दृश्य – हवेली का तहखाना, जहाँ अभी- अभी सुनीता आंटी का वीडियो खत्म हुआ है. माहौल में अजीब सी खामोशी है. दूर कहीं लोहे की चेन के खिसकने जैसी आवाज गूंजती है।
वेरिका( कांपते स्वर में) ये. ये कैसे हो सकता है? सुनीता आंटी तो मर चुकी थीं. फिर ये वीडियो?
अरहान( भौंहें सिकोडकर) या तो किसी ने हमें धोखा दिया है. या फिर उनकी मौत सिर्फ एक नाटक थी.
कबीर( धीरे, गहरी आवाज में) नहीं. मैंने उनकी लाश देखी थी. मैं खुद वहाँ था. लेकिन अब जो सामने आया है, वो सबकुछ उलट रहा है.
तभी पास खडा जेरेफ अचानक बोल उठता।
जेरेफ: क्या तुम लोगों ने कभी सोचा है कि इस खेल में सिर्फ तुम ही शिकार नहीं, बल्कि शिकारी भी हो सकते हो?
जारिन( हल्की हंसी के साथ) और असली शिकारी तो अभी सामने ही नहीं आया.
वेरिका घबराकर सम्राट की ओर देखती है. सम्राट अब भी शांत मुस्कान लिए खडा है. उसकी आंखों में एक ठंडी चमक है।
वेरिका( तेज स्वर में) बताओ! ये सब किसने किया? सुनीता आंटी जिंदा हैं या नहीं?
सम्राट( धीरे, रहस्यमयी लहजे में) अगर मैं कह दूँ कि वो जिंदा हैं. तो क्या तुम यकीन कर लोगी?
अरहान( गुस्से से) बस बहुत हुआ! खेल मत खेलो. सच बताओ.
सम्राट: सच? सच वो होता है जो तुम देखो. या वो जो मैं दिखाऊँ?
इतना कहते ही तहखाने की दीवार पर लगी स्क्रीन फिर से जल उठती है. अब स्क्रीन पर सिर्फ अंधेरा दिखाई देता है, और उस अंधेरे में किसी के पैरों की आहट सुनाई देती है. अचानक एक टॉर्च जलती है, और कैमरे में एक लंबा, काला गलियारा दिखता है. गलियारे के आखिर में. कोई खडा है. उसका चेहरा साफ नहीं दिख रहा।
वेरिका( डरते हुए फुसफुसाती) ये. ये कौन है?
कबीर( तेजी से) कैमरा उस पर फोकस करो.
जैसे ही कैमरा जूम करता है, स्क्रीन पर वो शख्स धीरे- धीरे अपना चेहरा उठाता है. उसकी आंखों में वही पहचानने वाली चमक है. यह सुनीता आंटी हैं. पर उनका चेहरा अब पहले से बदला हुआ है, जैसे किसी गहरी साजिश का हिस्सा हों।
सुनीता( वीडियो में) जिस खेल को तुम लोग पिंजरा समझ रहे हो. असल में वो जाल है. और उस जाल का मालिक तुम सोच भी नहीं सकते.
वीडियो यहीं cut जाता है।
हवेली का रहस्य और अगली चाल
स्क्रीन बंद होते ही पूरा तहखाना हिलने लगता है. छत से धूल गिरती है. दीवारों से अजीब सी कराहती हुई आवाज आती है।
वेरिका( चिल्लाकर) ये जगह गिरने वाली है! हमें बाहर निकलना होगा.
कबीर: नहीं! अगर हम बाहर भागे, तो खेल यहीं खत्म हो जाएगा. हमें रहस्य यहीं खोजना होगा.
अरहान( गुस्से से) कबीर! ये जिद मत करो. हवेली जिंदा निगल जाएगी हमें.
जेरेफ( हँसते हुए) हवेली कभी गिरती नहीं. वो सिर्फ तुम्हें डराती है. ताकि तुम उसकी असली ताकत तक पहुँच ही न सको.
जारिन: और जो इसकी गहराई तक जाता है, वही जान पाता है कि असली मालिक कौन है.
सम्राट आगे बढता है. उसके कदमों की आहट पूरे तहखाने में गूंजती है।
सम्राट: अब वक्त आ गया है. तुम सब जानना चाहते थे कि असली खिलाडी कौन है. लेकिन सावधान. ये सच तुम्हारी दुनिया बदल देगा.
वह अचानक अपनी जेब से एक चाबी निकालता है और तहखाने की सबसे पुरानी दीवार में जडी हुई एक पत्थर की स्लैब पर लगाता है. जैसे ही चाबी घुमाई जाती है, दीवार दो हिस्सों में बंट जाती है और अंदर एक गुप्त दरवाजा खुल जाता है. भीतर से ठंडी हवा का झोंका निकलता है।
वेरिका( साँस रोककर) हे भगवान. ये. ये सब हवेली के अंदर छुपा था?
कबीर: लगता है ये सिर्फ हवेली नहीं. बल्कि एक भूलभुलैया है.
अरहान( कसकर मुट्ठी भींचते हुए) और हमें इस भूलभुलैया से होकर गुजरना होगा.
