ओस
उम्मीदों की ओस से जिन्दगी का शज़र सजाये रखा हैं l
साँसों का सफ़र पूरा करने को हौंसला बनाये रखा हैं l
मुलाकात का वादा किया है तो अभी तक जारी है तो l
इंतजार में बड़े अरमान से मेहंदी को हाथों में लगाये रखा हैं ll
बड़ी खुशी और हर्षोल्लास के साथ सवेरे ही सवेरे l
जानेमन के स्वागत को ओस का रचाये रखा हैं ll
आस की टहनियाँ को पाल रखी है सीने में जिंदा l
मिलन होगा दिल को खुशफहमी के साथ मनाये रखा हैं ll
मशगूल मध्य रात्रि से सूर्योदय तक प्रेम प्रहर में कि l
सुबह शाम दिन रात यादों ने अड्डा जमाये रखा हैं ll
१६-९-२०२५
भारत
विविधता में एकता ही भारत की शान हैं l
दुनिया में सबसे उच्च भारत का स्थान हैं ll
धर्म जाति के भेदभाव को छोड़कर बस l
इंसानियत और मानवता ही पहचान हैं ll
अलग प्रान्तों की अलग भाषाएं फ़िर भी l
एकता ही भारत वासियों की आन बान हैं ll
नाज़ करते क्यूँकी भारत सिर का ताज हैं l
हिमालय और माँ गंगा उसकी की जान हैं ll
ये धरती ने हर प्राणियों को स्थान दिया ओ l
हर दो मिल की दूरी पर विविध खान पान हैं ll
१७-९-२०२५
ओ बंजारे
साँसों का सफ़र पूरा करने ओ बंजारे भटकना छोड़ दे l
अपनी जान को खतरा न दे डोरी पर लटकना छोड़ दे ll
कब तक भटकता फिरेगा अपनी पहचान तो बना जा l
नया गाँव मिलते ही पुराने गाँव से छटकना छोड़ दे ll
सारंगिया, वायलिनें और ढोल नगारे ना बज़ा l
कोई झोली नहीं भरेगा भीड़ देखके छलकना छोड़ दे ll
ख़्वाब सजाये आँखों में गाँव गाँव घूमते रहकर l
मन बंजारा ओ तन बंजारा बना कर बहकना छोड़ दे ll
चार दिन की जिंदगी में रैन बसेरा तू भी ढूंढ ले l
सब जिन्दगी की रेस में दोड़ रहे तू चहकना छोड़ दे ll
१८-९-२०२५
शिक्षक
अच्छी और सच्ची बात सीखा जाए वो ही शिक्षक कहलाता हैं l
कभी गुरु, कभी पिता, कभी माँ लाए वो ही शिक्षक कहलाता हैं ll
अनपढ़ को पढ़ना सिखाएं वो ही शिक्षक कहलाता हैं ll
आत्मविश्वास को जगाएं वो ही शिक्षक कहलाता हैं ll
शिक्षा का बोध पढ़ाके जीवन को करके प्रज्वलित l
ज्ञान दीपक को जलाएं वो ही शिक्षक कहलाता हैं ll
अच्छे बुरे की पहचान कराके मेहनत करना सिखाकर l
कोरी जिंदगी को सजाएं वो ही शिक्षक कहलाता हैं ll
जीने का ढ़ंग सिखाके और ज्ञान का जल पिलाकर l
जानवर को इन्सान बनाएं वो ही शिक्षक कहलाता हैं ll
१९-९-२०२५
याद
नशीले सुहाने बीते दिनों की याद रुला रहीं हैं l
वहीं लम्हें फ़िर से जीने को पास बुला रहीं हैं ll
मिलन की भीगी रातों में धड़कनें तेज़ करके l
दिलों दिमाग पर जादू चलाकर सुला रहीं हैं ll
अभी भी राब्ता बरक़रार रखा है बयारों से l
मीठी मादक लहरकी होले से झुला रहीं हैं ll
प्यार के नशे में चूर सोये हुए आशिक को ओ l
मोहब्बत में डूबे हुए को हिला डुला रहीं हैं ll
हवाओं को सिम्त में हमेंशा बादबा रहा उस l
मोजों को सफ़ीने से मिलाने को फुला रहीं हैं ll
२०-९-२०२५
खामोशी
कब से दिलों दिमाग में सवाल था l
क्या मेरी जुदाई में जीना मुहाल था?
