Sone ka Pinjra - 6 in Hindi Adventure Stories by Amreen Khan books and stories PDF | सोने का पिंजरा - 6

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सोने का पिंजरा - 6

भीड के बीच अचानक सन्नाटा छा गया.
कबीर के सामने वही लडकी फिर आ खडी हुई. इस बार उसके चेहरे पर गुस्सा भी था और सवाल भी.

लडकी( तेज आवाज में)
बस! बहुत हो गया तुम्हारा खेल. तुम आखिर हो कौन? भिखारी हो या कोई चालाक खिलाडी? नाम तो बताओ!

कबीर ने हल्की मुस्कान दी और धीमे स्वर में बोला,
कबीर:
नाम? नाम से क्या होता है. असली मायने रखते हैं इरादे. और मेरे इरादे सबका सच सामने लाने के हैं।

भीड में खुसर- फुसर होने लगी.
उसी समय जारिन खान भी आगे आया. उसकी आँखों में शक और झुंझलाहट साफ थी.

जारिन( तीखी आवाज में)
कबीर. या जो भी हो तुम! मैं जानता हूँ तुम्हारे पीछे कोई बडा मकसद है. पर याद रखना, ये मेरी पार्टी है. यहाँ सब मेरे मेहमान हैं. और किसी को हक नहीं कि मेरे मेहमानों को तमाशा बना सके।

लडकी ने जारिन की ओर मुडते हुए कहा,
लडकी:
मिस्टर जारिन, आप भी समझ क्यों नहीं रहे? ये आदमी भिखारी नहीं है. देखिए इसकी चाल- ढाल, इसकी नजरें. इसमें कुछ है. और मैं जानना चाहती हूँ कि सच्चाई क्या है।

भीड ने लडकी की ओर देखा. सब फुसफुसाने लगे.
तभी कबीर ने उसकी ओर गहरी नजरों से देखा और बोला,
कबीर:
तुम्हें जानना है? तो सुन लो, जियाना. हाँ, तुम्हारा नाम मुझे पता है. जियाना।

जियाना चौंक गई.
जियाना( गुस्से से)
तुम्हें मेरा नाम कैसे पता? मैंने तो कभी तुमसे.

कबीर( बीच में रोकते हुए, रहस्यमय मुस्कान के साथ)
जियाना. दुनिया में ऐसा कोई राज नहीं जो मुझसे छुपा रहे. तुम्हें सिर्फ यही लगता है कि तुम मुझे परख रही हो. पर हकीकत ये है कि मैं तुम्हें परख रहा हूँ।

जियाना की आँखों में हैरानी और थोडी झिझक आ गई.
जारिन ने तुरंत बीच में दखल दिया.

जारिन( कडवी हँसी के साथ)
वाह! क्या बात है. पहले भिखारी बनकर आया. और अब लोगों के नाम और राज बताकर हीरो बनने की कोशिश कर रहा है. पर याद रखना, मैं तुम्हें एक्सपोज कर दूँगा।

कबीर ने उसकी ओर देखा, और फिर धीमे स्वर में बोला,
कबीर:
जारिन खान. खेल तो अभी शुरू हुआ है. असली नकाब तो तब गिरेगा जब मैं बताऊँगा कि इस पार्टी की चकाचौंध में कितने लोग गंदे सच छुपा रहे हैं।

भीड एकदम सन्न रह गई.
लडकियों की साँसें थम सी गईं.
जियाना ने अचानक आगे बढकर कबीर का कॉलर पकड लिया.

जियाना( कंपकंपाती आवाज में)
अगर तुम सच जानते हो. तो सबके सामने बोलो. ये आधे- अधूरे इशारे क्यों? मैं इंतजार नहीं कर सकती।

कबीर ने धीरे से उसके हाथ हटाए और मुस्कुराकर बोला,
कबीर:
सब्र, जियाना. सब्र. जो जल्दबाजी करता है, वही सबसे पहले हारता है।

जारिन ने ताली बजाते हुए कहा,
जारिन( व्यंग्य में)
वाह! वाह! क्या डायलॉग है. लगता है फिल्मी डायलॉग याद करके आया है. लेकिन यहाँ असली दुनिया है, कबीर. और असली दुनिया में मैं चलता हूँ, मेरे नियम चलते हैं।

जियाना ने झुंझलाते हुए कहा,
जियाना:
नियम? तुम्हारे नियम. या तुम्हारे खेल? जारिन, मुझे हमेशा लगा कि तुमसे बडा और ताकतवर कोई नहीं. पर आज. ये अजनबी मुझे तुम्हारे बराबर खडा नजर आ रहा है।

जारिन का चेहरा लाल हो गया. उसने भीड की ओर देखा और गरजते हुए बोला,
जारिन:
सब लोग ध्यान से सुन लो! अगर किसी ने इस आदमी का साथ दिया, तो उसे मुझसे टकराना पडेगा. और जो मुझसे टकराता है. उसका अंजाम सब जानते हैं।

भीड सहम गई.
लेकिन कबीर ने एक कदम आगे बढते हुए कहा,
कबीर( शांत पर तेज लहजे में)
डराना आसान है, जारिन. पर सच को दबाना उतना ही मुश्किल. तुम मुझे रोक सकते हो. पर सच को नहीं।

जियाना ने बीच में आकर कहा,
जियाना:
बस करो तुम दोनों! एक कहता है पार्टी मेरी है, दूसरा कहता है खेल मेरा है. असलियत है क्या? कोई तो सच्चाई बताए।

कबीर ने जियाना की ओर देखकर धीरे से कहा,
कबीर:
सच्चाई. यही है कि मैं कबीर मल्होत्रा हूँ. वही नाम, जिसे तुम सबने सालों पहले सुना था. और जिसे तुम सबने भुला दिया. आज लौटा हूँ. अपना हक, अपनी पहचान और सबका सच सामने लाने।

भीड में भूचाल आ गया.
लडकियाँ हैरान, लोग दंग, और जारिन का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा.