गुप्त सुरंग की यात्रा
चारों – कबीर, अरहान, वेरिका और सम्राट – उस गुप्त सुरंग में दाखिल होते हैं. पीछे- पीछे जेरेफ और जारिन भी चलते हैं. सुरंग लंबी और अंधेरी है. बीच- बीच में मशालें जल रही हैं, जैसे कोई पहले से रास्ता तय कर चुका हो।
वेरिका( धीरे) ये सब किसने बनाया होगा?
सम्राट( मुस्कुराकर) जिस दिन से ये हवेली बनी थी, उसी दिन इसकी नींव में ये सुरंग भी रखी गई थी. क्योंकि खेल की असली शुरुआत यहीं से होती है.
कबीर( चौंककर) मतलब ये सब पीढियों से चलता आ रहा है?
सम्राट: बिल्कुल. और अब तुम्हारी बारी है.
अचानक सुरंग में जमीन कांपने लगती है. दीवारों पर खुदे अजीब से चिह्न चमकने लगते हैं. एक तेज रोशनी फैलती है. सब अपनी आँखें ढक लेते हैं. जब रोशनी धीरे होती है तो सामने एक विशाल कक्ष दिखाई देता है।
रहस्यमयी कक्ष
कक्ष के बीचोबीच एक बडा गोल मेज है. मेज पर अलग- अलग प्रतीक खुदे हैं – सिंहासन, तलवार, मुकुट और. एक पिंजरा।
अरहान( गहरी आवाज में) ये. ये सब क्या है?
जेरेफ: ये है असली तख्त. जिसने इसे हासिल कर लिया, वही इस खेल का मालिक बन जाता है.
जारिन: और जिसने गलती कर दी. वो यहीं हमेशा के लिए कैद हो जाता है.
वेरिका( सिहरते हुए) कैद. मतलब?
सम्राट: मतलब. ये कक्ष ही वो सोने का पिंजरा है.
सब चौंक जाते हैं।
कबीर: तो ये हवेली. ये सुरंग. ये सब मिलकर सिर्फ एक जाल है?
सम्राट: हाँ. और इसका असली मकसद तुम्हें चुनना है. कौन मालिक बनेगा और कौन मोहरा रहेगा.
सुनीता आंटी का रहस्य
तभी अचानक कक्ष की दूसरी ओर से किसी के कदमों की आहट सुनाई देती है. सब पलटकर देखते हैं. दरवाजा खुलता है और वहाँ सुनीता आंटी खडी हैं. उनके चेहरे पर अजीब सा भाव है – न पूरी तरह दोस्ताना, न दुश्मनाना।
वेरिका( रोते हुए) सुनीता आंटी. आप. आप जिंदा हैं!
अरहान( गुस्से से) आपने हमें धोखा क्यों दिया?
सुनीता( शांत स्वर में) धोखा? नहीं, बच्चों. मैंने तुम्हें बचाया है. अगर मैं मरने का नाटक न करती, तो असली मालिक तुम्हें कभी यहाँ तक नहीं आने देता.
कबीर( संदेह से) तो आप भी इस खेल का हिस्सा थीं?
सुनीता: हाँ. लेकिन मेरी भूमिका अलग थी. मुझे यकीन था कि तुम सब इस खेल को तोड सकते हो.
सम्राट( कटाक्ष भरे स्वर में) और देखो. ये आ ही गए.
सुनीता आगे बढकर मेज पर रखे पिंजरे के प्रतीक को छूती हैं. प्रतीक से अचानक सुनहरी रोशनी निकलती है और पूरा कक्ष गूंज उठता है।
सुनीता: यही है वो ताकत. जिसके लिए सदियों से खून बहा है. जो इसे हासिल करता है, वो अमर हो जाता है. लेकिन. कीमत बहुत भारी है.
अगला मोड – असली मालिक
अचानक कक्ष का दरवाजा जोर से बंद हो जाता है. अंधेरे से एक गहरी आवाज गूंजती है।
आवाज: तुम सब मेरे जाल में फँस चुके हो. अब खेल तुम्हारे हाथ में नहीं, मेरे हाथ में है.
सब इधर- उधर देखने लगते हैं. आवाज गूंजती रहती है।
कबीर( चिल्लाकर) सामने आओ! अगर हिम्मत है तो अपना चेहरा दिखाओ.
अंधेरे से धीरे- धीरे एक शख्स बाहर आता है. उसका चेहरा किसी नेगेटिव मास्क से ढका हुआ है. उसकी आंखें लाल चमक रही हैं।
अरहान( हैरानी से) ये. ये कौन है?
वेरिका( डरी हुई आवाज में) क्या यही असली मालिक है?
सम्राट( धीरे- धीरे मुस्कुराते हुए) हाँ. यही है वो.
मास्क वाला शख्स( गहरी आवाज में) तुम सब सोचते हो कि इस खेल का अंत होगा. लेकिन असल में ये तो अभी शुरू हुआ है.
टकराव की तैयारी
कक्ष के चारों कोनों से अचानक जंजीरें निकलती हैं और सबके हाथ- पाँव जकडने लगते हैं. वे चीखते हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं।
वेरिका( रोते हुए) नहीं! हमें छोड दो.
कबीर( संघर्ष करते हुए) अगर ये पिंजरा है. तो कोई न कोई रास्ता भी होगा इसे तोडने का.
