Tera Lal Ishq - 10 in Hindi Crime Stories by Kaju books and stories PDF | तेरा लाल इश्क - 10

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तेरा लाल इश्क - 10

"कौन लेटा रहेगा,,,और कौन खड़ा रहेगा इसका फैसला मैं करूंगी,,,"
आशना की सख्त आवाज सुन कर सबके कदम रुक गए 
सब पीछे मुड़ कर देखे आशना डेंजर स्माइल कर सबको घूर रही थी।

सब एक दुसरे का मुंह देख साथ में 
उसके पैरो में गिर कर "रहम,,,रहम करो,,,हमे माफ कर दो महानलीडर,,,"

आशना उन्हे घूर कर बोली "बहुत हुई नौटंकी,,, उठो" उसके एक बार बोलने से सब उठ गए।

कृषभ सख्त लहजे में " जरूरी बात,,,,हमे उसका पता चल गया है"

सभी हैरानी से बोले "सच में,,,"

"हा,,,अभी कुछ देर पहले ही मुझे सिग्नल मिला,,," आशना सीरियसली बोली।

"इससे पहले की वो किसी के हाथ आए,,,हमे उसे सहिसलामत यहां लाना होगा" काशी बोली।

आशना "मैं और कृषभ उसे लाएंगे"

सभी मेंबर्स "हम सब भी आते हैं"

"नही" आशना ने साफ मना कर दिया।

कृभिन "पर लीडर खतरा ज्यादा हो सकता है" 

रिहा कृभीन की बात 
पर सहमति जताते हुए "सही कहा,,,सबको नही तो कम से कम मुझे ही लें चलो,,,अपनी आवाज से सबकी छुट्टी कर दूंगी"

काशी सीरियस लुक बनाते हुए "क्या पता उन्हे हमारी खबर पड़ गई हो,,,और हमारे ही इंतजार में बैठे हो"

कृषि,,,"इसीलिए हम सब चलते है"

कनंत उंगलियों का गन बनाते हुए "पूरी गैंग पकड़ में आ जाएगी एक बार में ही"

आशना सख्ती से "किसी को आने की जरूरत नहीं,,,क्योंकि दूसरा मिशन है  जो मैं दे रही हु,,, वो करो"

सभी सीरियस होकर "कौन सा मिशन"???

आशना और कृषभ तिरछी स्माइल कर "मिशन ऑफिस साफ़ सफाई"

सभी हैरानी से "क्या,,,"

"एक ही बात बार बार बोलना मुझे पसंद नहीं,,,हमारे आने तक ये कबाड़ खाना ऑफिस बन जाना चाहिए" आशना सबको घूर कर सख्ती से बोली।

सभी"पर आशना हम सब भी,,,,," उनकी बात पूरी भी नही हुई थी की,,,,

"आशना ने कहा न की हम दोनो देख लेंगे एक बार में  समझ नहीं आता,,,अपनी लीडर की बात माननी चाहिए,,,अब चुप चाप जो रायता फैलाया है वो साफ करो वर्ना टीम से छुट्टी कर दूंगा,,, और काला भंडार में तुम्हारे रिश्तेदार की शादी नही है जो सब बराती बनकर जाना चाहते हो बेवकूफ कही के"
कृषभ उनकी बेवकूफी वाली बात सुन गुस्से से उनपर भड़क उठा,,,।
सब की बोलती बंद हो गई लेकिन कोई था जो अपने दिमाग का घोड़ा कुछ ज़्यादा ही तेज दौड़ा रहा था।

कनंत उसकी बात सुनकर सोचते हुए"अगर ऐसा होता तो,,,"
सभी उसकी तरफ देख "तो,,,,"???

"तो मैं बिना बुलाए चला जाता" उसकी बात सुन सब सर पीट लिए।

"साले तू तो है ही कंजूस और लालच की दुकान,,,कल कोई दुश्मन  चंद कौड़ी देगा तो कही हमे ही धोका ना देदे" कृभिन उसे शक भरी नज़रों देखते हुए बोला,,,।

कनंत उसके पीठ पर मुक्का जड़ "चुप साले,,,भूल मत कल मैंने ही तुझे आइस्क्रीम खिलाई थी वो भी अपने पैसे से"
सभी हैरानी से "कितने पैसे का,,,"???

