" हार जाती हूं मैं अक्सर अपने आंसुओं से ,
कोई तो हो जो मुझे समझे पर ऐसा कभी हुआ नहीं
जिसे दिल से चाहा उसे भी झूठी लगी ,
अब तो मेरी आखिरी ख्वाहिश है
उसे मैं नहीं ..... मेरी मौत की खबर मिले "
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ये दुनियां बहुत बुरी है ऐसा नहीं कहूंगी मैं .... ये दुनियां आज भी वैसी है जैसा कई हजार वर्षों पहले थी ।
कुछ बदला है तो यहां रह रहे लोगों की सोच .... आज हम
धरती से आसमान तक पहुंच चुके हैं । पर इंसानों के दिल तक तो आज भी पहुंच नहीं पाए ।
जरा सोचो आप अगर किसी रिश्ते में होते हैं तो.... आपको यह एहसास कराया जाता है आप उस रिश्ते में बेवजह हो , कोई परवाह ही नहीं उस रिश्ते की ।
पर ऐसा सामने वाला बोलता है तब आपको सच में बहुत रोना आता है यह सोच कर कि मैं गलत हूं या मेरे प्यार में ही कोई कमी रही होगी .... शायद उस इंसान के दिल तक पहुंच नहीं पाई ।
दिल के रिश्ते बहुत कमजोर होते हैं.....
कहते हैं लोग दिल के रिश्ते कमजोर नहीं होते पर मेरा ऐसा मानना है दिल के रिश्ते ही कमजोर होते हैं...... अगर आप उस रिश्ते में सच्चे हैं, आप उस रिश्ते को खोने से डरते हैं, निभाने की चाहत है सामने वाला समझने की जगह आपको झूठी , फरेब यह सब सोचता है ।
तब आपका रिश्ता कमजोर लगता है ।
फिर दिमाग में ख्याल ऐसा आता है ..... क्या फायदा एक शख्स को चाहने और प्यार करने का .... आपको हर दिन रोना पड़े । पर दिल में एक उम्मीद रहती है कल वो इंसान जरूर समझेगा..... आंसुओं के बीच मैं कमजोर न पड़ जाऊं ... खुद को संभाल झूठी मुस्कान के साथ मुस्कुरा लेती हूं और भूल जाती हूं काश ! वो समझता।
पर ऐसा अक्सर देखा जाता है निभाने की चाहत हो आपके अंदर तो .....
आपको सिर्फ तकलीफ , तकलीफ तकलीफ सिर्फ और सिर्फ तकलीफ ही मिलेगा ........
मैं रोती हूं इसका मतलब यह नहीं कि मैं कमजोर हूं ...
मैं रोती हूं इसलिए क्योंकि मैं इस रिश्ते को आजकल के दुनियां में मेरा रिश्ता पवित्र है , खोना नहीं चाहती ......
पर मेरे चाहने और न चाहने से क्या होगा ??
एक बार आप किसी के नजर में झूठी/झूठा बन गए फिर आपके लाख कोशिशों के बाद भी यही नजर आएंगे।
रोने वाले इंसान कभी झूठ नहीं बोलते
पर हां, जब कोई उन्हें न समझे तो
एक दिन खामोश जरूर हो जाते हैं ....
खुद को बार बार यह एहसास करने से
अच्छा है रो कर अकेले ही चुप हो जाया करे .....!!!
अब तो मैं सिर्फ और सिर्फ अपनी किस्मत को दोषी मानती हूं ....
जब मेरी किस्मत ही धोखा देती है तो इंसानों से कैसे उम्मीद करूं .....
वक्त ने बहुत कुछ सिखाया है मुझे , इसीलिए अब चुप चाप रोते हुए मुस्कुरा लेती हूं.......
क्या पता कल मुझे मुस्कुराने का वजह मिले न मिले ....
क्या पता कल मेरी सांसे ही मुझसे छीन जाए??
ऐसे बहुत से सवाल है कल को लेकर .... पर यह भी तो सच है कल को किसी ने नहीं देखा .....
टेंशन, स्ट्रेस, आंसू और परेशानी ये सारे अब मेरे अच्छे दोस्त बन चुके हैं..... इंसान तो न सही कम से कम ये तो समझते हैं ...... बिना बुलाए मेरा साथ निभाने चले आते हैं।
खैर छोड़ो,,,,,
आजकल सबकी जिंदगी से सबको बहुत शिकायत होती है ..... जिनमें से एक मैं भी हूं ......
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थक गई हूँ मज़बूत बनने की कोशिश करते–करते,
हर रोज़ दिल को बहलाते–बहलाते,,,,,
कोई पूछता तक नहीं कैसी हूँ मैं?
सबको मेरी मुस्कुराहट ही काफ़ी लगती है।
रातें आती हैं तो डर लगने लगता है,
कि आज भी आँसू ही मेरे हमसफ़र होंगे
जो चुपके से सिरहाने पड़े तकिए को भिंगाएंगे
काश कोई होता…
जो मेरी इन चुप सी रातों की आवाज़ सुन पाता.......
सबको लगता है मैं बहुत मुस्कुराती हूँ,
पर सच कहूँ…
बहुत कमज़ोर हूँ मैं,
बस कह नहीं पाती किसी से
इसीलिए बहुत मुस्कुराती हूँ.....
काश कोई मेरी टूटन को भी समझ पाता,
मेरी नज़रों की उदासी पढ़ पाता,
और मेरे काँपते हाथों को थाम कर कहता
“तू थक सकती है… तू टूट सकती है…
मगर मैं हूँ न, तुझे छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगा।”
बस यकीन कर तेरे आंखों में आए आंसुओं को
एक दिन खुशियों का पैगाम मिलेगा.....
पर मैं गलत हूं न यह बात वो इंसान भी जानता है
मैं झूठी और वो हमेशा सच्चा नजर आता है...
कभी–कभी बस इतना चाहती हूँ,
कि कोई मेरे आँसुओं को अपने हाथों से पोंछ दे,
और बिना कुछ कहे सीने से लगा ले…
जैसे मैं भी किसी की अपनी हूँ.....
पर हकीकत कुछ और ही है
जिंदगी मेरी सांसों से हिसाब भी बहुत जल्द करेगी
सालों भर के सुकून मेरे हिस्से देगी ....
Thanks for reading.....