जारिन( चिल्लाकर)
कबीर मल्होत्रा? झूठ! ये नाम तो सालों पहले. मिट चुका है. तुम हो कौन?

कबीर( गहरी आवाज में)
झूठ नहीं, जारिन. सच्चाई कभी नहीं मिटती. मिटते हैं तो सिर्फ झूठे चेहरे और नकली साम्राज्य।

जियाना ने घबराकर पीछे हटते हुए कहा,
जियाना:
कबीर मल्होत्रा. ये नाम तो. क्या तुम वही हो जिसने.

कबीर ने उसकी ओर देखा और धीरे से सिर हिलाया.

भीड में सन्नाटा और गहरा हो गया.
जारिन का गुस्सा अब फटने को था.

जारिन( दाँत भींचकर)
तो असली खेल अब शुरू होगा, कबीर मल्होत्रा. और याद रखना—इस बार जीत मेरी होगी।

कबीर ने मुस्कुराकर कहा,
कबीर:
जीत. उसी की होती है, जारिन. जो सच के साथ खडा हो।

जियाना ने काँपती आवाज में कहा,
जियाना:
अगर ये सब सच है. तो आने वाले पल इस महफिल को युद्ध बना देंगे.

कबीर ने उसकी ओर देखा और मुस्कराते हुए बोला,
कबीर:
हाँ, जियाना. और ये युद्ध होगा—सच और झूठ का।

भीड की धडकनें तेज हो चुकी थीं.
पार्टी अब एक जंग का मैदान लगने लगी थी.

भीड में खुसर- फुसर और तेज होती जा रही थी.
जियाना की आँखें कबीर पर गडी थीं, जारिन के चेहरे पर गुस्से की लकीरें और भी गहरी होती जा रही थीं.

अचानक, कबीर ने अपने झोले को जमीन पर फेंका.
उसके फटे- पुराने कपडों को देखकर सब हँसने ही वाले थे कि तभी उसने धीरे- धीरे अपनी झुकी कमर सीधी की.

कबीर( गहरी आवाज में)
आज तुम्हें दिखाता हूँ. असली चेहरा. ताकि कोई ये ना कह सके कि कबीर मल्होत्रा सिर्फ नाम था, हकीकत नहीं।

भीड में सन्नाटा छा गया.
उसने धीरे- धीरे अपने फटे कपडों की परतें उतारना शुरू कीं.
अंदर से झलक रही थी काली चमकती थ्री- पीस सूट की शानो- शौकत.

लडकियों की साँसें थम गईं.
किसी ने अविश्वास में आँखें मल लीं.
जियाना के होंठ थोडे खुले रह गए, जैसे वह यकीन ही न कर पा रही हो.

कबीर ने झोला पूरी तरह उतार फेंका और सीधा खडा हो गया.
उसका लंबा, चौडा कद सबके सामने एक दीवार की तरह खडा था.
घनी मूँछों के नीचे मुस्कुराते होंठ, सुनहरी आँखों की चमक, और काले घुँघराले बालों की लहरें उसे किसी राजा की तरह पेश कर रही थीं.

भीड से हल्की- सी चीखें सुनाई दीं.
किसी ने फुसफुसाते हुए कहा—
ये. ये तो बिल्कुल अलग इंसान है! क्या ये वही भिखारी है जो कुछ देर पहले गली का खाना माँग रहा था?

जियाना ने काँपती आवाज में कहा,
जियाना:
हे भगवान. ये तो. ये तो बेहद. हैंडसम.

जारिन के चेहरे पर अविश्वास और गुस्से का तूफान था.
जारिन( गरजते हुए)
ये क्या तमाशा है? ये मजाक है या कोई चालाकी?

कबीर ने अपनी जैकेट को सीधा किया, टाई को ठीक किया और भीड की ओर घूमकर बोला,
कबीर( शांत लेकिन दबदबे वाली आवाज में)
तमाशा? तमाशा तो वो था जो तुम सालों से करते आ रहे हो, जारिन.
मैं भिखारी के वेश में इसलिए आया. ताकि तुम्हारे जैसे लोगों का असली चेहरा देख सकूँ.
आज इस चकाचौंध में बैठे हर नकली चेहरे का सच मैं सबके सामने लाऊँगा।

भीड अब बिल्कुल खामोश थी.
हर नजर कबीर की चमकदार शख्सियत पर टिकी थी.

एक महिला ने धीरे से कहा,
इतना रॉयल अंदाज. इतनी शान. ये भिखारी नहीं हो सकता. ये तो किसी बडी हस्ती का बेटा लगता है।

जियाना धीरे- धीरे आगे बढी.
उसने कबीर की आँखों में गहराई से देखा और फुसफुसाते हुए पूछा,
जियाना:
तुम. आखिर हो कौन? ये राज कब तक छुपाते रहोगे?

