अध्याय 4:
शादी के बाद के तनाव और बीमारी की खबर के बीच, प्रेम और अनन्या डॉक्टर की क्लिनिक में रिपोर्ट जानने पहुंचे।
प्रेम चौक गया, "नील कौन?"
प्रेम को जैसे ही डॉक्टर की फाइल में ‘नील’ का नाम और पुरानी बीमारी का जिक्र मिला, वह भीतर तक चौंक गया।अनन्या से सवाल किए बिना उसका मन उथल-पुथल करने लगा।रात भर वह सो न सका; प्रेम के अंदर डर, गुस्सा और असमंजस का भंवर था—"क्या सब कुछ झूठ था?"
अगली सुबह प्रेम ने अनन्या के सामने फाइल रख दी और चुपचाप खड़ा रहा।अनन्या ने कंपकंपाती आवाज़ में अपने जीवन के सबसे छुपे हिस्से को खोल दिया:
“प्रेम, नील मेरे कॉलेज का साथी और मेरा पहला प्यार था। परिवार की परेशानी, बीमारी और उसके धोखे ने मुझे टूटा छोड़ दिया था। मैंने खुद को संभालने के लिए सब छुपाया।मैंने सिर्फ़ खुद को बचाने के लिए नहीं, तुम्हें और अपने नए जीवन को बचाने के लिए ये राज़ छुपाया था।”
प्रेम की आँखों में आँसू थे—वह खुद से और अनन्या से नाराज़ था।“क्यों नहीं बताया? क्या मुझे सच जानने का हक़ नहीं था?”
अनन्या की आंखों से लगातार आँसू गिर रहे थे:“डरती थी कि कहीं मेरा अतीत तुम्हारे प्यार पर छाया न डाल दे…”
दोनों के बीच दूरी का तूफान आ गया।प्रेम ने ऑफिस में तबादले का आवेदन किया और कुछ दिनों के लिए अलग रहने का निर्णय लिया।
घर सूना लगने लगा।दूरी ने प्रेम के मन में सवाल और अफ़सोस दोनों भर दिए—"क्या मैं उसके भरोसे को सच में नहीं समझ सका?"
उधर, अनन्या अकेली और कमजोर पड़ गई, पर उसके मन में एक बात थी—"अब झूठ बाकी नहीं, आगे की डोर केवल सच्चाई की है।"
एक रात प्रेम के पास नील खुद आ गया—नील ने कहा,“मैंने अनन्या को धोखा दिया था, पर आज अगर तुमने उसका साथ छोड़ा, तो तुमसे बड़ा बेवफा कोई नहीं।”
प्रेम के लिए यह चुनौती की अंतिम घड़ी थी।क्या वह बीते कल के साए से बाहर निकल कर अपने प्यार को सच्चाई, माफ़ी और भरोसे के नए पड़ाव पर ले जा सकेगा?
नील की वापसी से प्रेम के मन में कई सवाल उठे।उसके लिए नील सिर्फ़ अतीत का दर्द नहीं रहा, बल्कि अब वह उनके भविष्य की एक बड़ी बाधा भी बन गया।नील के इरादों को लेकर अनिश्चितता, प्रेम और अनन्या के रिश्ते में दरार पैदा कर रही थी।
नील ने प्रेम को बताया कि अनन्या की कुछ पुरानी कॉल्स और मैसेज उन लोगों तक पहुँचाए गए हैं जो उनके खिलाफ साजिश रच रहे थे। कॉलेज के कुछ विरोधी, जो अनन्या की सफाई से नाराज़ थे, अब इस बात को हथियार बना रहे थे।नील ने कहा, "तुम्हें संभलना होगा, अनन्या के प्रति शंका मत करना, वरना ये लोग हर कोशिश करेंगे तुम्हें अलग करने की।"
अनन्या को भी पता चला कि उसके अतीत के राज से जुड़ी बातें सोशल मीडिया और अपने-अपने समुदायों में फैल रही हैं।उसने प्रेम से कहा,"क्या तुम्हें भरोसा नहीं मेरी अच्छाई पर? क्या मेरा अतीत मुझे ही रोक रहा है?"
प्रेम ने कहा,"मुझे लगता था मैं मजबूत हूँ, पर ये सब सुनकर मेरा विश्वास डगमगा गया। पर मैंने सोचा है, हम साथ हैं तो लड़ेंगे।"लेकिन भीतर कहीं रोमांचक और भयावह अंताकही मुस्कुराहटें छिपी थीं।
एक दिन जब प्रेम ने काम से लौटकर देखा, तो उसके सबसे करीबी दोस्त ने धोखा दिया था! उसने प्रेम की सारी निजी बातें नील तक पहुंचा दीं।दोस्ती, भरोसा, और प्यार—तीनों पर सवाल खड़े हो गए।
अनन्या ने पराया दर्द सहा।उसके परिवार में से कोई चुप न रहा, रिश्तेदारों ने उलाहने देने शुरू कर दीं।अनन्या की हालत खराब हुई और बीमारी गहरा गई।
प्रेम ने अनन्या को अम्मा के कमरे में तब पाया जब उसका सिर उसके छाती पर था। उसने कहा,“इस लड़ाई में हम अकेले नहीं हैं। मैं साथ हूँ, चाहे कुछ भी हो।”अनन्या की आँखों में फिर से वो विश्वास लौटने लगा।