🫸 ब्रम्हदैत्य 🫷
रात के 12 बज चुके थे, एक टेबल लैंप जल रहा था और रिया अभी भी पढ़ाई में व्यस्त थी; क्योंकि कल से उसके बीकॉम के फाइनल ईयर के एग्जाम्स शुरू होने वाले थे, रिया की मां सुनीता और छोटा भाई आयुष किसी रिश्तेदारों के फैमिली फंक्शन पर गए हुए थे, वह कल सुबह ही आने वाले थे, अब रिया को भी नींद आने आने लगी थी, प्रिया ने फोन उठाया और अपने भाई आयुष को मैसेज किया, रिया अपने बेड पर सोने जाने ही वाली थी, तभी घर का दरवाजा खटखटाया, रिया रुकी, और सोचा ’इतनी रात को कौन आ सकता है’? उसने धीरे से दरवाजे की तरफ अपने कदम बढ़ाए,जैसे ही उसने दरवाजा खोला, बाहर कोई नहीं था,रिया ने मन ही मन फुसफुसाया ’अजीब बात है, बाहर तो कोई नहीं है! शायद मेरा वहम होगा’। रिया ने दरवाजा बंद किया और फिर से अपने बेड की तरफ जाने लगी, तभी फिर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी, रिया इस बार सहम गई, उसकी धड़कने तेज हो गई,रिया ने आवाज लगाई "कौन है?" मगर बाहर से की आवाज नहीं आई, बदले में बाहर से गुरगुराने आवाज आने लगी,जैसे कोई कुत्ता अपने गली में किसी और कुत्ते को देख कर गुरुगुर करता हो। रिया और डर गई,डर के मारे उसका पसीना छूट गया, लेकिन रिया साहसी थी, वो तेजी से घर कोने में भागते हुए गई और वहा से लोहे का एक रॉड उठा लाई, लेकिन अब दरवाजा जोर जोर से खटक रहा था,आवाज भी तेज हो रहा था, दरवाजा हिलने लगा, जैसे कभी भी गिर सकता हो, रिया ने होश संभाला, लोहे का रॉड फेंका और तेजी से जाकर अलमारी में छूप गई,धम्म करके दरवाजा गिर गया,रिया जो पहले से ही डरी हुई थी, डर के मारे उसकी धड़कने तेज हो गई, अलमारी लकड़ी की थी, उसमें एक छेद था, रिया ने उस छेद से बाहर देखने की कोशिश की, जैसे ही उसने देखा, रिया के पैरो तले जमीन खिसक गई, रिया ने एक हाथ अपने मुंह पर रख लिया ताकि वो जोर जोर से हांफे ना। रिया ने देखा कि एक 6_7 फीट की आकृति, जिसके पूरे शरीर पर सिर्फ घने बाल ही बाल है, और वो आकृति किसी इंसान जैसी दिख रही थी, उसके हाथ के नाखून लंबे_लंबे थे। उसका आधा चेहरा बाई तरफ से सड़ा हुआ था।
वह अजीब सी आकृति घर में इधर उधर जा रही थी, कभी kitchen में, कभी बेडरूम में, ऐसे करके वह आकृति हर जगह जा रही थी जैसे उस आकृति को रिया की ही तलाश थी।
तभी टेबल पर रखा रिया का फोन बजा,वो आकृति झटके से उस फोन की तरफ चली गई, उस आकृति को वो चीज ऐसे निहार रही थी, जैसे उसकेलिए वो कोई नई चीज हो, फोन की रिंग दो तीन बार बजी, वो आकृति वही फोन के पास खड़ी थी, रिया चाहकर भी फोन की तरफ नहीं जा सकती थी, तभी अचानक से धम्म करके वो आकृति अलमारी की तरफ बढ़ी, जिसमें रिया छुपी हुई थी, रिया के पसीने छूटने लगे, जैसे ही वो आकृति अलमारी तक आयी, वहा रुककर गुर्राने लगी, जैसे उसे पता हो कि रिया अलमारी के अंदर है मगर वो उसे सिर्फ धमका रहा हो, रिया जैसे तैसे अपने मुंह पर हाथ रखकर अपना आवाज दबा रही थी।
कुछ देर बाद वो आकृति मुड़ी और घर से बाहर जाने लगी, रिया के सांसों मै सांस आने लगी, लेकिन जो हादसा उसके साथ हुआ था, उसे याद करके रिया अलमारी में ही बेहोश हो गई।
रिया की आंख खुली, उसने देखा कि वो बेड पर लेटी हुई है, उसकी मां ’शारदा’ उसका हाथ अपने हाथों में लिए उसके बाजू में बैठी हुई है।