कबीर( धीमी, रहस्यमयी मुस्कान के साथ)
नाम तो मैंने बता ही दिया. कबीर मल्होत्रा.
वो नाम, जो इस शहर की हवेलियों की दीवारों पर आज भी गूंजता है.
वो नाम, जिसे लोग मिटा समझ बैठे थे.
लेकिन सच. कभी मिटता नहीं।

भीड में फिर से हलचल शुरू हो गई.
लोग एक- दूसरे से कहने लगे—
कबीर मल्होत्रा? क्या ये वही खानदान है.

जारिन तिलमिलाकर बोला,
जारिन:
झूठ! अगर तुम सच में कबीर मल्होत्रा हो. तो सबूत कहाँ है? तुम्हारे पास क्या है जिससे मैं मान लूँ कि तुम वही हो!

कबीर मुस्कुराया, जेब से एक छोटी- सी पुरानी चेन निकाली.
उस चेन में जडा था एक पुराना पारिवारिक प्रतीक—“ एम” का निशान.

कबीर( गंभीर आवाज में)
ये वही प्रतीक है जो मल्होत्रा खानदान की पहचान है.
जिसे तुमने मिटाने की कोशिश की, जारिन. पर याद रखना, खून और पहचान कभी मिटाई नहीं जा सकती।

भीड से कुछ बुजुर्ग लोग आगे बढे.
उनमें से एक ने कांपती आवाज में कहा,
हाँ. हाँ! ये तो वही निशान है. मल्होत्रा घराने का.
यानी ये लडका सच कह रहा है. ये सचमुच कबीर मल्होत्रा है!

भीड में अचानक हलचल तेज हो गई.
लडकियाँ उसे देखकर मंत्रमुग्ध थीं, लडके ईर्ष्या से भर उठे, और जारिन का चेहरा अब गुस्से से आग हो चुका था.

जियाना ने धीमे स्वर में कहा,
जियाना:
तुम्हें देख कर लगता है. जैसे कोई कहानी जिंदा हो गई हो.
पर बताओ, कबीर. इतने साल कहाँ थे तुम? और क्यों आज लौटे हो?

कबीर ने उसकी ओर देखा.
उसकी आँखों में रहस्य की गहराई और बदले की आग दोनों झलक रहे थे.

कबीर:
जियाना. मेरी जिंदगी का हर लम्हा एक आग में गुजरा है.
मैं लौटा हूँ. अपने हक के लिए, अपने नाम के लिए. और उन सभी से हिसाब लेने के लिए जिन्होंने मेरे परिवार को मिटाने की कोशिश की.
आज इस पार्टी से आगाज है. असली खेल अब शुरू होगा।

भीड ने सांस रोकी हुई थी.
हर कोई समझ चुका था कि अब ये महफिल महज पार्टी नहीं रही, ये युद्धभूमि बन चुकी थी.

जारिन( चिल्लाकर)
अगर तुम सच में मल्होत्रा हो. तो तुम्हें नहीं पता कि तुम किससे टकरा रहे हो.
मैं जारिन खान हूँ! और जो मुझसे टकराता है. उसका अंजाम मौत से कम नहीं होता।

कबीर ने उसकी ओर देखा, हल्की मुस्कान दी और बोला,
कबीर:
जारिन. डराने की कोशिश मत करो.
तुम्हारा साम्राज्य झूठ और धोखे पर बना है.
और याद रखो—झूठ का महल चाहे कितना भी ऊँचा क्यों न हो. सच की एक आँधी उसे गिरा देती है।

भीड से तालियों की गूँज उठी.
लोग अब कबीर के साथ खडे होने लगे.
कई लोग जोर से बोल उठे—
कबीर मल्होत्रा जिंदाबाद!

जारिन का चेहरा तमतमा गया.
उसने अपने गार्ड्स को इशारा किया.
गार्ड्स आगे बढे, मगर जियाना अचानक बीच में आ खडी हुई.

जियाना( तेज आवाज में)
रुको! कोई इस पार्टी में खून- खराबा नहीं होगा.
आज रात मैं खुद जानना चाहती हूँ कि असली सच क्या है.
और जब तक मुझे जवाब नहीं मिलते, कोई इस आदमी को छू भी नहीं सकता।

भीड ने जियाना की हिम्मत पर हैरानी जताई.
कबीर ने उसकी ओर देखकर हल्की मुस्कान दी.

कबीर:
धन्यवाद, जियाना. तुमने सबके सामने अपनी हिम्मत साबित की है.
और यकीन मानो. तुम ही वो पहली इंसान हो जो सच के करीब पहुँचने वाली हो।

जियाना ने उसकी आँखों में देखा.
उसके दिल में अनजानी हलचल उठ रही थी—
ये आदमी दुश्मन है या कोई रक्षक?
ये सवाल उसे अंदर तक झकझोर रहा था.

भीड अब कबीर की चमकदार शख्सियत से मोहित थी.
हर कोई सोच रहा था—
आज की ये रात इतिहास में दर्ज होने वाली है.

जारिन ने दाँत भींचकर कहा,
जारिन:
ठीक है, कबीर. अगर असली खेल शुरू करना है. तो मैं भी तैयार हूँ.
लेकिन याद रखना—ये खेल तुम्हारे लिए मौत का जाल साबित होगा।

कबीर ने मुस्कराते हुए उसकी ओर देखा और धीरे से कहा,
कबीर:
खेल. अब होगा.
लेकिन हार तुम्हारी तय है, जारिन.
क्योंकि सच के सामने झूठ कभी नहीं टिकता।

भीड में तालियों और शोर की गूँज फैल गई.
और इस तरह, भिखारी से राजा की तरह सामने आया कबीर, इस महफिल का सबसे बडा तूफान बन चुका था.