कनंत अपने दाएं हाथ की उंगलियो की मुठ्ठी बनाकर एक एक कर खोलता है ।
रिहा हैरानी से आखें बड़ी कर "एक हजार" कनंत नही में सिर हिलाता है। 
फिर उसकी दो उंगली देख 
काशी मुंह पर हाथ रख"दो हजार" 

उसकी तीन ऊंगली देख 
कृषि आंखे फाड़े "तीन हजार" वो अब भी नही में सिर हिलाता है । 

तीनो झुंझला कर "तो कितने का पांच करोड़ का,,,?"

कनंत पांच ऊंगली दिखाकर "पांच,,,,, ओ इतना ही बोला था की बीच में 

तीनो चिल्ला पड़े "पांच हजार का आइस्क्रीम सच में"

कनंत गर्व से "नही पांच रुपए का"
.
उसकी बात सुन तीनो गिर पड़े 
और हाथ जोड़ बोले "धन्य हो आपका,,,आपसे ज्यादा धनी व्यक्ति और कोई नहीं,,,धन की कृपा हम गरीब पर भी कर दे"

कनंत आशीर्वाद देते हुए "धन लाभ प्राप्त हो आआउष्मान भव:" उसका आशीर्वाद सुन सब उसे अजीब तरह से घूरने लगे।

बहुत देर चुप खड़ा कृभिन उसके सर पर एक चपत लगाते हुए "साले फेकू,,, आधी बात बताकर डींगे हाक रहा है"

तीनों कांफ्यूजिंग से "आधी बात,,,? तो पूरी बात क्या है,,,"???

"कल मैं सुबह जॉगिंग करते हुए यही आ रहा था,,,तो मुझे ये कंजूस गेट पर आइस्क्रीम वाले से झगड़ते हुए दिखा",,,,की ओ आगे बोलता की
कनंत जोर से चीख पड़ा "आशना और कृषभ का अपहरण हो गया,,, अब क्या होगा,,,? कैसे होगा,,,? क्यू होगा,,,? अरे कोई तो बताओ" ???

सभी मिलकर उसका मुंह चाप दिए "चुपकर नौटंकी की औलाद,,,वो दोनो मिशन पर चले गए" 

काशी ने पूछा "हा तो पूरी बात क्या थी,,,? कृभिन"

"हा फिर,,,," कृभिन आगे बोलता की 
बीच में कनंत "ए भाई,,,मिशन चुगली,,,,मिशन ऑफिस साफ़ सफाई के बाद शुरू करेंगे चलो काम पर लग जाओ"
उसकी बात सुन सभी कंफ्यूज हो गए की कहां 
से शुरू करे और खड़े खड़े एक दूसरे
का मुंह ताकने लगे की तभी

"अब कब तक ऐसे एक दूसरे 
का मुंह ताकने का इरादा है" रिहा आशना की आवाज निकाल कर बोली।
सभी पहले डर गए फिर उसकी हसी सुन मुंह बनाकर उसे घूरने लगे।

कनंत सबको उनका काम बताने लगा
"चलो चलो,,, अब काम पर लग जाओ,,, कौन क्या करेगा मैं बताता हु,,,काशी तुम पोछा लगाओगी, कृभिन तुम झाड़ू मारोगे, रिहा तुम सभी गिरे टूटे समान को उठाकर डस्बिन में फेकोगी,कृषि तुम उलट पुलट समानो को सही जगह पर रखोगे" 

सभी उसे घूर कर बोले "और तू क्या डांडिया नृत्य प्रस्तुत करेगा,,,,?"

"अरे मैं तुम सबकी हेल्प करूंगा ना,,,"
वो हस्ते हुए बोला।

सब काम करने में लग जाते है और कनंत हेल्प करने की जगह इधर से उधर जाकर सबको उनकी गलतियां बता रहा था 
"ए कृषि,,, ये गमला यहां नही वहा था ध्यान कहा है तेरा,,,सारा ध्यान चबर चबर बाते करने में ही जाता हैं क्या,,,?" 

