रात की ठंडी हवा उसके चेहरे पर लगातार थपकियाँ दे रही थी, जैसे कह रही हो“ बेटा, अब असली परीक्षा शुरू हुई। दिन में यही जंगल उसे किसी जादुई सपनों की दुनिया जैसा लगा था, रंग- बिरंगे पेड, चमकते हुए कीडे, नीली और बैंगनी पत्तियाँ, लेकिन जैसे ही सूरज ढला और चारों ओर अंधेरा छा गया, वही जंगल अब किसी रहस्यमयी भूल भुलैया जैसा लग रहा था. हवा में एक अलग ही कंपन था, जैसे कहीं छिपकर कोई ताकत उसे देख रही हो.
अथर्व का पेट बुरी तरह मरोड रहा था. भूख लगने लगी थी, और सच कहें तो उसने दिल्ली में रहते हुए कभी इस तरह की भूख महसूस ही नहीं की थी. वहाँ तो देर रात भी बाहर निकलो तो चौबीसों घंटे खाना मिल जाता था, pizza, burger, chinese जो चाहो. लेकिन यहाँ? यहाँ तो सामने सिर्फ अंधेरा, पेड और अजीब- सी आवाजें थीं. पेट की गुडगुडाहट बढती जा रही थी, और ऊपर से प्यास भी. गला इतना सूख गया था कि जैसे किसी ने अंदर रेत भर दी हो. अभी laptop, इंटरनेट, ऑफिस का काम सब भाड में गए, पहले जिंदा रहना है. और जिंदा रहने का पहला नियम है पानी, फिर खाना। उसे टीवी पर देखे हुए servival shows याद आए. जिन पर वह कभी हँसता था, अरे, इतना drama क्यों करते हो भाई, पानी ही तो ढूँढना है! और अब, वही बातें उसकी जान बचाने वाली guideline बन गई थीं.
वो झाडियों के बीच से धीरे- धीरे निकलता रहा. चमकते हुए पौधे थोडी- सी रोशनी दे रहे थे, जैसे किसी ने जंगल में night light बिखेर दिए हों. हर बार जब कोई झाडी हिलती, उसका दिल धक से रह जाता. कान चौकन्ने थे, जैसे ही कोई आवाज आती, वो रुक जाता. कभी दूर किसी जानवर की चीख, कभी पत्तों की सरसराहट, कभी टहनी के टूटने की आवाज.
घंटों जैसे बीत गए. पैरों में दर्द होने लगा. लेकिन तभी, उसके कानों में हल्की- सी आवाज आई बहते हुए पानी की. उसका दिल उछल पडा. वो उस दिशा में भागा, जैसे किसी ने उसे जीवनदान दे दिया हो. चमकती हुई बेलों को हटाते हुए आखिरकार उसने देखा एक छोटी- सी नदी. साफ पानी बह रहा था, और उस पर जंगल की नीली रोशनी चमक रही थी.
वो घुटनों के बल बैठ गया और हाथों से पानी उठाकर पी लिया. गले में जैसे किसी ने अमृत उतार दिया हो. पानी मीठा था, ठंडा था, ताजा था. पर तभी उसका दिमाग चिल्लाया, रुक, मूर्ख! ये सीधे पीना सही नहीं है. बैक्टीरिया, वायरस, पैरासाइट्स. एक पूरी लिस्ट है जो तेरे पेट की वाट लगा सकती है। उसका scientific दिमाग हमेशा की तरह बीच में आ ही गया.
उसने चारों ओर देखा. अगर यहाँ रहना है तो सिर्फ प्यास बुझाना काफी नहीं होगा. उसे पानी को साफ करना होगा. उसने जमीन पर नजर दौडाई. उसे रेत, छोटे पत्थर और थोडे जले हुए लकडी के टुकडे दिखे. दिमाग में तुरंत आइडिया आया“ फिल्टर! यही तो उसने कहीं पढा था.
थोडी दूर उसे एक खोखला पेड का तना मिला. उसने उसे खींचकर नदी किनारे रखा. फिर जल्दी से उसमें परतें जमाना शुरू किया सबसे पहले मोटी रेत, फिर बारीक रेत, उसके बाद कोयला, और ऊपर छोटे- छोटे पत्थर. उसने सावधानी से पानी डाला और देखा कि नीचे से पानी टपक टपक कर निकल रहा है. साफ, लगभग crystal जैसा. उसने चखा.
बिल्कुल सही! ये हुई ना बात! उसने हसते हुए कहा, ये जादू नहीं है, भाई, ये है pure science” उसका confidence थोडा लौट आया.
