकट्ठी हो रही है।
कबीर ने तलवार कसकर पकडी—
यानी किताब सच कह रही थी.
जफर का अंत अभी पूरा नहीं हुआ।
अचानक राख से एक काली परछाई उठी.
वो इंसान का रूप नहीं था, बल्कि धुएँ और आग से बना राक्षस जैसा दिखता था.
उसकी आँखें लाल थीं और उसकी आवाज गूँज रही थी—
हाहाहा. तुमने समझा कि मुझे हरा दिया?
मैं जफर खान नहीं, उसका श्राप हूँ.
अब मैं इस गाँव को हमेशा के लिए निगल जाऊँगा।
दृश्य तीन — गाँव में दहशत
सुबह होते ही गाँव में अजीब घटनाएँ शुरू हो गईं.
कुएँ का पानी काला पड गया.
जानवर अचानक मरने लगे.
छोटे बच्चे बिना वजह चिल्लाने लगे.
गाँववाले कबीर के पास दौडे—
हमें बचाओ! ये सब उस राख वाले राक्षस की वजह से हो रहा है।
कबीर ने तलवार उठाई और बोला—
मैं उस अंधेरे को गाँव तक पहुँचने नहीं दूँगा।
शहवार ने कहा—
कबीर. ये सामान्य लडाई नहीं है.
ये शक्ति इंसानों से ऊपर है. हमें किताब में कुछ और तलाशना होगा।
दृश्य चार — किताब का राज
दोनों मंदिर में जाकर किताब पलटने लगे.
पन्नों पर लिखा था—
राख से जन्मे अंधेरे को केवल ‘मोहब्बत की ज्योति’ ही मिटा सकती है.
यह ज्योति तब जागती है जब दो आत्माएँ पूरी तरह एक हो जाती हैं.
लेकिन याद रखो, यह शक्ति बलिदान माँगती है।
कबीर ने गंभीर स्वर में कहा—
तो इसका मतलब है हमें अपनी मोहब्बत की आखिरी परीक्षा देनी होगी।
शहवार की आँखें भर आईं—
बलिदान? अगर तुझे कुछ हुआ तो. मैं कैसे जीऊँगी?
कबीर ने उसके आँसू पोंछे—
अगर तेरी मुस्कान बचाने के लिए मुझे अपनी जान भी देनी पडे.
तो मैं हँसकर दे दूँगा।
दृश्य पाँच — राक्षस का हमला
गाँव पर अचानक काले बादल छा गए.
जफर की राख से बने उस राक्षस ने गाँव की दीवारें तोड दीं.
लोग चीखते- चिल्लाते हुए भागने लगे.
कबीर और शहवार आगे बढे.
कबीर ने तलवार से वार किया, लेकिन तलवार उसके शरीर से टकराकर धुएँ में बदल गई.
राक्षस ने गूँजती आवाज में कहा—
मूर्ख इंसान! मैं धुएँ और आग से बना हूँ.
तलवारें मुझे नहीं मार सकतीं।
शहवार ने अपने माथे का चमकता निशान सक्रिय किया.
उसके हाथ से नीली रोशनी निकली, जिसने राक्षस को कुछ देर पीछे धकेल दिया.
कबीर ने कहा—
शहवार! तेरी शक्ति ही इसका अंत कर सकती है.
तुझे अपनी पूरी ताकत जगानी होगी।
दृश्य छह — मोहब्बत की अग्नि
दोनों गाँव के बीच खडे होकर हाथ पकडते हैं.
कबीर ने ऊँची आवाज में कहा—
सुन राक्षस! तू राख है. और राख का अंत सिर्फ आग से होता है.
हमारी मोहब्बत की आग तुझे खत्म कर देगी।
दोनों की हथेलियों से रोशनी निकलने लगी.
वो रोशनी धीरे- धीरे मिलकर एक ज्वाला में बदल गई.
गाँववाले हैरान होकर देख रहे थे.
लेकिन तभी किताब से आवाज आई—
याद रखो! ये शक्ति तब तक नहीं जागेगी जब तक तुममें से कोई एक बलिदान न दे।
शहवार रो पडी—
नहीं कबीर! मैं तुझे खो नहीं सकती।
कबीर ने उसका चेहरा थामा—
अगर कोई जाएगा तो मैं जाऊँगा.
तू जिंदा रहेगी, क्योंकि तू ही इस गाँव की रानी है।
शहवार ने चिल्लाकर कहा—
नहीं! अगर बलिदान देना है तो मैं दूँगी.