भीड अब भी कबीर की शानदार शख्सियत से स्तब्ध थी.
लडकियाँ उसकी ओर ऐसे देख रही थीं जैसे कोई हीरो फिल्म से निकलकर सामने आ गया हो.
जारिन का गुस्सा बढता ही जा रहा था.

जियाना ने गहरी साँस ली और धीरे- धीरे कबीर के करीब आई.
उसकी आँखों में गुस्सा भी था और हैरानी भी.

जियाना( तेज स्वर में)
तुम्हें अंदाजा भी है तुमने क्या किया?
पूरी भीड को हिला कर रख दिया.
तुम भिखारी बने क्यों आए?
क्या ये सब किसी बडे खेल का हिस्सा है?

कबीर ने उसकी आँखों में देखते हुए शांत स्वर में कहा,
कबीर:
जियाना, खेल तो वो खेलते हैं जिनके पास सिर्फ झूठ और नकाब होता है.
मैं यहाँ सच दिखाने आया हूँ.
और कभी- कभी. सच दिखाने के लिए सबसे बडा हथियार ‘भिखारी का चोला’ ही होता है।

जियाना( भडककर)
सच? या फिर कोई और चाल?
क्योंकि जिस आदमी ने अभी तक सबसे अपना असली नाम छुपाया. उस पर मैं कैसे भरोसा करूँ?

कबीर उसकी ओर झुका, उसकी आँखों में गहराई से देखा.
कबीर( धीमे पर गूंजते स्वर में)
तुम्हें भरोसा करने की जरूरत नहीं, जियाना.
बस इंतजार करो. सच खुद तुम्हारे सामने आ जाएगा.
लेकिन हाँ. इतना जरूर जान लो कि मैं झूठ बोलने वालों में से नहीं हूँ।

भीड ने उनकी बातचीत ध्यान से सुनी.
हर कोई फुसफुसा रहा था.
जारिन ने हँसी उडाते हुए कहा—

जारिन:
वाह, वाह! भिखारी से शायर बन गया.
जियाना, तुम इसकी बातों में मत आना.
ये सिर्फ तुम्हें फँसाने आया है, ताकि तुम्हारे जरिए मेरा खेल बिगाड सके।

जियाना ने गुस्से में जारिन की ओर देखा.
जियाना:
और तुम?
तुम्हारे पास सबके लिए सिर्फ धमकियाँ हैं, जारिन.
पर सच तो ये है कि आज पहली बार कोई तुम्हारे बराबर खडा नजर आ रहा है।

भीड में एक“ वाह” की आवाज उठी.
जारिन का चेहरा लाल हो गया.

कबीर ने हल्की मुस्कान दी और जियाना की ओर मुडकर बोला,
कबीर:
तुम्हारी हिम्मत मुझे अच्छी लगी.
सवाल करना आसान नहीं होता. और जवाब देना उससे भी मुश्किल.
लेकिन यकीन मानो, जब सारे राज खुलेंगे. तुम सबसे पहले समझोगी कि कबीर मल्होत्रा यहाँ क्यों लौटा है।

जियाना कुछ पल तक उसे देखती रही.
उसके दिल की धडकनें तेज हो रही थीं.
वो चाहकर भी अपनी निगाहें उसकी सुनहरी आँखों से हटा नहीं पा रही थी.

भीड से एक लडकी ने मजाक उडाते हुए कहा—
लगता है जियाना को नया हीरो मिल गया!

लोगों में हँसी की लहर दौड गई.
जियाना शरमा गई, मगर तुरंत सँभलते हुए बोली,
जियाना( गुस्से से)
खामोश! ये मजाक नहीं है.
ये मेरी जिंदगी का सवाल है. और शायद तुम सबकी भी।

कबीर ने उसकी ओर देखा, होंठों पर हल्की मुस्कान थी.
कबीर:
जिंदगी का सवाल?
तो शायद तुम्हें नहीं पता. तुम्हारी जिंदगी भी इस खेल का हिस्सा है।

जियाना चौंक गई.
जियाना:
क्या मतलब? मेरी जिंदगी.
तुम मुझे डरा रहे हो या चेतावनी दे रहे हो?

कबीर( गंभीर होकर)
चेतावनी, जियाना.
क्योंकि इस महफिल में बहुत से लोग तुम्हें इस्तेमाल करना चाहते हैं.
और मैं यहाँ सिर्फ तुम्हें बचाने के लिए नहीं. बल्कि सच्चाई को सबके सामने लाने आया हूँ।

भीड में सन्नाटा छा गया.
लडकियाँ आपस में कानाफूसी करने लगीं.
कबीर और जियाना? इसमें जरूर कुछ कहानी छुपी है.

जारिन ने जोर से ताली बजाई.
जारिन( व्यंग्य से)
वाह! अब तो हीरो बनने के साथ- साथ ‘रक्षक’ भी बन गया!
कबीर, तुम चाहे जितनी बातें कर लो,
सच्चाई ये है कि ये शहर मेरी मुट्ठी में है.
और कोई मल्होत्रा आकर इसे नहीं हिला सकता।

कबीर ने उसकी ओर गहरी नजरों से देखा.
कबीर( आवाज में चुनौती के साथ)
तुम गलत हो, जारिन.
शहर कभी किसी की मुट्ठी में नहीं होता.
शहर का दिल हमेशा सच और इंसाफ के लिए धडकता है.
और आज से. वो धडकन तुम्हारे खिलाफ गूँजने वाली है।

भीड से तालियों की आवाज उठी.
लोग अब कबीर की तरफ खडे होने लगे थे.