सुनीता( तेज स्वर में) हाँ! रास्ता है. लेकिन उसे खोजने के लिए तुम्हें बलिदान देना होगा.
अरहान( चौंककर) बलिदान? किसका बलिदान?
सुनीता चुप हो जाती हैं. सम्राट मुस्कुराकर उनकी ओर देखता है।
सम्राट: सच तो ये है कि खेल का असली मालिक तुम सबमें से ही कोई है. और जब तक वो सामने नहीं आता. ये पिंजरा टूटेगा नहीं.
अचानक रोशनी बुझ जाती है. चारों ओर सिर्फ चीखती हवेली की गूंज रह जाती है. कैमरा धीरे- धीरे ब्लैक होता है।
एपिसोड समाप्त – लेकिन रहस्य अधूरा
वॉइसओवर)
तो आखिरकार सवाल वही है – असली खिलाडी कौन है? क्या सुनीता आंटी सचमुच मददगार हैं या नई चाल चल रही हैं? और वो मास्क पहना शख्स कौन है जिसने सबको कैद कर लिया है? क्या कबीर, अरहान और वेरिका सच में इस पिंजरे को तोड पाएंगे. या हमेशा के लिए इसमें फँस जाएंगे?
आगे जानने के लिए सुनते रहिए – ‘सोने का पिंजरा’ – सिर्फ पॉकेट एफएम पर.
दृश्य — तहखाने का तथा वही रहस्यमयी कक्ष. स्क्रीन पर अभी- अभी सुनीता आंटी का रिकॉर्डेड वीडियो दिखा था; पर असलियत यह है कि सुनीता आंटी की देह कई हफ्ते पहले पाई गई थी. अब सब सच को जानकर हिल गए हैं।
हल्की धुंध भरी रोशनी; दीवारों पर पुराने कालीनों की खुशबू; जंजीरों की खनक अभी भी कानों में गूँजती है।
वेरिका( आँखों में आँसू, धीमे से) तुम लोग सुन रहे हो न? सुनीता आंटी की आवाज. पर वो तो मर चुकी थीं. उनका पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी आया था—उनकी मौत. किसी ने हत्या जैसी लगाई थी.
अरहान( चेहरे पर सख्त रुख) मैंने भी वही रिपोर्ट देखी. गर्दन पर गहरा निशान, दाहिने हाथ की कलाई पर पुराना घाव और कपडों पर कुछ ऐसा दाग जो अभी तक साफ नहीं हुआ. ऐसा लगता है जैसे किसी ने उन्हें खींचा हो.
कबीर( सख्त, पर अंदर से टूटता हुआ) और फिर ये वीडियो. कौन इतना बेमायने ड्रामा रचा? क्या किसी ने उनकी आवाज रिकॉर्ड करके हमें भ्रमित किया? या फिर यह रिकॉर्डिंग उस दिन की है जब वो जिंदा थीं? लेकिन किसने उसे अब चलाया — और क्यों?
सम्राट की निगाहें ठंडी और मंथर हैं; उसके चेहरे पर न कोई पछतावा, न दया—सिर्फ सोच की परतें।
सम्राट( धीरे) कई बार सच आवाज में नहीं रहता. सच छायाओं में छिपा होता है. और जो छायाएँ गहरे हों, उन्हीं के पास जवाब होते हैं.
सुरंग की दीवार पर अचानक एक धीमी रौशनी जलती है — जैसे कोई प्रोजेक्शन पहले रिकॉर्ड किया गया फुटेज फिर से चला रहा हो. स्क्रीन पर वही गलियारा, वही टॉर्च, और फिर सुनीता आंटी—पर इस बार वीडियो में उनका चेहरा और भी कुछ सेकंड आगे जाता है. वे दिखाती हैं—एक छोटी कागज की पत्ती, जिस पर बैंगनी स्याही से कुछ अक्षर लिखे हैं।
सुनीता( वीडियो में, धीमी आवाज) अगर तुम सच पता करना चाहते हो. तो उस स्याही के निशान को देखो. और हवेली के पुराने कोने—वहां चाबी छुपी है. पर सावधान—हर रहस्य की कीमत होती है.
वीडियो अचानक cut जाता है. पूरी कटौती के बाद भी तहखाने में सन्नाटा कुछ ज्यादा कडक लगता है।
जेरेफ( ठंडे तरीके से हँसते हुए) अरे वाह! सुनीता ने सब छोडकर सुराग दे दिए — ठीक वैसे जैसे किसी उपन्यास में होता है. पर बात ये है—क्या असली सुनीता ने ये छोडा था? या किसी ने किसी और की आवाज उधार ली?
जारिन( कंसर्न से) हमें पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, स्याही के नमूनों और उस पत्ती का मिलान कराना चाहिए. किसी लैब में. पर यहाँ एक और बात है—जब पुलिस ने शव बरामद किया था, तो वहां पर कैमरा फुटेज मिला था. पर वो एक घंटा गायब था. सारा रिकॉर्ड अचानक cut गया था.
वेरिका( रोते हुए, किंतु गुस्से में) मतलब किसी ने जानबूझकर सब सबूत मिटा दिए! और अब हमें इन झूठी रिकॉर्डिंग से भ्रमित करने की कोशिश हो रही है.