मेरे बिना तू अधूरा नहीं रहेगा. लेकिन तेरे बिना मैं जिंदा लाश बन जाऊँगी।
दोनों के बीच सन्नाटा छा गया.
गाँववाले रोने लगे.
दृश्य सात — निर्णायक क्षण
राक्षस और करीब आ रहा था.
उसकी लपटें घरों को जलाने लगीं.
बच्चे चीख रहे थे.
कबीर और शहवार ने एक- दूसरे की आँखों में देखा.
उनके दिल की धडकनें एक हो गईं.
दोनों ने एक साथ कहा—
अगर बलिदान देना है. तो हम दोनों देंगे.
मोहब्बत अधूरी नहीं रहेगी।
उनके शरीर से निकलती रोशनी मिलकर इतनी तेज हो गई कि पूरा गाँव चमक उठा.
वो रोशनी सीधी राक्षस पर गिरी.
राक्षस चीखा—
नहीं. ये असंभव है.
और धीरे- धीरे राख बनकर बिखर गया.
दृश्य आठ — चमत्कार
गाँव में शांति लौट आई.
आसमान साफ हो गया.
गाँववाले खुशी से झूम उठे.
लेकिन जब सबने देखा तो कबीर और शहवार जमीन पर गिरे पडे थे.
उनकी साँसें धीमी थीं.
गाँववाले रोने लगे—
नहीं. हमारे रक्षक हमें छोडकर चले गए।
उसी वक्त किताब के पन्ने फिर से खुले और आवाज आई—
सच्ची मोहब्बत कभी मरती नहीं.
बलिदान ने इन्हें नई जिंदगी दी है।
अचानक कबीर और शहवार की साँसें लौट आईं.
दोनों धीरे- धीरे उठे.
गाँववाले खुशी से चिल्लाने लगे—
जियो कबीर- शहवार!
दोनों एक- दूसरे के गले लग गए.
उनकी आँखों से खुशी के आँसू बह रहे थे.
दृश्य नौ — नया राज
सब सामान्य हो गया, लेकिन किताब फिर से अपने आप खुली.
इस बार उस पर लिखा था—
तुमने राख के अंधेरे को हराया है.
लेकिन असली अंधेरा अभी सोया हुआ है.
उसका जागना ही तुम्हारी सबसे बडी परीक्षा होगी।
कबीर और शहवार ने एक- दूसरे की ओर देखा.
उनकी आँखों में अब डर नहीं, बल्कि संकल्प था.
कबीर ने कहा—
अगर अंधेरा सो रहा है. तो हम उसके जागने से पहले और मजबूत हो जाएँगे।
शहवार ने उसका हाथ कसकर थामा—
हम साथ हैं. तो कोई ताकत हमें हरा नहीं सकती।
कैमरा धीरे- धीरे दोनों पर जूम करता है और बैकग्राउंड में संगीत गूँजता है.
To be continued. सुनते रहिए Pocket FM.
असली अंधेरा
दृश्य एक — जंगल की रात
आसमान अब बिल्कुल काला हो चुका था. हवा में अजीब- सी गंध फैल रही थी, जैसे कोई पुरानी राख और खून एक साथ जल रहा हो. पेड ऐसे हिल रहे थे मानो किसी अदृश्य हाथ ने उन्हें पकड रखा हो. दूर मंदिर की घंटियाँ अपने आप बज रही थीं.
कबीर और शहवार उस रहस्यमयी ताज और किताब को अपने साथ लेकर खडे थे. गाँव वाले थोडी दूरी पर थे, उनकी आँखों में डर और उम्मीद दोनों झलक रहे थे.
शहवार की हथेली काँप रही थी, उसने किताब कसकर पकडी हुई थी.
कबीर ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा—
डर मत, मैं तेरे साथ हूँ. चाहे अंधेरा कितना भी गहरा क्यों न हो।
तभी, अचानक चारों तरफ अजीब आवाजें गूंजने लगीं, जैसे हजारों औरतें एक साथ रो रही हों. जमीन में हलचल हुई और गड्ढे से उठकर सामने आया — नवाब जफर खान.
दृश्य दो — जफर खान की असली पहचान
लेकिन ये वही जफर खान नहीं था जो थोडी देर पहले दिखा था.
अब उसका शरीर आधा इंसान और आधा छाया बन चुका था. उसकी आँखें जलते अंगारों जैसी थीं और उसके पीछे एक लंबी काली परछाई थी जो जमीन से कई गुना बडी थी.
उसने हँसते हुए कहा—
कबीर! तुझे लगा तूने खजाना जीत लिया?