जियाना धीरे से फुसफुसाई,
जियाना:
तुम्हारे शब्द. दिल को छू जाते हैं.
पर मैं डरती हूँ, कबीर.
अगर तुम सच में वही हो जो कह रहे हो. तो तुम्हारे दुश्मन सिर्फ जारिन नहीं होंगे.
तुम्हारे पीछे पूरी दुनिया पडेगी।

कबीर ने हल्की मुस्कान दी, उसकी आँखों में आत्मविश्वास चमक रहा था.
कबीर:
मुझे दुश्मनों से डर नहीं लगता, जियाना.
मुझे सिर्फ इस बात का डर है. कि सच सामने आने से पहले लोग हार मान लें.
लेकिन तुम. तुम वो वजह बन सकती हो जो मुझे और मजबूत बनाएगी।

जियाना का दिल धडक उठा.
उसके गाल लाल हो गए.
उसने तुरंत चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया.

भीड से किसी ने शोर मचाया—
लगता है ये कहानी अब रोमांस की ओर बढ रही है!

लोग हँसने लगे, माहौल हल्का- सा बदल गया.
लेकिन जारिन की आँखों में गुस्से की आग जल रही थी.
उसने धीरे से कहा,
जारिन( दाँत भींचकर)
कबीर. मैं तुम्हें बर्बाद कर दूँगा.
तुमने मेरी पार्टी को तमाशा बनाया.
अब देखना, कल से तुम्हारे लिए ये शहर नर्क बन जाएगा।

कबीर ने उसकी ओर देखा और शांत स्वर में बोला,
कबीर:
नर्क तो वो जगह है जहाँ झूठ और धोखा राज करता है, जारिन.
और मैं यहाँ वही नर्क जलाकर राख करने आया हूँ।

भीड तालियों से गूँज उठी.
जियाना ने कबीर की ओर देखा.
उसकी आँखों में अब सिर्फ सवाल नहीं थे.
बल्कि एक अजीब- सा खिंचाव भी था.



भीड अभी भी सन्न थी. कबीर ने जब भिखारी का चोला उतारा और तीन पीस ब्लैक सूट में सामने आया, तो लोगों की आँखें ठहर गईं. लंबा कद, चौडे कंधे, घनी मूँछों के नीचे चमकते लाल- गुलाबी होंठ और सुनहरी आँखें—जिनमें अजीब- सी ताकत झलक रही थी. उसके माथे पर आत्मविश्वास का तेज और चाल में बादशाहों- सा रौब था.

महफिल की सारी लडकियाँ एक- दूसरे से कानाफूसी करने लगीं.
ये. ये तो राजाओं जैसा दिखता है।
कहाँ था ये अब तक?
भिखारी? ये? नामुमकिन.

जियाना वहीं खडी थी. उसके चेहरे पर हैरानी और अनजाना खिंचाव दोनों थे. उसने धीमे से कहा,
तो ये है असली कबीर मल्होत्रा.

जारिन का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था.
ओह. तो असली खेल ये है! नकली चोले में आकर सबको बेवकूफ बनाया. लेकिन कबीर, तुम्हारी ये चाल ज्यादा देर नहीं चलेगी।

कबीर मुस्कुराया, उसकी आवाज धीमी लेकिन धारदार थी.
जारिन, खेल मैं नहीं खेल रहा. खेल तो तुमने शुरू किया था. मैंने तो सिर्फ नकाब हटाया है।

भीड फिर से गुनगुनाई, तभी अचानक दरवाजे पर जोर से दस्तक हुई. सबकी नजरें उस ओर मुडीं.

दरवाजा खुला और अंदर आया एक लंबा, स्मार्ट लडका—जेरेफ. उसकी चाल में ठंडा- सा आत्मविश्वास था, मानो उसे पता हो कि उसे Kiss वक्त आना है. उसके पीछे थी सैरिन—लंबे बाल, चमकती आँखें और गहरे नीले गाउन में परी जैसी लगती हुई.

सैरिन की एंट्री ने माहौल को और भी रहस्यमय बना दिया.

भीड में फुसफुसाहट—
ये कौन हैं?
पहले कबीर. अब ये नए लोग?

जारिन ने चिढते हुए कहा,
जेरेफ! तुम यहाँ? और सैरिन भी? ये पार्टी तो मेरे लिए थी. तुम दोनों क्यों आए?

जेरेफ ने हल्की मुस्कान दी.
जारिन, जिंदगी हमेशा तुम्हारी पार्टी नहीं होती. कभी- कभी मेहमान अपने साथ तूफान भी लाते हैं।

सैरिन ने नजरें सीधी कबीर पर टिकाईं. उसके चेहरे पर अजीब- सी चमक थी.
तो ये हैं कबीर मल्होत्रा. जिसकी कहानियाँ मैंने सिर्फ सुनी थीं।

कबीर ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा,
और तुम. वो चेहरा हो, जो शायद मेरी कहानी को मुकम्मल करेगा।

सैरिन एक पल को ठिठकी, फिर नजरें झुका लीं. जियाना ने ये सब देखा और उसका दिल कसक उठा. उसे पहली बार अहसास हुआ कि उसके सामने कोई और भी है जो कबीर के करीब आ सकती है.