कबीर( धीरे से) या तो कोई हमें अलग- थलग कर के अपनI मंशा आगे बढाना चाहता है. या वही जो हमारे बीच है, उसे कोई बडा फायदा पहुँचाने की कोशिश कर रहा है.
सम्राट कुछ कदम बढता है और मेज पर रखे पुराने पिंजरे के प्रतीक की ओर हाथ बढाता है. उसका स्पर्श ठंडा लगता है।
सम्राट( ठंडे अंदाज में) सुनीता ने कहा था—" हर रहस्य की कीमत होती है" पर सवाल यही है—कौन सी कीमत हम चुकाने को तैयार हैं? और क्या तुमच में से कोई ऐसा है जिसने उस कीमत के लिये पहले ही सौदा कर लिया था?
अरहान के चेहरे पर आग जैसी लालिमा फैलती है।
अरहान: तुम मेरी माँ, मेरे घर, हमारी इज्जत पर खेल रहे हो. सुनीता की मौत से खिलवाड बर्दाश्त नहीं होगा. अगर तुमने सच छुपाया है—तो अब सब बाहर आना चाहिए.
तभी तहखाने के एक कोने में से हल्की खडखडाहट की आवाज आती है. सभी तिव्रता से उस ओर मुडते हैं. वहाँ पर एक पुराना लकडी का बक्सा पडा है, ऊपर जर्जर रुमाल से आधा ढका हुआ. जेरेफ झटके से आगे बढता है और बक्सा खोलता है।
जेरेफ( हंसते हुए, पर आवाज में तुनकमिजाजी) अरे देखो तो—एक बिल्कुल पुराना नोटबुक. और इसमें—सुनीता की ही तरह की लिखावट? पर यह किसने छोडा?
वेरिका झट से नोटबुक के पास जाती है और पन्ने पलटती है. पन्नों पर धूल के निशान, पेंसिल की खुरदुरी लकीरें और एक ताजा सा दाग—बैंगनी स्याही जैसा—नजर आता है।
वेरिका( आँखें फैलाकर) यह वही स्याही का निशान है जो वीडियो में दिखा था! पर यह ताजा है—जैसे किसी ने अभी- अभी लिखकर छुपाया हो.
कबीर( ध्यान से) और यहाँ—एक वाक्य अधूरा छोडा गया है: अगर तुम्हें सच चाहिए तो ———— को न छुओ" वह उन शब्दों पर रुकता है) किसी ने जानबूझकर शब्द मिटा दिए.
सभी के चेहरे पर चिंता और घबराहट एक साथ दिखती है।
सम्राट( धीरे और ठंडे स्वर में) तो यह सुराग भी तुम पर चुभेगा, है न? कोई बार- बार तुम्हें बताना चाहता है कि हर कदम पर कोई तुम्हें देख रहा है. और कोई तुम्हारे कदमों के लिए पहले से तैयारी कर चुका है.
अचानक तहखाने की दीवार के पीछे से एक धीमी धीमी सब कुछ झनझनाहट- सी सुनाई देती है — मानो कोई पुराना रोलिंग डोर, जो सदियों से बंद पडा था, धीरे- धीरे खुल रहा हो. हवा के साथ मिट्टी की बूंदें गिरती हैं।
जारिन( सख्ती से) हमें तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. इस नोटबुक की स्याही का नमूना, उस पत्ती का FTIR, और कैमरा फुटेज के गायब हिस्से की बैकअप रिकवरी — और सबसे जरूरी — सुनीता के आखिरी बैठने के समय किस- किस से मुलाकात हुई, उन सबको एक साथ बैठाकर पूछताछ करनी होगी.
वेरिका( काँपते हुए) पर पुलिस. उन्होंने कहा था कि केस बंद हो गया था—किसने मामला रद्द किया?
कबीर( ठंडी आवाज में) शायद वही जिसने रिकॉर्डिंग दिखाई, उसने केस' रद्द' करवा दिया. या फिर कोई अंदरूनी मदद लेकर सबूत दबा रहा है. हाँ. और इसका मतलब है कि असली दुश्मन हमारे बीच है — ऐसा कोई जो न केवल शक्तिशाली है बल्कि चालाक भी है.
अरहान अचानक चिल्लाता है) तो हम इंतजार नहीं करेंगे! अगर पुलिस ने काम नहीं किया, तो हम खुद ही सच्चाई तक पहुँचेंगे.
सम्राट ने धीरे से सिर हिलाया — जैसे उसे यह बात पसंद आई हो।
सम्राट: ठीक है—लेकिन याद रखो—जो सच तुम खोजोगे, वह तुम्हें बदल देगा. सुनीता की मौत न सिर्फ एक हत्या है; वह एक उद्घोषणा है—कोई तुम्हें आजमाना चाहता है. और उस आजमाने में, कुछ कीमतें ऐसी होंगी कि उन्हें चुकाना आसान नहीं होगा.
सभी एक- दूसरे की ओर देखते हैं—अंतराल में एक समझ बनती है: वे साथ हैं, पर विश्वास टूट चुका है।
अचानक बक्से के नीचे से एक छोटा सा, पुराना चश्मा गिरता है — उस पर सफेद धूल और एक पुराना निशान. जेरेफ झटके से चश्मा उठाता है और उसकी फ्रेम पर नाम खुदा हुआ मिलता है: R. — एक सिर्फ एक ही अक्षर।
वेरिका( धडकते हुए) R. यह किसका है? R कौन हो सकता है?
