Tera Lal Ishq - 11 in Hindi Crime Stories by Kaju books and stories PDF | तेरा लाल इश्क - 11

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तेरा लाल इश्क - 11









आशना और कृषभ गन लोड किए आगे बढ़ने ही वाले थे की पीछे से आवाज सुन ठिठक गए। अब आगे,,,,

"तुम,,तुम कौन,,,?" आशना और कृषभ ने एक साथ पूछा।

"जी,,,जिसे,, तू,, म,, ढ,, ढूंढ रही,,, व,,ही" इतना बोल वो आदमी बेहोश हो गया। 

हा ये वही मिडिया का आदमी था । उसकी हालत इतनी बुरी थी की आशना और कृषभ पहचान ही नहीं पाए और शॉक में उसे तो कभी एक दूसरे को देखने लगे।

"कितने दरिंदे पड़े हैं इस इलाके में,,,जल्द से जल्द इनका सफाया करना पड़ेगा" 

"सही कह रही हो" आशना की बात सुन कृषभ सहमति जताते हुए बोला।

"लेकिन उसके लिए इसका जिंदा रहना बहुत जरूरी है,,,ये गया तो हमारे सारे प्लान पर पानी फिर जाएगा" आशना बोली। 

"Hmm,,, चलो इस कबाड़ खाने से निकलते हैं,,," कृषभ का इतना ही बोलना था की गोलियों की फायरिंग होने लगी। अचानक इस फायरिंग से आशना और कृषभ हैरान रह गए उन्हे लगाने लगा की वे पकड़े गए।

तभी किसी के चिल्लाकर बात करने 
की आवाज आई "साले जंगली की औलाद,,,ये क्या कर रहा,,,? बॉर्डर पर है क्या जो आर्मी मेन बन फायरिंग कर रहा है,,,?"

वो आदमी जंगली जिसने गोली चलाई "अरे कबाड़ी उस्ताद,,,मैं तो बस चेक कर रहा था चलती हैं की नही,,,आजकल नकली गन की सप्लाई होने लगी है आपको क्या पता"

कबाड़ी गुस्से में "ए चमड़ी,,,कहा से उठा कर लाया है इस साले को,,,इसे तो हमारे धंधे के बारे में कुछ अता पता नहीं" 

चमड़ी सर खुजाते हुए " पर उस्ताद ये तो 
पहले से था,,, हम दोनों ही अभी नए है धंधे में" 

कबाड़ी ना समझी से"तो फिर इसे कुछ पता क्यों नहीं,,,?" 

चमड़ी हाथ बांधे "क्योंकि इसे भूलने की आदत है" 

"साले,,,भूलने की बीमारी है बोल ना,,," कबाड़ी गुस्से से बोला।

"इन तीनो को अभी ही यमपुरी भेज दे क्या,,,? कब तक इनका नाटक शो देखते खड़े रहें" कृषभ ने झल्लाते हुए धीरे से कहा।

"पैरो में तकलीफ हो रही,,,तो बैठ कर देखो पर चुप रहो अभी" आशना भी तुनक्कर धीरे से बोली।

"तुम्हारा दिमाग तो सही जगह पर है ना,,,इसकी हालत देखो,,, मरने की कंगार पर है और  कब तक मेरा नाजुक कंधा  इस आधे मरे इंसान को झेलेगा,,,? 
टूट नही जाएगा फिर कैसे मैं
हमारे शादी वाले दिन ये
गाना गाऊंगा
"उठा ले जाऊंगा तुम्हें मैं डोली में" 
मैं ये सोच सोच के परेशान हो रहा और 
तुम्हे ये नाटक शो देखना है,,, हाय राम तुम्हारी इंसानियत कहा मर गई" 
कृषभ मासूम सा मुंह बनाकर आशना के जुल्फो से खेलते हुए बोला। उसकी बकवास सुन और हरकत देख आशना बहुत चिढ़ गई उसने अपना पैर कृषभ के पैरो में दे मारा बिचारा कृषभ मुंह पर गन रख अपनी आवाज को कंट्रोल कर लिया।

"देख बे,,,ये एक गन है,,,इसकी हर एक गोली बहूत कीमती है,,,ऐसे ही कही पर नही चलाना,,,इसका असली काम सिर्फ दुश्मन का भेजा उड़ाना है समझा,,,?" 
कबाड़ी की बात सुन जंगली हा में सिर हिलाया।

"अभी बैल की तरह मुंडी हिला रहा,,,बाद में भूल जाएगा साला" कबाड़ी उसे घूरते हुए बोला।

"उस्ताद मैं इसको याद दिलाएगा डोंट वरी" चमड़ी अंगूठा  दिखाते हुए बोला। 

वो बात कर ही रहे थे की उन्हे कुछ आवाज आई और ये आवाज वही उस झोपड़े से आई थी जहा हमारे जासूस  छिपे थे दरअसल कृषभ के हाथ से गन छूट कर गया जिससे की आवाज हुई। 