नहीं. असली खजाना ये ताज है, और इस ताज के साथ जागता है वो अंधेरा. जिसे तेरे पूर्वजों ने कैद किया था।
कबीर ने तलवार निकाली और गुस्से से दहाडा—
तेरी ये चालें अब काम नहीं आएंगी. तू चाहे शैतान बन जाए, मैं तुझे हर हाल में रोकूँगा।
जफर खान की हँसी गूंज उठी—
रोकेगा? तू?
तू ये भी नहीं जानता कि तेरी मोहब्बत ही मेरी सबसे बडी ताकत है।
दृश्य तीन — किताब का नया रहस्य
शहवार ने जल्दी- जल्दी किताब खोली. पन्ने अपने आप पलटने लगे. एक जगह आकर रुके.
उसमें लिखा था—
इस ताज की ताकत तब तक अधूरी है जब तक मोहब्बत जिंदा है.
लेकिन अगर मोहब्बत टूट जाए, तो ये ताज पूरी तरह अंधेरे के हवाले हो जाएगा।
शहवार का चेहरा पीला पड गया. उसने काँपते हुए कबीर से कहा—
कबीर! अगर तूने मुझसे दूर होने का जरा भी इरादा किया. तो ये ताज हमें ही खा जाएगा।
कबीर ने उसकी आँखों में देखा और कसकर बाँहों में भर लिया.
मोहब्बत तो मेरी रगों में दौडती है, शहवार.
कभी सोचना भी मत कि मैं तुझे छोड सकता हूँ।
दृश्य चार — गाँव में हलचल
गाँव में अफरातफरी थी.
बच्चे रो रहे थे, औरतें दुआएँ पढ रही थीं.
बुजुर्ग आपस में कह रहे थे—
ये वही अंधेरा है जिसके बारे में हमारे दादा- बुजुर्ग बताते थे.
कबीर और शहवार ही अब हमारी आखिरी उम्मीद हैं।
कुछ लोग डरकर बोले—
अगर कबीर हार गया तो? अगर शहवार भी अंधेरे का हिस्सा बन गई तो?
गाँव का पूरा माहौल दहशत और इंतजार के बीच झूल रहा था.
दृश्य पाँच — जफर खान का वार
जफर खान ने अपनी छाया से जमीन को जकड लिया. पेड गिरने लगे, मिट्टी उखडने लगी.
उसने ताज को हवा में उठाया और मंत्र पढने लगा.
ताज से काले धुएँ की लपटें निकलकर शहवार की ओर बढीं.
शहवार चीख पडी—
आह!
कबीर ने तलवार घुमाई और उस धुएँ को काटने की कोशिश की. लेकिन जैसे ही उसकी तलवार धुएँ से टकराई, तलवार पर दरारें पड गईं.
कबीर दंग रह गया.
ये. ये तो इंसानी ताकत से नहीं टूटेगा।
दृश्य छह — शहवार की शक्ति
तभी शहवार का माथा फिर से चमकने लगा. किताब की रोशनी उसके माथे पर जाकर एक निशान बना रही थी.
उसने कबीर का हाथ पकडा और कहा—
कबीर, शायद यही समय है जब मुझे अपनी असली पहचान माननी होगी।
कबीर ने हैरानी से पूछा—
कौन सी पहचान?
शहवार की आँखों से आँसू निकल पडे.
मैं सिर्फ तेरी मोहब्बत नहीं हूँ, कबीर.
मैं उसी राजवंश की आखिरी वारिस हूँ जिसने इस ताज को सदियों पहले छुपाया था.
मेरे खून में वो चाबी है जो इस अंधेरे को कैद कर सकती है।
कबीर हक्का- बक्का रह गया.
मतलब. तू. तू ही इस श्राप की कुंजी है?
शहवार ने सिर झुका लिया—
हाँ, लेकिन कुंजी बनने का मतलब ये भी है कि. शायद मुझे अपनी जान देनी पडे।
दृश्य सात — कबीर का वादा
कबीर की आँखों में आँसू आ गए.
उसने शहवार के कंधे पकडकर कहा—
नहीं! मैं तुझे कुछ नहीं होने दूँगा.
तेरी जान पर कभी कोई हाथ नहीं डाल सकता, जब तक कबीर जिंदा है।
शहवार ने धीमे स्वर में कहा—
लेकिन कबीर. अगर मैं ये बलिदान नहीं दूँगी, तो पूरा गाँव खत्म हो जाएगा.
कभी- कभी मोहब्बत को सबसे बडी कुर्बानी देनी पडती है।
कबीर ने तलवार उठाकर जफर खान की ओर इशारा किया—
कुर्बानी तो मैं दूँगा.
