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एक आदमी, लेदर की जैकेट और बूट्स में, काली जीन्स पहने, एक आलीशान ऑफिस के सोफे पर बैठा था। ऑफिस की दीवारों पर सफेद बोर्ड पर जगह-जगह लोगों और जगहों की तस्वीरें चिपकी थीं, और कागज़ों का ढेर बिखरा था। उसके एक हाथ में केस की फाइल थी, और दूसरे हाथ में पेपरवेट, जिसे वह यूँ ही घुमा रहा था, बिना ध्यान दिए।
आदित्य
मैं अपनी परफेक्ट, डार्क ओरा वाली ऑफिस में, एक लैम्प की रोशनी में फाइल पढ़ने की कोशिश कर रहा था।
केस: गुमशुदा या फिर भागी हुई वारिस।
फैसला अभी बाकी है।
दिन की शुरुआत एकदम क्लासिक रही थी। क्लाइंट? एक अमीर बूढ़ा आदमी।
अमीरों से मुझे कोई नफ़रत नहीं, लेकिन...
कल उसने फोन पर बताया,
"मेरी बेटी दोपहर से लापता है, मिस्टर वर्मा... मुझे नहीं पता वो कहाँ है... बस ढूंढ़ दीजिए। मैं पुलिस के पास गया होता, लेकिन आपको तो पता है मीडिया में खबर गई तो कैसे-कैसे सवाल उठेंगे..."
सही है। और मैं सांता क्लॉज़ हूँ।
उसकी आवाज में चिंता थी, लेकिन जुबान में बाप का डर नहीं, एक बिज़नेसमैन की हड़बड़ी थी।
बहुत बार लोग कुछ कहते हैं, और छुपाते कुछ हैं... लेकिन मुझसे? अच्छी किस्मत चाहिए।
"मिस शर्मा, कुकरेजा जी को कॉल कीजिए, उनसे बात करनी है।"
लंच टाइम पर मैं उस आदमी से मिला, और साफ कहा— "इट्स यौर ड्राइवर."
"क्या?" वो चौंक गया।
"मेरी जांच के अनुसार आपकी तीनों गाड़ियाँ जो आपकी बेटी के नाम पर हैं, उन्हीं में से एक में आखिरी बार वो देखी गई थी। यानी, मिस्टर कुकरेजा... उसने ही आपकी बेटी को गायब किया है।"
"लेकिन उसने तो कोई फिरौती नहीं मांगी..."
"यही तो बात है। शायद उसने पहले ही कुछ साइन करवा लिया हो, या फिर..."
उसका चेहरा सफेद पड़ गया।
"हम आपकी बेटी को वापस लाएंगे, लेकिन हमें कानूनी रूप से काम करना होगा। करन सब संभाल लेंगा।"
तभी मेरे दोस्त आकाश का कॉल आया। मुझे उसके घर जाना था।
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आकाश के घर की पार्किंग में मैं उसका इंतज़ार कर रहा था। उसके आने के बाद हम निकले।
और लिफ्ट में कौन मिला? आकाश की एक्स-क्रश। गेम ऑन।
"सर, मुझे लगता है एक्सिडेंट के पीछे भी उसी आदमी का हाथ है," मैंने कहा।
"पुलिस उस तक पहुंचे उससे पहले मैं पहुँचूंगा," आकाश ने गुस्से से कहा।
"उसे छोड़ना गलती थी।"
"क्या करूं, मेरी काव्या का दिल बहुत अच्छा है वरना उसी दिन उसे खत्म कर देता।"
लिफ्ट से बाहर आते ही श्रेया ने आकाश से कहा, "क्या मैं अपने बैग्स ले सकती हूँ?"
"ऑफ कोर्स।"
मैं स्टडी में चला गया। एक आदमी हमारे पीछे-पीछे आ रहा था। कौन परवाह करता है...
कुछ देर बाद वही लिटिल इडियट फिर सामने आ गया, "एनी evidence, मि. वर्मा?"
"मिस्टर कपूर, लॉन्ग टाइम नो सी।"
"बस देखो, जब मिल जाए ना... पहले मुझे बताना। उसे गायब करने का मन है।"
इन यौर ड्रीम्स।
"इस बार नहीं बचेगा," आकाश ने गंभीरता से कहा।
मुझे कॉल आया —
"हमने उसे पकड़ लिया है। अभी मेरे आदमी के क़ब्ज़े में है। चलना है?"
मैं खड़ा हुआ और पेनड्राइव दिखाते हुए बोला, "थोड़ा पीटना पड़ा, तब जाकर मुँह खुला।"
"कम ऑन मिस्टर आहूजा और मिस्टर कपूर, आप दोनों जानते हैं—मैं उसूलों वाला आदमी हूँ। क्लाइंट्स को मारपीट में इन्वॉल्व नहीं करता। आपकी मर्ज़ी धमकी देनी है तो दीजिए, मगर दूर से।"
"दोस्ती में कोई उसूल नहीं होता," रोनित ने तीखे स्वर में कहा।
"कल हर्ष अंकल आ रहे हैं। मैं नहीं चाहता कि वो आदमी उनके हाथ लगे," आकाश ने स्पष्ट किया।
"ठीक है। मुझे सारे सबूतों की एक कॉपी चाहिए।"
"मिल जाएगी।" इरिटेटिंग इडियट्स।
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आदित्य का सीक्रेट बेस
आकाश और रोनित, आदित्य के साथ एक कमरे में बैठे थे, जो वन-वे मिरर से उस कमरे को देख सकते थे जहां उस आदमी को रखा गया था। उसके सिर और हाथों से खून बह रहा था। जय ने उसे बुरी तरह मारा था, पैरों में अभी भी सूजन थी।
आकाश और आदित्य किसी बात में व्यस्त थे, तभी रोनित अंदर चला गया।
उसे देखते ही वो आदमी बोला,
"साले साहब, आप?"
लेकिन उसके जवाब में रोनित ने जोरदार मुक्का मारा।
अब उसके चेहरे से खून तेज़ी से बह रहा था।
"स्ससह..." उसने दर्द में कराहते हुए कहा।
आकाश भी अंदर आया।
"बड़े साले साहब... आप भी?"
आकाश ने उसकी बात को नज़रअंदाज़ किया, और रोनित को बाहर निकलने का इशारा किया।
जाते-जाते आदित्य ने अपने आदमी से कहा, "दो-चार और मारो इसे।"
बाहर निकलते ही रोनित ने गुस्से से कहा, "मैं उसे जान से मार दूंगा।"
"इस बार वो जेल से नहीं बचेगा। प्रॉमिस।" आकाश ने उसे शांत करने की कोशिश की।
तभी रोनित को एक कॉल आया। फोन देखा, और काट दिया।
"कहाँ जा रहा है?"
"अंकल को पिक करने एयरपोर्ट।"
आकाश को याद आया, उसे भी अपनी माँ को रेलवे स्टेशन से लेना है। "आदित्य, जो करना है कर... लेकिन मैं उसे तड़पते देखना चाहता हूँ।"
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Continues in the next episode.....