कबाड़ी चौकन्ना होते हुए "ए आवाज कहा से आई,,,,,

चमड़ी गन झोपड़े की तरफ कर " इस तरफ से शूऊऊ,,," और वो दोनो उस तरफ धीरे धीरे बढ़ने लगे।
और झोपड़े में आशना गन लोड कर शूट करने के लिए तयार थी और गोली चलने की आवाज आई सभी दंग रह गए। 
आशना और कृषभ ठिठक गए। कबाड़ी और चमड़ी गुस्से  में जंगली को घूर रहे थे।

जंगली दात दिखाते हुए "उस्ताद,,,उस तरफ कोई हलचल दिखी तो चला दिया" उसका इतना कहना था की तीनो चल दिए गन ताने उसी तरफ,,, हमारे दोनो जासुस राहत की सास लिए । 

"इससे पहले की उस नाम के  इस्पेक्टर के और चमचे इधर आए,,, हमे इधर से निकलना होगा" ये बोल।
कृषभ उस आदमी को अपने कंधे पर उठाए एक हाथ में गन प्वाइंट किए आगे बढ़ने लगा आशना गन प्वाइंट कर पीछे से कृषभ को कवर करते हुए चलने लगी। 

इधर चौकी में इस्पेक्टर मुरीद के चहरे पर बारह बजे हुए थे और वो इधर से उधर चक्कर काट रहे थे। 

तभी ढीसक्याऊ आवाज हुई और एक गोली उसके पैर को छूते हुए निकल गई।
ओ दर्द से कराहारते हुए गिर पड़ा " आ,,आह,,,, क कौन है बे,,,? किसने हमला किया,,? किसकी इतनी हिम्मत हुई काला भंडार में कदम रखने की,,,?" 

तभी ठक ठक कदमों की आहट के साथ एक कड़कती आवाज "अपने पैरो का इस्तमाल ऐसे चक्कर लगाने के बजाए जो काम दिया उसमे यूज करते तो आज ये पैर जख्मी नही होता" 

मुरीद ने आवाज की ओर पलटा और हैरान रह गया "तुम,,,,तुम यहा कैसे,,,?"

सामने खड़ा किराज कान खुजाते हुए उसे घुर कर "क्यों,,,? अब क्या मुझे तुम्हारे निमंत्रण पत्र का इंतजार करना पड़ेगा,,,?" 

मुरीद खीजते हुए "पर ये आने का कौन सा तरीका है,,,?" 

"अब तू मुझे तरीका सिखाएगा ,,,पहले अपने खराब पड़े शरीर को तो सही कर ले,,," कीराज की बात सुन 

मुरीद दात पिस्ते हुए "कितनी बार बोला मैं,,,मेरी सीधी बात का सीधे जवाब दिया करो"

"वो छोड़,,,कब से बोल रहा था इलाज करा लो,,, इलाज करा लो,,,अगर मेरी बात मान लेते तो वो जासूस भागता नहीं" 

किराज की बात सुन मुरीद हैरानी से "तू,,तुम्हे कैसे,,," वो आगे बोलता की 
किराज शातिर मुस्कान लिए "तुम क्या मुझे अपनी तरह बेवकूफ समझते हो,,,तुम्हे बताओगे नही,,, तो क्या मुझे पता नहीं चलेगा" 

मुरीद सोचते हुए "इसने क्या अपने कुत्तों को मेरे इलाके में छोड रखा है,,,? जो इसे पल पल की खबर देते हैं,,,?"

फिर अपने मन के सवाल को दोहराते हुए "अपने कितने कुत्ते छोड़े है मेरे इलाके में,,,?"

"क्यों तुम्हारे इलाके के कुत्ते मर गए क्या,,,?" किराज ने उसका सवाल सुन पलटकर सवाल किया।
जिसे सुन मुरीद गुस्से का घुट पीकर रह गया 
और बोला "बॉस को बताया इस बारे में,,,?" 

"अगर बता दिया होता तो अभी इस वक्त  तुम्हारी लाश बॉस के पैरो के नीचे होती" किराज उसे घूरते हुए जवाब दिया।

उसकी बात सुन एक पल के लिए तो मुरीद रूह अंदर तक काप उठी आखिर उसे अपने बॉस के गुस्से का अंदाजा जो था।
उसके मकसद के काम में अगर किसी से भी छोटी सी चूक हुई तो सीधा यमलोक भेज दे ऐसा था उनका बॉस इसी डर से तो किराज ने भी अपना मुंह बंद रखा था।

क्या हमारे जासूस😎😎 निकल पाएंगे इस काला भंडार से,,,? या आएगी और नई नवेली मुसीबत रास्ते,,,? और ये बॉस नाम की बला क्या है?🤔

क्या होगा अब आगे?🤔 जानने के लिए बने रहे स्टोरी के साथ 🤗