Yeh Dil Aashiqana in Hindi Love Stories by Manshi K books and stories PDF | ये दिल आशिकाना

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ये दिल आशिकाना

ये दिल आशिकाना,,,,,,,,,,

सर्दियों की हल्की गुलाबी शाम थी। सूरज धीरे-धीरे ढल रहा था और उसकी सुनहरी किरणें शहर की ऊँची-ऊँची इमारतों से टकराकर एक अद्भुत नज़ारा बना रही थीं। मुंबई की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में, एक लड़की अपने कमरे की खिड़की पर बैठी दूर क्षितिज को ताक रही थी। उसका नाम था आर्या। किताबों और कविताओं से प्यार करने वाली आर्या, एक साधारण लेकिन भावनाओं से भरी हुई लड़की थी। जो वक्त के साथ खुद को अपनों से दूर किए जा रही थी, मानो अकेलापन ही उसका साथी हो ....

वहीं दूसरी ओर था करण—एक बेफिक्र, मस्तमौला लेकिन दिल से सच्चा लड़का। संगीत उसका जुनून था, और उसकी आवाज़ में एक ऐसा जादू था कि कोई भी उसे सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाए। करण और आर्या की मुलाकात कॉलेज में हुई थी, और पहली नज़र में ही करण को आर्या की मासूमियत और गहरी आँखों ने मोह लिया था। लेकिन आर्या? उसे प्यार जैसे शब्दों पर भरोसा नहीं था।
तो क्या आर्या और करण एक हो पायेंगे?? आर्या जिसे प्यार पर भरोसा नहीं है क्या वो करण के प्यार को समझ पाएगी ????

पहली मुलाकात और दोस्ती
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करण और आर्या की पहली मुलाकात लाइब्रेरी में हुई थी। करण को लाइब्रेरी में देखकर आर्या को आश्चर्य हुआ, क्योंकि वह कभी भी किताबों में रुचि रखने वाले लड़कों में से नहीं लगता था। दरअसल, करण अपनी एक दोस्त के लिए किताब लेने आया था, लेकिन जब उसने आर्या को देखा, तो बहाने से वहीं बैठ गया। बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ, और धीरे-धीरे दोनों के बीच 
कुछ देर बात हुई और यही से दोनों में पहचान बढ़ी और नई रिश्ते यानी कि दोस्ती की शुरुआत हुई।

करण की बातें हमेशा मज़ाकिया होती थीं, लेकिन जब भी वह गाता, तो उसमें एक गहराई होती थी। आर्या को वक्त के साथ उसका आवाज़ सुनना अच्छा लगने लगा था, लेकिन वह खुद को रोकती थी। वह जानती थी कि प्यार सिर्फ दर्द देता है, क्योंकि उसने अपने माता-पिता के टूटते रिश्ते को करीब से देखा था। इसीलिए हर बार करण के लिए दिल में उमड़ रहे प्यार को आर्या रोक लेती थी।
उस प्यार के एहसास को समझने से इंकार कर देती थी कि 
" प्यार सिर्फ दर्द देता है " । इसीलिए करण से सिर्फ दोस्ती ही रखना चाहती थी।


दिल के जज़्बात
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करण को आर्या से प्यार हो गया था। उसने कई बार इशारों-इशारों में उसे यह जताने की कोशिश की, लेकिन आर्या हर बार बात को टाल देती। क्योंकि आर्या इतनी भी ना समझ तो नहीं थी कि करण का प्यार उसके लिए है ये समझ न पाए ।
एक दिन, जब वो दोनों कॉलेज के कैंटीन में बैठे थे, करण ने आर्या से हिम्मत जुटा कर पूछा,
"क्या तुम प्यार पर यकीन करती हो?"

आर्या ने हंसकर जवाब दिया, "प्यार सिर्फ़ किताबों में अच्छा लगता है, असल ज़िंदगी में यह सिर्फ़ तकलीफ देता है।"

करण को यह सुनकर दुख हुआ, वो समझ चुका था आर्या प्यार पर भरोसा नहीं करती है ..... क्योंकि जब आर्या वो शब्द बोल रही थी उस वक्त उसके आंखों में आंसू आ गए थे। आर्या के आंसू देख करण उस वक्त चुप रहना ही सही समझा , शायद आर्या को प्यार में धोखा मिला हो किसी से यह सोचकर ।।।
लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने सोचा कि वह एक दिन आर्या को यह एहसास जरूर दिलाएगा कि प्यार सिर्फ दर्द नहीं, बल्कि खुशी भी देता है। सारे लड़के एक जैसे नहीं होते हैं खुद से मन ही मन बोला ।