कृषि उसे घूरते हुए "तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे खुद संत श्री आशारामजी बापू जी का शिष्य है,,," 

कनंत उसे डपटते हुए बोला "चुप कर,,,चुपचाप काम कर,,,," 

फिर रिहा से "ये आवाज बदलने वाली मशीन,,, क्या कर रही हो"
रिहा उसे घूर कर "टूटे सामन फेक रही हूं,,, तुम्ही ने बोला ना,,," 

कनंत सख्ती से बोला "वहा देखो कांच का टुकड़ा पड़ा है,,, अभी मेरे पैर में चुभ जाता,,,ठीक से काम करो" 
रिहा बड़बड़ाते हुए साफ करती है। 

कृभिन झाड़ू मार रहा था की कनंत के पैर पर भी मार दिया
वो उसे चिल्लाते हुए बोला "कृभिन,,,तुम्हे फर्श पर झाड़ू मारने के लिए कहा है,,, मुझपर नही,,,ठीक से मारो,,,देखो वहा पर कचरा है,,," कृभिन उसे चिड़चिड़ी नजरों से देखता है।
कनंत उसे इग्नोर कर काशी की तरफ जा रहा था की उसकी गुस्से भरी आखों को देख वापस पलट कर सोफे पर बैठ गया।
और ये करो,, वैसे करो बोलने लगा
सब उससे इरिटिड हो रहे थे,,,आखिर ऐसे ही काम खत्म हो गया,,,सब कुछ पहले की तरह साफ लग रहा बस वास, गमले और  और कुछ सामान टूट गए थे जो डस्बिन में चलें गए।
कनंत सोफे पर पसरते हुए बोला "चलो बहुत मेहनत कर ली,,,,अब तो थोड़ा आराम करते हैं"

वो सबकी तरफ देखता है सभी उसे गुस्से में घूर रहे होते हैं,,,
"क क्या हुआ,,,ऐसे क्यों घूर रहे हो,,,??" वो घबराते हुए बोला।
काशी हाथ में पोछा लेकर बोली "मैने पोछा मारा"
कनंत बोला "हा मारा,,,तो,,,?"

कृभिन हाथ में झाड़ू लेकर "मैने झाड़ू मारा"
कनंत ना समझी से "हा मारा,, तो"?

रिहा हाथ में टूटा हुआ कांच लेकर बोली "मैने टूटे समान को उठाकर डस्बिन में फेका"
कनंत "हा फेका तो,,,???"

और कृषि गमले को उलटा पकड़ फिर 
सीधा कर के बोला "और मैने उल्टे पलटे समानो को सही तरह से रखा"
कनंत झल्लाकर बोला,,,"हा रखा तो,,,???" 

सब भी गुस्से में भड़क उठे "तुमने क्या उखाड़ लिया जो थक गए,,,,,सारा काम तो हमने किया,,,तुम तो खाली हुकुम झाड़ रहे थे,,,कामचोर कही के" 

कनंत दात दिखाते हुए खिसकने लगा की चारो उसे घेर कर पीटने लगे।

काला भंडार से थोड़ी दूर आशना और कृषभ एक झोपड़े की ओट में छुपे हुए खड़े किसी का इंतजार कर रहे थे। 

"कहा रह गया वो,,,?अभी तक आया क्यों नहीं,,,?"
आशना फुसफुसाकर खुद से बोली।

"कही पकड़ा तो नही गया,,,?" कृषभ भी फुसफुसाकर बोला।

"तुमसे किसीने पूछा"आशना उसे घूर कर बोली,,,। 

"तो मैं भी तुमसे नही खुद से बोल रहा हू" कृषभ भी उसी की तरफ घूर कर बोला,,। 

उन्हे अब ओर इंतजार नही हो रहा था और अपनी गन लोड किए वो जैसे ही आगे बढ़ने वाले थे की
पीछे से दर्द भरी आवाज आई "आ,,आ आश,,ना,,,," ये आवाज सुन दोनो एक झटके में पीछे पलटे और वो नजारा देख दंग रह गए,,,,

दोनो साथ में,,,"तुम,,," 


तो कौन है ये,,,?जिसे देख दोनो दंग रह गए,,,? क्या वही मीडिया का आदमी या कोई और जानने के लिए बने रहे स्टोरी के साथ 🙏🙏🙏