Tum Mere ho - 2 in Hindi Love Stories by NEELOMA books and stories PDF | तुम मेरे हो - 2

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तुम मेरे हो - 2

(चौबे अपनी बेटी मुस्कान पर सख्त अनुशासन थोपता है, लेकिन बेफिक्र मुस्कान अपनी दुनिया में जीती है। कॉलेज में उसे कपड़ों और रूप-रंग के लिए ताने सुनने पड़ते हैं, फिर भी वह चुटीले अंदाज़ से सबको जवाब देती है। सहेलियाँ उसे बॉयफ्रेंड न होने पर चिढ़ाती हैं, पर मुस्कान अपने अकेलेपन को किताबों और खाने में छिपा लेती है। उसके मन में सवाल है कि क्या कोई उसे वैसे ही चाहेगा जैसी वह है—बिना दिखावे और बनावट के। कहानी एक ऐसी लड़की की है जो समाज और पिता की अपेक्षाओं के बीच अपनी असली पहचान और सच्चे प्रेम की तलाश में है। अब आगे)

रूप का बंधन

क्लास खत्म हो चुकी थी। शाम की हल्की धूप कॉलेज के मैदान पर बिखरी हुई थी।
मुस्कान एक किनारे घास पर बैठी थी, कानों में ईयरफोन, आंखें बंद — जैसे दुनिया की हर आवाज़ उससे दूर हो गई हो।

सामने फुटबॉल ग्राउंड में शोर मचा—
"Raunak! Come, it's your turn!"

एक लड़का दौड़ता हुआ मैदान में गया।
तेज़, फुर्तीला, आत्मविश्वास से भरा। उसने गोल दागा — ऐसा कि सब तालियाँ बजाने लगे। लड़कियाँ तो उसकी एक झलक पर फिदा थीं, पर रौनक? वो सीधा वापस वहीं भागा जहाँ उसकी नज़रें थोड़ी देर पहले अटक गई थीं।

लेकिन मुस्कान वहाँ नहीं थी।

रौनक हल्के से मुस्कुराया —
"शायद मिलने का वक्त अभी नहीं आया, मुस्कान…"

पीछे से किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा।
"मुस्कान में ऐसा क्या है, भाई?"
वो उसका दोस्त वरुण था।

रौनक पास की बेंच पर बैठ गया। उसकी निगाहें दूर कहीं खोई थीं।

"कोई और उसे देखे... मुझे मंज़ूर नहीं," उसने धीरे से कहा।

वरुण हँस पड़ा, "वो तो सारे कॉलेज के लड़कों पर ट्राई कर चुकी है... यहाँ तक कि मुझ पर भी!"

रौनक ने एक लंबी साँस ली,
"शायद। पर सब लड़कों में मैं बच गया हूँ..."
"...और चाहता हूँ कि अगर वो मेरे पास आए — तो इसलिए नहीं कि मैं लास्ट ऑप्शन हूँ... बल्कि इसलिए कि वो मुझसे दूर न जा सके।"

इतना कहकर उसने सिर उठाया — सामने से मुस्कान आती दिखी।
उसकी चाल में वही बेपरवाही, वही सादगी थी।

रौनक घबरा गया। नज़रें झुका लीं।

लेकिन जब दुबारा देखा, तो पाया कि मुस्कान उसकी ओर नहीं, वरुण की ओर देख रही थी — और मुस्कुरा रही थी।

वरुण फुसफुसाया,
"भाई! अब तो प्रपोज कर दे… वरना मेरी ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी!"
मुस्कान धीरे-धीरे चलती हुई पास आई।
उसने थोड़ी झिझक के साथ वरुण की तरफ देखा, फिर अपनी नजरें झुका लीं।

"क्या हम दोस्त बन सकते हैं?"
उसकी आवाज़ धीमी थी, जैसे खुद को भी यकीन न हो कि वो ये कह रही है।

वरुण ने सिर से पाँव तक उसे देखा —
बेढंगे कपड़े, बिखरे बाल, आँखों में एक अलग ही चमक… लेकिन उसके मापदंडों के हिसाब से कुछ भी ‘perfect’ नहीं था।

वो मुस्कान को अनदेखा करते हुए रौनक से बोला—
"भाई, हम कुछ ज़रूरी बात कर रहे थे…"

मुस्कान की आँखों में हल्की मायूसी उतर आई।
उसने एक नज़र रौनक की तरफ देखा।

"अगर मैं इनसे सिर्फ 5 मिनट बात कर लूं तो... आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं?"
उसकी आवाज़ में अब भी उम्मीद थी।