प्यार का एहसास
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वक़्त बीतता गया। करण और आर्या की दोस्ती और भी गहरी हो गई। एक दिन कॉलेज का म्यूज़िक फेस्टिवल था। करण ने वहाँ एक गाना गाने का फैसला किया—एक ऐसा गाना जो उसके दिल की भावनाओं को बयां कर सके। मंच पर आकर उसने अपनी आँखें बंद की और गाना शुरू किया।

मेरी राहें तेरे तक हैं
तुझपे ही तो मेरा हक़ है
इश्क़ मेरा तू बेशक़ है
तुझपे ही तो मेरा हक़ है
साथ छोड़ूँगा ना तेरे पीछे आऊँगा
छीन लूँगा या खुदा से माँग लाउँगा
तेरे नाल तक़दीरां लिखवाउंगा
मैं तेरा बन जाऊँगा
मैं तेरा बन जाऊँगा

सोंह तेरी मैं क़सम यही खाऊँगा
कित्ते वादेया नू मैं निभाऊँगा
तुझे हर वारी अपना बनाऊँगा
मैं तेरा बन जाऊँगा
मैं तेरा बन जाऊँगा

ना ना ना.. ओ..

लखाँ तों जुदा मैं हुई तेरे ख़ातिर
तू ही मंज़िल दिल तेरा मुसाफ़िर

लखाँ तों जुदा मैं हुई तेरे ख़ातिर
तू ही मंज़िल मैं तेरा मुसाफ़िर

रब नू भुला बेठा तेरे करके
मैं हो गया काफ़िर

तेरे लिए मैं जहाँ से टकराऊँगा
सब कुछ खोके तुझको ही पाउँगा
दिल बन के दिल धडकाऊँगा
मैं तेरा बन जाऊँगा
मैं तेरा बन जाऊँगा

सोंह तेरी मैं क़सम यही खाऊँगा
कित्ते वादेया नू मैं निभाऊँगा
तुझे हर वारी अपना बनाऊँगा
मैं तेरा बन जाऊँगा
मैं तेरा बन जाऊँगा

मेरी राहें तेरे तक हैं
तुझपे ही तो मेरा हक़ है
इश्क़ मेरा तू बेशक़ है
तुझपे ही तो मेरा हक़ है,,,,,,,,

गाने के हर लफ्ज़ में एक गहराई थी, एक सच्चाई थी। आर्या जो भीड़ में खड़ी थी, अचानक खुद के अंदर से कुछ महसूस करने लगी। यह भावना क्या थी, वह समझ नहीं पाई। लेकिन उसकी आँखों से आँसू बहने लगे थे।

करण ने गाना खत्म किया और सीधा आर्या की ओर देखा। उसके चेहरे पर वही मुस्कान थी, लेकिन उसकी आँखों में डर भी था शायद आर्या तब तक समझ चुकी थी शायद मेरी आंखों में आंसू का मतलब करण के लिए मेरे दिल में प्यार है जो आज आंखों से बयां हो रही है —पर करण एक पल के लिए डर गया इस बात से कि अगर आर्या ने फिर से उसके प्यार को नकार दिया तो? क्योंकि उसके आंखों के आंसू मुझे दिख रहे हैं...?? वो समझ चुकी है यह गाना मैने अपनी दिल बात कहने के लिए आज college festival में गाया हूं।। करण सोच ही रहा था कि 

आर्या मंच के पास दौड़ते हुए आई, उसे देखती रही और धीरे-धीरे बोली, "तुमने मेरे दिल को छू लिया करण। शायद मैं भी तुमसे प्यार करने लगी हूँ, लेकिन मुझे डर लगता है।"

करण ने उसका हाथ थामा और कहा, "डरना मत, आर्या। प्यार सिर्फ दर्द नहीं देता, बल्कि यह तो वो एहसास है जो ज़िंदगी को खूबसूरत बना देता है।"

अंजाम-ए-इश्क़
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उस दिन के बाद आर्या और करण की ज़िंदगी बदल गई। आर्या ने पहली बार अपने दिल की सुनी और करण को अपनी ज़िंदगी में शामिल किया। दोनों ने साथ में सपने देखने लगे ,हँसे, लड़े, लेकिन सबसे बड़ी बात, उन्होंने एक-दूसरे का साथ निभाया। दोनों शादी के बंधन में बंध गए और अपनी जिंदगी खुशी खुशी एक दूसरे के साथ बिताने लगे।।।

यह कहानी सिर्फ़ एक आशिक़ और उसकी मोहब्बत की नहीं थी, बल्कि यह उस डर को हराने की कहानी थी, जो प्यार को अपनाने से रोकता है। प्यार हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन जब सच्चा हो, तो यह हर मुश्किल को पार कर सकता है।

क्योंकि "ये दिल आशिक़ाना है, और आशिकाने दिल कभी हार नहीं मानते हैं।"




Thanks for reading....