Me and my feelings - 132 in Hindi Poems by Dr Darshita Babubhai Shah books and stories PDF | में और मेरे अहसास - 132

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में और मेरे अहसास - 132

न जाने क्यों

न जाने क्यों आज कल सरकार उखड़े से नजर आते हैं l

गली से गुजरते वक्त भी अनजानों की तरह गुजर जाते हैं ll

 

आज लाखों दिलों पर राज कर रहे हो फिर भी दूर दूर हो l

किस सोच में यू भीड़ में भी अकेला बैठे हुए आप पाते हैं ll

 

क़ायनात में चल रहा है अशांति, बैचेनी और बेसब्री का दौर l

इतनी शांति और सब्र कहां से ढूंढकर पास अपने लाते हैं ll

 

लोग है कुछ ना कुछ तो कहेगे उनका तो काम है कहना l

दिल पर मत लगाना जितने मुँह उतनी ही बहती बाते हैं ll

 

आज अपने से पराये और पराये अपने से लगते है कि l

मन लड़खडने से अब तो उम्र से भी लगती लम्बी राते हैं ll

१-८-२०२५ 

झाँक रहे हो?

यादों के झरोखे से क्या झाँक रहे हो?

ख्वाबों और ख्यालों को ढाँक रहे हो ll

 

कुछ तो वज़ह होगी वज़ूद का तेरी यू l

खुद की महत्ता क्यूँ कम आँक रहे हो ll

 

महफ़िल में यू दिल फेंक इशारे छोड़ो l

कब से खूबसूरती को ताँक रहे हो ll

 

दूसरे भी जी रहे हैं दुनिया में सखी l

मुद्दत से अपने मन की हाँक रहे हो ll

 

फेशन हर एक पर अच्छी नहीं लगती l

ज़ीस्त पर चित्रविचित्र टाँक रहे हो ll

२-८-२०२५ 

 

मेरी ग़ज़ल

चाहतों को दिल से भुलाया नहीं करते ll

बारहा जानेवालों को बुलाया नहीं करते ll

 

वैसे भी नींद को साथ ले ही गये हों तो l

जूठी उम्मीद देकर रुलाया नहीं करते ll

 

मेरी ग़ज़ल हौसला हवजाइ करती है l

गम के समंदर में झुलाया नहीं करते ll

 

रात भर शब्दों को बुलाने के बाद यू l

चाँदनी रातों में सुलाया नहीं करते ll

 

अंदर फ़ैली खामोशी लिखकर सदा l

गज़लो से दिल हिलाया नहीं करते ll

४-८-२०२५ 

 

जीवन इसी का नाम है l

 

जीवन इसी का नाम है l

चाहें रोकर जियो l

चाहें हसकर जियो ll

 

ज़हर हो या फ़िर अमृत l

महफिलों में मत पियो l

निगाहों से जाम पियो ll

 

जिन्दगी को आसान करने को l

रिश्तों को प्यार से सियो l

सदा ही होठों को सियो ll 

 

ऊपर वाला सब देखता है l

किसीसे कभी ना बियो l

बस ख़ुदा से ही बियो ll

 

जैसा सोचोगे वैसा पाओगे l

सब का भला चाहियो l

पूरी शिद्दत से चाहियो ll

५-८-२०२५ 

 

काले मेघा 

रब का शुकराना के काले मेघा छाए हैं l 

साथ अपने आश का उजाला लाए हैं ll

 

गर्म मौसम से तन मन परेशा हुए कि l

बारिस की बौछार से सुकून पाए हैं ll

 

पीली हरियाली को आँखें तरस गई है l

आज खेत खलियान के दिन आए हैं ll

 

मस्ती लिए आँखों में बिखेरे हुए ज़ुल्फ़ें l

पानी के तालाब बच्चों को खूब भाए हैं ll

 

काले मेघा पानी दे, काले मेघा पानी दे l

कोयल झूम झूमकर प्यारे गीत गाए हैं ll  

६-८-२०२५ 

 