अगर किसी को मरना है, तो वो मैं होऊँगा.
तू मेरी मोहब्बत है, और तुझे मैं हर हाल में बचाऊँगा।
दृश्य आठ — अंतिम टकराव की तैयारी
जफर खान ने गरजकर कहा—
बहुत भावुक हो लिए तुम दोनों.
अब देखो, जब ताज मेरी पूरी ताकत देगा, तो तुम्हारी मोहब्बत कैसे जलकर राख बन जाएगी।
कबीर ने तलवार उठाई.
शहवार ने किताब की आखिरी पंक्तियाँ पढनी शुरू कीं.
गाँव वाले दूर से दुआएँ कर रहे थे.
आसमान में बिजली कडकने लगी.
धरती फटने लगी.
जफर खान और कबीर आमने- सामने खडे थे—
एक तरफ मोहब्बत, दूसरी तरफ अंधेरा.
दृश्य नौ — रहस्यमयी ट्विस्ट
जैसे ही जफर खान ने ताज से आखिरी वार करना चाहा, अचानक शहवार का शरीर चमक उठा.
किताब हवा में उठी और अपने आप जलने लगी.
उस किताब की राख जाकर सीधा ताज पर गिरी.
जफर खान चीख पडा—
नहीं! ये नहीं हो सकता! ये तो सदियों की ताकत थी!
शहवार जमीन पर गिर गई.
कबीर दौडकर उसके पास आया—
शहवार! आँखें खोल. प्लीज.
शहवार ने कमजोर आवाज में कहा—
कबीर. अगर मैं जिंदा न रही, तो याद रखना. मोहब्बत ही सबसे बडी दौलत है।
कबीर ने उसकी हथेलियाँ पकडीं और जोर से चिल्लाया—
नहीं! तू मुझे छोडकर नहीं जा सकती!
दृश्य दस — असली अंधेरे की परत
अचानक. ताज हवा में फट पडा.
काले धुएँ से निकलकर एक और बडी छाया सामने आई.
वो जफर खान भी नहीं था. बल्कि कोई और, कोई ऐसा जो अब तक छुपा था.
उसने ठंडी आवाज में कहा—
जफर तो सिर्फ मेरा मोहरा था.
असली अंधेरा. मैं हूँ।
कबीर और शहवार दोनों ने हैरान होकर उसकी ओर देखा.
गाँव वाले चीख पडे.
और स्क्रीन धीरे- धीरे अंधेरे में डूबने लगी.
To be continued. सुनते रहिए Pocket FM.
अंधेरे का चेहरा
आसमान में काले बादल एक दूसरे से टकरा रहे थे. अचानक उस फटे ताज से निकली छाया ने इंसानी शक्ल अख्तियार कर ली. उसका चेहरा आधा इंसान और आधा जानवर जैसा था. उसकी आँखें लाल आग की तरह चमक रही थीं.
गाँव वाले डर से पीछे हटे, कोई भी उसकी तरफ देखने की हिम्मत न कर पाया.
कबीर ने तलवार उठाई—
तू आखिर है कौन? जफर तो सिर्फ एक मोहरा था, तो असली खिलाडी कौन है?
वो छाया मुस्कुराई—
मैं हूँ वो, जिसे सदियों पहले तेरे पूर्वजों ने कैद किया था.
तेरी मोहब्बत मेरी सबसे बडी दुश्मन है.
अगर शहवार जिंदा रही. तो मैं कभी पूर्ण नहीं हो पाऊँगा।
शहवार काँपते हुए बोली—
मतलब. मेरी जान ही तेरी कमजोरी है?
कबीर ने उसका हाथ थाम लिया—
तो सुन ले! जब तक कबीर की साँस चल रही है, कोई भी शहवार को छू नहीं सकता।
अंधेरा हँसा और हवा में गूँजा—
तो फिर. तुझे अपनी मोहब्बत और अपने गाँव के बीच चुनना होगा, कबीर।
कबीर चौंक गया.
गाँव वाले सन्न रह गए.
शहवार की आँखों से आँसू बह निकले.
क्या कबीर अपनी मोहब्बत बचाएगा या गाँव?
क्या शहवार वाकई इस अंधेरे को कैद करने की चाबी है?
और क्या मोहब्बत सच में इस बार भी सबसे बडी ताकत साबित होगी?
अंधेरा गरजा—“ कबीर, मोहब्बत बचाएगा या गाँव?
शहवार रो पडी.
क्या वो अपनी जान की मोहब्बत चुनेगा या गाँव की हिफाजत?
To be continued.