मैं उसकी यादों में खुश हूँ
रात के अंधेरे में अक्सर मैं खुद से बातें करता हूँ। खिड़की पर टिमटिमाती चाँदनी जब मेरे कमरे में उतरती है, तो लगता है जैसे वह चुपके से मेरे पास बैठ गई हो।
वह अब कहीं और है, अपनी दुनिया में, अपने लोगों के बीच… लेकिन मेरी दुनिया आज भी उसकी यादों से ही भरी हुई है।
---
उसकी हंसी
उसकी हंसी… अहा, जैसे कोई घंटियों का कारवां। आज भी जब किसी मोड़ पर किसी अनजान की हंसी वही लय छेड़ देती है, मेरा दिल पल भर के लिए रुक जाता है।
यादें हंसती हैं, गुदगुदाती हैं। उस हंसी ने मुझे जीना सिखाया। जब वह पास नहीं है, तब भी उसकी हंसी की गूंज मेरे जीवन में एक रोशनी की तरह है।
---
उसकी बातें
कभी-कभी रात को नींद नहीं आती। मैं अपनी अलमारी खोलकर उसकी लिखी चिट्ठियाँ निकालता हूँ। कागज़ पीले हो चले हैं, लेकिन अक्षरों में वही ताजगी है।
वह हमेशा छोटे-छोटे किस्सों को बड़ा बना देती थी। उसके शब्दों में इतनी मिठास थी कि साधारण पल भी अनमोल हो जाता था।
आज भी उन चिट्ठियों को पढ़ते-पढ़ते लगता है जैसे वह मेरे सामने बैठी कह रही हो—
“तुम इतने चुप क्यों रहते हो? बोलो न कुछ…”
और मैं उन चिट्ठियों के अक्षरों को छूकर जवाब देता हूँ—
“अब भी वही हूँ… बस तुम्हारी बातें सुन रहा हूँ।”
---
उसकी आँखें
यादों की सबसे मजबूत छवि उसकी आँखें हैं। बिना कुछ कहे ही भूत कुछ कह जाती थी कभी उनमें सवाल होते थे, कभी हंसी, और कभी आँसू।
अब वह आँखें मेरे पास नहीं, लेकिन उनकी झलक हर जगह है—बारिश की बूंदों में, सुबह की ओस में, या किसी भीड़भाड़ वाले चौराहे पर।
कभी लगता है जैसे किसी परछाईं में वही आँखें मुझे देख रही हों। और उस पल मैं मुस्कुरा देता हूँ।
---
बिछड़न का दर्द
लोग कहते हैं—बिछड़ने के बाद इंसान टूट जाता है। हाँ, मैं टूटा था। शायद अब भी टूटा हुआ हूँ।
लेकिन फर्क बस इतना है कि मैंने अपनी टूटी हुई कांच की किरचियों से रोशनी बनाना सीख लिया है। उसकी यादें ही वो रोशनी हैं।
पहले मैं सोचता था,हम क्यों बिछड़ गए? लेकिन अब सवाल नहीं करता। शायद यही किस्मत थी।
---
क्यों खुश हूँ मैं उसकी यादों में?
यादें कभी धोखा नहीं देतीं। , वक्त बदल जाता है, लेकिन यादें वहीं की वहीं रहती हैं।
जब थक जाता हूँ, उसकी यादों में सुकून पाता हूँ। जब हताश होता हूँ, उसकी बातें मुझे हिम्मत देती हैं।
मुझे लगता है, वह आज भी मेरे साथ है—बस किसी अदृश्य रूप में।
हाँ, मुझे दुख है कि वह मेरे पास नहीं। लेकिन खुशी इस बात की है कि वह मेरे जीवन से कभी गई ही नहीं। उसकी यादें हर सांस में घुली हैं।
---
एक अधूरी चिट्ठी
मैंने कभी उसे नहीं लिखा कि मैं अब भी उसे चाहता हूँ।
लेकिन अपनी डायरी में कई बार लिखा—
"तुम जहाँ भी हो, खुश रहना।
मेरा सारा प्यार तुम्हारे साथ है।
तुम्हारी मुस्कान मेरी पूजा है।
तुम्हारी यादें मेरी जिंदगी।"
यह चिट्ठी कभी उसके पास नहीं जाएगी। लेकिन शायद हवाएँ उसे पहुँचा दें।
---
अंत जो सच में अंत नहीं
लोगों को लगता है मेरी कहानी खत्म हो चुकी है। पर सच कहूँ तो, इसका कोई अंत नहीं।
क्योंकि उसकी यादें खत्म नहीं होतीं।
मैंने अब जीना सीख लिया है—बिना उसके, लेकिन उसकी यादों के साथ।
मैं आज भी मुस्कुराता हूँ, रोता हूँ, जीता हूँ… सब उसी के नाम पर।
और जब कोई मुझसे पूछता है—
“तुम खुश हो?”
मैं दिल पर हाथ रखकर कहता हूँ—
“हाँ… मैं उसकी यादों में खुश हूँ।”