जारिन ने बीच में बात काटते हुए कहा,
बस बहुत हो गया! ये तमाशा नहीं है. कबीर, जेरेफ, सैरिन—तुम सब भूल मत जाना कि यहाँ राजा मैं हूँ!

जेरेफ ने हँसकर कहा,
राजा? असली राजा वो है, जिसके पास ताज नहीं. पर लोगों का दिल है।

कबीर ने आगे बढकर कहा,
और वो ताज, जारिन, तुम्हारे सिर पर कभी था ही नहीं. तुमने सिर्फ धोखे से सबको झुकाया है।

भीड में तनाव बढने लगा.

सैरिन ने गहरी आवाज में कहा,
तो क्या आज इस नकाबपोश खेल का सच सामने आएगा? क्या ये पार्टी—इतिहास का मोड बनेगी?

कबीर ने उसकी ओर देखते हुए मुस्कराया,
हाँ, सैरिन. आज वो रात है, जब राज के ताले टूटेंगे. और सबसे पहले गिरेगा जारिन का नकाब।
भीड सन्नाटे में डूब चुकी थी. हर किसी की निगाह अब सिर्फ उन चार चेहरों पर थी—कबीर, जेरेफ, सैरिन और जारिन. माहौल में एक अजीब- सी गर्मी भर गई थी, जैसे दीवारें भी सच सुनने को बेचैन हों.

जारिन ने गुस्से से अपनी छडी फर्श पर पटकी.
कबीर! तुम सोचते हो कि यहाँ आकर, सूट पहनकर और दो- चार बडे बोल बोलकर सबको अपने वश में कर लोगे? ये महफिल मेरी है. ये लोग मेरे हैं. और यहाँ सच वही चलेगा. जो मैं चाहूँगा।

कबीर ने मुस्कुराते हुए कदम आगे बढाया. उसकी सुनहरी आँखें बिजली की तरह चमक उठीं.
जारिन, यही तुम्हारी सबसे बडी भूल है. लोग तुम्हारे हैं, ये सिर्फ तुम्हारा भ्रम है. असलियत ये है कि लोग सच के हैं, और सच. मेरे पास है।

भीड में हलचल मच गई. कानाफूसियाँ अब फुसफुसाहट से निकलकर सवालों में बदल रही थीं.
क्या सच है?
कौन है ये कबीर?
जारिन के खिलाफ कौन खडा हो सकता है?

सैरिन ने आगे आकर साफ आवाज में कहा,
लोगों के सवालों का जवाब दो, जारिन. कब तक डराकर राज करोगे? ये रात अब तुम्हारी नहीं, सच्चाई की है।

जियाना की आँखें सैरिन पर टिकीं. उसके दिल में कसक और जलन का तूफान था, लेकिन साथ ही वो जानती थी कि सैरिन की बातों में एक सच्चाई है.

जारिन ने ठहाका लगाते हुए कहा,
वाह सैरिन! अभी- अभी आई हो और मुझे ही चुनौती देने लगीं? लगता है कबीर के जादू में तुम भी फँस चुकी हो।

जेरेफ ने तेजी से कदम बढाते हुए कहा,
जारिन! अपनी जबान संभालो. सैरिन कोई मामूली लडकी नहीं. वो इस खेल की कुंजी है. और तुम्हें पता है, कबीर का सच वही खोलेगी।

सैरिन ने चौंककर जेरेफ की ओर देखा.
कुंजी? इसका क्या मतलब?

जेरेफ ने धीमे स्वर में कहा,
सच का दरवाजा उसी से खुलेगा. और जारिन को हार भी उसी के सामने झुकनी होगी।

भीड एकदम शांत हो गई. अब सबकी निगाहें सैरिन पर टिक गईं.

कबीर ने गहरी आवाज में कहा,
हाँ सैरिन. अब वक्त आ गया है. तुम्हें पता होना चाहिए कि तुम्हारा अतीत. जारिन की सबसे बडी कमजोरी है।

सैरिन की आँखों में डर और हैरानी तैर गई.
मेरा अतीत? तुम कहना क्या चाहते हो, कबीर?

जारिन के माथे पर पसीने की बूँदें छलक आईं. उसने ऊँची आवाज में कहा,
बस! एक और शब्द कहा, तो मैं ये पार्टी खून से रंग दूँगा!

भीड चीख उठी. लडकियाँ पीछे हट गईं. लेकिन कबीर वहीं खडा रहा, उसकी नजरें जारिन की आँखों में जमी रहीं.

कबीर ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा,
खून से रंगना तुम्हारी आदत है, जारिन. लेकिन इस बार रंग तुम्हारे हाथों पर चढेगा. और धुल नहीं पाएगा।

जियाना काँपते हुए बोली,
कबीर. ये सब क्या है? कौन- सा राज छिपा है?

कबीर ने उसकी ओर देखा, फिर सैरिन की ओर मुडकर धीमे स्वर में कहा,
राज ये है कि जारिन ने सिर्फ लोगों से दौलत नहीं छीनी. उसने रिश्तों का भी सौदा किया. और उस सौदे में सैरिन का नाम. सबसे ऊपर लिखा गया।

सैरिन के चेहरे से जैसे सारा खून खिंच गया. उसके होंठ काँप उठे.
न. नहीं. ये झूठ है!