कबीर की आँखें अचानक ठंडी हो जाती हैं; वह चश्मा झट से लेकर उसे पास की मशाल की रोशनी में देखता है. चश्मे के ऊपर एक सूक्ष्म- सी दरार पर कुछ लाल सी दाग की रेखा है — खून का निशान? नहीं—परिंदा के पंख सा हल्का निशान।
कबीर( धीरे, पर दृढ) यह कोई सामान्य सुराग नहीं है. यह चश्मा किसी ऐसे इंसान का है जो चाह रहा था कि उसे पहचाना जाए. या जिसे कुछ छुपाना पडा.
एक दर्दभरा सन्नाटा फैलता है. हवेली की दीवारें मानो और निकट आने लगती हैं।
विडियो स्क्रीन पर अचानक एक पलक झपकती है—और उसी पल किसी की आवाज, बेहद धीमी और बर्फ- सी, कानों में गूँजती है:
आवाज( रिकॉर्डेड, पर घोर) जो सच खोजेगा, उसे पहले खुद को खोना होगा.
पर्दा धीरे से काला पडता है; जंजीरों की खनक आखिरी बार गूँजती है।
वॉइसओवर) सुनीता आंटी की मौत अब सिर्फ सुराग नहीं—यह युद्ध का पहला संकेत बन चुकी है. प्रश्न वही है—R कौन है? किसने सुनीता की मौत की साजिश रची? और क्या सच इतने भयावह होंगे कि जो भी सामने आएगा, वह अब कभी बैक नहीं लौट सकेगा?
तहखाने की खामोशी
तहखाना मानो सांस रोके खडा था.
दीवारों पर लगी मशालें धीमी- धीमी लौ से झिलमिला रही थीं. हवा इतनी भारी थी कि साँस लेना भी मुश्किल लग रहा था. हर किसी के चेहरे पर तनाव की लकीरें साफ झलक रही थीं.
वेरिका की आँखें अभी भी गीली थीं. उसके होंठ काँप रहे थे.
उसने धीमे स्वर में कहा—
सुनीता आंटी. उनकी मौत तो हो चुकी थी. फिर यह सब क्या है? ये वीडियो, ये आवाजें—किसने बनाया?
अरहान ने अपनी मुट्ठियाँ भींच लीं. उसकी नजरों में गुस्सा और लाचारी दोनों थे.
मैंने उनकी लाश देखी थी. मैंने. अपनी आँखों से. गर्दन पर गहरा निशान था, जैसे किसी ने दबोचा हो. और उनकी कलाई—कटी हुई थी. कोई शक नहीं था कि उनकी हत्या हुई है।
कबीर गहरी साँस भरते हुए बोला—
और अब ये रिकॉर्डिंग. किसी ने पहले से ही सब प्लान किया था. यह खेल उनकी मौत के साथ ही शुरू हुआ था।
सम्राट मुस्कुराया, वही ठंडी मुस्कान जो सभी के दिल में झुरझुरी दौडा देती थी.
मौत कभी अंत नहीं होती. कई बार मौत ही शुरुआत होती है।
यादों का बोझ
वेरिका अचानक जमीन पर बैठ गई. उसके दिमाग में सुनीता आंटी की हँसी गूंज रही थी.
—वो कैसे उसके बालों में चोटी गूँथा करती थीं, कैसे उसे बचपन में कहानियाँ सुनाती थीं.
लेकिन अब सब यादें धुंधली पडती जा रही थीं.
अगर आंटी सच में मर चुकी हैं. तो ये सब दिखाने वाला कौन है?
उसने काँपते स्वर में कहा.
जेरेफ ने ठंडी हँसी भरी—
कभी- कभी भूत भी लौट आते हैं. और कभी- कभी इंसान भूत का मुखौटा पहन लेता है।
जारिन ने गंभीरता से कहा—
लेकिन अगर यह इंसानी चाल है तो इसका मतलब है कि हत्यारा. हममें से कोई हो सकता है।
गुप्त नोटबुक
उसी समय तहखाने के कोने से चरमराहट की आवाज आई. सब चौकन्ने हो गए.
एक पुराना बक्सा धूल से ढका पडा था. कबीर ने मशाल उठाई और बक्से के पास गया.
बक्सा खोला गया तो अंदर एक नोटबुक मिली.
उसके पन्ने पुराने थे, लेकिन उनमें से एक पन्ना बाकी सब से नया लग रहा था. उस पर बैंगनी स्याही से लिखा था—
अगर सच चाहिए तो परछाइयों को छुओ. पर सावधान, परछाइयाँ काट भी सकती हैं।
वेरिका की साँस रुक गई.
यह. यह तो आंटी की लिखावट जैसी लग रही है।
अरहान ने पन्ना खींचकर देखा.
लेकिन स्याही ताजा है. किसी ने हाल ही में लिखा है. सुनीता आंटी तो हफ्तों पहले मर चुकी थीं. इसका मतलब. कोई उनका नाम इस्तेमाल कर रहा है।
कबीर की आँखें सिकुड गईं.
