(कहानी मुस्कान नाम की एक लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने पिता के सख्त अनुशासन और समाज की अपेक्षाओं के बीच अपनी असली पहचान खोज रही है। कॉलेज में वह तानों और चिढ़ाने के बावजूद अपनी दुनिया में मस्त रहती है। रौनक उसकी ओर आकर्षित है, पर वह उसकी उपेक्षा देख कर भावनात्मक संघर्ष में है। मुस्कान दोस्ती और सच्चे प्रेम की तलाश में है, पर कभी-कभी अकेलापन उसे भीतर तक चुभता है। अंततः वह बाहरी दिखावे और सुंदरता को त्याग कर अपने असली स्वभाव को अपनाने का फैसला करती है, और अपने मन की स्वतंत्रता की ओर बढ़ती है। अब आगे)
असली और नकली
फुटबाॅल के मैदान में रौनक की परफोरमेंस में सब तालिया बजा रहे थे। सबने उसकी बहुत तारीफ की।
उसने सामने देखा तो हमेशा की तरह मुस्कान खाने पर टूटी हुई थी। रौनक उसे देख सब भूल गया , पर सामने चंचल उसे समझा रही थी कि इस तरह से न खाया करें। तभी माइक ओन होने की आवाज आई "मैं शीना पूरे कोलेज के सामने ऐलान करती हूं कि मुझे रौनक पसंद है और वह उसके साथ डेट करना चाहती हूं।"
यह सुनते ही सब चौंक गये और रौनक ने भागकर शीना के हाथ से माईक छीन आफ कर दिया। "यह क्या ..''
शीना ने कहा "मैं जानती हूं कि तुम भी मुझे पसंद ..''
रौनक ने गुस्से से कहा "शट अप, जस्ट शट अप" सामने देखा तो मुस्कान ने अपना इयर फोन निकाला और बर्गर का बड़ा बाइट मुंह में डाला ही था कि रौनक ने भागकर मुस्कान का हाथ पकड़ लिया और सबके सामने मुस्कान को गले लगा लिया और कहा "आज से हम दोनों डेट कर रहे हैं।"
मुस्कान जैसे झटका लगा "क्या?'' और चंचल बेहोश होते होते बची। पूरा मैदान सदमे में था।
रौनक मुस्कान के चेहरे के पास अपना चेहरा ले गया जैसे वह अपनी कोई इच्छा पूरी करना चाहता हो।
मुस्कान बुरी तरह घबरा गयी और वह रौनक को देखती रह गयी। मुस्कान के हाथ का बर्गर रौनक ने अपने हाथ में लिया और उसे खाता हुआ आगे बढ़ गया। और शीना यह देखकर तिलमिला उठी और वहां से चली गयी।
मुस्कान वहीं खड़ी रही गयी । "मेरा बर्गर खाने के लिए यह सब करने की क्या जरूरत थी।"
चंचल ने मुस्कान के सिर पर एक मारा "तु सिंगल ही मरेगी।'' और वहां से चली गयी।
....
क्लास खत्म होने के बाद मुस्कान ने सामने देखा तो रौनक को देख घबरा गयी और इधर उधर देखने लगी। वह पलट गयी। रौनक ने पास आकर कहा "मुंह छिपा गया, बाकी शरीर का क्या करोगी?''
मुस्कान ने गुस्से में कहा "मुंह कौन छिपा रहा है?''
रौनक ने कहा "तुम और कौन? चलो आज बर्गर डेट पर चलते हैं?''
मुस्कान ने कहा ''मुझे तुम्हारे साथ डेट नहीं करना।"
रौनक ने हैरानी से कहा "अरे ऐसा मत कहो। मुझे लगा कि तुम रिजेक्शन का दर्द जानती हो, इसलिए मुझे रिजेक्ट नहीं करोगी। पर तुम तो...''
