House no105 (Unsolved Mystery) - 5 in Hindi Horror Stories by silent Shivani books and stories PDF | House no105 (Unsolved Mystery) - 5

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House no105 (Unsolved Mystery) - 5

मीरा कुछ समझ नहीं पा रही थी कि आखिर क्या वजह है... उसके बार बार उस टाइम लाइन में जाने कि... इस बार मीरा के हाथ में एक डायरी लगी थी ,क्या मीरा जान पायेगी डायरी में लिखे राज.....???


अब आगे....


अचानक मीरा की नींद खुलती हैं, वो अपने आप को स्टडी रूम में देखती है...


ये क्या अभी तो यहां ढेर सारी पेंटिंग्स रखी थी...

मीरा समझ चुकी थी, वो वापस आ ग ई है... पर इस बार वो डायरी के साथ वापस आई थी... 


मीरा जल्दी से उठकर अपने कमरे में चली जाती है... अभी सुबह के करीब 5 बज चुके थे, सबकुछ नार्मल हो चुका था...


मीरा पुरी तरह से श्योर थी कि इस घर की कहानी कुछ अलग है, और मीरा और अनुराधा की कहानी भी जुडी हुई हैं....


जैसे मेरी  मम्मी यहां आई, वहां अनुराधा की मां भी आई थी, और उसके पहले वो लड़की  सारी चीजें सेम है... और शायद वो छोटी बच्ची भी इस घर से जुड़ी हुई है...पर अनुराधा और उसके पति की बातों से लग रहा था, कि अनुराधा प्रेगनेंट हैं...अगर सबकुछ सेम ऐसे ही हो रहा है, तो क्या मै भी प्रेगनेंट हूं???


मीरा के दिमाग में हजारों सवाल चल रहे थे, पर इसके जवाब मिलना नामुमकिन था....


बस ये डायरी ही शायद  कुछ मदद करे...


तुम इतनी जल्दी उठ गई??? ( मीरा की मां ने कहा)


मीरा: ( डायरी को छुपाती हुई) हां मम्मी आज आंख जल्दी खुल गई...


क्या छिपा रही हो??? (उसकी मां ने पुछा)


मीरा: मम्मी यदि मै आपको कुछ बताऊं तो आप विश्वास करोगी???


क्यूं क्या हुआ?? सब ठीक है न?? ( मीरा की मां ने कहा)


मीरा: शायद है, भी और नहीं भी 


मतलब???


मीरा: मम्मी ये घर कुछ अजीब है, ये मुझे अलग दुनिया में ले जाता है...  (मीरा ने शुरू से अबतक की सारी कहानी बताई)


क्या तुम भी कुछ भी कह रही हो , ऐसा कुछ नहीं होता, ये सब तुम्हारे दिमाग का भ्रम है....


मीरा: मां मैं सच कह रही हूं, नहीं तो ये डायरी मेरे पास कहा से आती....?? 


मीरा तुमने ये बात आरव से तो नहीं कहीं न???


मीरा: नहीं कहीं, उसे मेरी बातों पर यकीन कहा होता है....


मीरा कहा तुम?? ( पीछे से आवाज़ आई)


आरव हम यहां हैं, कमरे में 


आरव: तुम शाॅवर ऑन करके बंद करना भुल ग ई?? 


मीरा : नहीं आरव मै तो अंदर आई ही नहीं....


आरव : पर शाॅवर तो  ऑन था...खैर छोड़ो मुझे आज ऑफिस के लिए जल्दी निकलना है... मै फ्रेश होकर आता हूं.. क्या तुम मेरे लिए कुछ बना दोगी???


मीरा : हां मै अभी बनाती हूं....


तू आराम कर मीरा मै आरव के लिए कुछ बना देती हुं....( मीरा की मां ने कहा)


मीरा: मम्मी आपको क्या लगता है?? जो  भी मैंने आपको बताया आखिर क्यों हो रहा है, मेरे साथ??


कौनसी बात?? क्या बताया तूने मुझे??? ( मीरा की मां ने कहा)


मीरा शाॅक्ड थी, मीरा ने सबकुछ अपनी मां को बताया पर उसकी मां को कुछ भी याद नहीं??? 

पर इस बात से मीरा ये भी समझ चुकी थी,कि यहां वो किसी से भी ये बातें शेयर नहीं कर पायेगी....


मीरा कमरे में जाकर उस डायरी को खोलती है,, और पढ़ना शुरू करतीं हैं....


डायरी के पहले ही पेज में एक तारिख लिखी थी...4 फरवरी 1965


मेरे बाबा ने मेरी शादी तय कर दी है... मै इस शादी से बिल्कुल खुश नहीं हूं... वो लड़का मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है... मै तो वासू से प्यार करती हूं... पर बाबा को जब हमारे बारे में पता चला... तो बाबा ने वासू को बहुत मारा और उसे और उसके  परिवार को इस गांव से निकाल दिया...


न जाने मेरा वासू कहा होगा???

मेरी पढ़ाई भी बंद करवा दी गई है... और अगले ही हफ्ते मेरी शादी है...

अनुराग एक वकील हैं... और उसके मां बाप मर चुके है.... वो एक घमंडी किस्म का आदमी है...


पर मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है....


10 फरवरी 1965...

मेरी शादी हो चुकी है... वासू मुझसे मिलने मेरे घर आया था... वो भी यही चाहता है कि मै शादी कर लूं.....


ये घर मुझे बहुत अजीब लगता है, यहां कुछ भी नहीं है करने को ... न ही कोई बातें करने के लिए...

अनुराग मुझसे बिल्कुल प्यार नहीं करता...

मै उसके लिए सिर्फ उसकी नौकरानी हूं....


आज तो उसने हद ही कर दी... इतनी बड़ी घडी ले आया ताकि मै उस घड़ी की आवाज से जल्दी उठ पाऊं... पर ये घड़ी मुझे बहुत अजीब सी लगती है... जैसे मानो मुझसे कुछ कह रही हो या कुछ छिपा रही हो....


अब मेरा मन लगने लगा है, यहां पड़ोस की एक छोटी बच्ची और उसकी गुडिया यहां रोज खेलने आती है... मुझे वो बच्ची बहुत अच्छी लगती हैं,  उसकी गुडिया का नाम  उसने बेला रखा है... बहुत प्यारी गुड़िया है... उसने मुझे बताया है कि उस गुडिया को उसके पापा जापान से लाये है....


( मीरा कहानी पढ ही रही थी, कि अचानक उस डायरी से एक तस्वीर गिरी... मीरा ने तस्वीर उठाकर देखा.... पर मीरा बिल्कुल दंग थी, वो तस्वीर किसी और की नहीं अनुराधा की थी, और अनुराधा बिल्कुल मीरा की तरह)


क्या अनुराधा और की मीरा की शक्ल का मिलना  सिर्फ एक संयोग है, या अनुराधा ने अधूरी कहानी को पुरा करने के लिए फिर से जन्म लिया... फिर पूरी कहानी क्यूं सेम है... अनुराग की शक्ल का भी  आरव से मिलना, क्या है ये कहानी ??? क्या वो बच्ची हर टाइम लाइन मे मौजूद हैं??? 

पर क्यूं ?? आगे डायरी में और क्या -क्या  राज छिपे हैं... क्या मीरा पूरी डायरी पढ पायेगी???