और वही कोई. असली दुश्मन है।
मौत की गुत्थी
कक्ष में मौजूद सभी चेहरे तनावग्रस्त थे.
सम्राट अब भी अजीब संतोष के साथ खडा था.
मौत को रहस्य बना देने का हुनर हर किसी के पास नहीं होता।
उसने धीरे से कहा.
सुनीता की मौत. एक धुंध है. और धुंध हमेशा सच्चाई को छुपा लेती है।
वेरिका ने झटके से पूछा—
क्या तुम कहना चाहते हो कि उनकी हत्या भी इस खेल का हिस्सा थी?
सम्राट ने होंठों पर मुस्कान लाते हुए कहा—
शायद. और शायद नहीं।
अरहान गुस्से से गरजा—
तुम्हें सब पता है, है न? सबकुछ! तो क्यों नहीं बोलते साफ- साफ?
सम्राट ने कोई जवाब नहीं दिया. उसकी चुप्पी और भी भारी थी.
दीवारों की फुसफुसाहट
तभी कक्ष की दीवारों से अजीब सी आवाजें आने लगीं.
जैसे कोई दीवार के भीतर से बोल रहा हो—फुसफुसा रहा हो.
जो सच खोजेगा, वो खुद खो जाएगा.
सबके रोंगटे खडे हो गए.
वेरिका ने अपनी कानों पर हाथ रख लिए.
ये आवाजें. ये कहाँ से आ रही हैं?
कबीर ने मशाल दीवार पर रखी.
वहाँ अजीब चिह्न खुदे थे—सिंहासन, मुकुट, तलवार, पिंजरा—और अब उन पर लाल रोशनी चमक रही थी.
जारिन ने चौकते हुए कहा—
ये प्रतीक. ये हमें देख रहे हैं. जैसे इनमें जान हो।
मास्क वाला साया
अचानक चारों ओर अंधेरा छा गया. मशालें एक- एक कर बुझने लगीं.
जंजीरों की खनक और तेज हो गई.
अंधेरे से लाल आँखें चमकीं. वही मास्क वाला शख्स सामने आया.
उसकी आवाज गूंज उठी—
तुम सब सच के करीब हो. लेकिन सच जानने के लिए कीमत देनी होगी. बलिदान।
अरहान चिल्लाया—
किसका बलिदान? बोलो!
मास्क वाला शख्स धीमे स्वर में बोला—
सुनीता की मौत. पहली कीमत थी. अगली कीमत तुम तय करोगे।
खून से लिखा सच
अचानक नोटबुक का एक पन्ना हवा में उडकर सबके सामने आ गया.
उस पर खून जैसे लाल दाग बने थे.
पन्ने पर लिखा था—
R ही चाबी है. पर R कौन है, ये तय करेगा अगला बलिदान।
सबके चेहरे सख्त हो गए.
कबीर ने पन्ना उठाया.
R. आखिर R कौन है?
वेरिका ने कांपते हुए कहा—
क्या. क्या यह किसी का नाम है? या सिर्फ एक प्रतीक?
सम्राट ने ठंडी मुस्कान दी—
कभी नाम ही जाल होता है. और कभी जाल ही नाम।
हवेली का बदलता रूप
जैसे ही सब यह चर्चा कर रहे थे, हवेली की दीवारें धीरे- धीरे हिलने लगीं.
धूल झरने लगी.
और अचानक कक्ष की जमीन के बीचोंबीच एक दरार पड गई.
उस दरार से ठंडी हवा और अजीब सी कराहती आवाजें निकल रही थीं.
मानो कोई गहराई से मदद के लिए पुकार रहा हो.
वेरिका ने डरते हुए कहा—
हवेली. ये हमें निगल लेगी!
कबीर ने दाँत भींचकर कहा—
नहीं. ये हमें डराने का खेल है. असली जवाब इस गहराई में है।
सच की दहलीज
सम्राट धीरे- धीरे आगे बढा और दरार के पास खडा हो गया.
उसने सबकी ओर देखते हुए कहा—
यही है वो जगह जहाँ सुनीता की मौत का सच छिपा है. यही है वह दहलीज जहाँ से खेल की असली शुरुआत होती है।
अरहान गरज पडा—
तो चलो. वहीं चलते हैं. मैं तब तक चैन से नहीं बैठूँगा जब तक उनकी मौत का सच सामने न आ जाए।
सम्राट ने मुस्कुराते हुए कहा—
लेकिन याद रखो. सच हर किसी को नहीं मिलता. और जो इसे छूता है. वो अक्सर जिंदा नहीं बचता।
क्लाइमेक्स – अधूरा सच)
सभी धीरे- धीरे दरार के पास पहुँचे.
ठंडी हवा उनके चेहरों को चीर रही थी.
अचानक गहराई से एक औरत की चीख सुनाई दी.
वेरिका ने चीखकर कहा—
ये. ये तो सुनीता आंटी की आवाज है!
सबके रोंगटे खडे हो गए.
अरहान चीख पडा—
नहीं! यह झूठ है. वो मर चुकी हैं!
लेकिन आवाज बार- बार गूंज रही थी—
मुझे बचाओ. मुझे इस पिंजरे से निकालो.