रौनक ने उसकी तरफ देखा — दिल भारी था, पर मुस्कुरा दिया।
"नहीं, नहीं… आप लोग बात कीजिए।"

और वह मुड़ गया…
हर कदम के साथ जैसे कोई भारी पत्थर घसीट रहा हो।

मुस्कान वहीं खड़ी थी। थोड़ी देर तक दोनों में खामोशी रही।

फिर वरुण ने सीधा कहा—"देख बहन, मेरा पिंड छोड़। मेरी अलरेडी गर्लफ्रेंड है। कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं चाहिए।"
इतना कहकर वो तुरंत भाग गया, जैसे शर्मिंदगी से बचना चाहता हो।

मुस्कान वहीं ठिठक गई।

तभी पीछे से आवाज़ आई—"देखा?"

शीना थी। हँसी रोकती हुई बोली—
"तुम एक भी लड़के को नहीं रिझा सकती।"
फिर ठहाका लगाते हुए वहां से चली गई।

अब मुस्कान अकेली थी। बहुत अकेली।

वो धीरे से घास पर बैठ गई। ईयरफोन इस बार नहीं था।
किताब भी नहीं।

सिर्फ एक चुप्पी थी… और वो चुप्पी अब भीतर तक चुभ रही थी।
....
रौनक का कमरा।
अंधेरा, खामोशी… और दिल में तूफान।

वो बिस्तर पर बैठा था, सिर झुका हुआ।

मुस्कान का चेहरा आँखों के सामने घूम रहा था —
वो मुस्कुराना, वो वरुण को देखना… और रौनक का अकेले छूट जाना।

उसने खुद से कहा,
"मैं जानता हूँ उसका स्वभाव... वो सबके साथ हँसती है, मज़ाक करती है..."
"...लेकिन आज मैं उसके इतने करीब था, फिर भी उसने किसी और को चुना।"

उसकी मुट्ठियाँ भींच गईं।

पास रखा काँच का फूलदान उसने ज़ोर से फर्श पर दे मारा।

धड़ाम!
काँच बिखर गया। जैसे उसका सब्र बिखर गया हो।

उसने दांत भींचकर कहा—
"अब मैं तुम्हारा इंतज़ार नहीं कर सकता, मुस्कान।"
"मुझे खुद ऐसा रास्ता बनना होगा… कि तुम्हारे पास मेरा बनने का कोई रास्ता ही न बचे!"
....
मुस्कान ने चुपचाप खाना खाया । चौबे ने कहा "क्या हुआ तुझे? इतनी दुखी क्यों है?''
मुस्कान ने कहा "पापा! आपमें मां में क्या देखा जो आपको उनसे प्यार हो गया था?''
चौबे ने हैरानी से कहा "क्यों पूछ रही है?"
मुस्कान ने कंधा उचकाकर कहा "ऐसे ही?''
चौबे जैसे खो गया "उनकी आंखें जो चुप होकर भी बोलती थी और मुझे पागल बना देती थी।"
मुस्कान कमरे में गयी और उसने अचानक अलमारी ने एक बहुत सुंदर गाउन निकाला और मेक अप किया। बालों को बहुत सुंदर बनाया। सच में बहुत सुंदर लग रही थी वह। ऐसे ही वह बिस्तर में लेट गयी और उसकी आंख लग गयी।
उसकी आंखों में कुछ परछाइयां "एक आदमी बुरी तरह औरत को मार रहा था - और कह रहा था "तेरी यह खूबसूरती -बता किसको रिझाने के लिए । वह औरत कराह रही थी, रो रही थी।"
अचानक मुस्कान की आंखें खुल गयी। उसने इधर उधर देखा। पसीने से भरा शरीर । उसने गाउन को निकाल कर फैंक दिया और अपने होंठों के लिपस्टिक को रगड़कर पोंछ दिया "नहीं, नहीं, सुंदर नहीं बनना , नहीं बनना सुंदर।"
एक कोने में अपना मुंह ढक लिया।
......
1. क्या मुस्कान अपनी सुंदरता को वरदान मानेगी या उसे अभिशाप समझकर हमेशा के लिए नकार देगी?
2. क्या रौनक का प्यार मुस्कान के डर को मिटा पाएगा, या वही डर उनके रिश्ते को तोड़ देगा?
3. क्या समाज की कठोर नजरें मुस्कान को कैद करेंगी, या वह अपने ही दर्द से ताक़त पाकर बगावत करेगी?

जानने के लिए पढ़ते रहिए "तुम मेरे हो"