सावन का झुला 

सावन के झुले पर झूलने आजा रे पिया सावरे l

मौसम के मजे को लूटने आजा रे पिया सावरे ll

 

सावन बहका, बूँदों पर खुमार, मन को भिगोके l

सारी परेशानी को भूलने आजा रे पिया सावरे ll

 

बारिस दिवानी हुई है ऐसे में दिल बहलाने को

l

झूठा ही हालचाल पूछने आजा रे पिया सावरे ll

 

बूँदों की छम छम, रिमझिम की सरगम सुनने l

प्रेम रस में डूबकर फूलने आजा रे पिया सावरे ll

 

रुत मदमाती आई, प्यार का सावन छलके तो l

अपनी मोहब्बत को मूलने आजा रे पिया सावरे ll

७-८-२०२५ 

मेरे भैया 

मेरे भैया दिल से जीवनभर साथ रहना l

गर मुश्किलें आ पड़े तो बहन को कहना ll

 

चाहे कोई साथ दे ना दे वादा करते है कि l

सदा उम्रभर साथ साथ चलेगी तेरी बहना ll

 

जूठ का रास्ता बड़ा सीधा लगता है पर तू l

सदाक़त की राह चलते कठिनाईया सहना ll

 

सदियों से चली आ रही रीति को बदलके l

में रक्षा करुँगी तेरी राखी तू मुझे पहना ll

 

जान से भी ज्यादा प्यार ओ दुलार दूंगी l

मेरे भाई बहन का तू है अनमोल गहना ll

८-८-२०२५ 

इम्तिहान

जिंन्दगी का हर नया दिन इक नये इम्तिहान में हैं l

फलसफा यहीं है सभी इन्सान अपनी उड़ान में हैं ll

 

क्षितिज के उस पार जाने क्या देखने जाना है कि l

एक पाँव जमीं पर तो एक पाँव आसमान में हैं ll 

 

बस एक ही हसरत पाल रखी है दीदार ए यार की l

इश्क़ की तलाश करते हुए ढूंढते हर मकान में हैं ll

 

दिल के दरिया में उफान आया हुआ है आज क्या l

जादू कर दिया मोहब्बत ने की हुस्न गुमान में हैं ll

 

आशिकी मिजाज प्यार की जिन्दगानी का और l

मुन्तजिर है गुल भी के प्यार भी सायबान में हैं ll

९-८-२०२५ 

किस का था

महफिल में ये अंनजाना सलाम किस का था l

ग़ज़ल के तख़ल्लुस में ये नाम किस का था ll

 

क्या खूब बढ़ा चढ़ा कर बयां किया है हुस्न l

दिवान ए दर्शिता में कलाम किस का था ll

 

बड़े नायाब कारीगर की कारीगरी है देखो तो l

ये बारीकी से किया हुआ काम किस का था l

 

सालों से लगातार बसे हो ऐसे लगता है कि l

अड्डा जमाये बैठे हो ये मक़ाम किस का था l

 

बज़्म में आए हुई जाने पहचाने खास में से l

दिल से किया हुआ एहतिमाम किस का था l

 

बड़े शान से तारीफ़ पर तारीफ़ हो रही थी कि l

जिक्र वहां तज़्किरा-ए-ना-तमाम किस का था ll

 

लब्जो की रंगोली से क्या लिखा था खत में l

पढ़कर मुस्कराए थे वो पयाम किस का था ll

 

ग़र पीने का सलीका ना आता हो तो ना पिये l

आधा अधूरा छोड़ा हुआ जाम किस का था l|

 

ख़ुदा की गलियों में घूमता दिन रात तन्हा सा l

वाईज का नहीं तों वक़्त-ए-ख़िराम किस का था ll

 

बेइंतिहा, बेपन्हा, बेहिसाब प्यार करने वाली l

राधा का नहीं तो फ़िर श्याम किस का था ll

 

बार बार सोते जागते आने वाला बस एक ही l

ख्वाब हररोज सुब्ह ओ शाम किस का था ll

 