चैन सुकून से बड़े मजे से जी रहे थे l
क्या ये सच है या तेरा मजाक़ था?
छोटी सी बेतुकी बात पर नाराजगी में l
क्या लम्बी खामोशी ही तेरा जवाब था?
ज्यादा दिनों तक ना चलेगा रूठना l
क्या सामने से बुलाएँगे मेरा ख्याल था?
मुलाकात का कोई इशारा नहीं फ़िर भी l
क्या मेरा इन्तजार करना कमाल था?
२१-९-२०२५
जिंदगी गुलजार है जी भरके जियो l
हर मौसम हर पल का लुफ़्त लियो ll
जीवन के सफ़र में उच्च निच आएँगी l
हर स्थिति में खुशी का जाम पियो ll
सबको सबकुछ नहीं मिलता है तो l
फरियाद छोड़ो होठों को सियो ll
दिल, दिमाग, आत्मा को साथ रखके l
मन को प्रसन्न रखे वो काम कियो ll
ख़ुद को ही तोहफ़ा देते हो वो समज के l
जो भी देना चाहो सर्वोत्तम ही दियो ll
२२-९-२०२५
बेक़रार दिल
बेक़रार दिल करके कहां चले जा रहे हैं l
एक लम्हे के दीदार को सो दर्द सहे हैं ll
जुदाई में तड़पता और तरसता देखकर l
बेरहम ज़माने ने अनगिनत ताने कहे हैं ll
वो खुले आसमान के नीचे घंटों बेठना l
बीती हुई बात याद आते अश्क़ बहे हैं ll
वो भी बेकरार है एक नजर देखने को l
जल्द ही मिलने आने के पैगाम गहे हैं ll
इंतजार के सिवा कुछ भी नहीं किया l
कोई तरकीब ए मुलाकात को चहे हैं ll
२३-९-२०२५
इश्क़ करे बेज़ार
बेवफाओं से इश्क़ करके बेज़ार हुए हैं l
इश्क़ का रोजगार करके बेकार हुए हैं ll
ज़ालिम और संगदिल सनम फ़िर से l
दिल को बैचेन कर के फरार हुए हैं ll
खिड़की खोल पर्दानशी बेपर्दा हुए तो l
प्यार से देखने के लिए बेक़रार हुए हैं ll
दो पल की मुलाकात की बात की तो l
कुछ ख़फा खफ़ा से सरकार हुए हैं ll
बेपनाह बेइंतिहा प्यार का नतीजा कि l
जान के दुश्मन मुकम्मल सरदार हुए हैं ll
कैसे बेदर्दी से नज़रे मिला बैठे है कि l
दिलों जान लुटाके रुस्वा बारबार हुए हैं ll
लम्हा भर मिलने के लिए खत भेजा था l
पैग़ाम न मिला तो भी कहां बेदार हुए हैं ll
मुकद्दस इश्क में बांध ना चाहते हैं पर l
कई दिनों की खामोशी से सोगवार हुए हैं ll
इन्सां और इन्सानियत को परख कर अब l
ख़ालिक को नदीम बनाने तलबगार हुए हैं ll
२४-९-२०२५
ढूँढती निगाहें
महफिल में सच्चे प्यार को ढूँढती निगाहें l
पर्दानशी को देखने के लिए तड़पती निगाहें ll
जवाँ ओ हसी शानोशौकत से तरबतर मेले में l
पलभर के लिए मिलन को तरसती निगाहें ll
जब सकूल से थका हुआ घर लौटता है तो l
माँ को देखकर बच्चे की चमकती निगाहें ll
आज जुदाई के दर्द को नाप ना इस लिए l
फ़रियाद के बिना खामोश बरसती निगाहें ll
चैन और सुकून पाने का बहाना ढूँढ लेती कि l