मुसकान ने कहा "मुझे तुम पसंद नहीं।"
रौनक ने चौंकते हुए कहा "अरे! मुझमें क्या कमी है?''
मुस्कान ने कहा "बस, मुझसे दूर रहो।''
रौनक मुस्कान के हाथ को पकड़ अपनी बांहों में खींच लिया और उसे चूमना चाहा, लेकिन मुस्कान की आंखों में अपने लिए कुछ नहीं दिखा और उसने सोरी कहकर उसे छोड़ दिया। मुस्कान जैसे ही आगे बढ़ी । रौनक ने कहा "सुना है तुम पार्ट टाइम जोब ढूंढ रही हो? मैं तुम्हें दिला सकता हूं।"
मुस्कान ने कहा "नो थैंक यू।"
"काम बहुत आसान है।'' रौनक ने हाथों को बांधते हुए कहा। मुस्कान ने गुस्से में कहा "मुंह तोड़ दूंगी। निकलो यहां से।"
रौनक ने आगे बढ़कर कहा "मैं तुम्हें पसंद नहीं करता।'' मुस्कान चौंक गयी "क्या?''
रौनक ने कहा हां, मैं बस इन लड़कियों से दूर रहना चाहता हूं। तुम बाॅक्सर की बेटी हो। अगर तुम मुझे उन लड़कियों से प्रोटेक्ट करो तो मैं तुम्हें हर महीने २००००/- दूंगा।"
मुस्कान ने कहा "और बहाने से तुम मुझे छुते रहोगे।''
रौनक ने कहा "गलती हो गयी मेरी मां। " और मुस्कान के बहुत पास चला गया "आज के बाद मैं तब भी तुझे छूऊंगा, जब उसमें तुम्हारी मर्जी होगी। अब खुश। बस कुछ दिन तुम नकली गर्लफ्रेंड बन जाओ ताकि इन चिपकू लड़कियों से दूर रह सकूं।"
मुस्कान चुपचाप वहां से चली गयी। और रौनक उसे मुस्कुराते हुए देखता रहा। "सच में क्या है तुम में मुस्कान कि तुम्हारी कड़वी बातें भी मीठी लगती है। ''
मुस्कान को समझ नहीं आ रहा था कि उसकी यही तो चाह थी कि कोई लड़का उसका हाथ थाम कहे कि तुम मेरी हो। और आज जब कोई कह रहा है तो खुशी की जगह गुस्सा क्यों आ रहा है?
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लाइब्रेरी में मुस्कान कोई किताब ढूंढ रही थी तभी उसकी नज़र ऊपर के रेंक पर पड़ी, पर उसका हाथ नहीं पहुंचा। तभी किसी ने वह किताब निकाल नीचे वाले रेंक पर रख दी। उसने थैंक्स कहा जैसे ही मुड़ी सामने विवेक था। विवेक उससे एक साल सीनियर था। वह मुस्कुराया और आगे बढ़ गया। उसके मुस्कुराने से जैसे मुस्कान का दिल धड़क गया लेकिन वह आगे बढ़ी तभी वहां रौनक आ गया "अपने दिल की बात एकदम बता देने से वह तुम्हें ठुकरा सकता है। तुम्हे उसका दिल..''
मुस्कान ने झल्लाते हुए कहा ''चुप।''
वह किताब लेकर इशू काउंटर पर चली गयी। रौनक का मुस्कुराता चेहरा गंभीर हो गया और दूसरी तरफ मुड़ गया।
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रौनक फुटबॉल मैदान में पसीने से तर, गेंद के पीछे दौड़ता हुआ ऐसे मूव कर रहा था मानो प्रोफेशनल प्लेयर हो। उसके हर किक में ताक़त और बैलेंस झलक रहा था।
साइडलाइन पर खड़ी शीना उसकी हर हरकत पर नज़र गड़ाए थी। अचानक उसने ज़ोर से ताली बजाई। “वाह, मैदान में तो गोल मारते हो… और बाहर लड़कियों के दिलों में।”
रौनक ने गेंद रोक दी और भौहें चढ़ाईं। “मतलब?”