बारहा निगाहों की सुराही से छलक रहा था वो l

बेजोड़ हुस्न का नहीं तो गुलाम किस का था ll

१०-८-२०२५ 

आनंद

दिल में आनंद का बादल गरजा है अभी l

लगता है हसीन हादसा गुज़रा है अभी ll

 

मौसम है जवा जवा ज़ज्बात भी है जवा l

प्यारा रिमझिम सावन बरसा है अभी ll

 

ख़यालों में लगातर याद आ रहे थे कि l

लो मुलाकात का पैगाम आया है अभी ll

 

बड़ी हसरतों से सजाया है घर आँगन l

बयार साथ अपने संदेश लाया है अभी ll

 

सुराही पर सुराही खाली हो रही है पर l

महफिल में पिअक्कड़ प्यासा है अभी ll

११-८-२०२५ 

 

तेरी महिमा 

कान्हा तेरी महिमा सुनने बादल आ गये l

सूरज की किरनों से तुझे बचाने छा गये ll

 

चितचोर क्या जादू कर जाती है निगोड़ी l

बांसुरी के मनभावन सुर दिल को भा गये ll

 

बड़ी मुद्दतों से चाह थी दौड़कर चिपकने की l

पूरे होशो हवास में प्यार से गले लगा गये ll

 

सुबह शाम दिन रात एक ही धुन में जी रहे l

चुपके ख्वाबों और ख़यालों में समा गये ll

 

कबसे राधा दीवानी बनी घूमे गली गली कि l

रूठी हुईं क़िस्मत को दुलार से मना गये ll

१२-८-२०२५ 

 

मेरे रास्ते का अधिकार 

डर लग रहा है पास भी जाते हुए l

एक अर्सा हो गया है मनाते हुए ll

 

किसी में इतना हौसला भी कहा है l

मेरे रास्ते का अधिकार मिटाते हुए ll

 

गिले शिकवे भूलकर अपनी मस्ती में l

छोड़ जायेंगे दुनिया हंसते गाते हुए ll

 

अभी तो आधे रास्ते भी पहुँचे है कि l

क्यूँ थक गये हों साथ निभाते हुए ll

 

उम्मीद को बरकरार रखना वादा है कि l

लौटकर आएँगे, रखना दिए जलाते हुए ll

 १३-८-२०२५ 

 

रिमझिम फुहार 

रिमझिम फुहार में भीगने और भिगोने का दिल करता हैं l

बारिस की बूंदे तन मन में ताजगी की ऊर्जा को भरता हैं ll

 

यहीं लम्हें जो पूरी तरह से जीभर के जी लेने चाहिये l

वक्त प्रकाश से भी तेज रफ़्तार से आगे ही आगे सरता हैं ll

 

एक बात अच्छी तरह से दिमाग में बिठा देनी चाहिए l

हर जीव एकदूसरे के साथ रहकर पालता और पलता हैं ll

 

दिल खोलकर पानी से भरा हुआ बादल बरसा के फुहार l

सृष्टि को नवजीवन, प्रफुल्लिता और आशा को धरता हैं ll

 

ऐेसे मौसम पूरी तरह भीग जाने को मन करे तब l

नादान है वो जो रिमझिम फुहार में छाते को लड़ता हैं ll

१४-८-२०२५ 

 

देश

दिल के दर्द दुनिया से छुपाते रहिए l

दिलों से नफरतों को मिटाते रहिए ll

 

देश पर जान कुर्बान करने वाले उस l

शहीदों के नाम भी फूल चढ़ाते रहिए ll

 

कुछ कर दिखाने का ज़ज्बा रखे कि l

क़ायनात में हैसियत बनाते रहिए ll

 

हौंसला करके हिम्मत से जंग में l

सब क़दम से क़दम मिलाते रहिए ll

 

दूसरों की ऐब देखने से पहले ज़रा l

आयना कभी ख़ुद को दिखाते रहिए ll

 

वतन के नशे में नाचने झूमने के लिए l

कभी कभी महफिलें सजाते रहिए ll

 

वीरों का पुण्य की ये उपवन है तो l

अपना फ़र्ज़ बखूबी निभाते रहिए ll

१५-८-२०२५