भरपूर प्यारी मोहब्बतों से छलकती निगाहें ll
२५-९-२०२५
अफ़साने
अफ़साने में पैगाम किसका का था l
लिखा हुआ कलाम किसका का था ll
प्यार की रंगत में रंगे हुए हाथों की l
लाल महेंदी में नाम किसका का था ll
बड़े चाव से बनाई हुई बेनमून मूर्ति में l
खूबसूरत सा काम किसका का था ll
कुछ नये अंदाज में खत में लिखा हुआ l
अजीब सा सलाम किसका का था ll
कारवाँ के साथ साथ अपनी ही धुन में l
जा पहुंचे वो मकाम किसका का था ll
भीड़ में से एकदम बाहिर खींच लाए l
प्यारा सा एहतिमाम किसका का था ll
राब्ते में फ़ासले चल रहे है नामा में l
भेजा हुआ पयाम किसका का था ll
दिल को हर लम्हा रहता जो ख्याल l
वो सुब्ह और शाम किसका का था ll
२६-९-२०२५
राह ए मोहब्बत
राह ए मोहब्बत पर अकेले चलना होगा l
मुकम्मल जुदाई में ताउम्र पलना होगा ll
हर युग में ज़माना दुश्मन ही रहा है तो l
जिस तरह वो चाहे वैसे ही ढलना होगा ll
हर मोड़ पर खड़े होगे लाईव केमरा कि l
कई बार तो छुपते छुपाते मिलना होगा ll
छोटी सी बात बन जाए न अफसाना तो l
महफिल में होठों को भी सिलना होगा ll
शोर में मोहब्बत के मुरझाने का अंदेशा तो l
खामोशी से गुल की तरह खिलना होगा ll
२७-९-२०२५
बेवफा
कोई तो कारण होगा, यूहीं कोई बेवफा नहीं होता l
बेरूखी की वजह पूछने का भी हौंसला नहीं होता ll
किसी शक ने दिल को घेराव है कि यूहीं सनम l
आज दुश्मनों के हाथों पैग़ाम भेजता नहीं होता ll
कुछ ज्यादा ही एहमियत दे रखी है नादानी में l
लगाव कम होता तो दिल से यू खेलता नहीं होता ll
२८-९-२०२५
दीवार
रिश्तों में दीवार बनाई पर प्यार घटा ही नहीं l
मुकम्मल राब्ता नहीं रहा है वो लगा ही नहीं ll
बड़ी खामोशी से एकतरफ़ा निर्णय कर लिया l
फ़िर से मुलाकात का बहाना बचा ही नहीं ll
बहुत ही धीमी रफ़्तार थी अलग होने की के l
दूरियाँ बढ़ जाने का अह्सास हुआ ही नहीं ll
शायद दुखी करना नहीं चाहते इस लिए तो l
आज जाते हुए भी अलविदा कहा ही नहीं ll
ताज्जुब हो रहा है क़िस्मत के लेख पर कि l
दिल की बात कह सके कुछ रहा ही नहीं ll
२९-९-२०२५
मसला
मसला ये नहीं के वक्त नहीं l
पहली सी मोहब्बत न रहीं ll
ज़नाब दिल फेंक निकले कि l
शायद दिल लगा बैठे कहीं ll
महफिल में जहां सनम बेठे l
नजरें भी जा पहुँचे है वहीं ll
सुकून की तलाश में गये हैं l
लगता नहीं चैन मिलेगा तहीं ll
खुलकर दूर जाने की वज़ह l
एक बार कह देते तो सहीं ll
ख़ुदा ना ढूँढा कर बाहिर l
भीतर ही छुपी होगा महीं ll
दिल ने भी ठान लिया है l
प्यार तो प्यार ही गहीं ll
३०-९-२०२५