जारिन ने घबराते हुए कहा,
झूठ! सब झूठ! ये आदमी तुम्हें बहका रहा है, सैरिन।

जेरेफ ने जोर से कहा,
झूठ? तो क्या हम उस सबूत को भी झूठ कहें, जो तुम्हारे ही तहखाने में छुपा है?

भीड एकदम गूँज उठी.
सबूत? कैसा सबूत?

कबीर ने ठंडी साँस भरते हुए कहा,
वो सबूत. जो दिखाता है कि जारिन ने कैसे सैरिन के परिवार को तोडा, कैसे उसे अकेला किया. और कैसे उस पर अपना शिकंजा कसने की कोशिश की।

सैरिन की आँखों में आँसू चमक उठे. उसने जारिन की ओर देखा और धीमे स्वर में कहा,
तो ये सच है. तुमने ही मेरी जिंदगी को नर्क बनाया?

जारिन चिल्लाया,
बस! मैं किसी को जवाब नहीं दूँगा!

लेकिन भीड अब उसके खिलाफ खडी हो चुकी थी. लोग उसके राज जानना चाहते थे.

कबीर ने एक कदम और बढाया. उसकी आवाज तलवार की तरह गूँजी—
जारिन! अब न तुम्हारे झूठ बचेंगे, न तुम्हारे खेल. आज. नकाब पूरी तरह उतर जाएगा।

भीड की धडकनें तेज हो गईं.
सैरिन काँपते हुए कबीर के करीब आ गई.
कबीर. अगर तुम सच जानते हो, तो मुझे बताओ. मैं अब और अँधेरे में नहीं रह सकती।

कबीर ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा,
मैं सब बताऊँगा, सैरिन. लेकिन याद रखना—ये सच्चाई तुम्हारी जिंदगी बदल देगी।

सैरिन ने आँसू पोंछते हुए दृढ आवाज में कहा,
मैं तैयार हूँ।

भीड खामोश हो गई. माहौल अब किसी विस्फोट से पहले की शांति जैसा था.
और उसी पल, कबीर ने गहरी साँस लेकर कहा—

तो सुन लो. असली खेल अब शुरू होता है।

हॉल में भारी खामोशी थी. हर नजर अब सिर्फ कबीर पर टिकी थी.
उसकी आवाज गूँजी—धीमी, मगर इतनी तेज कि हर कोना हिल गया.

कबीर( गंभीर लहजे में)
जारिन. तुम्हें लगता था कि तुम्हारा तहखाना तुम्हारा राज छुपा लेगा. लेकिन सच हमेशा रास्ता ढूँढ लेता है. आज वो सबूत तुम्हें नंगा कर देंगे।

भीड में हलचल बढी.
लोग आपस में फुसफुसाने लगे—
कौन- सा तहखाना?
क्या सचमुच वहाँ सबूत है?

जारिन के चेहरे पर पसीना छलकने लगा. उसने जोर से कहा,
जारिन( चीखते हुए)
ये सब बकवास है! इस आदमी की बातों पर भरोसा मत करो. ये सब तुम्हें मेरे खिलाफ भडका रहा है!

सैरिन काँपते हुए आगे बढी. उसकी आँखों में आँसू थे लेकिन आवाज काँपते हुए भी मजबूत थी.
सैरिन:
अगर ये सब झूठ है, तो बताओ जारिन. मेरे परिवार के साथ क्या हुआ? क्यों एक- एक कर सब मुझसे छिन गए? और क्यों मुझे हमेशा लगता था कि किसी ने मेरे साथ गहरी चाल चली?

जारिन चुप रहा. उसकी आँखें इधर- उधर घूमने लगीं.

कबीर ने ताना मारते हुए कहा,
कबीर:
क्यों चुप हो गए, जारिन? या फिर इंतजार कर रहे हो कि मैं सबूत दिखाऊँ?

भीड में सनसनी फैल गई. सब एक साथ बोल पडे—
सबूत दिखाओ!
सच सामने आना चाहिए!

उसी पल, जेरेफ ने आगे आकर अपनी जेब से एक छोटा- सा पेन ड्राइव निकाला. उसकी आँखों में ठंडी चमक थी.
जेरेफ:
ये. वो सबूत है. इस पेन ड्राइव में वो सारी फाइलें, कॉन्ट्रैक्ट्स और रिकॉर्डिंग्स हैं जिनसे साबित होता है कि जारिन ने कैसे सैरिन के परिवार की दौलत हडपी. और उन्हें बर्बाद किया।

भीड दंग रह गई.
सैरिन हकबका कर जेरेफ की ओर देखती रह गई.

सैरिन( काँपती आवाज में)
ये. ये सच है?

जेरेफ:
हाँ, सैरिन. तुम्हारे पिता का बिजनेस जारिन ने अपने झूठे करारनामों से छीना. तुम्हारी माँ की मौत. एक हादसा नहीं, बल्कि उसकी चाल थी. और तुम्हारा बचपन. उसकी महत्वाकांक्षा की कीमत।

सैरिन की आँखों से आँसू झरने लगे. वो वहीं घुटनों पर बैठ गई.
नहीं. नहीं. ये सब झूठ हो सकता है, ऐसा मत कहो.

कबीर ने उसके पास जाकर उसका कंधा थामा.
कबीर( नर्म लेकिन दृढ आवाज में)
सच को झूठ कहकर मिटाया नहीं जा सकता, सैरिन. अब तुम्हें मजबूत बनना होगा. ये लडाई तुम्हारी भी है।

भीड गुस्से से उबल रही थी.
जारिन गुनहगार है!
उसे सजा मिलनी चाहिए!