शीना धीरे-धीरे आगे बढ़ी, होंठों पर आधी मुस्कान, आँखों में शिक़ायत। “एक साल हो गया हमारे रिश्ते को… और तुमने मुझे छोड़कर उस मुस्कान को चुन लिया।”
रौनक के चेहरे पर झुंझलाहट उभरी। उसने चारों ओर देखा कि कोई सुन तो नहीं रहा, फिर सख़्ती से बोला— “शीना, तुम्हारे और मेरे पापा बिज़नेस पार्टनर हैं, हमारी मम्मियाँ सहेलियाँ हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम दोनों… क्लोज हैं। और रही शादी की बात, एक साल पहले तुमने ही मना किया था। तो ऐसा बिहेव मत करो जैसे मैंने तुम्हें धोखा दिया हो।”
वह कुछ पल रुका, फिर ठंडे स्वर में जोड़ा— “वैसे भी मेरी ज़िंदगी में अब कोई और आ चुकी है।”
शीना ने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा, उसकी आँखों में सीधी नज़र डालते हुए कहा— “तो अब मैं हाँ कहती हूँ, रौनक। और सच बताऊँ? जो भी तुम्हारी ज़िंदगी में आई है… उससे कहीं बेहतर हूँ मैं।”
“हे भगवान…!” दूर खड़ी मुस्कान ने सब सुना तो सन्न रह गई। वह तेज़ क़दमों से पास आई और शीना को घूरते हुए बोली—“मेरे साथ इतना बड़ा धोखा…? और तुझे भी कोई और नहीं मिला, तो मेरे रौनक पर ही डोरे डालने थे?”
शीना ने तिरछी मुस्कान दी और उँगली उठाई—“देखो मुस्कान, ज़्यादा नाटक करने की ज़रूरत नहीं।”
मुस्कान ने उसकी उँगली पकड़कर कसकर झटका। “मेरे रौनक की तरफ़ दोबारा नज़र उठाई न… तो ये हाथ सीधे तेरे चेहरे पर पड़ेगा।” यह कहते ही उसने अपना मुक्का हवा में दिखाया।
शीना बौखलाई और ज़ोर से चिल्लाई—“आह…!” वह ग़ुस्से से पाँव पटकती हुई मैदान से निकल गई।
मुस्कान पलटी तो देखा, रौनक अब भी अपने खेल में मगन था, जैसे कुछ सुना ही न हो। वह चुपचाप आगे बढ़ने लगी कि तभी फ़ुटबॉल उसके पैरों के पास आकर रुकी।
पीछे से रौनक की आवाज़ आई—“मैं तुम्हारा हूँ… सुनकर अच्छा लगा।”
मुस्कान पलटी। रौनक मुस्कुराते हुए पास आया और बोला—“आज से तुम मेरी गर्लफ़्रेंड।”
मुस्कान ने भौहें चढ़ाईं और गंभीरता से कहा—“नकली। याद रखना…” वह तेज़ी से वहाँ से चली गई।
रौनक ने उसे जाते हुए देखा, होंठों पर हल्की मुस्कान खेल गई।“असली भी बन जाओगी… बस कुछ वक़्त दो।”
फिर वह वापस गेंद उठाकर प्रैक्टिस में लग गया।
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1. क्या मुस्कान और रौनक का यह नकली रिश्ता सचमुच प्यार में बदल पाएगा, या यह सिर्फ़ एक खेल बनकर रह जाएगा?
2. शीना इतनी आसानी से हार मान जाएगी, या वह रौनक को पाने के लिए कोई नया दांव खेलेगी?
3. रौनक का “असली भी बन जाओगी” कहना—क्या उसकी चाहत सच्ची है या सिर्फ़ खेल का हिस्सा?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "तुम मेरे हो"