(कहानी मुस्कान की है, जो पिता के अनुशासन और समाज की अपेक्षाओं से जूझते हुए अपनी पहचान खोज रही है। कॉलेज में सबके तानों के बावजूद वह अपने अंदाज़ में जीती है। रौनक, जो फुटबॉल का स्टार है, उसे सबके सामने नकली गर्लफ्रेंड बना लेता है ताकि लड़कियों से बच सके। मुस्कान उसकी पेशकश से उलझन में पड़ती है, क्योंकि वह चाहती तो थी कि कोई उसका हाथ थामे, पर यह सब नकली था। लाइब्रेरी में विवेक से मुलाकात उसके दिल को छू जाती है।मुस्कान रौनक की नकली गर्लफ्रेंड बन जाती है जबकि रौनक दिल से उसे असली गर्लफ्रेंड बनाना चाहता है। अब आगे)
दिल के दहलीज में
मुस्कान बहुत खुश थी इसलिए नहीं कि रौनक उसे गर्लफ्रेंड बनाना चाहता है बल्कि इसलिए क्योंकि पहली बार वह शीना को सबक सीखा पाई। कई समय तक शीना उसका अपमान कर रही थी, रौनक के बहाने वह शीना की बोलती बंद कर सकी थी। वह आराम से इयरफोन में गाने सुन रही थी। और घर की ओर बढ़ रही थी।
कोलेज से कुछ ही दूर थी कि उसने कुछ महसूस किया । उसने इधर उधर देखा। एक कार उसके पीछे थी, वह भागकर उसके पास गयी लेकिन वह उसके पास जाने से ही कार स्पीड से आगे बढ़ गयी।
मुस्कान ने जमीन पर पैर मारा और चिल्लाकर कहा "हिम्मत है सामने आ" पर कार जा चुकी थी।मुस्कान ने हांफते हुए कहा "कहीं वो लोग मुझे अभी तक ढूंढ तो नहीं रहे।"
......
रौनक सुबह की एक्सरसाइज कर रहा था, तभी उसे एक कोल आया, उसका चेहरा खिल गया और उसने मुस्कुराते हुए कहा "मेरी क्वीन, कैसी है आप?''
वहां से आवाज आई "कैसा है मेरा बेटा? सब ठीक है न, खाना तो सही से खा रहा है तू?''
रौनक ने कहा "हां मां और आप ठीक है। दवाई समय पर लें रही है न।"
मां ने कहा "तुम खुद आकर देख ले।"
रौनक ने गंभीर होकर कहा "आपको पता है न, पापा का बिजनेस कनेक्शन , वहां का माहौल और ..''
मां ने कहा "तो क्या तू नाना नानी के यही रहेगा?''
रौनक ने कहा "मां, नाना नानी यहां अकेले हैं और अगर मैं इनके साथ रहकर इनके बिजनेस में मदद करता हूं तो क्या बुराई है? अब वह बुजुर्ग हो चुके हैं। और पापा का बिजनेस देखने के लिए भैरव है न।''
"भैरव मेरा बेटा नहीं है वह पूरा अपने बाप जैसा है" मां ने गुस्से में कहा।
रौनक ने कहा "तो आप भी यहां आ जाईए।"
मां ने गंभीर होते हुए कहा " भैरव के लिए मुझे यही रहना होगा । जब तक वह यह समझ लें कि वह दुनिया उसके लिए सही नहीं, मुझे उसका ढाल बनकर रहना होगा । फिर हम तीनों तेरे नाना नानी के पास रहेंगे।"
रौनक ने फोन रखा और सामने रखी परिवार की फोटो पर पड़ी जिसमें वह अपने माता पिता और भाई के साथ मुस्कुरा रहा था।वह बाथरूम की ओर बढ़ गया।
.......
रौनक अपने अतीत के पन्नो से फूटबाॅल के साथ खुद को निकालने की कोशिश कर रहा था, तभी सामने से उसे मुस्कान दिखाई दी।
ढीला ढाला सूट और बिखरे हुए बाल , मुस्कान को देखते ही वह सब भूल गया और उसके बोल सीधा मुस्कान के आगे गिरी। इतनी दूरी से सटीक निशाना सब चौंक गए ।
चंचल ने कहा "मैं चलती हूं।"
मुस्कान ने गिड़गिड़ाते हुए कहा "प्लीज अकेला मत छोड़।"
मुस्कान अपनी घबराहट को दबाकर पलटी तो सामने रौनक पास आया और बाॅल को उठाकर हाथ में घुमाने लगा।मुस्कान झल्ला कर बोली "क्या चाहिए?''