जारिन का चेहरा तमतमा उठा. उसने दहाड लगाई—
जारिन:
चुप! सब चुप! मैं इस शहर का मालिक हूँ. मेरी इजाजत के बिना कोई साँस नहीं ले सकता. तुम सब मुझे गद्दार कह रहे हो? मैं ही तुम्हारा सहारा हूँ!

कबीर हँसा—कडवी हँसी.
कबीर:
सहारा? नहीं, जारिन. तुम सिर्फ एक बोझ हो, जिसे लोग डर के कारण ढो रहे थे. लेकिन आज. तुम्हारे डर की जंजीरें टूट चुकी हैं।

जियाना ने तभी बीच में आकर कहा.
उसकी आँखों में अब भी जलन थी, लेकिन कबीर के लिए एक अजीब- सा खिंचाव भी.
जियाना:
कबीर. अगर तुम सच में वो हीरो हो, तो इस खेल को यहीं खत्म करो. इन अधूरी बातों से और मत जलाओ।

कबीर ने उसकी ओर देखा और मुस्कुराकर बोला,
कबीर:
अधूरी बातें? नहीं जियाना. खेल अभी शुरू हुआ है. और जब सच का तूफान उठता है, तो उसका मजा अधूरा छोडकर नहीं लिया जाता।

भीड का शोर और बढ गया.
सैरिन धीरे- धीरे खडी हुई. उसकी आँखों से आँसू पोंछ चुकी थीं, अब उनमें आँधी थी.
सैरिन( जारिन की ओर देखकर)
तुमने मेरी जिंदगी बर्बाद की. मेरे परिवार को छीन लिया. लेकिन आज. मैं चुप नहीं रहूँगी।

जारिन पीछे हट गया. उसकी आवाज काँपी—
जारिन:
सैरिन! तुम. तुम मुझसे टकराकर अपनी मौत बुला रही हो।

जेरेफ ने गुस्से से कहा,
जेरेफ:
मौत उसे बुलाती है जो डरता है. और सैरिन अब डरने वाली नहीं।

कबीर ने एक कदम आगे बढकर जोर से कहा,
कबीर:
जारिन खान! तुम्हारा साम्राज्य यहीं ढह जाएगा. और ये लोग—जिन्हें तुमने सालों धोखा दिया—आज तुम्हारा असली चेहरा देखेंगे।

भीड गरज उठी.
हाँ! सच चाहिए!
जारिन को सजा दो!

जारिन बेकाबू होकर चिल्लाया,
जारिन:
बस! मैं किसी को जवाब नहीं दूँगा. अगर किसी ने मुझे छूने की कोशिश की, तो मैं इस पूरी पार्टी को आग लगा दूँगा!

उसने जेब से एक पिस्तौल निकाली और हवा में तान दी.
भीड चीख उठी. लडकियाँ पीछे हट गईं.

सैरिन ने साहस जुटाकर कदम आगे बढाए.
सैरिन( तेज आवाज में)
गोली चलानी है तो चला दो! पर याद रखना—इस गोली से मेरा डर नहीं मरेगा, तुम्हारा सच मरेगा।

कबीर तुरंत सैरिन के सामने आ खडा हुआ.
कबीर( दहाडते हुए)
जारिन! अगर गोली चलानी है, तो पहले मुझे मारना होगा।

जेरेफ भी कबीर के बगल में खडा हो गया.
जेरेफ:
और उसके बाद मुझे. हम दोनों सच के लिए खडे हैं. और तुम हमें गिरा नहीं सकते।

जारिन हक्का- बक्का रह गया. उसकी उँगली ट्रिगर पर जमी थी, मगर अब काँप रही थी.

जियाना काँपती आवाज में बोली,
जियाना:
जारिन. सच से मत भागो. वरना इस भीड का गुस्सा तुम्हें जला देगा।

भीड अब नारे लगाने लगी—
सच चाहिए!
जारिन गुनहगार है!

कबीर ने गहरी आवाज में कहा,
कबीर:
आज का ये पल इतिहास बनेगा. नकाब उतर चुका है. और अब बचने का कोई रास्ता नहीं।

सैरिन की आँखों में आँसू चमक उठे. उसने धीरे से कहा,
सैरिन:
धन्यवाद, कबीर. अगर तुम न होते. तो मैं ये सच कभी नहीं जान पाती।

कबीर ने उसकी ओर देखकर सिर्फ मुस्कुराया. उसकी सुनहरी आँखें अब पहले से भी ज्यादा चमक रही थीं.

जारिन धीरे- धीरे पीछे हटने लगा, लेकिन भीड ने उसका रास्ता रोक लिया.
हर चेहरा अब गुस्से और सवालों से भरा था.

और तभी. अचानक हॉल की बत्तियाँ बुझ गईं.
सन्नाटा छा गया.

भीड चीख उठी.
और अंधेरे में सिर्फ कबीर की आवाज गूँजी—

कबीर:
खेल खत्म नहीं हुआ. असली तूफान अभी बाकी है।



कबीर ने सच्चाई उजागर की; जियाना, सैरिन और जेरेफ साथ खडे, जारिन घिरा, भीड चीख रही थी; अचानक अंधेरा छाया. अब सवाल है—कबीर जिंदा बचेगा, जारिन बदला लेगा या सैरिन की तकदीर बदलेगी; अब कौन सत्य का प्रहरी आज बनेगा?