लेकिन रात अब और गहरी हो रही थी. पेडों के बीच से ठंडी हवा ऐसे गुजर रही थी जैसे कोई हाथ उसके शरीर को छू रहा हो. उसे पता था कि अगला step आग है. अगर उसने आग नहीं जलाई, तो ठंड ही नहीं, डर भी उसे खा जाएगा. और हाँ, अगर कोई जानवर इधर आया तो आग ही उसकी सबसे बडी दोस्त होगी.
उसने सूखी पत्तियाँ, टहनियाँ और लकडियाँ इकट्ठा कीं. फिर दो लकडियाँ लेकर रगडना शुरू किया. टीवी पर उसने हमेशा देखा था कि ये काम बहुत कूल लगता है दो बंदे बैठे और थोडी देर में आग जल गई. लेकिन अब, जब वो खुद कर रहा था, तो उसे लगा कि ये तो किसी जिम का सबसे मुश्किल वर्कआउट है. हाथ दुखने लगे, पसीना बहने लगा. कई बार लगा कि छोड दे, लेकिन अंदर से आवाज आई, भाई, ये कर लिया तो आज रात जिंदा बचेगा"
काफी देर की मसक्कत के बाद आखिरकार धुएँ की एक हल्की- सी रेखा उठी. उसका दिल जोर- जोर से धडकने लगा. उसने धीरे- धीरे फूँक मारकर उस छोटी- सी चिंगारी को बढाया. और फिर क्या! एक छोटी आग भडक उठी. ये हुई ना बात! उसने चिल्लाकर कहा, जैसे कोई मैच जीत लिया हो. उसने जल्दी से और टहनियाँ डालीं और थोडी ही देर में आग जलने लगी. गर्मी उसके चेहरे पर पडी तो लगा जैसे किसी ने उसे गले लगा लिया हो. अंधेरा अब उतना डरावना नहीं लग रहा था.
उसने चारों ओर देखा. कुछ जादुई जीव जुगनुओं से बडे, परियों जैसे थोडी दूरी पर मंडरा रहे थे. उनकी आँखें बडी बडी और चमकीली थीं. वो आग को उत्सुकता से देख रहे थे, जैसे कह रहे हों“ वाह, ये नया बंदा कमाल कर गया!
अथर्व ने उन्हें देखा और हँस दिया. हाँ भाई, ये इंसानों का पुराना टैलेंट है. आग जलाना, ये जादू से भी पुराना है"
थोडी देर बाद उसे कुछ चमकदार फल मिलीं. लाल सी, चमकदार. पहले तो वो झिझका. दिमाग में तुरंत आया“ अनजान फल मतलब जहर” लेकिन फिर उसने सोचा, भाई, बिना खाये तो वैसे भी मर ही जाओगे taste करके देखो पास हो गया तो jackpot है"
उसने सावधानी से एक छोटा सा टुकडा खाया. स्वाद मीठा था, हल्का- सा खट्टापन भी. और फिर, कुछ नहीं हुआ. उसका चेहरा चमक उठा. उसने जल्दी- जल्दी और फल खाईं. ओ भाई, यह तो heaven का फ्रूट है!
उसने सोचा क्यों न इन्हें आग पर भी ट्राय करे. कुछ फल उसने सींक पर लगाईं और आग पर सेंका. जब उसने खाईं, तो उनका स्वाद और भी गहरा हो गया. उस एक पल में उसे लगा जैसे उसने five- star hotel का dish खा लिया हो.
वो वहीं आग के पास बैठा, धीरे- धीरे फल चबाते हुए बोला, common sense, मेरे दोस्त. यही ultimate superpower है. ना जादू, ना टेक्नोलॉजी, बस pure human knowledge"
आग की गर्मी उसके चेहरे को लाल- लाल कर रही थी. पेट थोडा भर गया था. गला अब सूखा नहीं था. और सबसे बडी बात उसके अंदर उम्मीद वापस लौट आई थी. जंगल अब दुश्मन जैसा नहीं लग रहा था. हाँ, अजीब जरूर था, डरावना भी, लेकिन पूरी तरह से अंधकारमय नहीं. उसने आसमान की तरफ देखा. सितारे अलग ही तरह से चमक रहे थे. अजीब रंग, अजीब आकृतियाँ. वो जानता था कि ये उसकी दुनिया का आसमान नहीं है. लेकिन उसने सोचा, चलो, नया आसमान ही सही. अगर यहाँ जीना है, तो इसी आसमान के नीचे जीना है" आँखें धीरे- धीरे भारी होने लगीं. आग की गर्माहट और पेट की तसल्ली ने उसे नींद जैसी राहत दी. उसने खुद से आखिरी बार कहा“ ये तो बस शुरुआत है. कल और भी मुश्किलें आएँगी. लेकिन science भी एक तरह का जादू है. और यही मुझे जिंदा रखेगा"
और फिर, उस अजीब दुनिया में, पेडों की फुसफुसाहट और जादुई जीवों की निगरानी के बीच, अथर्व नींद में डूब गया.