कक्ष की रोशनी बुझ जाती है. सिर्फ हवेली की कराह और जंजीरों की खनक सुनाई देती है. कैमरा ब्लैक।
वॉइसओवर( एपिसोड एंड)
सुनीता आंटी की मौत एक रहस्य है—पर क्या वो सच में मरी थीं या उनकी चीखें अभी भी इस हवेली की दीवारों में कैद हैं?
कौन है ‘R’?
क्या अरहान, वेरिका और कबीर इस गहराई में उतरने की हिम्मत करेंगे. या हवेली उन्हें हमेशा के लिए सोने के पिंजरे में कैद कर लेगी?
दृश्य — तहखाने की गहरी दहलीज। हवेली की दीवारों से जैसे किसी पुरानी पीडा की गूँज निकली हो. वहाँ खडे लोग अपने- अपने भीतर के खंडहरों को महसूस कर रहे थे. सुनीता आंटी की मौत की ठोस रिपोर्ट उनके सामने थी, पर वीडियो और नोटबुक ने रोड के सारे निशान बदल दिए थे. अरहान की आंखों में आग थी, वेरिका का सिर धडके से भर रहा था, और कबीर के चेहरे पर सवालों की खुरदराहट थी. सम्राट की ठंडी मुस्कान अब और भी भयावह कर देती थी माहौल को. जंजीरों की खनक अभी भी कानों में बजती थी, मानो किसी पुराने दाँत की तरह.
वे सब एक ऐसे मोड पर खडे थे जहाँ पीछे मुडने का सवाल ही नहीं था. हवेली की गहराईयों में छुपा सच अब उनके सामने एक चुनौती की तरह था. नोटबुक में छपे अक्षर, पन्नों पर चमकती बैंगनी स्याही और पन्नों पर बने खून सरीखे धब्बे—ये सब संकेत थे कि कोई उनके इर्द- गिर्द खेल खेल रहा था.
R ही चाबी है, कबीर ने धीरे से कहा, और शब्द तहखाने की हवा में दब कर रह गए. पर R कौन है?
वेरिका की उंगलियाँ काँप रही थीं. R. क्या ये किसी का नाम है? या किसी टिकाऊ निशान का प्रतीक?
अरहान ने चश्मे को देखा, उस पर खुदा हुआ सिर्फ एक अक्षर — R। उसके दिमाग में एक अजीब ठंडक उतर गई. उसे लगा मानो हवेली के भीतर कोई पुराना सच उसकी तरफ देख रहा है.
सम्राट ने एक कदम बढाया. उसकी आवाज धीमी थी पर उसका असर घातक था. जो सच खोजना चाहेगा, उसे पहले अपनी आत्मा की परतें खोलनी होंगी।
सभी एक पल के लिए चुप हुए. उनके भीतर एक सामूहिक समझ मौजूद थी—वे साथ थे, पर भरोसा टूटा हुआ था.
कहानी आगे बढती है—वे गहरे सुरंग में उतरते हैं, जहाँ से ठंडी हवा और सूनी गूँज आती है।
हवेली की गहराई में कदम रखने पर हर कदम पर उनकी सांसें थम- सी जातीं, और दिवारों के साये गीत की तरह फुसफुसाते. कबीर ने मशाल की लौ को अपने चेहरे की ओर झुकाया और कहा कि हर चिन्ह में कहानी छुपी है—चरित्रों की कहानी, गुनाहों की कहानी. अरहान अपने भीतर उठ रहे गुस्से और टूटन को रोक नहीं पा रहा था; उसकी आवाज में अब दहाड थी. वेरिका ने नोटबुक के पन्नियों को फिर उकेरा, हर पन्ने पर लिखा एक नाम उसके दिल को छेद देता चला गया. जैसे- जैसे वे आगे बढते, हवेली की दीवारों पर लगे चित्र और भी जीवित लगने लगे—उनकी आँखों में पुरानी यादें जल रही थीं. जेरेफ ने कडा चेहरा बनाए रखा, पर उसकी आँखे हर छोटे संकेत पर टिकी रहतीं—किसी भी तरह के चाल को पकडने के लिए. जारिन ने धीमी आवाज में कहा कि शक्ति वही है जो छुपी रहे; और शक्ति वही है जो डर दे. सम्राट की चाल इतनी शांत थी कि लगता था जैसे वह पहले से ही हर मोड के उत्तर जानता हो. थोडे- थोडे कदमों पर दरवाजों की कडियाँ खुलतीं और फिर बंद हो जातीं, मानो कोई अदृश्य हाथ खेल खेल रहा हो. हवा के झोंके के साथ कहीं दूर से आवाज आई—एक छाँव, एक पुकार, एक प्रश्न—जो किसी जवाब की तलाश में था. कभी- कभी उन्हें विश्वास होता कि दीवारों के पीछे कोई आँखों का जोडा उन्हें देख रहा है, और वह आँखें उनके गुनाहों को गिन रही हैं. नोटबुक के पन्नों में छिपा हर नया शब्द पुराने कडवे सच को उभारता गया और नफासत उनकी बातों पर छा गई. कबीर ने कहा कि कुछ निशान इतने पुराने होते हैं कि उन्हें मिटाना खुद को मिटाने जैसा होता है. अरहान की साँसें तेज हो चलीं जब उसने महसूस किया कि हवेली का हर कदम एक दांव था—और दांव में उनकी जिंदगी दांव पर लग चुकी थी. वेरिका ने अपने आँचल को कस कर पकडा, जैसे किसी पाठ की तरह, जिसमें उसका बचाव छुपा हो. सम्राट ने एक बार फिर कहा कि सच को उजागर करने की चाह मोहब्बत नहीं है, यह एक तरह का अपराध भी हो सकता है. उनके बीच भरोसा धुँधला सा हो चुका था; हर कोई किसी और को शक की नजर से देखने लगा था. जंजीरों की आवाजें अब और तीव्र हो चली थीं, और उनके दिलों में एक अनजान गूंज उठी थी जो सिसकियों की तरह फैल रही थी. कभी- कभी हवा थम जाती और उनके सीने में एक तीखे दर्द- सा भर जाता—ऐसा लगता जैसे हवेली उन्हें खुद ही चख रही हो. हर मोड पर एक नया सवाल उभर आता और हर सवाल का जवाब एक और दरार खोल देता—जिसमें सच की लपटें और तेज हो जातीं.
