अंधेरे का समय था।
रामपुर नाम का एक छोटा-सा गांव गहरी नींद में डूबा हुआ था। मगर अजय अब भी जाग रहा था। किसी चीज़ पर ध्यान लगाकर काम कर रहा था। और करता भी क्यों नहीं — वह पेशे से एक इंजीनियर था, बस अभी तक नौकरी नहीं मिली थी।
इसी बीच, उसके घर के बाहर एक तेज़ धमाका होता है। चौक कर अजय बाहर निकलता है। सामने वाले खेत में आग लगी होती है।
अजय घबराकर अंदर भागता है और मां, पिताजी और बहन गीता को उठाता है। फिर वह दौड़कर कुएं की मोटर चालू करता है और पाइप से आग की ओर पानी छिड़कने लगता है।
पिताजी पूछते हैं, "ये आग कैसे लगी होगी?"
इस पर मां कहती हैं, "छोड़ो ना, सुबह देख लेंगे। शायद कोई शॉर्ट सर्किट हुआ होगा।"
सब वापस सोने चले जाते हैं।
अजय भी घर की ओर बढ़ता है, मगर तभी उसकी आंखों पर अचानक एक तेज़ रोशनी पड़ती है।
वह उस रोशनी की ओर बढ़ता है। जब वह उसके स्रोत तक पहुंचता है, तो देखता है कि ज़मीन पर गेंद के आकार का एक पत्थर पड़ा है, और उससे रहस्यमयी रोशनी निकल रही है।
जिज्ञासावश वह पत्थर उठाने की कोशिश करता है। जैसे ही वह उसे छूता है, उसके सिर में ज़ोर का दबाव महसूस होता है… और अचानक सब कुछ बदल जाता है।
अब वह किसी और ही जगह पर था।
उसके चारों ओर रंग-बिरंगी रोशनियाँ थीं। अजय घबराकर पत्थर को छोड़ देता है… और वह फिर से अपने घर के सामने खड़ा होता है।
हैरान होकर वह फिर पत्थर को उठाता है — यह सोचकर कि शायद सब उसका वहम था।
इस बार कुछ नहीं होता।
वह पत्थर को जेब में डाल लेता है और वापस घर में काम करते-करते वहीं सो जाता है।
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सुबह होती है।
अजय की मां शारदा रसोई में नाश्ता बना रही होती हैं।
"इतनी रात तक जागा मत कर बेटा," मां कहती हैं, "बीमार पड़ जाएगा। एक तू है जो दो बजे तक काम करता है, और एक तेरी बहन गीता, जो मोबाइल में लगी रहती है।"
नहा कर अजय बाहर आता है। गीता टीवी देख रही होती है।
वह रिमोट लेता है और न्यूज चैनल लगा देता है।
"क्या भैया! अच्छा-खासा सीरियल देख रही थी," गीता चिढ़ती है, "आज नौकरानी मालकिन के खाने में ज़हर मिलाने वाली थी!"
अजय कहता है, "तुम यही देखो, पढ़ाई मत करो!"
गीता झुंझला कर चिल्लाती है, "पापा!"
पिताजी भी कहते हैं, "अजय! क्यों परेशान कर रहा है उसे?"
इसी बीच अजय की नजर टीवी पर टिक जाती है।
न्यूज़ एंकर कहता है:
> "**कल रात पूरे भारत में उल्कापिंडों के टकराने की घटनाएं देखी गईं। ये उल्कापिंड पहले से अनुमानित नहीं थे — ये अचानक पृथ्वी पर गिरे और जहाँ भी गिरे, वहाँ आग लग गई।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ये साधारण पत्थर नहीं हैं — इनमें ब्रह्मांड की अद्भुत और रहस्यमयी शक्तियाँ समाई हो सकती हैं।
सरकार ने वैज्ञानिकों को निर्देश दिया है कि वे उन जगहों का पता लगाएं जहाँ ये उल्कापिंड गिरे हैं, और उन्हें तत्काल सुरक्षित करें।**"
टीवी की खबर सुनते ही अजय को रात की सारी बातें याद आ जाती हैं।
वह दौड़कर उस पैंट के पास जाता है, जो उसने रात को पहनी थी। जेब से पत्थर निकालता है।
लेकिन अब पत्थर में कोई चमक नहीं है।
वह स्तब्ध रह जाता है।
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तो क्या पत्थर की चमक गायब हो चुकी है?
क्या यह केवल वहम था, या कोई बड़ा रहस्य?
जानिए अगले भाग में...
क्या है उल्कापिंड का राज?
– लेखक: मयूर