रौनक ने कहा "चलो, घूमने चलते हैं।"
मुस्कान कुछ समझती, रौनक ने उसका हाथ पकड़ अपनी कार में बिठा दिया और कार कोलेज से दूर जा चुकी थी।
रौनक कार चलाते हुए आगे बढ़ रहा था। मुस्कान ने अपने हाथ के पंजे को बंद कर मुट्ठी बना लिया। कार जल्दी ही पुष्कर लाइब्रेरी के बाहर रूकी।
मुस्कान ने चौंकते हुए कहा ''यह तो''
रौनक ने कहा "तुम्हें इस लाइब्रेरी में बहुत सारी किताबें मिल जाएगी तुम्हारे टाॅपिक से रिलेटिड।"
मुस्कान ने हैरानी से कहा "तुम्हें कैसे पता कि मैं किस विषय पर''
रौनक ने कहा "प्रोजेक्ट बेस्ट बनाना है तो वहां एक से एक बुक्स है। अगर तुम मुझे पीटना चाहो तो...''
मुस्कान ने हंसते हुए सिर खुजाया और रौनक के साथ अंदर बढ़ गयी।
.....
मुस्कान को अपने सब्जेक्ट पर बेहतरीन किताबें मिली। वह कुर्सी पर पढ़ने लगी। रौनक बस उसे निहारता रहा। काफी समय बाद मुस्कान और रौनक पास के पार्क में बैठ गए। रौनक ने कहा "तुम जब चाहो, यहां आ सकती हो। मैंने तुम्हारा लाइब्रेरी मेंबरशिप कार्ड बना दिया है।"
मुस्कान ने मुस्कुराते हुए वह कार्ड हाथ में ले लिया।
रौनक ने कहा "पहली बार तुम्हारा चेहरा देखकर लग रहा है कि तुम मुस्कान हो।" यह सुनते ही मुस्कान ने मुस्कुरा बंद कर दिया।
रौनक ने कहा "चलो। वापस चलते हैं। अगली बार फिर कभी आएंगे। जाने में भी समय लगेगा।"
मुस्कान रौनक की कार में बैठी और लाइब्रेरी कार्ड को देख खुश होने लगी और धीरे से बोली "थैंक यू''।
पूरे रास्ते रौनक की नजर मुस्कान के हाथों में थी जैसे वह चाह रहा हो कि वह रौनक का हाथ थाम ले। वह जानता था कि यह नामुमकिन है।
कार कोलेज के बाहर रूकी और मुस्कान कार से उतर गयी।मुस्कान ने आज सारी क्लासेस बंक की थी, पर कोई पछतावा नहीं। वह जानती थी कि दूर से उसे कोई देख रहा है पर इस वक्त उसे इन बातों में ध्यान देना जरूरी नहीं लगा।उसने ओटो ली और घर का रूख ले लिया।
...
मुस्कान घर पहुंची तो उसके पापा होल में बैठकर अपने जख्म में दवाई लगा रहे थे।
मुस्कान ने गुस्से में कहा "चौबे! तू मजदूरी करके भी पैसे कमा सकता है। मारपीट करके पैसे कमाना जरूरी है।"
चौबे चिल्लाया "पहले तो अपने बाप को नाम से बुलाना बंद कर। और दूसरी बात, यह मारपीट नहीं बाॅक्सिंग है, समझी।"
चौबे ने मुस्कान को ध्यान से देखा "और एक मिनट। तेरा चेहरा इतना चमक क्यों रहा है?"
चौबे हंसते हुए बोला "कहीं कोई लड़का तो पसंद नहीं..''
मुस्कान गंभीर होकर बोली "चल , चौबे। आज कसरत करते हैं।"
चौबे ने कहा "इस हालत में?''
मुस्कान रूठने का नाटक करके बोली "आलसी कही के।" और ऊपर की तरफ अपने कमरे में चली गयी।
चौबे गुर्राया "आलसी किसे कहा? नीचे आ, हम अभी कसरत करेंगे।" लेकिन मुस्कान नीचे ही नहीं आई और वह अपने कमरे में लाइब्रेरी कार्ड को देख शर्माने लगी।
1. क्या मुस्कान रौनक की नकली गर्लफ्रेंड बनकर उसके खेल में मदद कर पाएगी, या उसकी असली भावनाएँ सब कुछ उलझा देंगी?
2. वह कार जो मुस्कान के पीछे आई, क्या सिर्फ एक डर था या कोई खतरा अभी भी उसके पीछे है?
3. क्या मुस्कान अपने पिता चौबे के सख्त अनुशासन और समाज की उम्मीदों के बीच अपनी स्वतंत्रता और खुशी पा पाएगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "तुम मेरे हो।"