कबीर ने नोटबुक का एक पन्ना संभाला और ध्यान से पढा. पन्ने पर कुछ शब्द अधूरे थे, कुछ शब्द जैसे किसी ने जानबूझकर मिटा दिए हों. बैंगनी स्याही के धब्बे—ताजा—इन्हें और संदिग्ध बना रहे थे. किसी ने हाल ही में लिखा है, कबीर ने कहा. और किसी ने जानबूझकर कुछ छुपाया भी है। वेरिका ने पन्ने पर रखी उंगली को सहलाया—उसकी उँगलियाँ स्याही पर चिपक रही थीं. उसका चेहरा सिहर उठा. यह सुनीता आंटी की लिखावट जैसी है, उसने फुसफुसाकर कहा. जेरेफ ने नजर घुमाई और तहखाने के भीतर के सन्नाटा में किसी हल्की सी खडक की और इशारा किया—एक पुराना ताले जैसा जो धीरे- धीरे खुलने का संकेत दे रहा हो. उनकी आँखों में अब डर के साथ एक अजीब उत्सुकता भी जग उठी थी—जैसे कोई जहरीला फल जिस पर से ढकन हटनी हो.
अरहान ने उठकर कहा—“ हवेली में जो कुछ भी है, हमें उसे उजागर करना है. पुलिस ने मामला बंद कर दिया, पर हम यहाँ खडे हैं; और यहाँ सच हमारे सामने झूठ से छुपा हुआ है। सम्राट ने उसकी ओर देखा, उसकी मुस्कान में अब कुछ और घातक था—एक ऐसी ठंडक जो किसी चाकू की तरह भीतर तक उतर जाती है. तुम्हारे पास समय बहुत कम है, उसने कहा. हवेली के पास एक समयरेखा है—हर कदम पर, हर साँस पर, यह तुम्हें तराशती जाएगी। वेरिका ने ठुकराकर कहा—“ अगर हवेली हमें तराशेगी तो हमें भी कुछ देना होगा। कबीर ने ठंडी आवाज में उत्तर दिया—“ हवेली कुछ भी मांग सकती है, पर उसकी कीमत हम किसी भी हाल में नाप नहीं सकते।
वे दरार के पास पहुँचे—दरार से निकलती ठंडी हवा ने उनके चेहरे की त्वचा को जाडे जैसा तंग कर दिया. दरार के अंदर गहन अँधेरा था, पर किसी तरह से वहाँ से आती आवाजें मानवीय थीं—कोई पुकार, कोई फुसफुसाहट, कोई आवाज जो कभी- कभी सुनीता आंटी की बोली सी प्रतीत हुई. वेरिका की आँखें फैल गईं—“ यह आंटी की आवाज जैसी है! उसने कहा, पर अरहान ने उसे शांत करते हुए कहा—“ वह मर चुकी थी. यह धोखा हो सकता है। पर आवाज बार- बार आई—“ मुझे बचाओ. मुझे यहाँ से निकालो. —और हर बार उनके सीने पर एक नया बुरा एहसास दहक उठता.
सम्राट ने धीरे से कहा—“ सियासत में अक्सर मृतक भी जीवित होने की भूमिका निभाते हैं. वे तब तक जीते रहते हैं जब तक किसी की नजर उन्हें बंद से बाहर निकालने की कोशिश करती है, पर ध्यान रहे—उनकी भूमिकाएँ नकाब की तरह होती हैं। जेरेफ ने कटाक्ष किया—“ कभी- कभी नकाब उतारना मुश्किल होता है—क्योंकि नकाब उतारने वाला ही असली मुखौटा होता है। जारिन ने कहा—“ हमारे बीच कोई है जो नकाब पहनकर हमें भ्रमित कर रहा है। कबीर ने आँखे बंद कर लीं—“ और वो कोई हमारी हदों से भीतर है, हमारे करीब है।
नोटबुक के पन्नों में कई कच्चे नक्शे बने हुए थे—किसी पुराने शाही योजनाकार ने जैसे हवेली के अंदर की झलकियाँ छुपा कर रख दी हों.
आगे सुनिए क्या होगा अब